उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने जल संरक्षण के लिए 'जन आंदोलन' का आह्वान किया और इसकी सफलता के लिए लोगों की भागीदारी के महत्व पर बल दिया
उपराष्ट्रपति ने चेताया कि अगर जल संरक्षण को युद्धस्तर पर नहीं लिया जाता है तो पीने योग्य पानी एक दुर्लभ संसाधन बन सकता है
लोगों तक जो महत्वपूर्ण संदेश ले जाना है वह यह है कि पानी एक सीमित संसाधन है : उपराष्ट्रपति
जीवन शैली को बदलने और जल संरक्षण को जीवन का एक तरीका बनाना समय की जरूरत है : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने मीडिया से पानी की हर बूंद के संरक्षण पर एक सतत अभियान चलाने का आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने नगरपालिकाओं और अन्य स्थानीय निकायों से प्रत्येक नए भवन के लिए वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाने को कहा
भविष्य की पीढ़ियों को एक सतत ग्रह सौंपने के लिए, फिर से उपयोग और रिसायकल का नारा होना चाहिए
वह वर्चुअल तरीके से आयोजित दूसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में उद्घाटन भाषण दे रहे थे
उन्होंने विजेताओं की प्रशंसा की और कहा कि पुरस्कार विभिन्न हितधारकों को प्रेरित करने के लिए हैं
Posted On:
11 NOV 2020 1:26PM by PIB Delhi
भारत के उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज जल संरक्षण पर एक 'जन आंदोलन' का आह्वान किया और इसे सफल बनाने के लिए लोगों की भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है और लोगों की भागीदारी के बिना कुछ भी सफल नहीं होगा।
दूसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में वर्चुअल तरीके से उद्घाटन भाषण देते हुए, उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन कैसे बना और उन्होंने बताया कि वह व्यक्तिगत अनुभव से बोल रहे हैं क्योंकि जब इसे लॉन्च किया गया था तब वह शहरी विकास मंत्री थे।
श्री नायडू ने कहा “हमारे पास माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई कई अभिनव पहल हैं। सभी लोगों की सक्रिय भागीदारी और विभिन्न हितधारकों की भागीदारी के साथ वे सब के सब आगे बढ़ रहे हैं।”
उन्होंने चेताते हुए कहा कि जब तक पानी की बर्बादी कम नहीं होती है और जल संरक्षण युद्ध स्तर पर नहीं होता है तो भविष्य में पीने योग्य पानी के संकट पैदा होने का खतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रमुख संदेश जिसे लोगों तक बार-बार ले जाना चाहिए, वह है कि पानी एक सीमित संसाधन है और असीमित नहीं है।
उन्होंने उल्लेख किया कि धरती पर उपलब्ध जल का केवल 3 प्रतिशत ताजे पानी का है और इसका केवल 0.5 प्रतिशत पीने के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा: “यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह पानी को बचाए और विवेकपूर्ण तरीके से इसका उपयोग करे। श्री नायडू ने कहा कि समय की जरूरत है कि हम अपनी जीवन शैली को बदलें और जल संरक्षण को जीवन का एक तरीका बनाएं।
पानी को एक दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके संरक्षण के लिए संदेश दूर-दूर और देश के हर कोने तक जाना चाहिए। पानी के हर बूंद को बचाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि "अगर हर कोई मानव जाति के सामने की चुनौती को समझ लेता है तो यह संभव है।"
जल संरक्षण के महत्वपूर्ण महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक निरंतर जन मीडिया अभियान का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय निकायों को सक्रिय भागीदार बनना चाहिए।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में भारत की पानी की आवश्यकता लगभग 1100 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष है और यह 2050 तक 1447 बीसीएम को छूने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी, शहरीकरण, औद्योगीकरण और कृषि गतिविधियों का विस्तार करने के साथ, पानी की आवश्यकता का बढ़ना जारी रहेगा।
श्री नायडू ने कहा कि पानी के कम उपयोग से घरों, कार्यालयों और खेती की गतिविधियों को पानी देने और आपूर्ति करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का कम उपयोग होता है। उन्होंने कहा, "वास्तव में, यह प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगा।"
देश में प्रभावी जल प्रबंधन के लिए एक मजबूत नीतिगत ढांचा बनाने के लिए राष्ट्रीय जल नीति द्वारा किए जा रहे पुनरीक्षण पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 2014 से देश के विकास के एजेंडे में सबसे आगे जल शासन को रखा गया है और नमामि गंगे कार्यक्रम सहित विभिन्न परियोजनाओं का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान का उद्देश्य संपत्ति निर्माण और व्यापक संचार के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाना है।
तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित सभी विजेताओं को क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे पुरस्कार के लिए बधाई देते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि पुरस्कार केवल अच्छे काम करने की पहचान के लिए नहीं है, बल्कि देश में जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए विभिन्न हितधारकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से भी हैं।
श्री नायडू ने जिला प्रशासन और पंचायतों द्वारा किए गए अच्छे काम की सराहना करते हुए कहा कि इसने प्राकृतिक संसाधनों के बचाव और संरक्षण के प्रति स्थानीय अधिकारियों की बढ़ती संवेदनशीलता को दिखाया है। उन्होंने कहा, "मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि विकेंद्रीकृत योजना प्राकृतिक संसाधनों के नियोजन, निष्पादन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।"
उपराष्ट्रपति ने हर नए भवन के लिए वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाने के लिए नगरपालिका अधिकारियों और अन्य स्थानीय निकायों को भी सुझाव दिया।
पानी के प्रभावी उपयोग के लिए वाटरशेड डेवलपमेंट, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि "अगर हमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सतत और जीवंत ग्रह सौंपना है तो कम, फिर से इस्तेमाल और रिसाइकल का नारा होना चाहिए।"
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जल राज्यमंत्री श्री रतन लाल कटारिया, जल शक्ति मंत्रालय सचिव श्री यू. पी. सिंह, पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा के लिए मिशन के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा, पुरस्कार विजेता राज्यों के प्रतिनिधि, संगठन और पुरस्कार विजेता उपस्थित थे।
***
एमजी/एएम/सीसीएच/डीसी
(Release ID: 1671891)
Visitor Counter : 365