विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

‘अत्यधिक चमकदार सुपरनोवा का तेजी से विस्फोट हुआ और धीरे-धीरे क्षय हुआ’

Posted On: 23 APR 2020 2:38PM by PIB Delhi

      भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान नैनीताल के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक अत्‍यधिक चमकदार सुपरनोवा एसएन 2010केडी से विस्‍फोट के दौरान पर्याप्‍त मात्रा में द्रव्यमान के साथ-साथ निकेल भी बाहर निकलता जिसे सामान्य तौर पर सुपरनोवा के कोर विघटन के मामले में देखा जाता है।

      सुपरनोवा विस्फोट के दौरान काफी ऊर्जा पैदा होती है। इस प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर तारों (हमारे सूर्य के द्रव्यमान के मुकाबले कई गुना अधिक) के कोर का विस्फोट होने से ऊर्जा पैदा होती है जो विस्फोट के विनाशकारी चरण में पहुंच जाता है। ये घटनाएं हमारे सौरमंडल से बहुत दूर होने के बावजूद दिखाई देती हैं। अत्‍यधिक चमकदार सुपरनोवा मानक सुपरनोवा की तुलना में 10 गुना अथवा इससे अधिक ऊर्जा पैदा करने वाले विशेष प्रकार के तारकीय विस्फोट हैं।

      वैज्ञानिकों ने कहा कि अत्‍यधिक चमकदार सुपरनोवा एसएन 2010केडी से उत्सर्जित अत्‍यधिक द्रव्यमान से पता चलता है कि संबंधित तारे का विकास सामान्य कोर-विघटन सुपरनोवा के अन्य संभावित पूर्वजों से अलग हो सकता है। यह एक अलग ऊर्जावान सुपरनोवा के उत्पादन के लिए जिम्मेदार विभिन्‍न अंतर्निहित भौतिक तंत्र के साथ द्रव्‍यमान और निकेल का उत्‍सर्जन करता है। यह विस्‍फोट काफी तेजी से हुआ लेकिन अन्य समान सुपरनोवा के मुकाबले धीरे-धीरे शांत हुआ।

      एसएन 2010केडी नामक यह अत्‍यधिक चमकदार सुपरनोवा अपेक्षाकृत समीप है- लगभग 1.5 गीगा प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है जिसे 14 नवंबर 2010 को अमेरिका में रोटसे सुपरनोवा सत्यापन परियोजना के तहत रोबोटिक ऑप्टिकल ट्रांसिएंट सर्च एक्सपेरिमेंट (रोटसे-IIIबी) दूरबीन द्वारा खोजा गया है। यह सिंह नक्षत्र की ओर एक बौना मेजबान गैलेक्‍सी में मौजूद था।

      एस्ट्रोफिजिकल जर्नल नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ. एसबी पांडे के निर्देशन में एआरआईईएस नैनीताल के पीएचडी छात्र अमित कुमार के नेतृत्‍व में यह काम चल रहा है। इसमें प्रो. कार्ल अकरलोफ (यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन, एन अर्बर), प्रो. जे क्रेग व्हीलर (यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस, ऑस्टिन),  प्रो. जोसेफ विंको (यूनिवर्सिटी ऑफ सेज्‍ड, हंगरी) एवं अन्य टीम सदस्यों ने योगदान किया है। उन्‍होंने ज्ञात भौतिकी और प्रस्तावित मॉडल के संदर्भ में इस अत्‍यधिक चमकदार सुपरनोवा एसएन 2010केडी के सभी डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने इस सुपरनोवा के लिए रोस्‍टे IIIबी एवं 1.04 मीटर सम्पूर्णानंद टेलीस्कोप से लिए गए डेटा का लाइट-कर्व मॉडलिंग का विश्‍लेषण किया और 8-10 मीटर श्रेणी के ऑप्टिकल दूरबीन का उपयोग करते हुए डेटा का स्पेक्ट्रल मॉडलिंग विश्‍लेषण किया। इस डेटा की तुलना समान दूरी पर आसपास के अन्‍य आधा दर्जन ज्ञात सुपरनोवा के साथ भी की गई।

            वैज्ञानिकों के निरीक्षण से पता चलता है कि घुर्णन और धात्विकता जैसे मानदंड तारकीय विस्फोटों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही यह भी पता चलता है कि पहले से ज्ञात सुपरनोवा के मुकाबले उनके मेजबान आकाशगंगाओं में विभिन्न प्रकार के संभावित पूर्वज मौजूद रहे हैं।

      स्‍पेक्‍ट्रल मॉडलिंग के उपयोग से प्राप्त किए गए रेखीय वेगों की तुलना करते हुए वैज्ञानिकों ने दिखाया कि एसएन 2010केडी एक जबरदस्‍त वेग के साथ विस्‍फोट किया लेकिन अन्य समान सुपरनोवा की तुलना में वह धीरे-धीरे शांत हुआ। इस दौरान ऑक्सीजन का द्रव्यमान और अन्य स्‍पेक्‍ट्रल लाइन की चमक के अनुमानित मूल्य भी एसएन 2010केडी के लिए अधिक पाए गए।

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चित्र: एसएन 2010केडी की रैखिक वेग की तुलना तुलनीय रेडशिफ्ट में अच्छी तरह से अध्ययन किए गए एसएलएसएनई-। के सेट से की जाती है। एसएन 2010केडी की तुलना में तेजी से शांत होने वाले एसएलएसएनई और पीअीएफ 12 डीएएम में क्षय गति अधिक दिखी, जबकि एसएन 2015बीएन में समान क्षय दर के साथ कम वेग मान पाया गया। कुमार एट ऑल (2020)

[प्रकाशन: एस्ट्रोफिजिकल जर्नल, खंड 892 मार्च 2020, https://iopscience.iop.org/article/10.3847/1538-4357/ab737b/pdf).

अधिक जानकारी के लिए अमित कुमार (amit@aries.res.in, 7015907061) और डॉ. एसबी पांडे (shashi@aries.res.in, 9557470888) से संपर्क कर सकते हैं।]

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