जनजातीय कार्य मंत्रालय
ग्रामीण भारत में जनजातीय महिला स्वयं सहायता समूहो के मध्य दीर्धकालिक आजीविका के अवसरों को प्रोत्साहन देने के लिए जनजातीय कार्य और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त संवाद पर हस्ताक्षर
Posted On:
20 AUG 2020 9:00PM by PIB Delhi
जनजातीय कार्य सचिव श्री दीपक खांडेकर और ग्रामीण विकास सचिव श्री एन.एन. सिन्हा ने 18 अगस्त,2020 को ग्रामीण भारत में जन जातीय महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए दीर्धकालिक आजीविका के अवसर को प्रोत्साहन देने के लिए संयुक्त संवाद पर हस्ताक्षर किए।इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित किया जाएगा और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा,ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर,खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल,जनजातीय कार्यराज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस संयुक्त संवाद की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
दीन दयाल अंन्तोदय योजना-ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वयित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने देश में महिलाओं के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह(एसएचजी) का विशाल नेटवर्क बनाया है। इसमें 8.9 लाख अनुसूचित जनजाति के स्वयं सहायता समूह भी सम्मिलित हैं। यह कार्यक्रम संस्थागत सहयोग,आजीविका सेवाएं,बाजार और ऋण तक पंहुच संभव करता है। इसी प्रकार जनजातीय कार्य मंत्रालय भी राज्यों को पूर्व निर्धारित मापदंडो के आधार पर सहायता प्रदान करता है। इसमें जनजातीय उप योजना को विशेष केंद्रीय सहायता,संविधान की धारा 275(1) के अंतर्गत अधिसूचित जनजातीय तथा विशेष रूप से अतिसंवेदनशील जनजातीय समूह वाले राज्यों को सहायता प्रदान की जाती है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल और दीनदयाल अंन्तोदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लक्ष्य के एक-दूसरे के पूरक होने के कारण मंत्रालयों ने साथ काम कर जनजातीय महिलाओं के लिए उपलब्ध आर्थिक अवसरों में सुधार करने का निर्णय लिया है। इस सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए दोनों मंत्रालय अपने प्रयासों को समन्वित करेंगे जिससे ठोस परिणाम मिल सके।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की गतिविधियों में जनजातीय महिला स्वयं सहायता समूह सदस्यों की पहचान और व्यक्तिगत आजीविका परिसंपत्ति का खाका बनाना,आम जनजातीय समुदाय परिसंपत्ति का खाका बनाना,अतिसंवेदनशील जनजातीय समूह को उनके परंपरागत आजीविका और व्यवसाय द्वारा सशक्त कर आर्थिक विकास के लिए विस्तृत प्रस्ताव का विकास करना,ओवीटीजी निवास स्थान के लिए जीपीडीपी और सीसीडी योजना को जोड़ना,वन धन योजना के अंतर्गत जनजातीय परिवारों की पहचान करने के लिए स्वयं सहायता समूह की सहायता करना, स्वयं सहायता समूह द्वारा क्षमता निर्माण और ऋण पहुंच समर्थन देना।
जनजातीय कार्य मंत्रालय की गतिविधियां: राज्यों के वार्षिक कार्य योजना को अंतिम रूप देने के लिए एसआरएलएम को योजनागत सहयोग तथा योजना को आजीविका वार्षिक कार्य योजना में सम्मिलित करवाना,एसएलआरएम द्वारा पहचानी गई महिलाओं के लिए आजीविका के अवसरों को प्रोत्साहित करना। इसमें ईएमआरएस और आश्रम स्कूल में देखभाल,सफाई और अन्य गतिविधिया शामिल हैं। एसआरएलएम द्वारा पहचाने गए हितधारकों के लिए व्यक्तिगत के साथ-साथ समान आजीविका परिसंपत्ति की पहचान करना,जनजातीय स्वयं सहायता समूह का वन धन योजना के अंतर्गत जनजातीय परिवारों से साथ शामिल करना। इसके अतिरिक्त मंत्रालय के विपणन नेटवर्क द्वारा एसएचसी और पीजी को विपणन सहयोग प्रदान कराना भी इसमें सम्मिलित है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातियों के विकास के लिए मुख्य मंत्रालय है। इसके साथ ही जनजातियो कें कल्याण के लिए नीति आयोग द्वारा बनाई गई प्रक्रिया के अंतर्गत जनजातीय उप योजना या सूचीपत्र जनजातीय घटक(एसटीसी) में 37 मंत्रालयों को अपने बजट से नियत राशि खर्च करनी होती है। वर्ष 2017 में दिए गए अधिकार पत्र के तहत ऐसे मंत्रालयों के एसटीसी घटक की नीतिआयोग और जनजातीय कार्य सचिव नियमित रूप से निगरानी करते हैं। एसटीसी घटक के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए कुल केंद्रीय बजट 51 हजार करोड़ रुपए हैं और जनजातीय कार्य मंत्रालय इस व्यय की निगरानी एक विशेष वेब पोर्टल (stcmis.gov.in) द्वारा करता है। एसटीसी निधि के प्रयोग के संबंध में इन मंत्रालयों के प्रदर्शन को उपलब्धि डैशबोर्ड(http://dashboard.tribal.gov.in) पर भी देखी जा सकती है।जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा विकसित इस डैशबोर्ड का उद्घाटन 10 अगस्त,2020 को नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत और नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया था। हाल ही में नीति आयोग के मार्गदर्शन में संबधित मंत्रालयों की ऐसी तीन सौ से अधिक योजनाओं का परीक्षण किया गया। इन योजनाओं में जनजातीय विकास के लिए जनजातीय विकास मंत्रालय और अन्य मंत्रालय संयुक्त रूप से कार्य कर सकें।
एसटीसी प्रक्रिया के अंतर्गत ग्रामीण विकास मंत्रालय जनजातीय विकास के तीन मुख्य योजनाओं पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करता़ है। इन तीन मुख्य योजनाओं में 4700 करोड़ रुपए की एसटीसी घटक वाली प्रधानमंत्री आवास योजना,1284 करोड़ रुपए की एसटीसी घटक वाली राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम और मांग पर आधारित मनरेगा योजना शामिल है। जनजातीय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सुदृढ़ आईटी प्रणाली बनाई है और आंकड़े साझा करने के लिए प्रक्रिया बनाई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अंन्तोदय मिशन के संबंध में दिए गए आंकड़ों के आधार पर 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वाले 1170000गांवों में आधारभूत ढांचे में अंतर का विश्लेषण किया है। राज्यों को इन आंकड़ों के आधार पर टीएसएस में एसससीए और 275(1) के लिए योजना बनाने को कहा गया है। वर्तमान का यह गठबंधन ऐसे सहयोगी गठबंधन का एक भाग है जो देश भर में अनुसूचित जनजाति के सामाजिक-आर्थिक विकास में दूरगामी भूमिका निभाएगा और इससे एसटीसी प्रक्रिया को भी मजबूती मिलेगी। एसटीसी प्रक्रिया के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्य मंत्रालयों जैसे कृषि,स्वास्थ्य,शिक्षा,एमएसएमई और खाद्य प्रसंस्करण के साथ इस प्रक्रिया के विस्तार की विशाल संभावना है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने दोनों मंत्रालयों को बधाई देते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए नए अध्याय की शुरुआत की सराहना की। श्री मुंडा ने कहा कि यह संयुक्त प्रयास हमें माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूर्ण करने में समर्थ बनाएगा। इससे हम एक-दूसरे के अनुभव का लाभ उठाएंगे और एक-दूसरे की शक्ति का लाभ उठा सकेंगे। मेरा मंत्रालय जनजातीय समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्यों को विभिन्न योजनाओं के द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। इसमें कृषि और गैर-कृषि मध्यवर्ती आय संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए वन धन योजना(वीडीआई) भी शामिल है। बुनियादी और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में इन आजीविका योजना में गठबंधन के अवसर हैं। हमें स्थानीय स्तर पर योजना बनाने और संसाधनों का मिलजुल कर प्रयोग करने के लिए सामुदायिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हम विभिन्न योजनाओं के सामाजिक आंकलन के लिए ग्राम सभा को सशक्त कर सकते हैं। मैं इस योजना के लिए पूरे सहयोग का आश्वासन देता हूं।
जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका भी इस इस अवसर पर उपस्थित थीं। उन्होंने स्वयं सहायता समूह नेटवर्क के द्वारा देश भर में लाखों महिलाओं को सशक्त करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं और यह सरकार और आम जनता के बीच आखिरी कड़ी हैं। मैं आशा व्यक्त करती हूं कि जनजातीय महिलाओं आगे आकर अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करते हुए बड़ी संख्या में इस अवसर में भागीदारी करेंगी। मैं कार्यक्रम की सफलता की कामना करती हूं और मेरे मंत्रालय की ओर से सहयोग का आश्वासन देती हूं।
ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(एनआरएलएम) ने 7.14 करोड़ ग्रामीण महिलाओं वाले 66 लाख स्वयं सहायता समूह का सृजन किया है। अब आय बढ़ाने के लिए अभिसरण दृष्टिकोण द्वारा आजीविका को प्रोत्साहन देने पर ओर जोर दिया जाएगा।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल तथा जनजातीय कार्य राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ओर श्रीमती रेणुका सरुता ने ग्रामीण विकास और जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने प्रसंस्करण के महत्व और आय बढ़ाने के लिए खाद्य उत्पादों में परिमाण बढ़ाने तथा प्राथमिक कृषि और बागवानी उत्पादों में नुकसान को कम करने की ओर ध्यान केंद्रित किया।
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