Posted On:
27 OCT 2020 7:44PM by PIB Delhi
सीएसआईआर घटक प्रयोगशालाओं, सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी), दिल्ली और सीएसआईआर- सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद द्वारा संचालित भारत के 1029 अनुक्रमित जीनों के व्यापक संगणना विश्लेषण परिणामों को इस सप्ताह के प्रारंभ में एक वैज्ञानिक पत्रिका, न्यूक्लिक एसिड रिसर्च में प्रकाशित किया गया। अध्ययन में उत्पन्न आनुवंशिक वेरिएंट की युग्मविकल्पी आवृत्तियां इंडिजीनोम्सडाटाबेस के http://clingen.igib.res.in/indigen पर उपलब्ध हैं।
इस विश्लेषण से भारत जीनोम डेटासेट में 55,898,122 एकल न्यूक्लियोटाइड वेरिएंट की पहचान हुई। वैश्विक जीनोम डेटासेट के साथ तुलना से यह पता चला है कि 18,016,257 (32.23 प्रतिशत) वेरिएंट अद्वितीय थे और यह केवल भारत से अनुक्रमित नमूनों में ही पाए गए थे। यह भारत केंद्रित जनसंख्या जीनोमिक पहल की आवश्यकता पर जोर देता है।
भारत दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी वाले 1.3 बिलियन से अधिक व्यक्तियों के साथ जनसंख्या घनत्व के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है। इस समृद्ध आनुवंशिक विविधता के बावजूद, भारत को वैश्विक जीनोम अध्ययनों में कम प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसके अलावा, भारत की जनसंख्या संरचना में रिसेसिव एलील्स की अधिकता है। भारत से बड़े पैमाने पर पूर्ण जीनोम अध्ययनों के संचालित न होने से, इन जनसंख्या-विशिष्ट आनुवंशिक वेरिएंट को वैश्विक स्तर पर पर्याप्त रूप से अभिग्रहित और सूचीबद्ध नहीं किया जाता है।
भारत में विभिन्न आबादी से पूरे जीनोम अनुक्रम के अंतराल को भरने के लिए, सीएसआईआर ने अप्रैल 2019 में इंडिजेन कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। इस कार्यक्रम के तहत, देश भर से लिए गए 1029 स्व-घोषित स्वस्थ भारतीयों का जीनोम अनुक्रमण पूर्ण कर लिया गया है। इस प्रक्रिया को एक निर्धारित समयसीमा में जनसंख्या पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण की मापनीयता के मामले में एक विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री. डॉ हर्षवर्धन ने 25 अक्टूबर 2019 को इंडिजेन अनुक्रम पीढ़ी के प्रयासों को पूरा करने की घोषणा की।
वर्तमान इंडिजीनोम्स डेटा संसाधन मेंडेलियन विकारों और सटीक दवा परिणामों में सुधार में शामिल वेरिएंट को वर्गीकृत करने करने के उद्देश्य से समकालीन भारतीय आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले आनुवंशिक वेरिएंट की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।
यह संसाधन नैदानिक रूप से कार्रवाई योग्य फार्माकोजेनेटिक वेरिएंट के माईनिंग डेटा के माध्यम से कैरियर स्क्रीनिंग के लिए मार्करों की पहचान, आनुवंशिक रोगों की भिन्नता, प्रतिकूल घटनाओं की रोकथाम, बेहतर निदान और इष्टतम चिकित्सा प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं। चरणबद्ध डेटा शोधकर्ताओं को भारतीय-विशिष्ट संदर्भ में जीनोम डाटासेट का निर्माण करने और कुशलता से हेप्लोटाईप जानकारी प्रदान करने को स्वीकृति प्रदान करेगा।
यह संसाधन न केवल आबादी के स्तर पर बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी आनुवांशिकी में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। यह संसाधन भारत और विदेशों में शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए व्यापक रूप से सुलभ है। 27 देशों के उपयोगकर्ताओं से इंडिजीनोम्स से वेब पेज पर ∼200,000 से अधिक पृष्ठों का अध्ययन किया गया हैं, जो संसाधन की विशिष्टता का प्रदर्शन करते हैं।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने सीएसआईआर-आईजीआईबी और सीएसआईआर-सीसीएमबी की टीमों की सराहना की जिन्होंने न केवल इस मूल्यवान संसाधन के विकास की दिशा में कार्य किया, बल्कि वर्तमान और भविष्य की महामारियों के लिए भारत की जीनोमिक विविधता को समझने और इनके प्रति देश में मजबूत प्रतिक्रिया अपनाने की क्षमता प्रदान की।
[सीएसआईआर कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी निम्न से प्राप्त की जा सकती है:
निदेशक, सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, दिल्ली, भारत director@igib.res.in
निदेशक, सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी, हैदराबाद, भारत director@ccmb.res.in]
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