सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

श्री थावरचंद गहलोत ने लातूर, महाराष्ट्र के 8797 दिव्यांगजनों को सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए आयोजित किए गए एडीआईपी शिविर का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया

Posted On: 10 DEC 2020 3:43PM by PIB Delhi

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग के माध्यम से भारत सरकार की एडीआईपी योजना के तहत लातूर जिले के चिन्हित दिव्यांगजनों के लिए ब्लॉक स्तर पर सहायता और सहायक उपकरणों के मुफ्त वितरण के लिए एडीआईपी शिविर का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री श्री धनंजय मुंडे ने की। इस मौके पर महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री श्री संजय बाबूराव बंसोड, लातूर से सांसद सुधाकर तुकाराम श्रृंगारे और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) में सचिव श्रीमती शकुंतला डी गामलिन और विभाग में ही संयुक्त सचिव डॉ. प्रबोध सेठ भी इस कार्यक्रम के दौरान वर्चुअल माध्यम से उपस्थित थे।

उद्घाटन अवसर पर सम्बोधित करते हुए श्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि, कोविड-19 महामारी की स्थिति में भी भारत सरकार द्वारा विशेष उपाय किए गए हैं, ताकि कल्याणकारी योजनाओं के लाभ दिव्यांग व्यक्तियों के हित में निर्बाध रूप से जारी रह सकें। सभी निवारक उपायों का पालन करने के इस प्रयास के चलते महाराष्ट्र में लातूर के कलेक्टर हॉल में सहायता और सहायक उपकरणों के मुफ्त वितरण के लिए एडीआईपी शिविर का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि, हमारे देश में दिव्यांगजनों को मुफ्त सहायता तथा सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए 338.00 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम-एलिम्को का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। वर्ष 2014-15 के बाद से 9331एडीआईपी शिविरों का आयोजन 16.87 लाख लाभार्थियों को सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए किया गया है, जिनकी कीमत 1003.09 करोड़ रुपये है। 637 विशेष शिविर आयोजित किए गए हैं और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इस तरह के शिविरों का आयोजन करके देश के सभी हिस्सों तक पहुंचने की पूरी कोशिश कर रहा है।

श्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि, उनके मंत्रालय ने इन एडीआईपी शिविरों का आयोजन करके अब तक 10 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स बनाए हैं। उन्होंने कहा कि, हमारे देश में 186 अस्पतालों को श्रवण बाधित बच्चों की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए सूची में सम्मिलित करके रखा गया है और अब तक 2,995 शल्य चिकित्सा सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं। 19,402 मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल भी वितरित की गई हैं।

श्री गहलोत ने कहा कि, केंद्र सरकार ने हमारे देश में दिव्यांगजनों के समग्र कल्याण के लिए कई जन उपयोगी योजनाएं शुरू की हैं। सुगम्य भारत अभियान; दिव्यांगजनों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं; दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना; जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र; दिव्यांगजनों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम; और दिव्यांगजनों के लिए यूनिक आईडी कार्ड इनमें से प्रमुख रूप से शामिल हैं। मंत्रालय के अधीन भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) ने 6000 शब्दों का एक बहुत ही उपयोगी "भारतीय संकेत भाषा शब्दकोश" विकसित किया है। उन्होंने कहा कि, दिव्यांगजन हमारे देश का अभिन्न अंग हैं और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय उनके समग्र कल्याण तथा विकास के लिए पूरी तरह से समर्पित है।

लातूर जिले के 11 स्थानों में कुल 8789 लाभार्थियों की पहचान एलिम्को द्वारा की गई है। कुल 13012 सहायता और सहायक उपकरण जिनका मूल्य लगभग 7.25 करोड़ रुपये है, इन्हें शिविरों के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर ब्लॉक-वार/तालुका-वार पूर्व-चिन्हित लाभार्थियों के बीच चरणबद्ध तरीके से वितरित किया जा रहा है।

लातूर में आयोजित शिविरों में कुल 401 मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल वितरित की गईं। एक मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल का मूल्य 37000 रुपये है। पात्र लाभार्थी को भारत सरकार की एडीआईपी योजना के तहत सब्सिडी के रूप में 25000 रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जाती है और जिला प्रशासन द्वारा प्रति मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल पर 12000 रुपये राशि का वित्त पोषण किया जाता है।

लातूर में चरण वार वितरण शिविरों की श्रृंखला में वितरित किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के सहायता और सहायक उपकरणों में 1003 हैंड प्रोपेल्ड ट्राइसाइकिल, 1993 व्हील चेयर, 191 सीपी चेयर, 1180 बैसाखी, 1690 वॉकिंग स्टिक्स, 817 स्मार्ट केन, 272 स्मार्ट फोन, नेत्रहीनों के लिए 193 फोल्डिंग केन, 154 डेज़ी प्लेयर, 21 ब्रेल किट, 122 रोलेटर, 3610 श्रवण-संबंधी उपकरण, 851एमएसआईईडी किट, कुष्ठ रोग किट के लिए 98 दैनिक जीवन सहायक उपकरण और 416 कृत्रिम अंग तथा कैलिपर्स शामिल हैं।

सहायता और सहायक उपकरणों के वितरण के दौरान कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत सुरक्षा तथा अन्य आवश्यक एहतियाती उपायों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया गया। लाभार्थियों तक सहायता पहुंचाने के दौरान सामाजिक सुरक्षा, प्रत्येक व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग, प्रत्येक व्यक्ति के लिए फेस मास्क की सुनिश्चितता, सैनिटाइज़र, हैंड ग्लव्स और पीपीई किट के अनिवार्य उपयोग की व्यवस्था थी। वितरण संबंधी नए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यक्रम स्थल और अक्सर स्पर्श किए जाने वाले क्षेत्रों का सैनिटाइजेशन भी किया गया। वितरण से ठीक पहले सहायक उपकरणों और परिवहन उपकरणों, परिवहन वाहन, खुले/बंद भीड़ वाले क्षेत्र की स्वच्छता और सहायक उपकरणों के पुन: सैनिटाइजेशन सहित अनेक बहु-स्तरीय उपाय किए गए।

बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से की गई थी कि, इस समारोह में शामिल हुए लाभार्थियों और उनके परिचारकों के बीच सुरक्षित दूरी बनाई रखी जा सके। एक बार में 40 लाभार्थियों के बैच को अनुमति दी गई थी। कार्यक्रम के दौरान दिन के समय अलग-अलग बैच के लिए अलग-अलग स्लॉट बनाए गए थे ताकि निकट संपर्क से बचा जा सके।

इस शिविर का आयोजन भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) कानपुर द्वारा किया गया था, जो कि भारत सरकार की एडीआईपी योजना के तहत भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) के साथ मिलकर जिला प्रशासन लातूर के सहयोग से काम कर रहा है। यह शिविर नई अनुमोदित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार आयोजित किया गया था।

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