रेल मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2019: रेल मंत्रालय
साल 2019 की प्रमुख पहल और उपलब्धियां
अब तक का सबसे अच्छा सुरक्षा रिकॉर्ड - इस वर्ष के दौरान शून्य यात्री क्षति हुई; मेल / एक्सप्रेस ट्रेनों का समयनिष्ठा प्रदर्शन 75.67 प्रतिशत तक बढ़ा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय रेलवे के परिवर्तनकारी संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी दी - एक ऐतिहासिक सुधार पहल
2030 तक 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ 2019 के बजट ने रेलवे को देश का विकास इंजन बनाने की रूपरेखा तैयार की
बुनियादी ढांचे के विकास पर बड़ा ज़ोर - दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की गति बढ़ाकर 160 किमी प्रति घंटा की जाएगी; सिग्नलिंग प्रणाली को आधुनिक बनाया जाएगा; हरित विद्युतीकृत रेलवे की दिशा में नियमित प्रगति; पीपीपी मोड पर स्टेशन पुनर्विकास
भारतीय रेल वंदे भारत ट्रेनों के 44 रेक का निर्माण करेगा, निविदाएं मंगाई गईं; कोच और इंजनों का रिकॉर्ड निर्माण; 2019-20 में 194 ट्रेनों को उत्कर्ष मानक तक उन्नत किया गया
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पीएनआर पुष्टिकरण पूर्वानुमानक को आईआरसीटीसी वेबसाइट के साथ एकीकृत किया गया; रेलवे के बजाय आईआरसीटीसी द्वारा पहली बार चलाई गई ट्रेन - तेजस एक्सप्रेस ने दिल्ली और लखनऊ के बीच परिचालन शुरू किया, मुंबई-अहमदाबाद के बीच दूसरी तेजस ट्रेन की घोषणा
हाई स्पीड वाले मुफ्त वाई-फाई युक्त स्टेशनों की संख्या 5500 के पार; इसरो के सहयोग से रियल टाइम ट्रेन सूचना प्रणाली को फास्ट ट्रैक किया गया; शिकायत प्रबंधन पोर्टल और एप्लिकेशन 'रेल मदद' को आरंभ किया गया
सीसीटीवी आधारित निगरानी प्रणाली वाले स्टेशनों की संख्या 500 के पार; रेलवे में आतंकवाद और नक्सलवाद के खतरे से निपटने के लिए पहली रेलवे कमांडो बटालियन 'कोरस ’का शुभारंभ किया गया
भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों के लिए भोजन की विविधता, स्वच्छता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए मैन्यू को तर्कसंगत बनाया; सीसीटीवी के माध्यम से वेब आधारित लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा का विस्तार आईआरसीटीसी की 40 रसोई इकाइयों तक किया गया
2 अक्टूबर 2019 को 150वीं गांधी जयंती के दिन से रेलवे में किसी सिंगल यूज़ प्लास्टिक सामग्री का उपयोग नहीं; 65,627 डिब्बों में जैव-शौचालयों की कुल संख्या बढ़कर 2,34,248 की गई
समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) को वर्ष 2021 तक चरणों में पूरी तरह कमीशन कर दिया जाएगा; पश्चिमी डीएफसी का रेवाड़ी - मदार खंड और पूर्वी डीएफसी का भदान - खुर्जा खंड पूरा हुआ और ट्रायल कमर्शियल रन शुरू किए गए
भारतीय रेलवे के 58 से ज्यादा प्रतिष्ठानों में ई-ऑफिस परियोजना कार्यान्वित जो 72000 से ज्यादा डिजिटल फाइल निर्मित करते हुए कागजी फाइलों की जगह लेगी; भारतीय रेलवे की खरीद प्रक्रिया पूरी तरह (एंड-टू-एंड) डिजिकृत की गई
दुनिया के सबसे बड़े भर्ती अभ्यासों में से एक को सफलतापूर्वक पूरा किया गया; आयुष्मान भारत को भारतीय रेलवे के 91 अस्पतालों में शुरू किया गया
Posted On:
31 DEC 2019 5:42PM by PIB Delhi
रेलवे में ऊंचे निवेश
- अब तक का उच्चतम पूंजीगत व्यय: 2019-20 के बजट अनुमान में 1,60,176 करोड़ रुपये।
- 2018-19 से 20.1 फीसदी ज्यादा।
- नवंबर 2019 (अप्रैल - नवंबर 2019) के अंत तक 1,02,008.61 करोड़ रुपये उपयोग में लाए गए जो कुल का 63 फीसदी है। 2018-19 में इसी अवधि के दौरान धन का ये उपयोग 61.3 फीसदी था।
- 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ, 2019 के बजट ने देश का विकास इंजन बनने के लिए रेलवे के लिए रूपरेखातैयार कर दी है।
बुनियादी ढांचे पर ज़ोर
ज्यादा तेज निर्माण
- कुल नई लाइन, दोहरीकरण और गेज का निर्माण पिछले साल के 1014 ट्रैक किलोमीटर से बढ़कर इस साल 1165 ट्रैक किलोमीटर बढ़ा (+15 फीसदी) (अवधि: अप्रैल - नवंबर)
- मानव संचालित लेवल क्रॉसिंग (एमएलसी) के उन्मूलन में 199 फीसदी की वृद्धि।
- पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 296 एमएलसी की तुलना में नवंबर 2019 तक 904 एमएलसी को समाप्त कर दिया गया है; मशीनीकरण में वृद्धि जिससे पटरियों और टर्नआउट्स की गहरी जांच 27 फीसदी ज्यादा रही (इस साल 9,059 किमी, वहीं पिछले वर्ष 7,159 किमी); ज्यादा लंबी रेलों (260 मीटर) का उत्पादन और उपयोग (कुल का 75 फीसदी) जिससे वेल्ड जॉइंट्स में कमी; रेल / वेल्ड विफलताओं में 23 फीसदी की भारी कमी।
- ऊंचे पुलों का पुनर्वास (+82 फीसदी): अप्रैल - नवंबर 2019 में 861 पुलों का पुनर्वास किया गया, इसकी तुलना में पिछले वर्ष इसी अवधि में ये संख्या 472 थी।
- फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) का निर्माण 44 फीसदी बढ़ा।
- अप्रैल - नवंबर 2018 के दौरान 118 एफओबी का निर्माण हुआ था जिसकी तुलना में अप्रैल - नवंबर 2019 के बीच 170 एफओबी बनाए गए।
- ऊंचा रेल नवीनीकरण (+27 फीसदी): अप्रैल - नवंबर 2019 के बीच 3,560 ट्रैक किलोमीटर रहे, जबकि अप्रैल - नवंबर 2018 के दौरान ये संख्या 2,812 थी।
पूरी हो चुकी परियोजनाओं को चालू किया गया
- सितंबर 2019 में जयपुर - रींगस - सीकर - चूरू से 320 किलोमीटर लंबी गेज परिवर्तन परियोजना।
- नई दिल्ली से तिलक ब्रिज (5वीं और 6वीं लाइन) के बीच दोहरीकरण परियोजना (7 किलोमीटर लंबाई लेकिन नई दिल्ली स्टेशन के लिए महत्वपूर्ण)।
- आंध्र प्रदेश में 113 किलोमीटर लंबी नई लाइन पोर्ट कनेक्टिविटी परियोजना जो मुख्य भूमि को कृष्णापटनम बंदरगाह से जोड़ती है।
- यूपी में मेरठ - मुजफ्फरनगर के बीच 55.47 किलोमीटर लंबा दोहरीकरण कार्य।
- खरसिया से कोरीछापर 42.5 किलोमीटर लंबी नई लाइन कोयला परियोजना।
- अक्टूबर 2019 में इस्लामपुर - नटेसर सहित राजगीर - हिसुआ - तिलैया तक 67 किलोमीटर नई लाइन।
- अक्टूबर 2019 में हाजीपुर से रामदयालु नगर 42 किमी लाइन का दोहरीकरण।
- बख्तियारपुर - बरह नाम की 19 किलोमीटर लंबी कोयला परियोजना पूरी हुई और बरह एनटीपीसी थर्मल पावर प्लांट तक कोयला आवाजाही के लिए शुरू किया गया।
- लुमडिंग से होजई तक 45 किलोमीटर लंबी लंबाई दोहरीकरण परियोजना।
- त्रिपुरा में अगरतला - सबरूम नाम से 112 किलोमीटर लंबी नई लाइन राष्ट्रीय परियोजना का निर्माण।
भारत को जोड़ने वाली लाइनों को मंजूरी
- इलाहाबाद - पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (यूपी) के बीच तीसरी लाइन।
- सहजनवा - दोहरीघाट (यूपी) के बीच नई लाइन।
- न्यू बोंगईगांव - अगथोरी (असम) से लाइन का दोहरीकरण।
- वैभववाड़ी - कोल्हापुर (महाराष्ट्र) के बीच नई लाइन।
दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा मार्गों पर 2022-23 तक 160 किमी प्रति घंटे तक गति बढ़ाने की स्वीकृति: लाभ: -
- यात्री ट्रेनों की औसत गति में 60 फीसदी की वृद्धि।
- राजधानी ट्रेन से यात्रा पूरी तरह से रात्रिकालीन होगी।
आधुनिक ट्रेन नियंत्रण प्रणाली
- भारतीय रेलवे लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (एमटीआरसी) प्रणाली के साथ आधुनिक ट्रेन नियंत्रण प्रणाली को लागू करके अपनी सिग्नलिंग प्रणाली को आधुनिक बनाएगा।
- यह भारतीय रेलवे की सबसे महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण परियोजनाओं में से एक है, जो सुरक्षा व लाइन क्षमता में सुधार और ट्रेनों को ऊंची गति पर चलाने के लिए सिग्नलिंग व्यवस्था में उन्नयन की परिकल्पना करती है। इसे नीति आयोग, रेलवे विस्तारित बोर्ड (ईबीआर) की मंजूरी और सीसीईए की मंजूरी के बाद लागू किया जाना है।
- अखिल भारतीय आधार पर सिग्नलिंग प्रणाली के उपरोक्त आधुनिकीकरण कार्य को करने के लिए एक प्रस्ताव के रूप में 1810 करोड़ रुपये की कुल लागत पर कुल 640 रूट किलोमीटर के 4 कार्य, व्यापक परीक्षणों के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मंजूर किए गए हैं। ये चार खंड हैं - दक्षिण मध्य रेलवे में रेनिगुंटला (आरयू) - येरागुंटला (वाईए) खंड, पूर्वी तटीय रेलवे में विजयनगरम (वीजेडएम) - पालसा (पीएसए) खंड, उत्तर मध्य रेलवे में झांसी (जेएचएस) - बीना खंड और मध्य रेलवे में नागपुर (एनजीपी) - बडनेरा (बीडी) खंड। ये भारतीय रेलवे नेटवर्क के सबसे व्यस्त मार्गों में से कुछ हैं।
हरित विद्युतीकृत रेलवे की ओर
- इस वर्ष रेलवे विद्युतीकरण 1440 रूट किलोमीटर (आरकेएम) से बढ़कर 2041 आरकेएम हो गया (+42 फीसदी) (अवधि: अप्रैल - नवंबर)
- अप्रैल 2018 से 5 नवंबर 2019 तक, 436 ट्रेनें एंड ऑफ जेनरेशन (ईओजी) से हेड टू जेनरेशन (एचओजी) में परिवर्तित हो गईं ताकि डीजल की खपत को कम किया जा सके; इससे इनकी संचयी संख्या 500 से अधिक ट्रेनों की हो गई।
- कुल 39 कार्यशालाएं, 7 निर्माण इकाइयां, 5 डीजल शेड और एक स्टोर डिपो अब 'ग्रीनको' प्रमाणित हैं। इनमें से 7 ने 2019-20 में प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
- 2019-20 में 4 और रेलवे स्टेशनों को ग्रीन प्रमाणीकरण मिलने के साथ 13 रेलवे स्टेशन अब तक ग्रीन प्रमाणीकरण हासिल कर चुके है। 18 और रेलवे भवन, कार्यालय, परिसर और अन्य प्रतिष्ठान भी ग्रीन प्रमाणित हैं जिनमें 2 पर्यवेक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एसटीसी) और 3 रेलवे स्कूल शामिल हैं। रेलवे अस्पताल अजमेर, ग्रीन रेटिंग हासिल करने वाला पहला रेलवे अस्पताल है।
- पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए 85 रेलवे स्टेशनों को वर्तमान वर्ष में आईएसओ: 14001 प्रमाण पत्र दिया गया है।
नवीकरणीय ऊर्जा:
भारतीय रेलवे ने ज़ोनल रेलवे और उत्पादन इकाइयों में 2021-22 तक लगभग 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा और लगभग 200 मेगावाट पवन ऊर्जा को स्रोत करने की योजना बनाई है। इन विवरण निम्नानुसार हैं:-
सौर ऊर्जा:
छत वाले बिजली संयंत्र (रूफ टॉप पावर प्लांट्स):
- 25 वर्षों के समझौतों के साथ डेवलपर्स के पीपीए मोड के माध्यम से रेलवे भवनों की छतों पर 500 मेगावाट के सौर संयंत्र। इनका उपयोग रेलवे स्टेशन आदि पर गैर-ट्रैक्शन लोड को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
- इसमें से 96.84 मेगावाट सौर संयंत्र पहले ही लगाए जा चुके हैं। ये संयंत्र कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगे और कार्बन फुटप्रिंट को कम करेंगे।
- पूरे भारतीय रेलवे में 16 स्टेशनों को ग्रीन रेलवे स्टेशन घोषित किया गया है जो पूरी तरह से सौर या पवन ऊर्जा के माध्यम से अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। ये स्टेशन हैं - सीआर में रोहा, पेन, अप्टा; ईसीआर में नियामतपुर हॉल्ट, कन्हाईपुर हॉल्ट, टेका बीघा हॉल्ट, माई हॉल्ट, गरसांडा हॉल्ट, नियाजीपुर हॉल्ट, धमरघाट; एनआर में श्री माता वैष्णो देवी, शिमला; डब्ल्यूआर में उन्हेल, खंडेरी, बाजुद, अंबली रोड़, सदानापुरा एवं सचिन। ये सब 100 फीसदी हरित ऊर्जा वाले स्टेशन हैं।
- लगभग 111 मेगावाट के सौर संयंत्रों के लिए कार्य प्रगति पर है।
- 93 मेगावाट के सौर संयंत्रों के लिए निविदाएं हाल ही में रेलवे मंत्रालय के तहत एक कंपनी, रेलवे ऊर्जा प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आरईएमसीएल) द्वारा प्रदान की गई हैं।
- आरईएमसीएल द्वारा 45 मेगावाट की छत सौर क्षमता के लिए निविदाएं मंगाई गई हैं।
- शेष 154 मेगावाट योजना के विभिन्न चरणों में है।
ज़मीनी बिजली संयंत्र:
- लगभग 500 मेगावाट जमीनी सौर ऊर्जा संयंत्र ट्रैक्शन और गैर-ट्रैक्शन आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।
- इसमें से लगभग 3 मेगावाट पहले ही एमसीएफ, रायबरेली में स्थापित किए जा चुके हैं।
- रेलवे की 300 एकड़ खाली भूमि पर भिलाई (50 मेगावाट) संयंत्र जिसका काम आरईएमसीएल द्वारा दिया गया है और कार्य प्रगति पर है। ये मार्च 2021 तक कमीशन के लिए लक्षित है।
- उपरोक्त भूमि आधारित सौर परियोजनाओं के अलावा, आईआर ने 25 केवी एसी ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे सौर ऊर्जा प्रदान करने के लिए दो पायलट परियोजनाएं भी शुरू की हैं।
- आरईएमसीएल के माध्यम से दीवाना सौर संयंत्र परियोजना (2 एमडब्ल्यूपी): पीपीए पर 14.06.19 को हस्ताक्षर किए गए। काम शुरू हो चुका है और मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
- भेल (बीएचईएल) के माध्यम से बीना सौर परियोजना (1.7 एमडब्ल्यूपी): काम शुरू हो चुका है, निष्पादन किया जा रहा है और फरवरी 2020 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है।
- आरईएमसीएल द्वारा 140 मेगावाट (35 मेगावाट सौर + 105 मेगावाट पवन) और 109 मेगावाट (27 मेगावाट सौर + 82 मेगावाट पवन) क्षमता वाले दो हाइब्रिड संयंत्रों (सौर + पवन) के लिए निविदाएं मंगाई गई हैं।
पवन ऊर्जा:
- भारतीय रेलवे के 200 मेगावाट लक्ष्य में से 103.4 मेगावाट पवन संयंत्र पहले ही लगाए जा चुके हैं।
- तमिलनाडु में 21 मेगावाट (नॉन-ट्रैक्शन के लिए) क्षमता, राजस्थान में 26 मेगावाट (ट्रैक्शन के लिए) क्षमता, महाराष्ट्र में 6 मेगावाट (नॉन-ट्रैक्शन के लिए) और 50.4 मेगावाट (ट्रैक्शन के लिए) क्षमता के पवन चक्की संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
- इसके अलावा हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के हिस्से के तौर में आरईएमसीएल द्वारा 187 मेगावाट क्षमता के लिए निविदाएं मंगवाई गई हैं।
स्टेशन पुनर्विकास के लिए पहल
- तीन स्टेशनों (आनंद विहार, बिजवासन और चंडीगढ़) के लिए 30.10.2019 को भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) द्वारा अनुबंध प्रदान किए गए हैं।
- पांच स्टेशनों के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
- अप्रैल 2019 में आरएलडीए और एनएचएआई के साथ, मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब के रूप में अजनी (नागपुर) के पुनर्विकास के लिए। विस्तृत योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है और बोलियां आमंत्रित की जा रही हैं।
- देहरादून स्टेशन के पुनर्विकास के लिए आरएलडीए और मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) द्वारा अक्टूबर, 2018 में। एमडीडीए ने योजना तैयार करने के लिए वास्तुकला सलाहकार को साथ जोड़ा है।
- ईसीओआर और ओडिशा राज्य सरकार द्वारा 19.09.2019 को भुवनेश्वर स्टेशन के पुनर्विकास के लिए।
आरएलडीए और डीडीए द्वारा 19.12.2019 को आनंद विहार और बिजवासन स्टेशन के पुनर्विकास के लिए।
- आईआरएसडीसी ने पांच स्टेशनों के लिए मार्च / अप्रैल 2019 से पांच स्टेशनों - पुणे, सिकंदराबाद, चंडीगढ़, आनंद विहार और बैंगलोर शहर - के लिए एकीकृत सुविधा प्रबंधन शुरू किया है।
- निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से ग्वालियर, नागपुर, साबरमती और अमृतसर रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए पीपीपीएसी- पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मूल्यांकन समिति द्वारा 20.12.2019 को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। इसके लिए निविदा प्रक्रिया गति में आ गई है। इस परियोजना का उद्देश्य इन रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को हवाई अड्डों की तरह विश्वस्तरीय सुविधाएं देना है। सभी स्टेशनों के लिए महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं - यात्री आवाजाही के अलग-अलग आगमन / प्रस्थान मार्ग, 100 फीसदी दिव्यांग अनुकूल होना, स्टेशन में बाधा मुक्त प्रवेश और बाहर निकलना, बैठने की पर्याप्त जगह होना, यात्री गतिविधियों में सहयोग के लिए लिफ्ट और एस्कलेटर्स का प्रावधान। यह विकास पारगमन उन्मुख विकास (टीओडी) सिद्धांतों पर आधारित होगा जिसका उद्देश्य शहरों को जाम से मुक्त करना है।
मेक इन इंडिया
- भारतीय रेलवे 'वंदे भारत ट्रेनों' की 44 रेकों का निर्माण करेगा। इसकी निर्माण इकाई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ), चेन्नई ने 22 दिसंबर 2019 को 16 कोचों के 44 ट्रेन सेटों के लिए बिजली के उपकरण और अन्य सामानों की आपूर्ति के लिए निविदा प्रकाशित करके इस प्रक्रिया को गति दे दी। इसकी खरीद डीपीआईआईटी, भारत सरकार की "मेक इन इंडिया" नीति के अनुसार की जाएगी।
- डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी ने श्रीलंकाई रेलवे को 07 डीजल इंजनों का निर्यात किया है।
- भारतीय रेलवे बांग्लादेश रेलवे को उनका रेल परिचालन बेहतर बनाने में मदद करने के लिए 2 साल की अवधि के लिए ब्रॉड गेज और मीटर गेज डीजल लोकोमोटिव प्रदान करेगा।
- मेक इन इंडिया पहल को आगे बढ़ाते हुए पटरियों के रख रखाव की कुछ मशीनों को पूरी तरह से स्वदेशी कर दिया गया है। जैसे - यूटिलिटी व्हीकल्स (यूटीवी), रेल बाउंड मेंटेनेंस व्हीकल (आरबीएचवी), ट्रैक बिछाने के उपकरण (टीएलई), रेल थ्रेडर (आरटी) और रेल-कम-रोड व्हीकल (आरसीआरवी)।
- पिछले पांच वर्षों के दौरान आपूर्ति की गई अधिकांश ट्रैक रखरखाव की मशीनों का निर्माण मेक इन इंडिया पहल के तहत दुनिया के अग्रणी निर्माताओं द्वारा भारत में किया गया था।
- विश्व की एक प्रमुख ट्रैक मशीन निर्माता कंपनी द्वारा नवंबर, 2016 में गुजरात के कर्जन में एक और विनिर्माण संयंत्र चालू किया गया है। इस संयंत्र में निर्मित पहली मशीन के फरवरी 2020 तक बनकर आने संभावना है।
यात्री सेवाओं पर ध्यान
समय की पाबंदी
- मेल / एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए भारतीय रेलवे का समयनिष्ठा (पंक्चुएलिटी) प्रदर्शन 75.67 फीसदी (अप्रैल - नवंबर) तक बढ़ा है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह प्रदर्शन 68.19 फीसदी था, जो कि 7.5 फीसदी के सुधार को दर्शाता है।
नए कोच और रेलगाड़ियां
- दिल्ली-लखनऊ के बीच पहली तेजस ट्रेन का संचालन शुरू हुआ - ये पहली ऐसी ट्रेन थी जिसके परिचालन का प्रबंधन भारतीय रेलवे द्वारा नहीं बल्कि आईआरसीटीसी द्वारा किया गया।
- मुंबई और अहमदाबाद के बीच आईआरसीटीसी द्वारा संचालित दूसरी तेजस ट्रेन की बुकिंग शुरू।
- नई दिल्ली से कटरा के लिए 2 वंदे भारत एक्सप्रेस को नियमित सेवा में शामिल किया गया।
- 2019-20 में 194 ट्रेनों को उत्कृष्ट मानक तक अपग्रेड किया गया।
- कुल मिलाकर 78 नई ट्रेन सेवाएं अप्रैल-नवंबर 2019 के बीच शुरू की गईं।
- आईसीएफ ट्रेनों के 120 जोड़ों को 156 एलएचबी रेकों का उपयोग करते हुए तेज और सुरक्षित एलएचबी में तब्दील किया गया।
- 104 पैसेंजर ट्रेनों को तेज और सुरक्षित एमईएमयू में परिवर्तित किया गया, 8-कार प्रत्येक वाली 60 एमईएमयू रेक का उपयोग करते हुए।
- ट्रेन में वहन क्षमता का विस्तार: अप्रैल से नवंबर 2019 की अवधि में 656 अतिरिक्त कोचों को बढ़ाया गया है।
- हमसफर ट्रेनों की सुविधा और किफायत को सुनिश्चित करने के लिए हमसफर ट्रेनों में स्लीपर कोच जोड़े गए हैं।
- विशेष ट्रेनों का चलना: अप्रैल और नवंबर 2019 की अवधि में त्योहारों और छुट्टियों के दौरान विशेष रेलगाड़ियों की 28,500 यात्राएं चलती हैं।
रोलिंग स्टॉक का बढ़ा हुआ उत्पादन
- अप्रैल - नवंबर 2018 के 309 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के मुकाबले अप्रैल - नवंबर 2019 में 495 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का उत्पादन (+60 फीसदी)।
- अप्रैल - नवंबर 2018 में 2,739 एलएचबी कोच निर्मित किए गए थे जबकि इसकी तुलना में अप्रैल - नवंबर 2019 में 3,837 एलएचबी कोच का उत्पादन हुआ (+40 फीसदी)।
- भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने वर्ष 2019-20 में 9 महीने से भी कम समय में अपने 3000वें कोच का उत्पादन किया। ये नतीजा प्राप्त करने के लिए कार्य दिवसों की संख्या 2018-19 के 289 दिनों के मुकाबले चालू वर्ष में घटकर 215 दिन हो गई जो 25.6 फीसदी की कमी है।
- चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) ने 21 दिसंबर 2019 को वित्त वर्ष 2019-20 के 300वें लोकोमोटिव को 9 महीने से कम (216 कार्य दिवसों में) समय में निर्मित कर दिया। 300वें लोको के उत्पादन के लिए कार्य दिवस 2017-18 में 292 दिन थे जो 2018-19 में घटकर 249 दिन हो गए और वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 में 216 दिन रह गए। इसलिए इस आंकड़े को पाने के लिए 2017-18 के बाद से अब तक कार्य दिवसों की संख्या में 28 फीसदी की कमी आई है।
- सीएलडब्ल्यू ने कैलेंडर वर्ष 2019 में कुल 446 लोकोमोटिव निर्मित करते हुए विश्व रिकॉर्ड बनाया।
यात्री शुल्क
- रेलवे यात्री अधिनियम, 1956 का टर्मिनल टैक्स निरस्त कर दिया गया। रेलवे द्वारा कुछ विशेष तीर्थों वाली जगहों, या जहां मेले या प्रदर्शनियां आदि लगाए जाते थे वहां ले जाने के लिए यात्रियों पर रेलवे द्वारा टर्मिनल टैक्स लगाया जाता था।
- यात्री आय: भारतीय रेलवे को अप्रैल 2019 से नवंबर 2019 की अवधि के लिए कुल यात्री आय 35249.13 करोड़ हुई जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अर्जित 33829.58 करोड़ से 4.20 फीसदी अधिक है।
टिकट आरक्षण को आसान बनाने के उपाय
आम यात्रियों को टिकट बेचने की सुविधा का प्रसार:
- स्वचालित टिकट वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) के माध्यम से यात्रियों को अनारक्षित टिकट खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से, सहायक (फैसिलिटेटर) की नीति को उदार बनाया गया।
- सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारियों के जीवनसाथी / वयस्क बच्चों को भी सहायक बनने की अनुमति दी गई है। ये सहायक यात्रियों को स्मार्ट कार्ड के जरिए एटीवीएम के माध्यम से अनारक्षित टिकट जारी करते हैं।
- क्षेत्रीय रेलवे को जरूरत के आधार पर एटीवीएम आधारित सहायक बढ़ाने का अधिकार दिया गया है।
- यात्रियों को सहज और किफायती रूप में सूचना : यात्रा विवरण के सत्यापन के लिए शुल्कों को विवेकसंगत बनाया गया ताकि रेल यात्री अपनी यात्रा के बारे में सहजता से सूचना प्राप्त कर सकें।
- यात्रियों को एसएमएस अलर्ट :- यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए उन यात्रियों को एसएमएस अलर्ट भेजे जाते हैं जो निम्नलिखित परिस्थितियों में टिकट बुक कराते समय अपना मोबाइल नंबर देते हैं:-
- बुकिंग काउंटर से टिकट बुक कराने के समय और आरक्षित टिकटों को रद्द करने के समय।
- एसएमएस अलर्ट उस समय भेजे जाते हैं जब प्रतीक्षा सूची की स्थिति आरएसी/कंफर्म या आरएसी से कंफर्म में बदल जाती है।
- चार्ट तैयार करने के समय कंफर्म, आरएसी तथा प्रतीक्षा सूची के टिकट धारकों की अंतिम स्थिति बता दी जाती है।
- टिकट का दर्जा बढ़ाए जाने की स्थिति में एसएमएस अलर्ट।
- कम दूरी पर ट्रेन की समाप्ति तथा ट्रेन के मार्ग परिवर्तन की स्थिति में एसएमएस अलर्ट।
- ट्रेनों में एचएचटी :-
- राजधानी तथा शताब्दी रेलगाडि़यों के टिकट जांच करने वाले कर्मी को हैंड हेल्ड टर्मिनल्स (एचएचटी) प्रदान किए गए हैं। तेजस, गतिमान, दुरंतो, महामना, हमसफर तथा वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण गाडि़यों के टीटीई को एचएचटी प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।
- एचएचटी मशीन पर आरक्षण चार्ट डाउनलोड हो जाता है और यात्रा करने वाले/नहीं करने वाले यात्रियों की उपस्थिति दर्ज हो जाती है। यदि दूसरे आरक्षण चार्ट की तैयारी के बाद कोई स्थान खाली रह जाता है तो इस स्थान को बुकिंग के लिए अगले रिमोर्ट लोकेशन को हस्तांतरित कर दिया जाता है।
- फलेक्सी किराए को युक्तिसंगत बनाना :- फलेक्सी किराया पहले राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी प्रमुख रेल गाडि़यों में लागू किया गया था। अब इसे और युक्तिसंगत तथा जनअनुकूल बनाया गया है। फलेक्सी किराया लागू होने वाली सभी श्रेणियों में किराए की अधिकतम सीमा में कटौती, सभी फलेक्सी किराए वाली ट्रेनों में क्रमिक डिस्काउंट ऑफर करके तथा कम यात्रियों वाली कुछ ट्रेनों में फलेक्सी किराए की समाप्ति के आधार पर किराए को विवेक संगत बनाया गया। चालू वर्ष में फलेक्सी किराया योजना से 532.53 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हुई है। हमसफर रेलगाड़ी किराए से फलेक्सी किराए को हटा दिया गया है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पीएनआर कन्फर्मेंशन प्रेडिक्टर (संकेतक) को भारतीय रेल खान-पान तथा पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की वेबसाइट से एकीकृत कर दिया गया है। यह बुकिंग के समय प्रतीक्षा सूची के टिकट के कंफर्म होने की संभावना व्यक्त करता है और रेल यात्रियों की अंतिम समय की अनिश्चितताओं को दूर करता है।
- कनेक्टिंग ट्रेन नहीं मिलने के कारण किराया वापसी :- यदि किसी यात्री को सफर करने वाले ट्रेन के विलम्ब से चलने के कारण अगली कनेक्टिंग ट्रेन नहीं मिलती तो यात्रा किए गए भाग का किराया रख लिया जाएगा है और टिकट की शेष राशि यात्रा नहीं किए गए भाग के किराए के रूप में लौटाई जाएगी।
- विदेशी पर्यटकों द्वारा ऑनलाइन रूप से आरक्षित टिकट बुक करने की सुविधा में वृद्धि:- विदेशी पर्यटक पहले रेलगाडि़यों में 1एसी, 2एसी, 3एसी तथा ईसी श्रेणी में 365 दिनों तक अग्रिम आरक्षण करा सकते थे। अब यह अग्रिम बुकिंग सुविधा एसी चेयरकार, स्लीपर तथा 2एस श्रेणी में भी बढ़ा दी गई है।
स्वस्थ और गुणवत्ता संपन्न भोजन
- आईआरसीटीसी की रसोई इकाइयों के सीसीटीवी के माध्यम से वेब आधारित लाइव स्ट्रीमिंग सुविधा 40 रसोई इकाइयों तक बढ़ाई गई। पहले यह सुविधा 18 रसोई इकाइयों (मई, 2019) तक थी।
- लाइव किचन फीड से जुड़े क्यूआर कोड के साथ फूड पैकेट 2 से 28 किए गए।
- रेलगाडि़यों में बिलिंग तथा डिजिटल भुगतान के लिए लगाई गई पीओएस मशीनों की संख्या 47 ट्रेनों तथा 703 रैक में 2742 (मई, 2019) से बढ़कर 5122 हो गई है।
- इसके अतिरिक्त 2018 अचल इकाइयों (फूड प्लाजा, फास्ट फूड इकाइयों, जलपान कक्षों, कैटरिंग स्टॉल आदि) में डिजिटल भुगतान के लिए पीएसओ मशीन सहित 6002 भुगतान की अन्य पद्धतियों को लागू किया गया।
- वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 11,858 भोजन के लिए ई-कैटरिंग बढ़कर 2019-20 (30 नवम्बर, 2019 तक) में 21,026 हो गया।
- ट्रेनों की 185 जोडि़यों में यात्रियों के लिए मेन्यू उपलब्धता तथा ‘राइट टू बिल’ की सूचना देने के लिए 8223 मेटेलिक बोर्ड लगाए गए हैं।
- रेल नीर संयंत्रों की संख्या 9 से बढ़ाकर 12 (मई 2019) कर दी गई है। रोजाना औसत उत्पादन 6.62 लाख लीटर से बढ़कर 9 लाख लीटर हो गया है।
- यात्रियों के लिए खाने में व्यंजनों के प्रकार, साफ-सफाई तथा गुणवत्ता को सुधारने की आवश्यकता महसूस करते हुए भारतीय रेल ने मेन्यू को युक्तिसंगत बनाया है तथा रेलगाडि़यों में और रेलवे स्टेशनों पर कैटरिंग सेवाओं के लिए शुल्क में संशोधन किया है।
- राजधानी/शताब्दी/दुरंतो ट्रेनों में कैटरिंग सेवा शुल्क 6 साल बाद संशोधित किया गया है जबकि मेल/एक्सप्रेस गाडि़यों में स्टैंडर्ड भोजन का शुल्क 7 वर्ष बाद संशोधित किया गया है। पिछला संशोधन 2012 में किया गया था। जनता भोजन की दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है और इसकी दर 20 रुपये है।
- स्टैंडर्ड भोजन की तीन श्रेणियां – स्टैंडर्ड शाकाहारी भोजन, स्टैंडर्ड मांसाहारी भोजन (दो अंडा करी के साथ) तथा स्टैंडर्ड मांसाहारी भोजन (चिकन करी के साथ) बनाई गई है पहले भोजन की दो श्रेणियां थीं। अब यात्रियों के लिए पहले से अधिक क्षेत्रिय व्यंजन उपलब्ध होंगे इनमें तीन किस्म की बरयानी भी शामिल हैं।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा 2018 में ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान के रूप में मुम्बई सेंट्रल रेलवे स्टेशन को देश का पहला ‘ईट राइट स्टेशन’ प्रमाणित किया गया है। एफएसएसएआई द्वारा 04 की रेटिंग स्टार के साथ मुम्बई सेंट्रल रेलवे स्टेशन को 29 नवम्बर, 2019 को ‘ईट राइट स्टेशन’ का प्रमाण पत्र दिया गया। सीएसएमटी मुम्बई को दिसम्बर 2019 में 5 स्टार रेटिंग के साथ ‘ईट राइट स्टेशन’ का प्रमाण पत्र दिया गया।
वेंडर आधार बढ़ाना
- 01.01.2019 से भारतीय रेल की ई-खरीद वेबसाइट पर 49,466 नए वेंडरों/ठेकेदारों तथा 535 बोली लगाने वालों (ई-नीलामी के लिए) ने पंजीकरण कराया। अभी तक आईआरईपीएस पर पंजीकरण कराने वाले वेंडरों और बोली लगाने वालों की संख्या क्रमश: 1,57,109 तथा 4077 है।
- मई, 2019 में पूरे देश में 24 प्रमुख स्थानों पर अखिल भारतीय आधार पर वेंडरों की बैठक आयोजित की गई। इन बैठकों में कुल 4008 वेंडरों ने भाग लिया जिसमें से 1845 वेंडर भारतीय रेलवे के लिए नए थे। रेलवे के लिए आवश्यक उच्च मूल्य के सामान प्रदर्शित किए गए थे और विस्तृत विवरण, वार्षिक आवश्यकता वेंडर स्वीकृति एजेंसी जैसी महत्वपूर्ण सूचनाएं भी प्रदर्शित की गई थीं। वेंडरों को महत्वपूर्ण सूचनाएं देने तथा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तकनीकी सत्र के साथ-साथ इंटरेक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन भी किया गया।
- वेंडरों को व्यावसायिक सुगमता के क्षेत्र में सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण नीतिगत कदमों की जानकारी दी गई।
स्वच्छ भारत, स्वच्छ रेलवे
- अप्रैल-नवम्बर, 2019 से 11,703 कोच में 38,331 जैव शौचालय (बायो टॉयलेट) स्थापित किए गए। इस तरह अब 65,627 कोचों में स्थापित जैव शौचालयों की कुल संख्या 2,34,248 हो गई है। अब जैव शौचालय के साथ कवर किए गए कोच का प्रतिशत 98 हो गया है।
- 2 अक्टूबर, 2019 को 150वीं गांधी जयंती से रेलवे प्रणाली में एकल उपयोग प्लास्टिक सामग्री की समाप्ति।
- वर्ष 2018-19 के लिए स्वच्छता कार्य योजना लागू करने में रेल मंत्रालय को सर्वश्रेष्ठ केन्द्रीय मंत्रालय घोषित किया गया और 6 सितम्बर, 2019 को माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया।
- 950 स्टेशनों पर एकीकृत मशीनीकृत सफाई सुविधा प्रदान की गई। 720 प्रमुख स्टेशनों पर स्वच्छता मानकों के बारे में यात्रियों की राय का स्वतंत्र तीसरे पक्ष से सर्वेक्षण कराया गया।
- राजधानी, शताब्दी, दुरंतो सहित अन्य महत्वपूर्ण लंबी दूरी की मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग सर्विस (ओबीएचएस) बढ़ाकर ट्रेनों की 1090 जोडि़यों में की गई। ओबीएचएस के अंतर्गत कोच के शौचालय, द्वार, गलियारे तथा यात्री कम्पार्टमेंट की साफ-सफाई ट्रेन चलने के दौरान की जाती है।
- मांग के आधार पर ओबीएचएस सेवा एसएमएस से समर्थित है। कोच मित्र सेवा ट्रेनों की 1050 जोडि़यों को कवर करती है।
- एसी कोच के यात्रियों को दी जाने वाली लिनन धुलाई सुविधा की गुणवत्ता सुधारने के लिए भारतीय रेल ने यांत्रिक लांड्री की स्थापना को जारी रखा है। 2018-19 तक 61 यांत्रिक लांड्रियां स्थापित की गईं और 2019-20 में पांच और लांड्री जोड़ी गई। 109 टन प्रतिदिन की कुल क्षमता के साथ 14 और यांत्रिक लांड्रियों के लिए आदेश दिए गए। अगले वित्त वर्ष तक यांत्रिक लांड्रियों से 100 प्रतिशत लिनन धुलाई आवश्यकता कवर करने की योजना है।
- पर्यावरण अनुकूल तरीके से स्टेशनों के प्लास्टिक कचरे में कमी, पुन:चक्रीकरण, तथा निष्पादन के लिए क्षेत्रीय रेलवे द्वारा प्लास्टिक बोटल क्रशिंग मशीनें (पीबीसीएम) लगाने के लिए विस्तृत नीति दिशा निर्देश दिए गए हैं। अभी 229 स्टेशनों पर लगभग 315 पीबीसीएम स्थापित की गई हैं। इनमें अनेक जिला मुख्यालय रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
सुरक्षा प्रथम
सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा रिकॉर्ड
- अप्रैल-दिसम्बर, 2019 के दौरान यात्री दुर्घटना शून्य रही
सुरक्षा बढ़ाने के नए कदम
- सीसीटीवी आधारित निगरानी प्रणाली स्थापित किए जाने वाले स्टेशनों की संख्या बढ़कर 500 से अधिक हुई।
- सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रेलगाडि़यों में रेलवे सुरक्षा बल कर्मी के लिए एक सीट/बर्थ निर्धारित किया गया है।
- अधिकारियों तथा कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए बेंगलुरू में भारतीय रेल आपदा प्रबंधन संस्थान खोला गया है।
- रेलवे सुरक्षा के लिए कमांडो – रेलवे में आतंकवाद और नक्सलवाद के खतरों से निपटने के लिए 14.08.2019 को पहली रेलवे कमांडो बटालियन ‘कोरस’ लॉन्च की गई।
- रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में 1121 सब-इंस्पेक्टरों तथा 8619 सिपाहियों की भर्ती की अधिसूचना 2018 में जारी की गई। इसे अंतिम रूप दे दिया गया है और प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया गया है।
मादक द्रव्य तथा नशीले पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के अंतर्गत आरपीएफ को जब्ती की शक्ति प्रदान करना
- भारत सरकार ने 11.04.2019 को जारी अधिसूचना के माध्यम से आरपीएफ को एनडीपीएस अधिनियम के अंतर्गत जब्ती और गिरफ्तारी की शक्ति प्रदान की।
- इसके बाद आरपीएफ ने कुल 6,74,56,340 रुपये मूल्य की जब्ती की है और अक्टूबर, 2019 तक 211 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए हैं।
मानवता के प्रति संकल्प
- नवम्बर, 2019 तक 151 यात्रियों (105 पुरुष तथा 45 महिलाएं) की जान गाडि़यों की आवाजाही के दौरान रेल पटरियों की दुर्घटनाओं तथा बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाई गई।
- यात्रियों के 1,59,93,186 रुपये मूल्य के छूटे हुए सामान प्राप्त किया गया और नवम्बर, 2019 तक स्वामियों को सामान वापस दे दिए गए।
- नवम्बर, 2019 तक आरपीएफ ने 255 बच्चों (214 लड़के + 41 लड़कियां) का मानव तस्करी से बचाव किया और इसमें 64 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
- इसके अतिरिक्त 2019 के दौरान कुल 10681 बच्चे (घर से भागे हुए, नशे के शिकार, बेसहारा, अपहृत छोड़े गए, लापता आदि) बचाए गए।
- आरपीएफ सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर 182 (टोल फ्री) 24 x 7 आधार पर आपात स्थिति में फंसे यात्रियों की सुरक्षा संबंधी शिकायतों के लिए काम करता है। नवम्बर, 2018 तक प्राप्त 32222 कॉल्स की शिकायतें दूर की गईं।
- महिला यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा प्रदान करने के उद्देश्य से महिलाओं के लिए आरक्षित कोचों में पुरुष यात्रियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए नियमित अभियान और विशेष अभियान चलाए गए। दोषियों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है :-
अभियान
|
दर्ज मामलों की संख्या
|
गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या
|
दंड में वसूली गई राशि रुपये में
|
04.12.19
(विशेष अभियान)
|
5938
|
7151
|
685890
|
2019 (नवम्बर तक)
|
97737
|
92131
|
18152974
|
- दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित कम्पार्टमेंट में अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए अभियान नियमित रूप से चलाए गए। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर विशेष अभियान चलाया गया और दोषियों को दंडित किया गया। विवरण इस प्रकार है :
अभियान
|
दर्ज मामलों की संख्या
|
गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या
|
दंड में वसूली गई राशि रुपये में
|
03.12.19
(विशेष अभियान)
|
4788
|
5674
|
533195
|
2019 (नवम्बर तक)
|
65482
|
74471
|
15342435
|
- रेल प्रणाली में घटिया बोतल बंद पेयजल की बिक्री को रोकने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन र्थस्ट’ के अंतर्गत 1430 व्यक्तियों को पकड़ा गया और 69041 पानी के बोतल बरामद किए गए।
- आईआरसीटीसी की फर्जी आईडी का इस्तेमाल करते हुए ई-टिकटों की खरीद और बिक्री में शामिल दलालों के विरुद्ध निरंतर अभियान चलाए गए। वार्षिक तुलनात्मक आंकड़ा इस प्रकार है :-
वर्ष
|
दर्ज मामलों की संख्या
|
गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या
|
2017
|
1859
|
2060
|
2018
|
2843
|
3192
|
2019 (नवम्बर तक)
|
3861
|
4377
|
:-
माल भाड़ा फास्ट लेन में
- डेडिकेटिट फ्रेट कॉरिडोर को 2021 तक पूरी तरह से चरणबद्ध रूप से चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
भदान – पूर्वी डीएफसी का खुर्जा खंड (194 कि.मी.) सभी तरह से पूरा हो चुका है। इस पर वाणिज्यिक परीक्षण चालन 2.10.2019 से शुरू हो गया है।
रेवाड़ी – पश्चिमी डीएफसी का मदार खंड (305 कि.मी.) सभी तरह से पूरा हो चुका है। इस पर वाणिज्यिक परीक्षण चालन 27.12.2019 से शुरू हो गया है।
- नए वैगनों को शामिल करना – अप्रैल-अक्टूबर 2019 के दौरान 9153 वैगन शामिल किए गए हैं जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2019 के दौरान 6114 वैगन शामिल किए गए थे।
- 2019-20 में सभी जिन्सो (पीओएल और लौह अयस्क को छोड़कर) पर (i) 15 प्रतिशत व्यस्त सीजन प्रभार को हटाकर (ii) दो प्वाइंट रेक संयोजनों और मिनी रेक पर 5 प्रतिशत पूरक प्रभार हटाकर (iii) मिनी रेक को 1 हजार कि.मी. इंट्रा-जोनल यातायात की अनुमति देकर माल भाड़ा प्रभारों को तर्कसंगत बनाया गया है।
- कंटेनर यातायात के लिए राउंड ट्रिप चार्जिंग को 50 कि.मी. से कम दूरी के प्रत्येक चक्कर के लिए शुरू किया गया है। इस योजना के तहत 0 से 50 कि.मी. स्लैब के प्रत्येक चक्कर के लिए चार्जिंग की बजाय 0 से 100 कि.मी. स्लैब के लिए हैल्ज चार्ज कुल आवाजाही के लिए वसूला जाएगा। यह प्रति टीईयू/राउंड ट्रिप लगभग 35 प्रतिशत सस्ता है।
- 90 जिन्सो को अधिसूचित सूची से हटा दिया गया है और फ्रेट ऑल काइंड (एफएके) दरों यानि कम दरों के तहत लाया गया है लेकिन ये दरें कंटेनर में फ्रेट ले जाने पर लागू होंगी।
- रेलवे रसीदों की इलेक्ट्रॉनिक ट्रासंमिशन (ईटी-आरआर) सुविधा को 2019 में सारे देश में लागू किया गया था। इसके तहत ग्राहकों के पास रेलवे रसीद इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करने, स्थानांतरित करने और सौंपने का विकल्प है। इससे रेलवे फ्रेट ग्राहकों के लिए व्यापार को आसान बनाने में कई गुना सुविधा मिली हैं। इसे समर्थ बनाने में भारतीय रेलवे ने वैगनों के लिए मांग का इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण एक अग्रदूत के रूप में लागू किया है।
- प्रत्येक क्षेत्रीय रेलवे के साथ त्रिपक्षीय समझौता करने के बजाय 20 मई, 2019 से बेस टर्मिनल रेलवे के साथ ऑटोमोबाइल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर (एएफटीओ) को एकल अनुबंध ई-भुगतान सुविधा की अनुमति दी गई है।
- इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज से द्वारा आईआरके कस्टम सर्वर से फ्रेट ऑपरेशन इन्फोर्मेशन सिस्टम (एफओआईएस) तक एसएमटीपी वितरण के प्रसारण के आधार पर 3 ऑपरेटरों (सीओएनसीओआर, जीआरईएल, डीएलआई) को आयात किए गए कंटेनर युक्त यातायात के मामले में आवश्यक रूप से वजन करने में छूट दी गई है। मई, 2019 में 5 अन्य ऑपरेटरों-अडानी, आईसीटी एंड आईपीएल, एचटीपीएल, आईआईएलपीएल और पीएमएलपीपीएल को आयातित कंटेनर युक्त यातायात का वजन करने से छूट दी गई है।
- इसके अलावा नेपाल से जुड़े कंटेनर युक्त आयात यातायात को भी सीओएनसीओआर द्वारा प्रस्तुत किए गए कस्टम दस्तावेज के आधार पर सितम्बर, 2019 से आवश्यक वजन करने से छूट दी गई है। इस कदम से परिचालन समय और कम होने तथा तरलता में सुधार आने की उम्मीद है।
- इन-मोशन वेब्रिज स्थानों का इलेक्ट्रॉनिक एकीकरण इंटीग्रेशन – नवम्बर, 2019 तक एफओआईएस के साथ इन-मोशन वेब्रिज के प्रसार के संबध में सभी क्षेत्रीय रेलवे को भेजे गए दिनांक 14.01.2019 के रेलवे बोर्ड के अनुदेशों के अनुपालन में कुल 218 स्थलों के साथ एकीकरण की समाकृति की गई है और वेटमेंट के डेटा एकीकृत किए गए हैं तथा कुल 48 स्थल ऑनलाइन हैं।
- रेलवे टर्मिनलों पर कंटेनर रखरखाव के दोहरे संचालन के लिए एक बार टर्मिनल पहुंच प्रभार लगाने की पद्धति को अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया है।
- आईआर ने अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं और क्रियाओं में बदलाव किया है यह पहले कंटेनर को अपने आप में जिन्स के रूप में मानता था अब कंटेनर में ले जाई जा रही जिन्सों की पहचान की जाती है और आईआर देकर कंटेनर में रेल द्वारा ढुलाई की जाने वाली वस्तुओं की सेवा पर उचित रूप से जीएसटी छूट दी जाती है।
- ग्राहकों को फ्रेट स्थिरता देने के लिए 15.12.2019 तक 31 प्रमुख ग्राहकों के साथ दीर्घकालीन टैरिफ अनुबंध किए गए हैं। यह ग्राहकों के अनुकूल है क्योंकि इसे ग्राहक के साथ किए गए अनुबंध के अनुसार प्रणाली में इनबिल्ट के रूप में शामिल किया गया है।
- 2017-18 में सीसी+8 की बढ़ी हुई भार योग्यता के साथ 5 नए मार्गों को उन्नत और अधिसूचित किया गया। 2018-19 में 15 मार्गों और 2019-20 में 15.12.2019 तक 21 मार्गों को अधिसूचित किया गया है।
- शामिल किए गए विभिन्न नए वैगनों की अनुमत भार ले जाने की क्षमता को बीओबीआरएनएचएसएम1, बीएएफआरडीआर, बीएफएनएस, बीएफएनएसएम, बीएफएनएस 22.9 की तरह अधिसूचित किया गया है। बीसीएनएचएल और बीआरएन वैगनों की अनुमत भार ले जाने की क्षमता को संशोधित किया गया है।
- राजस्थान और महाराष्ट्र में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में, केरल/असम/कर्नाटक/महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और ओडिशा/तमिलनाडु/पश्चिम बंगाल/आंध्र प्रदेश के चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में जल, राहत सामग्री आदि की ढुलाई में सहायता प्रदान करने की अधिसूचनाएं जारी की गई।
- ई-भुगतान सुविधा : कुल 1231 फ्रेट ग्राहक अब नवम्बर, 2019 से ई-भुगतान सेवा का लाभ उठा रहे हैं।
डिजिटल इंडिया
- हाई स्पीड फ्री वाई-फाई सुविधा वाले स्टेशनों की संख्या बढ़कर 5500 से अधिक हो गई है।
- स्वचालित चार्ट तैयार करने और यात्री रेलों की जानकारी देने के लिए इसरो के सहयोग से रियल टाइम ट्रेन इन्फोर्मेशन सिस्टम (आरटीआईएस) फॉस्ट ट्रैक : 2700 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्ज को आरटीआईएस तथा 3800 डीजल लोकोमोटिव्ज को आरएएमएलओटी उपलब्ध कराया गया है। 6500 लोकोमोटिव्ज के लिए स्वचालित नियंत्रण चार्टिंग की गई है। बकाया 6000 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्ज को एक वर्ष के समय में आरटीआईएस उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। बकाया लोकोमोटिव्ज के लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है।
- उच्च उत्पादकता के लिए आधुनिक कोच फैक्ट्री रायबरेली में उद्योग 4.0।
- पुलों के निरीक्षण के लिए वर्ष के दौरान रेलवे में 2 आधुनिक तकनीक (अर्थात ड्रोन माउंटेड कैमरा और रिवरबेड की 3डी स्कैनिंग का उपयोग) शुरू की गई है।
- समय पूर्व रखरखाव के लिए दोष पूर्ण पहियों और बेयरिंग का पता लगाने तथा इनके खराब होने से पहले ही कार्यवाही करने के लिए एक स्वचालित प्रणाली आईआर पूरे नेटवर्क पर फैले 20 स्थानों पर 25 ओएमआरएस वे-साइट निरीक्षण प्रणालियां स्थापित होने की प्रक्रिया में है। इसके अनुसार सुधारात्मक कार्यवाही करने के लिए वास्तविक समय में दोष रिपोर्ट तैयार हो जाती है और सतर्क सूचना दी जाती है। अभी तक 6 ओएमआरएस प्रणालियां स्थापित की जा चुकी है और सारा स्थापना कार्य वर्ष 2020 के अंत तक पूरा हो जाएगा।
- ट्रेन सिग्नल रजिस्टर (टीएएआर) का कम्प्यूटरीकरण : 650 स्टेशनों पर टीएसआर उपकरणों की आपूर्ति की गई हैं। नवम्बर, 2019 तक 508 स्टेशनों पर यह काम शुरू हो गया है। सभी स्टेशनों को मार्च, 2020 तक लाइव कर दिया जाएगा।
- एक अलग भूमि प्रबंधन प्रणाली यानि इंडियन रेलवे लैंड मैनेजमेंट सिस्टम (आईआरएलएएमएस) भूमि रिकॉर्ड, एक स्थान पर प्रलेखित लीज लाइसेंस रिकॉर्ड जैसे भूमि से संबंधित डेटा के प्रबंधन के लिए विकसित किया जा रहा है।
- भारतीय रेलवे की खरीदारी प्रक्रिया का पूरी तरह डिजिटलीकरण हो चुका है। मांग सृजन, मांग की प्रोसेसिंग, निविदाओं का प्रकाशन, बोलियों का तकनीकी आकलन, निविदा को अंतिम रूप देना, स्वीकृति पत्रों, अनुबंधों और संशोधनों को तैयार तथा जारी करना, ऑल राइट्स/कन्साइनी द्वारा सामग्री का निरीक्षण, आपूर्ति की स्वीकृति और लेखा-जोखा, वेंडर के बिल की ऑनलाइन प्राप्ति और प्रोसेसिंग, कन्साइनों को सामग्री जारी करना जैसी सभी प्रक्रियाएं डिजिटल हैं।
- 5 करोड़ से अधिक मूल्य की वस्तुओं की खरीदारी के लिए निविदाओं के डिफॉल्ट मोड के रूप में ई-रिवर्स नीलामी की गई है। ईआरए की प्रक्रिया में बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए सुधार किया गया है।
- ई-प्लेटफार्म पर कार्य अनुबंधों का रखरखाव करने के लिए 17 डिविजनों में एक ई-एप्लीकेशन आईआर-डब्ल्यूसीएमएस को पायलेट परियोजना के रूप में शुरू किया गया है। इस ई-एप्लीकेशन का जल्द ही आईआरके सभी डिविजनों में विस्तार किया जाएगा।
- बड़े निर्माण, केटलॉग प्रकाशन, ई-निविदा, बयाना राशि जमा (ईएमडी) की वसूली और बैलेंस सेल वैल्यू (बीएसवी) से स्क्रेप की बिक्री के लिए बिक्री रिलीज आदेश एसआरओ को डिजिटलीकरण कर दिया गया है।
- भारतीय रेलवे के 58 से अधिक प्रतिष्ठानों में 6 महीनों की अवधि में ही 7200 से अधिक डिजिटल फाइलों का सृजन किया गया है जो मैनुअल फाइलों का स्थान लेंगी। रेलट्रेल द्वारा लागू एनआईसी ई-ऑफिस प्रतिदिन कई टन कागज बचाने में रेलवे की मदद कर रहा है। परियोजना के पहले चरण में 50 हजार से अधिक उपयोकर्ताओं का सृजन किया गया है।
- हमारी डिजिटल पहल – इलेक्ट्रॉनिक ड्राइंग एप्रूवल सिस्टम (ई-डीईएस); स्वास्थ देखभाल के लिए विशिष्ट चिकित्सा पहचान पत्र (यूएमआईडी); मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एचआरएमएस)।
- हाल्ट स्टेशनों पर यात्रियों की टिकट जरूरतों को पूरा करने के लिए एक योजना शुरू की गई है जिसमें अनारक्षित टिकटिंग प्रणाली (यूटीएस) टर्मिनलों के माध्यम से कम्प्यूटरीकृत अनारक्षित टिकट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसने मैनुअल प्रिटिंड कार्ड टिकट सिस्टम का स्थान ले लिया है। यह काम सबसे नजदीकी नोडल स्टेशन के माध्यम से किया जा रहा है। इसके अलावा हाल्ट स्टेशनों पर टिकट जारी करने के लिए दक्षिणी रेलवे में पोर्टेबल-यूटीएस के परीक्षण को भी मंजूरी दी गई है। एंड्रायड मोबाइल फोन तथा ब्लूटूथ प्रिंटर का जुड़ाव मोड में उपयोग करके ईटीएम के परीक्षण को भी उत्तरी रेलवे में मंजूरी दी गई है।
- रेल मदद : शिकायत प्रबंधक प्रणाली को फिर से रेल मदद के रूप में पंजीकृत किया गया था और इसे ग्राहकों की शिकायतों के निवारण के लिए रेलवे-ऑनली पोर्टल के रूप में बरकरार रखने का निर्णय लिया था। अप्रैल, 2019 में इसकी एकीकृत शिकायत मंच (वेब, एसएमएस, ऐप, मैनुअल डाक, सोशल मीडिया और आईवीआरएस हेल्पलाइन 139) के रूप में अवधारणा की गई थी। रेल मदद अनुप्रयोग 15.07.2019 (बीटा ऐप्लीकेशन) और 21.10.2019 को (अंतिम संस्करण) पर रोल आउट किया गया था। रेल मदद ऐप्लीकेशन को अधिक उपयोगकर्ता अनुकूल तथा उद्योग मानकों के अनुसार डिजाइन और विकसित किया गया था।
- गैर-किराया राजस्व बढ़ाने के लिए एक पायलेट परियोजना के रूप में एक वर्ष की अवधि के लिए परीक्षण आधार पर आईआर वेब साइट indianrail.gov.in पर विज्ञापनों की अनुमति देने का निर्णय लिया गया।
- आईआरसीटीसी विज्ञापन दाताओं के साथ विपणन और सभी तरह के संपर्क स्थापित करेगी।
- आईआरसीटीसी और एमओआर के बीच शुद्ध राजस्व साझेदारी 50-50 के अनुपात में होगी।
- अनुदेश 03.09.2019 को अनुदेश जारी किए गए और 19.09.2019 से विज्ञापन शुरू हो गए।
- एनटीईएस वेब साइट, आईआरईपीएस वेब साइट और यूटीएस-ऑन-मोबाइल ऐप पर भी इन्हीं नियमों और शर्तों के अधीन विज्ञापनों की अनुमति देने का निर्णय लिया गया।
- अनुदेश 17.10.2019 को जारी किए गए।
- 6 महीने के लिए परीक्षण आधार पर आईआरसीटीसी की वेब साइट indianrail.gov.in पर समाधान को एकीकृत करने के निर्देश जारी किए गए। इस पहल से जो राजस्व अर्जित होगा उसकी 50-50 के अनुपात में आईआरसीटीसी और एमओआर के बीच हिस्सेदारी होगी।
- रेलवे की मौजूदा गतिविधियों के बारे में पब्लिक को जागरूक बनाने के लिए भारती रेलवे ने सभी डिजिटलीकरण प्रयासों को शामिल करके उन्नत रेल दृष्टि डेशबोर्ड (www.raildrishti.in) की शुरूआत की गई है। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा। यह विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी को एक ही मंच पर लाता है और देश के प्रत्येक नागरिक को प्रमुख आंकड़ों और मानकों तक पहुंच उपलब्ध कराता है।
वित्तीय पहल
घरेलू आपूर्ति/कार्य अनुबंधों में लेटर ऑफ क्रेडिट के जरिए भुगतान :
सीआरआईएस और एसबीआई के समन्वय से घरेलू आपूर्ति/कार्य अनुबंधों में लेटर ऑफ क्रेडिट के जरिए भुगतान योजना को भारतीय रेल के सभी मंडलों में लागू किया गया है। जोनल रेलवे और उत्पादन इकाईयों द्वारा आपूर्ति और कार्य दोनों के लिए आमंत्रित सभी निविदाओं जिनका अनुमानित मूल्य 10 लाख रुपये या इससे अधिक है के पास लेटर ऑफ क्रेडिट व्यवस्था के तहत भारतीय रेल से भुगतान प्राप्त करने का विकल्प है।
केन्द्रीय एकीकृत भुगतान प्रणाली (सीआईपीएस) :
एसबीआई की सीआईपीएस एक प्रणाली है जो बिना किसी भौतिक हस्तक्षेप के ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित करती है। वित्त विभाग के 100 दिनों की कार्ययोजना के तहत इस पहल की शुरुआत की गई है। एसबीआई के साथ समझौता (एमओयू) होने के बाद भारतीय रेल ने केन्द्रीय एकीकृत भुगतान प्रणाली (सीआईपीएस) को लागू किया है जो 12 सितंबर, 2019 से प्रभावी है। सीआईपीएस के तहत भुगतान फाइलों पर डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा है और इसके तहत एकीकृत पेरोल तथा लेखा प्रणाली (आईपीएएस) के सर्वर से एसबीआई के सर्वर पर स्थानांतरण होता है जो स्वचालित और सुरक्षित है।
जीएसटी का कार्यान्वयन :
संसद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 और आईजीएसटी अधिनियम, 2017 पारित किया और राष्ट्रपति ने 12 अप्रैल, 2017 को इन अधिनियमों को स्वीकृति दी। दिशानिर्देशों के अनुरूप समयबद्ध तरीके से निम्न कार्य पूरे किए गए :
- रेल मंत्रालय के लिए (सभी रेलवे के लिए) आयकर, पैन प्राप्त किया गया।
- जीएसटी लगाने के लिए पीआरएस, यूटीएस, एफओआईएस के सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया।
- पार्सल, व्यवसायिक प्राप्तियों, इंजीनियरिंग प्राप्तियों पर जीएसटी लगाने के लिए सभी महाप्रबंधकों को समय पर निर्देश जारी किए गए।
- ऑफ लाइन, लेनदेन के लिए सीआरआईएस ने जीएसटी मैन्यूअल विकसित किया।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए लेखा सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया।
- जीएसटी की शुरुआत से पहले की सभी अनुबंधों को जीएसटी के तहत बदलाव के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।
- 01 जुलाई, 2017 के बाद के सभी अनुबंधों को जीएसटी नियमों के अनुरूप होना सुनिश्चित किया गया।
- एसपीवी के साथ लेनदेन के संदर्भ में जीएसटी के प्रभाव का अध्ययन।
- सभी इकाईयों को कुल 140 नीति प्रपत्र जारी किए गए।
- समय-समय पर प्रक्रियाओं में बदलाव किया गया है। उदाहरण के लिए आईआरएफसी के अनुबंधों के प्रारूप में बदलाव किया गया है और इससे भारतीय रेल के पट्टे पर देने की लागत में कमी आएगी।
भारतीय रेलवे का संगठनात्मक पुनर्गठन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 24 दिसम्बर, 2019 को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय रेलवे के संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी दी गई। भारतीय रेल को भारत की विकास यात्रा का इंजन बनाने की सरकार की सोच को मूर्तरूप देने में यह ऐतिहासिक सुधार काफी अहम साबित होगा।
सुधारों में निम्न बातें शामिल हैः-
- भारतीय रेल की 8 मौजूदा ए श्रेणी की सेवाओं को मिलाकर भारतीय रेल प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) के नाम से केन्द्रीय सेवा में तब्दील करना।
- रेलवे बोर्ड के प्रमुख की अध्यक्षता में बोर्ड का पुनर्गठन। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी होंगे। बोर्ड में चार स्थायी सदस्य और कुछ स्वतंत्र सदस्य शामिल होंगे।
- मौजूदा भारतीय रेल चिकित्सा सेवा (आईआरएमएस) अब भारतीय रेल स्वास्थ्य सेवा (आईआरएचएस) के नाम से जानी जाएगी।
रेलवे में सुधार के लिए विभिन्न समितियों द्वारा सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की गई थी। सेवाओं का एकीकरण रेलवे के सुचारु कामकाज को बढ़ावा देगा, निर्णय लेने में तेजी लाएगा, संगठन के लिए एक सुसंगत दृष्टि पैदा करेगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को बढ़ावा देगा। निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के परामर्श से और मंत्रिमंडल द्वारा नियुक्त वैकल्पिक तंत्र के अनुमोदन से सेवाओं के तौर-तरीकों और एकीकरण पर काम किया जाएगा।
रेलवे में रोजगार
भारतीय रेलवे ने दुनिया की एक सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया को सफलता के साथ पूरा किया
-
- असिस्टेंट लोको पायलट और टेक्नीशियन के 64,000 से अधिक पदों के लिए 47.45 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किए।
- लेवल 1 के 63,000 से ज्यादा पदों के लिए करीब 1.17 करोड़ उम्मीदवार परीक्षा में बैठे। इनमें से 2400 से ज्यादा रिक्तियां दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित थी। इन आरक्षित पदों में से दिव्यांगजनों के लिए 4 श्रेणियां एलडी, वी1, एच1 और एमडी बनाई गई थी, जिनमें से प्रत्येक के लिए 600 पद आरक्षित किए गए थे।
- जूनियर इंजीनियर के 13,500 से अधिक पदों के लिए 24.75 लाख से अधिक उम्मीदवार परीक्षा में बैठे।
भारतीय रेलवे ने बहु-विकलांगता वाले दिव्यांगजनों को लेवल 1 श्रेणी के पदों के लिए एक और मौका दिया ताकि वे रेलवे में नौकरी के लिए अपनी पात्रता सिद्ध कर सकें।
रेलवे के अस्पतालों में आयुष्मान भारत की सुविधा
रेलवे के अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना शुरु की गई
-
- आयुष्मान भारत योजना भारतीय रेलवे के 91 अस्पतालों में शुरु की गई है।
आयुष्मान भारत योजना के पैनल वाले रेलवे के अस्पतालों में योजना के लाभार्थियों को इलाज की सुविधा मिलनी शुरु हो चुकी है।
आरकेमीणा/आरएनएम/आईपीएस/एकेजे/जेके/एमएस/डीएस/एनएम/डीए/वीके – 5158
(Release ID: 1598658)
Visitor Counter : 1903