कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, केरल और तमिलनाडु के 1,27,832 किसानों से 6 अक्टूबर तक 15,26,534 मीट्रिक टन धान की कुल खरीद लगभग 2,882 करोड रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई है
उत्पादन लागत की कम से कम 1.5 गुना अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा और सरकार की निरंतर खरीद नीति के कारण देश दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है
भारतीय कपास निगम ने 12 कपास उत्पादक राज्यों के 135 जिलों में 430 खरीद केंद्र खोले हैं; न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी पर 35,000 करोड़ रुपये की खरीद होने का अनुमान है
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07 OCT 2020 7:52PM by PIB Delhi
हरियाणा और पंजाब में खरीफ विपणन सत्र 2020-21 के दौरान धान की खरीद 26 सितंबर, 2020 से शुरू हो गई है। धान की खरीद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर, 2020 से, चंडीगढ़ में 2 अक्टूबर 2020 से और तमिलनाडु में 5 अक्टूबर 2020 से शुरू हो गई है। भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव श्री सुधांशु पांडे ने आज नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 06.10.2020 तक, हरियाणा में 4,82,656 मीट्रिक टन, पंजाब में 10,08,028 मीट्रिक टन, चंडीगढ़ में 6,945 मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश में 1545 मीट्रिक टन, केरल में 1809 मीट्रिक टन और तमिलनाडु में 25,551 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। अब तक कुल मिलाकर 15,26,534 मीट्रिक टन धान की खरीद लगभग 2288 करोड़ रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है। इसमें हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, केरल और तमिलनाडु के 1,27,832 किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदा गया है।
इसके अलावा, राज्यों के प्रस्ताव के आधार पर तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिसा राज्यों के लिए खरीफ विपणन सत्र-2020 के लिए दलहन और तिलहन की 30.17 लाख मीट्रिक टन की खरीद के लिए मंजूरी दी गई है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्य के लिए कोपरा (बारहमासी फसल) के 1.23 लाख मीट्रिक टन की खरीद के लिए स्वीकृति भी दी गई थी। अन्य राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भी मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत दलहन, तिलहन और कोपरा की खरीद के प्रस्तावों की प्राप्ति पर मंजूरी दी जाएगी, ताकि वर्ष 2020-21 के लिए अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी पर सीधे पंजीकृत किसानों से इन फसलों के एफएक्यू ग्रेड की खरीद की जा सके। यदि संबंधित राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में अधिसूचित फसल अवधि के दौरान बाजार दर एमएसपी से नीचे जाती है तो केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा राज्य की नामांकित खरीद एजेंसियों के माध्यम से खरीद की जायेगी।
श्री पांडे ने बताया कि 06.10.2020 तक, सरकार ने अपनी नोडल एजेंसियों के माध्यम से 201.15 मीट्रिक टन मूंग की खरीद 1.45 करोड़ रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की है, जिसका फायदा तमिलनाडु और हरियाणा में 161 किसानों को मिला है। इसी तरह कर्नाटक और तमिलनाडु में 5089 मीट्रिक टन कोपरा की खरीद 52.40 करोड रुपये एमएसपी पर की गई है। इसका फायदा 3961 किसानो को मिला है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में 1.23 एलएमटी कोपरा खरीद की स्वीकृत मिली थी। कोपरा और उड़द की दरें एमएसपी के बराबर या उससे ऊपर चल रही हैं। संबंधित राज्य सरकारें मूंग की खरीद शुरू करने की व्यवस्था कर रही हैं।
भारत सरकार के कृषि सचिव, श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार हर वर्ष उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) वाली अनाज, दलहन, तिलहन और वाणिज्यिक फसलों के लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर बुवाई का मौसम शुरू होने से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करती है। स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर, सरकार ने खरीफ 2018-19 सत्रों के बाद से उत्पादन लागत को न्यूनतम 1.5 गुना एमएसपी सुनिश्चित करने की घोषणा की। मूल्य समर्थन नीति के तहत, सरकार किसानों को उनकी उपज के बाजार मूल्य में गिरावट के मामले में पारिश्रमिक कीमतों का आश्वासन देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार एमएसपी की घोषणा के अलावा, सरकार / केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से एमएसपी अधिसूचित फसलों की खरीद की भी व्यवस्था करती है।
श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि हाल के वर्षों में एमएसपी फसलों की खरीद में कई गुना वृद्धि हुई है। 2009-10 से 2013-14 और पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रमुख फसलों की खरीद का तुलनात्मक विवरण इस प्रकार है: -
फसल
|
2009-10 से 2013-14
|
पिछले पांच वर्ष
|
वृद्धि दर
|
मात्रा
(एलएमटी में )
|
एमएसपी मूल्य
(रुपये करोड में)
|
मात्रा
(एलएमटी में )
|
एमएसपी मूल्य
(रुपये करोड में)
|
मात्रा
|
एमएसपी मूल्य
|
धान
|
1,768
|
2,06,059
|
3,069
|
4,95,043
|
1.74
|
2.4
|
गेहूँ
|
1,395
|
1,68,202
|
1,627
|
2,97,073
|
1.17
|
1.77
|
दलहन
|
1.52
|
645
|
112.28
|
63,523
|
73.95
|
98.51
|
तिलहन
|
3.65
|
14.54
|
56.36
|
249.71
|
15.44
|
17.17
|
हाल के वर्षों में सरकार ने दलहन और तिलहन की खरीद के लिये विशेष प्रयास किये हैं। मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत दलहन की खरीद और दलहन के राष्ट्रीय बफर स्टॉक को बनाने के लिए 2009-10 से 2013-14 के दौरान दलहन की खरीद की तुलना में 2016-17 के दौरान खरीद में 74 गुना वृद्धि हुई है (रबी 2020 के मौसम तक)। एमएसपी की घोषणा करते समय उत्पादन की लागत के न्यूनतम 1.5 गुना वृद्धि की घोषणा और सरकार की निरंतर खरीद नीति के कारण दालों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है और भारत दलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है। इसी तरह, 2016-17 से 2020-21 के दौरान (रबी 2020 के मौसम तक) तिलहन की खरीद 2009-10 से 2013-14 के दौरान किए गए तिलहनों की खरीद से लगभग 16 गुना अधिक है।
कोविड महामारी के कारण लॉकडाउन के शुरुआती दिनों के दौरान उत्पन्न खतरे और सामान लाने-ले जाने की गतिविधियों में व्यवधान के कारण खरीद बंद नहीं हुई। पिछले वर्षों की तुलना में खरीद केंद्रों की संख्या में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई। केंद्र सरकार आने वाले दिनों में किसानों को पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी संचालन जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। केएमएस 2020-21 का आगमन अभी शुरू हुआ है और सरकार ने किसानों से एमएसपी पर खरीफ 2020-21 फसलों की खरीद जारी रखी है।
भारतीय खाद्य निगम के मुख्य महाप्रबंधक श्री डी. वी. प्रसाद ने बताया कि देश भर के किसानों से धान की खरीद में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में वर्तमान केएमएस में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अधिकतम खरीद पंजाब में हुई है, जहां एपीएमसी प्रणाली के माध्यम से किसानों से 7,82,685 मीट्रिक टन धान पहले ही खरीदा जा चुका है, जबकि पिछले वर्ष 24,244 मीट्रिक टन की खरीद की गई थी। खरीद की गति के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में एफसीआई को धान के स्टॉक बेचने के लिए किसानों द्वारा दिखाए गए उत्साह को देखते हुए नए कृषि विधेयकों के बारे में किसी भी गलतफहमी पर विराम लगा दिया है एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने पिछले खरीफ सीजन के दौरान 420 एलएमटी चावल (626 एलएमटी धान) की मात्रा के मुकाबले पूरे देश में चालू खरीफ सत्र के दौरान एमएसपी में किसानों से 495 एलएमटी चावल (738 एलएमटी धान) खरीदने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। पंजाब और हरियाणा का इसमें क्रमशः 23 प्रतिशत और 9 प्रतिशत के साथ अधिकतम मात्रा में योगदान है।
पूरे देश में 2019-20 के दौरान एफसीआई और राज्य एजेंसियों द्वारा किसानों को कुल 2,02,696 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिसमें से पंजाब और हरियाणा को Rs.82,478 करोड़ का भुगतान किया गया है, जो कि कुल राशि का 40.69 प्रतिशत है। आरएमएस 2020-21 के दौरान, लगभग 74,882 करोड़ रुपये देश भर के किसानों को भुगतान किया गया है, जिसमें से पंजाब और हरियाणा के किसानों को 38,719 करोड़ रुपये भुगतान किया गया है,जो कुल भुगतान का 51.7 प्रतिशत है।
भारत सरकार में कपड़ा सचिव श्री रवि कपूर ने कहा कि 2019-20 में कपास की खेती का रकबा 133.74 लाख हेक्टेयर और कपास का उत्पादन 357 लाख गांठ था। भारतीय कपास निगम के इतिहास में 12 राज्यों में 105.14 लाख गांठ की अभूतपूर्व खरीद हुई है, जिसका मूल्य 28,500 करोड़ रुपये है। वैश्विक महामारी (अप्रैल 2020 से सितंबर 2020) के दौरान कपास निगम ने 20.71 लाख गांठ की खरीद की, जिसका मूल्य 5615 करोड़ रुपये है।
2020-21 के दौरान कपास की खेती का क्षेत्रफल 133 लाख हेक्टेयर और कपास का उत्पादन 360 लाख गांठ होने का अनुमान है। कपास निगम को एमएसपी संचालन के सुचारू संचालन के लिए पूरी तरह तैयार किया गया है। कपास निगम ने 12 कपास उत्पादक राज्यों के 135 जिलों में 430 खरीद केंद्र खोले हैं। कपास निगम बिना किसी प्रतिबंध के किसानों से सभी एफएक्यू ग्रेड के कपास के अंतिम आगमन तक एमएसपी का संचालन करेगा।
6 अक्टूबर 2020 तक, बाजार में 3.12 लाख गांठ के बराबर कपास आ चुका है। इसलिए, कपास निगम हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में 2311 गांठ खरीद सकता है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में कपास की खरीद के शून्य थी। एमएसपी खरीद का मूल्य 35,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
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