विधि एवं न्‍याय मंत्रालय

आईटीएटी ने 71वें संविधान दिवस के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया

Posted On: 26 NOV 2020 7:35PM by PIB Delhi

आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी) ने 71वें संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर, 2020 को अखिल भारतीय वेबिनार का आयोजन किया। आईटीएटीके अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री पी.पी. भट्ट ने समारोह का नेतृत्व किया।इस अवसर परकेंद्रीय कानून सचिव श्री अनूप कुमार मेंदीरत्ता, सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की सदस्य (कानून)सुश्री सीमा खोराना पात्राऔर अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में अधिकरणके उपाध्यक्ष और सदस्य भी शामिल हुए। समारोह में बड़ी संख्या में वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आयकर विभाग के अधिकारी और आईटीएटी के अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हुए।

श्री न्यायमूर्ति पी.पी. भट्ट ने अपने संबोधन में, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित लक्ष्यों और जन-आकांक्षाओं को पूराकरने के लिए आम लोगों को शामिल करने से सम्बंधित प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी।उन्होंने कहा कि संविधान दिवस समारोह में जीवन के सभी क्षेत्रों केआम लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक नागरिक द्वारा मौलिक कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस अवसर पर प्रस्तावना की एक संगीतमय प्रस्त्तुति भी दी गयी।

इसके बाद सभा को श्री वाई.पी. त्रिवेदी, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री एम.एस. सयाली, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री सौरभसोपारकर, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्रीमती एस.आर. अनुराधा, अधिवक्ता और आईसीएआई के अध्यक्षश्री अतुल गुप्ता ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने भारतीय संविधान के सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किये। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की सदस्य (कानून)सुश्री सीमा खोराना पात्राने प्रशासन और करों के संग्रह के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों के बारे में बात की। भारत के सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने भारतीय संविधान की विशेषता और ताकत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए सभी को प्रेरित किया। उन्होंने संविधान सभा के सदस्यों को भी याद किया। उन्होंने हमारे संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता– संप्रभु राज्य के तीन अंगों की शक्तियों का पृथक्करण और नियंत्रण एवं संतुलन द्वारा प्रत्येक अंग की स्वतंत्रता - पर अपने विचार व्यक्त किये। केंद्रीय कानून सचिव श्री अनूप कुमार मेंदीरत्ताने भारतीय संविधान की बारीकियों तथा प्रस्तावना के उद्देश्य को पूरा करने में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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