जनजातीय कार्य मंत्रालय
‘सफलता की कहानियां: प्रधान मंत्री वन धन योजना- पूर्वोत्तर क्षेत्र में जनजातीय समुदायों के लिए आत्मनिर्भर भारत का संचालन’ विषय पर आज एक वेबिनार का उद्घाटन श्री अर्जुन मुंडा द्वारा किया गया
पूर्वोत्तर इलाके में आदिवासी युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उद्यमिता के क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला रही है केंद्र सरकार की पहल : अर्जुन मुंडा
पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बाजारोन्मुखी हब इस इलाके के बेशकीमती उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लाभ कमाने में मदद करेगा: जनजातीय कार्य मंत्री
सिक्किम के 80 वन धन केंद्रों का आभासी माध्यम से शुभारंभ किया गया
Posted On:
01 OCT 2020 6:39PM by PIB Delhi
जनजातीय कार्य मंत्रालय से जुड़ा ट्राइफेड अपने वन धन विकास केंद्रों के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र में जनजातीय आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास के कार्यों को अंजाम दे रहा है। प्रेस सूचना ब्यूरो, गुवाहाटी द्वारा ट्राइफेड के सहयोग से ‘सफलता की कहानियां: प्रधान मंत्री वन धन योजना- पूर्वोत्तर क्षेत्र में जनजातीय समुदायों के लिए आत्मनिर्भर भारत का संचालन’ विषय पर आज आयोजित एक वेबिनार में, केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा; सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग; जनजातीय कार्य सचिव, श्री दीपक खांडेकर; पूर्वोत्तर राज्यों के नोडल विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, ट्राइफेड के सहयोगियों एवं अधिकारियों ने उद्यमशीलता एवं नीति के परिप्रेक्ष्य में वन धन विकास केंद्रों की क्षमता और भूमिका के बारे में चर्चा की। इस अवसर पर जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता; ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री आर सी मीणा, ट्राइफेड की उपाध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा ब्रह्मा उपस्थित थीं।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि केंद्र सरकार की विभिन्न पहल उद्यमिता के क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला रही है और पूर्वोत्तर इलाके में आदिवासी युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद कर रही है। उन्होंने बाजार की सुलभता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण मूल्य वर्धित उत्पादों के साथ वैश्विक बाजार में मांग पैदा करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की संभावनाओं की खोज में रुचि रखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में अदभुत प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं और इनका ऐसे उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जो वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी साबित हों।श्री मुंडा ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और इसमें रोजगार के दृष्टिकोण से अपार संभावनाएं हैं।इस वेबिनार के मंच से, सिक्किम के लोगों के प्रयासों की सराहना करते हुएकेंद्रीय मंत्री ने एक अनूठी पहल के तौर पर सिक्किम में 80 प्रधान मंत्री वन धन केंद्रों की शुरुआत की और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग ने प्रधान मंत्री वन धन योजना की प्रभावोत्पादकता की सराहना की और कहा कि इसके लाभों का सीधा संबंध इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास से है।
जनजातीय कार्य सचिव श्री दीपक खांडेकर ने कहा कि यह कार्यक्रम पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक गेम-चेंजर है जिसके तहत प्रधानमंत्री वन धन योजना के साथ आत्मनिर्भर भारत को इस क्षेत्र के जनजातीय समुदायों के विकास के 'इंजन' के रूप में चलाया जा रहा है।
एक विस्तृत चर्चा में, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि ‘वन धन योजना’ जनजातीय स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाने और उन्हें जनजातीय वन धन केंद्रों के रूप में मजबूत करने के लिए एक बाज़ार से जुड़ा जनजातीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम जनजातीय स्वयं सहायता समूहों को विकसित करके उनमें से प्रत्येक को 300 सदस्यों के साथ वन धन विकास केंद्रों के रूप में मजबूत करते हुए उद्यम को बढ़ावा देने के लिए है। इसका उद्देश्य जनजातीय उद्यमों की स्थापना के माध्यम से ‘एमएसपी फॉर एमएफपी कार्यक्रम’ को अगले स्तर पर ले जाना है, ताकि आजीविका के सृजन के माध्यम से आय में वृद्धि हो। यह आदिवासी उद्यमियों के माध्यम से एमएफपी उत्पादों के एकत्रीकरण, मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं खुदरा-विपणन का एक कार्यक्रम है।
इस वेबिनार में कई गणमान्य लोग उपस्थित थे जिनमें श्री सुरेश गुप्ता, मुख्य सचिव, सिक्किम; श्री एन. डार्लन्ग, सचिव, जनजातीय कल्याण विभाग, त्रिपुरा; श्री एंडन कोन्याक, सचिव, डूडा, नागालैंड तथा श्री काथी चिशी, सचिव टोका एमपीसीएस, नागालैंड शामिल थे। इन गणमान्य लोगों ने आशावाद के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में वन धन केंद्रों के कार्यान्वयन पर एक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी झाड़ू, जंगली शहद, मोमबत्तियां और रॉक मोम की बनी चीजें, बांस की बोतलें, एलोवेरा साबुन, आंवला मुरब्बा (करौंदे) जैसे मूल्य वर्धित उत्पाद जनजातीय समुदायों को आय और रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं।
दो घंटे के ज्ञान और सूचना के इस सत्र में ट्राइफेड के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के नोडल विभाग / कार्यान्वयन एजेंसियां शामिल थीं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों के विशेषज्ञों ने अपनी रणनीतियों के बारे में जानकारी दी और यह बताया कि कैसे प्रधानमंत्री वन धन योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र में आदिवासी समुदायों के लिए आत्मनिर्भर भारत का संचालन कर रही है। उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि कैसे वन धन विकास केंद्र आदिवासी समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास में बदलाव ला रहे हैं।
श्रीमती नानू भसीन, एडीजी, पीआईबी (मुख्यालय), नई दिल्ली ने चर्चा में सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। श्री एसएन प्रधान, एडीजी (पूर्वोत्तर क्षेत्र), पीआईबी इम्फाल; श्री अरिमर्दन सिंह एडीजी, पीआईबी (झारखंड) भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस संपूर्ण वेबिनार का आयोजन पीआईबी, गुवाहाटी और ट्राइफेड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
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