पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

डॉ. हर्षवर्धन ने ‘मानसून मिशन और उच्‍च प्रदर्शन कम्‍प्‍यूटिंग सुविधाओं में निवेश के आर्थिक लाभों के अनुमान’ के बारे में एनसीएईआर रिपोर्ट जारी की


इन सुविधाओं में भारत के लगभग 1,000 करोड़ रुपये के निवेश से देश के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले (बीपीएल) 1.07 करोड़ कृषक परिवारों और 53 लाख बीपीएल मछुआरोंके परिवारों को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा-  एनसीएईआर की रिपोर्ट

Posted On: 03 NOV 2020 6:22PM by PIB Delhi

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के “राष्ट्रीय मानसून मिशन और उच्च-प्रदर्शन कम्प्यूटिंग कार्यक्रमों पर सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक रुपये से देश को पचास रुपये का आर्थिक लाभ प्राप्‍त होगा। जो अगले पांच साल की अवधि के लिए निवेश पर 50 गुना से अधिक लाभ है”। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की एक रिपोर्ट द्वारा इसकी पुष्टि की गई है,जो नई दिल्‍ली स्थित एक स्वतंत्र,लाभ अर्जित न करने वाला आर्थिक नीति अनुसंधान और थिंक टैंक है। यह रिपोर्ट आज केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पृथ्वी भवन में आयोजित एक समारोह में जारी की। पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. राजीवन, आईएमडी के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्रा, परियोजना निदेशक और वैज्ञानिक ‘जी’ श्रेणी डॉ. परविंदर मैनी तथा पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय और आईएमडी के अनेक वरिष्‍ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे, जबकि पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन सभी संस्थानवर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से शामिल हुए।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001KH7A.jpg

एनसीएईआर की रिपोर्ट में देश के फसल किसानों, पशुपालकों और मछुआरों को प्रत्‍यक्ष मौद्रिक लाभ के रूप में आर्थिक लाभोंका उल्‍लेख होता है। इस रिपोर्ट के अनुसारराष्‍ट्रीय मानसून मिशन और उच्च-प्रदर्शन कम्प्यूटिंग (एचपीसी) सुविधाओंमें भारत के लगभग 1,000 करोड़ रुपये के निवेश से देश के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले (बीपीएल) 1.07 करोड़ कृषक परिवारों और 53 लाख बीपीएल मछुआरों के परिवारों को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा।

एनसीएईआर अध्ययन 3,965 फसल किसानों, 757 समुद्री मछुआरों और 1,376 पशुधन मालिकों सहित 6,098 उत्तरदाताओं के आमने-सामने के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसके साथ-साथआमने-सामने के सर्वेक्षण के निष्कर्षों की वैधता के लिए इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस) के माध्यम से 2 लाख किसानों की प्रतिक्रियाएं भी प्राप्‍त की गईं। आईवीआरएस एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो कम्‍प्‍यूटर को कीबोर्ड के माध्यम से आवाज और इनपुट के उपयोग द्वारा लोगों के साथ बातचीत करने मेंमदद करती है। इसमें मानसून मिशन अवधिसे पूर्व और बाद की दोनों अवधि के ही डेटा शामिल किए गए हैं।इससे 2015 में लागू किए गए राष्ट्रीय मानसून मिशन से पूर्व और बाद हुए प्रमुख फसलों के उत्‍पादन और उपज का विश्‍लेषण करने में मदद मिली। कुल 29 में से 16 राज्यों और देश के 732 जिलों में से कुल 173 जिलों को कृषि-जलवायु क्षेत्रों, वर्षा आधारित क्षेत्रों, प्रमुख फसलों के बुवाई क्षेत्रों और देश में प्रतिकूल मौसम की घटनाओंके उचित प्रतिनिधित्व को इस अध्‍ययन में विचार-विमर्श हेतु शामिल किया गया।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानसून मिशन 2012 में शुरू किया था। इसका उद्देश्‍य लघु, मध्यम और लंबी दूरी के पूर्वानुमानों के लिए एक अति आधुनिकगतिशील मानसून भविष्यवाणी प्रणाली विकसित करना था। उच्च प्रदर्शन वाली कम्प्यूटिंग सुविधाओं के साथ राष्ट्रीय मानसून मिशन की बढ़ोतरी से देश में परिचालन मौसम पूर्वानुमानों के लिए मौसम और जलवायु मॉडलिंग में बड़ा बदलाव अर्जित करने में मदद मिली है। 12 किलोमीटर पर लघु और मध्यम दूरी पूर्वानुमान और 2018 में इसका परिचालन एक ग्लोबल एनसेंबल फॉर कास्‍ट सिस्‍टमके सफलतापूर्वक विकास और 1 पेटाफ्लॉफ से 10 पेटाफ्लॉट तक उच्च-प्रदर्शन और कम्‍प्‍यूटिंग सुविधाओं मेंबढ़ोतरी राष्‍ट्रीय मानसून मिशन के कारण ही संभवहुई।

कृषि-जलवायु क्षेत्र एक ऐसे भौगोलिक क्षेत्र का उल्‍लेख करता है जिसमेंएक समानमिट्टी की किस्‍में, वर्षा, तापमान और पानी की उपलब्धता होती है। भारत को 15 प्रमुख कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, इनमें से उन 10 क्षेत्रों को, जिनमेंसूखा पड़ने से लेकर बाढ़ आने तक की सभी मानसून घटनाएं होती हैं,इस अध्‍ययन में शामिल किया गया है। उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है जो वर्षा आधारित थे और जो पशुधन आधारित हस्तक्षेपों के लिए महत्वपूर्ण हैं।ऐसे कुल 173 जिलों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया था। भारत में उगाई जाने वाली सभी 70 प्रतिशत प्रमुख फसलों को इस अध्ययन के दायरे में लाया गया। इन फसलों में रबी और खरीफ दोनों ही शामिल हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से देश में सभी जिलों के लिए सप्‍ताह में दो बार ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) के तहत लगभग 40 मिलियन किसानों को 130 एग्रो मीट क्षेत्र इकाइयों के माध्‍यम से जिला स्‍तर पर कृषि मौसम संबंधी परामर्श उपलब्‍ध कराता है। किसानों को ये परामर्श मोबाइलएसएमएस, मेघदूत जैसे एप, आईएमडी वेबसाइट, किसान पोर्टल तथाटेलीविजन, रेडियो और समाचार पत्रों जैसे पारंपरिक मीडिया के माध्यम से उपलब्‍ध कराए जाते हैं। किसान फसलों की बुवाई, फसल किस्‍म में बदलाव, बीमारियों के नियंत्रण के लिएकीटनाशकों का छिड़काव और सिंचाई का प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण कृषि कार्यों में इन परामशों का उपयोग करते हैं।

भारत के 11 राज्यों के 121 जिलों के जिन 3,965किसानों का साक्षात्कार लिया गया उनमें सेअधिकांश किसानों नेमौसम संबंधी परामर्श का सकारात्‍मक प्रभाव पड़ने की पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि फसल की किस्‍म या ब्रीड, उर्वरकों या कीटनाशक के उपयोग के कार्यक्रम, सिंचाई या फसल कटाई के समय,भंडारण आदि के लिए प्रबंधन तथा नुकसान कम करने और आय बढ़ाने जैसी महत्‍वपूर्ण कृषि प्रक्रियाओं में बदलाव किए हैं। भारत के 10 राज्यों के 92 जिलों जिन 1,376 पशुधन मालिकों का साक्षात्कार किया गया उनमें से अधिकांश ने यह बताया कि मौसम संबंधी परामर्श का उनकी आजीविका पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने पशुओं के टीकाकरण, उनके शेड और शेल्‍टरों में संशोधन तथा आईएमडी द्वारा जारी मौसम मानकों पर आधारित चारा प्रक्रियाओं जैसी पशुधन प्रबंधन प्रक्रियाओं के बारे में निर्णय लेने की पुष्टि की है। पशुधन किसानों में सीमांत और बड़े दोनों ही शामिल थेऔर उन्‍होंने गाय, मवेशी, बकरियां और मुर्गी पाल रखीं थीं।इस रिपोर्ट में कृषि और पशुधन किसानों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 13 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित आय लाभ दर्शाया गया है। इसके अलावा, अगले पांच वर्षों में लगभग 48 हजार करोड़ रुपये केबढ़तेहुए आर्थिक लाभ का भी उल्‍लेख किया गया है।

इस रिपोर्ट में कुल 53 लाख बीपीएल मछुआरों के परिवारों को शामिल करते हुए प्रतिवर्ष 663 करोड़ रुपये का आय लाभ होने का अनुमान लगाया गया है। अकेले मछुआरों को ही अगले पांच वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये का बढ़ता हुआ लाभ प्राप्‍त होगा। देश के 7 राज्यों में 34 जिलों के जिन 757 समुद्री मछुआरों का सर्वेक्षण किया गया उनमें से अधिकांश ने मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने से पहले महासागर की स्थिति के पूर्वानुमानों का उपयोग करने के बारे में बताया, ताकि उन्‍हें खाली हाथ न लौटना पड़े। उन्‍होंने बताया कि उनके यह निर्णय समुद्र के पूर्वानुमानों और परामर्शों पर आधारित थे। उनसे उनकी परिचालन लागत घटी है और उनकी आजीविका में काफी सुधार हुआ है।

एनसीएईआर की इस रिपोर्ट में देश की कृषि से संबंध रखने वाली महिलाओं के लिए आर्थिक लाभों का भी आकलन किया गया है। महिलाएं विभिन्न कृषि गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं,उदाहरण के लिए मछली पालन क्षेत्र में महिलाएंवित्त, आपूर्ति और सोर्सिंग, कर्मचारी प्रबंधन और विपणन मेंमदद करती हैं। महिलाएं ग्राहकों से बातचीत करती हैं तथा ग्राहक आधार में बढ़ोतरी करती हैं। इसके अलावामूल्‍यों, मछली पकड़ने के जालऔर अन्‍य परिसम्‍पत्तियों का रखरखाव भी करती हैं। महिलाओं के लिए मौसम के पूर्वानुमानों का महत्व समझते हुएएनसीएईआर ने अकेले महिलाओं के लिए लगभग 13,000 करोड़ रुपये के लाभों का अनुमान लगाया है,जो राष्ट्रीय मानसून मिशन और उच्च प्रदर्शन कम्‍प्‍यूटिंग सुविधाओं द्वारा उपलब्‍ध कराए गए कुल लाभ का 26 प्रतिशत है। इस सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि इसमें मछली पकड़ने वाले परिवार से शामिल की गईप्रत्‍येक महिला रोजाना संदेश सेवाओं के माध्‍यम से इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज (आईएनसीओआईएस) द्वारा उपलब्‍ध कराई जा रही महासागर की स्थिति का पूर्वानुमान जानना चाहती थी।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002FFG2.jpg

पूरी रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें।

पीपीटी प्रस्‍तुति‍ के लिए यहां क्लिक करें।

[पूरी रिपोर्ट पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वेबसाइट (http://www.moes.gov.in) पर भी उपलब्ध है।]

***

एमजी/एएम/आईपीएस/वीके



(Release ID: 1670000) Visitor Counter : 263