उप राष्ट्रपति सचिवालय

अपने प्रतिनिधियों और सरकारों का चुनाव उनके प्रदर्शन के आधार पर करें- उपराष्ट्रपति की लोगों से अपील


राजनीति में बढ़ते लोकप्रियतावाद पर चिंता जताई


सभी जगहों पर बहसों का स्तर नीचे जा रहा है - उपराष्ट्रपति

मीडिया से संसद द्वारा किए जाने वाले सकारात्मक कार्यों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए कहा


मेरे मित्र मेरी ताकत हैं- श्री नायडू

उपराष्ट्रपति ने वर्चुअल माध्यम से वाईपीओ-ग्रेटर इंडिया चैप्टर के सदस्यों से बातचीत की

“जीवन में उत्कृष्ठता पाने के लिए कड़ी मेहनत करें, भरोसे को मजबूत रखें और दूसरों से सीखें”- उपराष्ट्रपति ने उद्योग के नेतृत्वकर्ताओं को बताया

भारतीय उद्योग से मूल्य आधारित कॉरपोरेट गवर्ननेंस को अपनाने की अपील की

Posted On: 11 DEC 2020 8:55PM by PIB Delhi

भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज लोगों से अपने प्रतिनिधियों और सरकारों का उनके प्रदर्शन के आधार पर चुनाव करने की अपील की।

विशाखापट्टनम में आज वाईपीओ-ग्रेटर इंडिया चैप्टर के सदस्यों के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान, उपराष्ट्रपति ने राजनीति में कास्ट (जाति), क्रिमनैलिटी (आपराधिक पृष्ठभूमि), कम्यूनिटी (समुदाय) और कैश (नगदी) के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई और उनसे अपने प्रतिनिधियों को चुनते समय कैलिबर (मानसिक शक्ति), कंडक्ट (आचरण), कैपेसिटी (क्षमता) और कैरेक्टर (चरित्र) को प्राथमिकता देने के लिए कहा। राजनीति को लोगों की सेवा करने वाला मिशनबताते हुए, उन्होंने लंबी अवधि की रचनात्मक नीतियों की जगह पर लोकप्रियतावाद का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई।

उपराष्ट्रपति ने संसद और राज्यों की विधानसभाओं में चर्चा के गिरते स्तर पर भी चिंता जताई। श्री नायडू ने कहा, “सभी जगहों पर बहस का स्तर नीचे जा रहा है।उन्होंने आगे कहा कि पहले बहस को गरिमापूर्ण बनाए रखा जाता था और उसमें हास्य-विनोद भी शामिल होता था। इस बारे में, उन्होंने विधि निर्माताओं से डिसकस (बातचीत), डिबेट (बहस) और डिसाइड (निर्णय लेने) करने और कार्यवाही को डिस्टर्ब (बाधित) न करने का आग्रह किया। उन्होंने राजनेताओं को सलाह दी कि वे अपने विरोधियों को प्रतिद्वंद्वी मानें, न कि दुश्मन। राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में, वे समझा-बुझाकर और सलाह के जरिए अनुशासन लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।

संसद में सदस्यों के रचनात्मक योगदान पर मीडिया द्वारा आशा के अनुरूप ध्यान नहीं दिए जाने की कमी देखते हुए, उपराष्ट्रपति ने मीडिया से संसद द्वारा किए जा रहे सकारात्मक कार्यों पर ज्यादा ध्यान देने का आग्रह किया। मीडिया की विश्वसनीयता में गिरावट को देखते हुए, उन्होंने कहा कि न्यूजपेपर’ ‘व्यूज-पेपर’ (विचार-पत्र) बन गये हैं।

किसानों के मुद्दे पर, उपराष्ट्रपति ने कहा कि रचनात्मक बातचीत के माध्यम से सभी आशंकाओं को दूर किया जा सकता है।

अपन जीवन यात्रा को एक उदाहरण के रूप में पेश करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक किसान परिवार से होने के बावजूद, वे सिर्फ अपने अनुशासन, कड़ी मेहनत, समर्पण और मजबूत भरोसे के चलते देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद तक पहुंच सके हैं

श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने दूसरों के जीवन से बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने कहा, “मैंने लोगों के साथ समय बिताकर उनका अध्ययन किया।उन्होंने आगे कहा इससे मिली सीख ने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद की।

उपराष्ट्रपति ने उद्योग के युवा नेतृत्वकर्ताओं को जीवन में उत्कृष्ठता को पाने के लिए कड़ी मेहनत करने, भरोसे को मजबूत बनाए रखने और दूसरों के अनुभवों से सीखने की सलाह दी।

युवा सीईओ को आपस में बांटने और एक-दूसरे की देखभाल करनेके प्राचीन भारतीय मूल्यों की याद दिलाते हुए, श्री नायडू ने समाज को वापस लौटाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने श्री नानाजी देशमुख को कृतज्ञता के साथ याद किया और कहा कि उनके जीवन ने उन्हें समाज की सेवा के लिए स्वर्ण भारत ट्रस्ट शुरू करने के लिए प्रेरित किया था।

अपने मित्रों को अपनी ताकत बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे स्कूल के दिनों को याद करने के लिए हमेशा अपने मित्रों के संपर्क में रहते हैं।

युवा उद्यमियों को देश का भविष्य बताते हुए, श्री नायडू ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। हालांकि, हमें प्रतिभा को पहचानना होगा और उनके कौशल में उन्नत बनाना होगा। आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत जैसे महान भारतीयों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस भूमि में कुछ खास है। उन्होंने आगे कहा, “यहां तक कि आज भी हम देखते हैं कि कई प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शीर्ष पदों पर भारतीय मौजूद हैं।

व्यवसायियों को राष्ट्र का संपत्ति निर्माता बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने भारतीय उद्योग से नैतिकता आधारित कॉरपोरेट गवर्नेंस अपनाने की अपील की। यह देखते हुए कि कुछ लोगों ने अपनी गतिविधियों से कारोबारी समुदाय का नाम खराब किया है, श्री नायडू ने नैतिकता और मानकों को दुरुस्त रखने की जरूरत पर जोर दिया

कोई केवल अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करके ही जीवन में सफल हो सकता है, इस सोच को खारिज करते हुए उपराष्ट्रपति ने डॉ. अब्दुल कलाम जैसे कई प्रतिष्ठित लोगों के उदाहरण दि, जिन्होंने अपनी मातृभाषा में स्कूली शिक्षा ली थी। जीवन में मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए, श्री नायडू ने कहा कि अंग्रेजी जरूरी है और सभी लोगों को जितना संभव हो सके, उतनी ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए।

ऑनलाइन कार्यक्रम में वाईपीओ-ग्रेटर इंडिया के सदस्यों ने भाग लिया, जिसमें भारतीय उद्योग के कई प्रमुख नाम शामिल थे।

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