शिक्षा मंत्रालय
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जेएनयू परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया
राष्ट्रीय हितों के बीच में विचारधारा को नहीं लाया जाना चाहिए-प्रधानमंत्री
Posted On:
12 NOV 2020 8:40PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नई दिल्ली स्थित जेएनयू परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और जेएनयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर एम.जगदीश कुमार भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
जेएनयू छात्रों और देश के युवाओं को इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय हित से ऊपर अपनी विचारधारा को प्राथमिकता देना हानिकारक है। उन्होंने कहा कि इसी एक बात ने हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “चूंकि मेरी विचारधारा यह कहती है, इसलिए राष्ट्रीय हित के मामलों में, मैं इस विचारधारा के दायरे में सोचूंगा और उसी के अनुरूप काम करूंगा, यह एक गलत तरीका है।” उन्होंने जोर दिया कि किसी के लिए भी अपनी विचारधारा पर गर्व करना स्वाभाविक है, लेकिन जहां बात राष्ट्रीय हितों की आती है, तो हमारी विचारधारा को राष्ट्र के साथ खड़े होना चाहिए, न कि इसके खिलाफ।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि हमारे देश के इतिहास में जब भी देश के समक्ष विषम परिस्थितियां पैदा हुई है हर एक विचारधारा के लोग राष्ट्र की भलाई के लिए एक साथ आगे आए हैं। देश के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर एक विचारधारा के लोगों ने मिलकर काम किया। वे देश के लिए मिलकर लड़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही स्थितियां उस समय भी देखने को मिली जब देश में आपातकाल लगाया गया। आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन में कई पूर्व कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हुए जिस आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता और जनसंघ से जुड़े लोग भी शामिल थे। साथ ही समाजवादी और वामपंथी विचारधारा के लोग भी आपातकाल के विरुद्ध एक स्वर में संघर्ष के लिए आगे बढ़े।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि इस उद्देश्य से एकजुट होने के लिए किसी को भी अपनी विचारधारा से समझौता करने की आवश्यकता नहीं होती है, केवल एक ही लक्ष्य, एक ही उद्देश्य होता है राष्ट्रीय हित। इसलिए जब भी प्रश्न राष्ट्रीय एकता, अखंडता और राष्ट्रीय हित का हो तब अलग-अलग विचारधाराओं के आधार पर फैसले नहीं लिए जाने चाहिए जिससे राष्ट्र का नुकसान होता है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि विचारों के साझा किए जाने और नए विचारों के प्रवाह को निर्बाध रखने की आवश्यकता है। हमारा देश दुनिया में एक ऐसा देश है जहां विभिन्न मतों के समृद्ध विचारों का अंकुरण होता है। यह आवश्यक है कि देश का युवा इस परंपरा को और मजबूत करे। श्री मोदी ने कहा कि इसी परंपरा के कारण भारत एक समृद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था का पोषक बना हुआ है।
प्रधानमंत्री ने छात्रों के समक्ष अपनी सरकार के सुधार एजेंडे की रूपरेखा रखी। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के विचार का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अब 130 करोड़ भारतीयों की महत्वाकांक्षा बन गया है। प्रधानमंत्री ने भारत में सुधार जारी रखने का उल्लेख करते हुए जेएनयू के छात्रों से आग्रह किया कि वे इस पर विचार करें कि अच्छे सुधार और बुरी राजनीति की धारणा को बदल कर अच्छे सुधार और अच्छी राजनीति में कैसे बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज जारी सुधारों के पीछे एक मात्र उद्देश्य है कि किसी तरह से भारत को और बेहतर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किए जा रहे तमाम सुधारों के पीछे दृढ़ता और नीयत में पूरी गंभीरता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जारी सुधारों को लागू करने से पहले एक सुरक्षा जाल सृजित किया जाता है जोकि विश्वास पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से गरीबों को सिर्फ नारों तक सीमित रखा गया और उन्हें देश की व्यवस्था से जोड़ने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि अब तक देश के गरीब लोग सबसे ज्यादा उपेक्षित, व्यवस्था से कटे हुए और आर्थिक रूप से व्यवस्था से बाहर रखे गए। उन्होंने कहा कि आज गरीब को पक्का मकान मिल रहा है, शौचालय, बिजली, गैस, पीने का स्वच्छ पानी, डिजिटल बैंकिंग व्यवस्था, सस्ता मोबाइल संपर्क और तेज इंटरनेट जैसी मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। यह सुरक्षा तंत्र गरीबों के इर्द-गिर्द बुना गया जो कि उनकी महत्वाकांक्षाओं की उड़ान के लिए आवश्यक था। ठीक इसी तरह से बेहतर सिंचाई बुनियादी ढांचा, मंडियों का आधुनिकीकरण, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, यूरिया की उपलब्धता और अच्छा न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सुरक्षा का ताना-बाना है जो किसानों के लिए बुना गया। सरकार ने पहले उनकी आवश्यकताओं के लिए काम किया और अब उनकी महत्वाकांक्षाओं के लिए काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने आशा जताई कि जेएनयू में स्वामी जी की प्रतिमा हर एक को प्रेरित करेगी और साहस देगी, जो स्वामी विवेकानंद सभी लोगों में चाहते थे। उन्होंने आगे कहा कि यह प्रतिमा दया भाव की शिक्षा देगी, जो कि स्वामी जी के दर्शन का मूल तत्व है। उन्होंने आशा जताई कि यह प्रतिमा हमें राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव और देश प्रेम की शिक्षा देगी, जो स्वामी जी के जीवन का पहला संदेश है। उन्होंने आशा जताई कि यह प्रतिमा राष्ट्र को एकता के धागे में बंधे रहने के लिए प्रेरित करेगी और युवाओं के नेतृत्व में विकास के लिए आगे बढ़ने को हमें प्रेरित करेगी जो कि स्वामी जी की अपेक्षा थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्वामी जी की यह प्रतिमा हमें सशक्त और समृद्ध भारत के स्वामी जी के स्वप्न को साकार करने के लिए सदैव प्रेरित करती रहेगी।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री पोखरियाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान की प्रणाली के महान विद्वान और ब्रांड एम्बेसडर स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा का अनावरण हम सभी के लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा हमारी आने वाली पीढ़ियों को देश के बारे में उनके मूल्यों, दर्शन और विचारों के बारे में याद दिलाएगी। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद ने न सिर्फ भारतीय वैदिक दर्शन को ही दुनियाभर में पहचान दिलाई है बल्कि आज भी शिकागो में दिया गया उनका प्रसिद्ध भाषण वैश्विक मंच पर भारत की शैक्षिक और आध्यात्मिक विरासत का एक अनूठा उदाहरण है।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमें भारत को ‘ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति’ बनाने के लिए एक विजन दिया है और वैश्विक नागरिक तैयार करने के लिए एक ‘मिशन’ है। स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेते हुए और प्रधानमंत्री के विजन और मिशन के अनुरूप हमारी नई शिक्षा नीति वैश्विक नागरिकों को तैयार करने के लिए रचनात्मकता, अनुसंधान, नवाचार और वैज्ञानिक मिजाज को पोषित करेगी।
जेएनयू के बारे में बात करते हुए श्री पोखरियाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमेशा युवा शक्ति का केन्द्र रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि इस विश्वविद्यालय ने पिछले पांच वर्षों में शोध की संस्कृति को बढ़ावा देकर एनआईआरएफ रैंकिंग में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी, इस विश्वविद्यालय को एनआईआरएफ रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल हुआ है। श्री पोखरियाल ने इन सभी सराहनीय और अभिनव कदमों के लिए पूरे जेएनयू परिवार को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि वह दिन दूर नहीं जब हम अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत को विश्व गुरु के रूप में फिर से स्थापित करेंगे।
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