जनजातीय कार्य मंत्रालय
आईटी सक्षम छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों के सशक्तीकरण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय को मिला एसकेओसीएच पुरस्कार
Posted On:
31 JUL 2020 7:35PM by PIB Delhi
जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) को मंत्रालय के छात्रवृत्ति प्रभाग की आईटी सक्षम छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों के सशक्तीकरण के लिए एसकेओसीएच (स्कॉच) गोल्ड अवॉर्ड मिला है। 66वीं स्कॉच 2020 प्रतियोगिता का शीर्षक 'डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से कोविड का मुकाबला कर रहा भारत' था और एमओटीए ने डिजिटल इंडिया एण्ड ई-गवर्नेंस-2020 प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया और अब कल यानी 30 जुलाई 2020 को पुरस्कारों की घोषणा की गई। यह प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया के सपनों को साकार करने, पारदर्शिता लाने के साथ-साथ सेवाओं के वितरण को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की दिशा में एक कदम है। 'डिजिटल इंडिया' के व्यापक दृष्टिकोण को आत्मसात करने और ई-गवर्नेंस के पोषित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमओटीए ने डीबीटी मिशन के मार्गदर्शन में सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं को डीबीटी पोर्टल के साथ एकीकृत किया है। इस पहल को 12 जून 2019 को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता के द्वारा शुरू किया गया था।
2019-20 के दौरान, 5 छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत करीब 2500 करोड़ रुपये 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 30 लाख छात्रों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से सीधे भेजे गए। यह पोर्टल वेब सेवाओं के माध्यम से राज्यों को डाटा साझा करने की सुविधा प्रदान करता है और राज्य ऑनलाइन प्रस्ताव, यूसी और एसओई ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं। इससे बजट रिलीज के लिए कागज आधारित अनिवार्य यूसी निगरानी से डाटा सक्षम बजट रिलीज और निगरानी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आया है। इससे छात्रवृ्त्ति जारी करने का समय काफी कम हो गया है और अब उसी शैक्षणिक सत्र में छात्रवृत्ति जारी करना संभव है, जिसमें प्रवेश लिया गया है। एमओटीए ने सीईडीए (सेंटर फॉर डाटा ऐनालिटिक्स) में भी प्रवेश किया है, जो विश्लेषण और राज्यवार डाटा विश्लेषण रिपोर्ट तैयार करता है, जिससे डाटा आधारित योजनाओं में मदद मिलती है। पीएचडी करने के लिए मंत्रालय द्वारा संचालित फेलोशिप योजना में, सभी 331 विश्वविद्यालयों को पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे आवेदन का सत्यापन ऑनलाइन हो सके। पोर्टल एमईआईटीवाई द्वारा विकसित डिजी-लॉकर के साथ भी एकीकृत है जिससे दस्तावेज सीधे मिले और सत्यापन का टाइम बचे।
पोर्टल पर दस्तावेजों को, जो डिजी लॉकर में नहीं है, को अपलोड करने की सुविधा है। इन पोर्टलों में से प्रत्येक में शिकायत निवारण और संचार तंत्र है और सभी हितधारक, विश्वविद्यालय, बैंक, पीएफएमएस, छात्र और राज्य अपने प्रश्न, शिकायतें और दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं, जिससे शिकायत निवारण तंत्र आसान, पारदर्शी और तेज हो गया है। नीति आयोग के लिए अधिकृत केपीएमजी ने सामाजिक समावेश पर केंद्रित केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं का राष्ट्रीय मूल्यांकन किया है, जिसमें इसने जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पोर्टल को ई-गवर्नेंस में एक सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में मान्यता दी है, जिससे अनुसूचित जनजाति के छात्रों के सेवा वितरण में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और मौलिक सुधार आया है। देशभर के शीर्ष 246 संस्थानों में पढ़ने वाले 7000 छात्रों और 300 से अधिक विश्वविद्यालयों में पीएचडी कर रहे 4000 छात्रों के साथ जुड़ने के लिए एमओटीए ने एसटी स्कॉलर्स को सशक्त बनाने के लिए टैलेंट पूल की अनूठी अवधारणा तैयार की है, जो टीआरआई और राज्यों द्वारा संचालित विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं से जुड़ा हो सकता है।
यह परियोजना आईआईपीए द्वारा कार्यान्वित की गई है और आदिवासी युवाओं की आकांक्षाओं को समझने में मदद करेगी और उनके सपनों को साकार करने के लिए उन्हें उद्यमियों, शोधकर्ताओं और भारत सरकार की योजनाओं के ध्वजवाहकों के रूप में विकसित करने यानी एसटी के कल्याण में मदद करेगी। पुरस्कार को ग्रहण करते हुए डॉ. नवल जीत कपूर, संयुक्त सचिव, एमओटीए ने कहा कि डीबीटी एक मूक क्रांति है, जिसने देश में शासन तंत्र को बदल दिया है और इस स्तर की परियोजनाएं हमारे प्रधानमंत्री के विजन और डीबीटी मिशन, नीति आयोग के लगातार मार्गदर्शन और केंद्रीय मंत्री, सचिव, पूरी एमओटीए टीम के सहयोग से संभव हुईं। लॉकडाउन के दौरान आदिवासियों को समय पर उनका पैसा मिले, इसके लिए पूरी टीम ने बहुत मेहनत की है।
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