वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

ऑटो क्षेत्र में हमें वैश्विक प्रभुत्व की ओर बढ़ना चाहिए: श्री पीयूष गोयल


श्री पीयूष गोयल कहते हैं, पारस्परिकता, उच्च गुणवत्ता, वहनीयता और किफायती व आगे की ओर अग्रसर अर्थव्यवस्था हमें हमारी वैश्विक भागीदारी को विस्तारित करने में मदद करेगी

मंत्री ने विश्वास जताया कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र का लचीलापन एक बार फिर इसे कोविड संकट से मजबूत होकर उभरने में सहायता करेगा

Posted On: 04 SEP 2020 5:31PM by PIB Delhi

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ऑटो क्षेत्र में, ऑटो कंपोनेंट एवं ऑटोमोबाइल के लिहाज से हमें वैश्विक प्रभुत्व की ओर बढ़ना चाहिए। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम जिसका उत्पादन और सर्विेग कर रहे हैं, उसके परिमाण और गुणवत्ता में सुधार भी ला रहे हैं। इसके साथ ही, हम देख रहे हैं कि विश्व के साथ जुड़ने के लिए हम किस प्रकार अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार ला सकते हैं।

मंत्री ने कहा कि पारस्परिकता, उच्च गुणवत्ता, वहनीयता और किफायती व आगे की ओर अग्रसर अर्थव्यवस्था हमें हमारी वैश्विक भागीदारी को विस्तारित करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हम अगर अपने उत्पादों को पूरी दुनिया में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो डिजाइन, पैकेजिंग एवं ब्रांड निर्माण ये तीन पूर्व शर्तें हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी घरेलू क्षमताओं तथा अपनी खुद की अर्थव्यवस्था के विस्तार तथा वैश्विक भागीदारी पर गौर कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘भारत एक बहुत सुगम वातावरण उपलब्ध कराने का इच्छुक है। हम ऐसी कई कंपनियों के साथ जुड़े हैं जो अधिक लचीली मूल्य श्रृंखलाओं की खोज कर रही हैं। हमें ऐसे सेक्टरों की पहचान करनी है, जिन्हें अन्य देशों की तुलना में तुलनात्मक और प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल है। मुझे भरोसा है कि हम भरोसेमंद, विश्वसनीय साझीदार बन सकते हैं जहां दुनिया भर के देश भारत के साथ अधिक भागीदारी करने की सोच सकते हैं।

ऑटोमोटिव उद्योग से साझीदारी की भावना के साथ काम करने की अपील करते हुए, उन्होंने कहा कि, ‘हमारी सरकार हमारी बात सुनती है और हम एक बेहतर भविष्य अर्जित करने, भारत में स्थानीयकरण बढ़ाने तथा समुचित तरीके से निर्यात क्षमता का दोहन करने के लिए समाधान ढूंढने तथा साथ मिल कर काम करने के लिए ऑटो सेक्टर के लिए उपलब्ध होकर प्रसन्न हैं। जब कोई कंपनी भारत में काम करती है तो उसे एक विशाल भारतीय बाजार मिल जाता है।

मंत्री ने कहा कि जब हम ऑटोमोबाइल क्षेत्र में आत्म-निर्भरता की ओर बढ़ते हैं, तो उद्योग की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार बेहतर वैश्विक भागीदारी के लिए समाधान ढूंढने हेतु जितनी बार आवश्यक है, हमारे साथ जुड़ने की इच्छुक है। विशिष्ट क्षेत्रों में केंद्रित दृष्टिकोण हमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में हमारा योगदान बढ़ाने में सहायता करेगा।

श्री गोयल ने देश में उपस्थित ऑटोमोटिव कंपनियों से अपील की वे अपने प्रिंसीपल्स को कहें कि वे रॉयल्टी घटायें। उन्होंने कहा कि इसे घटाने से इन कंपनियों की भारतीय इकाइयां की इस संकट के समय से आसानी से निकलने में मदद हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि ऑटो निर्माता जिनकी देश के ऑटो बाजार में अच्छी हिस्सेदारी है, वे अपनी मूल कंपनियों को रॉयल्टी के रूप में लाखों डॉलर का भुगतान करते हैं। रॉयल्टी में कमी से उन्हें कैश आउटफ्लो घटाने में, वाहनों की कीमत को कम करने में तथा घरेलू विक्रय बढ़ाने में सहायता मिलेगी।

आत्मनिर्भर भारत के संबंध में श्री गोयल ने कहा कि ऑटो उद्योग को संकट से उबरने के लिए अपनी कार्यनीतियों को फिर से बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से अपनी घरेलू क्षमताओं तथा क्षमताओं के विस्तार पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि, ‘भारत अधिक भरोसेमंद व्यापार साझीदार तथा बेहतर आपूर्ति श्रृंखला की खोज कर रही कंपनियों को बहुत सुगम वातावरण उपलब्ध कराने का इच्छुक है। हमें ऐसे सेक्टरों पर गौर करना होगा जहां हमारी स्थिति दूसरे देशों के मुकाबले अच्छी है। ऑटो क्षेत्र में वह संभावना है। यहां हमारे पास एक बड़ा बाजार है और कंपनियों को परिमाण मिल सकता है जो लागत प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

गुणवत्ता नियंत्रण ऑर्डर (क्यूसीओ) के मुद्दे पर श्री गोयल ने कहा कि इन्हें बाधाओं के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब भारत गुणवत्ता नियंत्रण पर विचार करना आरंभ करे और विश्व को उच्च गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध कराये। उन्होंने कहा कि, ‘जैसे ही हम समग्र रूप से देश में गुणवत्ता चेतना प्राप्त कर लेते हैं, हम भारत के भविष्य को रूपांतरित कर देंगे और हम यह प्रयास कर रहे हैं। गुणवत्ता कभी भी महंगी नहीं होती है। यह लागत में कमी लाती है। गुणवत्ता कंपनी में एक संस्कृति ले आती है जिसके साथ हमेशा-अधिक दक्षता, अधिक उत्पादकता आती है और यह लागत को युक्तिसंगत बनाती है। हमें देश में गुणवत्ता की एक संस्कृति लाने की आवश्यकता है जिसका अनुसरण ग्राहकों द्वारा किया जाना है। केवल तभी हम वैश्विक कंपनी बन सकते हैं। 

स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए, मंत्री ने कहा कि अगर मस्तिष्क बहुत अधिक उत्सुक है तो सारा कुछ अर्जित किया जा सकता है -पहाड़ों को परमाणु में टुकड़े-टुकड़े किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि ऑटो उद्योग मजदूरों का पुनर्कौशल और पुनर्प्रशिक्षण करने पर विचार कर रहा है जिससे उन्हें विनिर्माण में वर्तमान रुझानों के साथ संरेखित किया जा सके।

मंत्री ने कहा कि ऑटो उद्योग पिछले कई वर्षों के दौरान कई कठिन स्थितियों से मजबूती से उबर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि, ‘हमारा ऑटो उद्योग कई बार कठिन परिस्थितियों से गुजरा है लेकिन हर बार अधिक ताकतवर बनकर उभरा है क्योंकि उनके पास अर्जित करने की इच्छाशक्ति थी। वास्तव में यह उद्योग हमारा गौरव है। मुझे इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कई वर्षों के दौरान जितना लचीलापन हमारे उद्योग ने प्रदर्शित किया है, उसे देखते हुए यह कोविड संकट से भी मजबूत बन कर उभरेगा। मैं कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई की दिशा में उनके योगदानों के लिए ऑटोमोबाइल विनिर्माता उद्योग को बधाई देना चाहूंगा जहां लोगों ने अनुकूलनीयता और नवोन्मेषण प्रदर्शित किया। कई रिपर्पोज्ड इकाइयों ने इस अवसर पर खरे उतरते हुए वेंटिलेटरों तक का निर्माण किया।

मंत्री ने कहा कि किफायती लॉजिस्टिक्स विकल्प के साथ ऑटो उद्योग की सहायता करने के लिए, भारतीय रेल माल भाड़े को कम करने के लिए तैयार है। श्री गोयल ने कहा कि ऑटो निर्माताओं को नवोन्मेषी वित विकल्पों को ढूंढना चाहिए, जो फाईनेंसरों को ऋण देने के लिए आकर्षित करेगा तथा खरीदारों को आकर्षित करेगा। उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर की सहायता करने के लिए, सरकार को नवोन्मेषी ऋण गारंटी योजनाओं को लाने में प्रसन्नता होगी।

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