विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

कोशिकाओं और ऊतकों की लंबे समय तक निगरानी करने तथा दवा वितरण के प्रभाव, ऊतक को मज़बूत व फिर से निर्माण करने का अध्ययन करने की सलाह

Posted On: 20 JUL 2020 6:46PM by PIB Delhi

इनक्यूबेटर वातावरण के बाहर द्वितीयक सेल लाइनों, प्राथमिक कोशिकाओं और प्राथमिक ऊतक एक्स्प्लैन्ट का लंबे समय तक संरक्षण तथा नियंत्रित दवा वितरण के तहत वृद्धि और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के रिकॉर्डिंग की निरंतर निगरानी, एक प्रमुख आवश्यकता है।

वांछित सब्सट्रेट पर लंबे समय तक कोशिकाओं के विकास के पैटर्न और प्रयोगशाला में एक एक्स्प्लैन्ट ऊतक की कार्यक्षमता की निगरानी की आवश्यकता ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) की टीम को एक उपयुक्त उपकरण के निर्माण के लिए प्रेरित किया।

शोधकर्ताओं ने एक 3डी-फ्लुइडिक डिवाइस (3डी-एफडी) तैयार किया, जिसमें एक ऑटो बबल गाइडेंस ज्योमेट्री है जो तरल रिसाव और बुलबुला गठन व द्रव के लीक होने के बिना मेटाबोलाइट्स को बनाए रखने के लिए नियंत्रित माध्यम को बदलने की अनुमति देता है। ऑटो बबल गाइडेंस ज्योमेट्री (हेलिकल पाथवे) और माध्यम की नियंत्रित डिलीवरी इसे ड्रग स्क्रीनिंग प्लेटफॉर्म के रूप में कुशल बनाती है और न्यूरो-टेक्नोलॉजी के वर्तमान परिदृश्य में यह अद्वितीय है। इसे बायो फेब्रिकेशन जर्नल द्वारा प्रकाशित करने के लिए स्वीकार किया गया है, और हाल ही में डिवाइस के लिए एक पेटेंट भी दाखिल किया गया है।

जेएनसीएएसआर की टीम में प्रो के.एस. नारायण, के अनिलकृष्ण, सी एस दीपक, और पी सुमुख शामिल थे। टीम ने हाथ से संचालित किये जाने लायक एक माइक्रो इनक्यूबेटर तकनीक का डिजाइन व निर्माण किया। उपकरण में दवा अभिकर्मकों (चैनल ब्लॉकर्स) को नियंत्रित तरीके से पेश करने और वितरित करने और उनके प्रभावों को देखने की क्षमता का प्रदर्शन किया गया।

 

इस अध्ययन को डीएसटी और जेएनसीएएसआर-डीबीटी साझेदारी कार्यक्रम द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित किया गया है। इसके तहत इन विट्रो और इन विवो परीक्षण में चिकित्सीय यौगिकों की दीर्घकालिक निगरानी के लिए नवीन मॉडल का निर्माण किया गया है ताकि जैव-अनुकूलता और कार्यप्रणाली पर बहुमूल्य जानकारी प्राप्त की जा सके। अध्ययन के लिए माइक्रोस्कोपी इमेजिंग के साथ सक्रिय कोशिकाओं और ऊतकों से इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल समय-श्रृंखला रिकॉर्डिंग प्राप्त करने की संभावना के व्यापक निहितार्थ हैं।

डिवाइस के बबल-फ्री फ़ीचर के प्रभाव,द्वितीयक सेल लाइनों (जैसे एसएचएसवाई5वाई कोशिकाओं) और प्राथमिक टिशू कल्चर (जैसे विकासशील चिक-रेटिना) की दीर्घकालिक रिकॉर्डिंग से स्पष्ट होते हैं।

जेएनसीएएसआर टीम द्वारा 3डी-एफडी की उपलब्धता कृत्रिम रेटिना की खोज में विभिन्न तत्वों और उनके प्रभावों का पता लगाने के लिए परीक्षण सुविधा प्रदान करती है। यह प्रणाली बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में अनुसंधान के लिए व्यापक अनुप्रयोग की सुविधा देती है। इसके माध्यम से यह समझा जा सकता कि ऊतक कैसे बढ़ता है और कोशिका संस्कृतियों का विकास किस प्रकार होता है। साथ ही, इस उपकरण के कार्यान्वयन से जटिल ऊतक और कोशिकाओं के व्यवहार का पता लगाने में मदद मिलेगी।

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चित्र - (ए, बी, सी, डी) डिवाइस असेंबली का प्रतिनिधित्व करता है। ई  - डिवाइस के क्रॉस-सेक्शन का दृश्य। एफ - पूरी असेंबली 3 डी-एफडी-एमईए

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3 डी असेंबली का योजनाबद्ध चित्रण; माइक्रोस्कोप और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी रिकॉर्डिंग सेटअप के लिए एकीकृत प्रवाह-प्रणाली

 

[प्रकाशन विवरण:

अनिल कृष्ण कोंडूरी, सीएस दीपक, सुमुख अनिल पुरोहित, केएस नारायण,

एन इंटीग्रेटेड 3 डी-फ्लुइडिक डिवाइस विथ बबल गाइडेंस मैकेनिज्म फॉर लॉन्ग – टर्म प्राइमरी और सेकेंडरी सेल रिकॉर्डिंग ऑन मल्टीइलेक्ट्रोड अरै प्लेटफॉर्म (2020), स्वीकृत शोधपत्र 

https://iopscience.iop.org/article/10.1088/1758-5090/ aba500/meta

अधिक जानकारी के लिए प्रो के.एस. नारायण (99166 19847,

narayan@jncasr.ac.in से संपर्क किया जा सकता है।)

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