पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा : पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
Posted On:
30 DEC 2019 1:04PM by PIB Delhi
वर्ष 2019 में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की उपलब्धियां इस प्रकार हैं:-
- एनएलसीपीआर//एनईएसआईडीएस/विशेष पैकेज/एसआईडीएफ/एचएडीपी
भारत सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामाजिक और भौतिक कमियों को पूरा करने के लिए दिसंबर 2017 में पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष बुनियादी ढ़ांचा विकास योजना(एनईएसआईडीएस) को मंजूरी दी।
- मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में एनईएसआईडीएस/एनएलसीपीआर/विशेष पैकेज/एसआईडीएफ/एचएडीपी जैसी योजनाओं के तहत 312.72 करोड़ रूप की लागत से कुल 211 परियोजनाएं कार्यान्वित की गईं।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में पहला बांस औद्योगिक पार्क लगाए जाने को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई । यह असम के डिमा हसाओ जिले के मंदेरदिसा में 50 करोड़ रूपए की लागत से 75 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना को मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
- एनएलसीपीआर / एनईएसआईडीएस / विशेष पैकेज / एसआईडीएफ के तहत पूर्वोत्तर राज्यों से प्राप्त परियोजनाओं के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए वर्तमान वर्ष के दौरान आईएमसी / एनईएसआईडीसी समितियों की नौ बैठकें आयोजित की गईं।
- पूर्वोत्तर परिषद् :
- पूर्वोत्तर परिषद् की 68 वीं पूर्ण बैठक 8 और 9 सिंतबर 2019 को असम के गुवाहाटी में असम प्रशासनिक कर्मचारी कॉलेज में हुई। बैठक में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के साथ विचार विमर्श के बाद कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक के पूर्ण सत्र में गृहमंत्री और एनईसी के अध्यक्ष ने एनईसी के लिए आंबटित राशि में से पूर्वोत्तर परिषद् की मौजूदा नयी योजनाओं के लिए 30 प्रतिशत राशि जारी करने का सुझाव दिया ताकि उपेक्षित क्षेत्रों, समाज के उपेक्षित और वंचित लोगों तथा उभरते प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा सके।
- गंतव्य पूर्वोत्तर , पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति, धरोहर और वहां कारोबार की अवसरों के प्रचार प्रसार के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन 23 से 26 नवंबर 2019 तक वाराणसी में किया गया था। इस चार दिवसीय आयोजन में पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों के अलावा केन्द्र सरकार की एजेंसियों ने भी भाग लिया। इसका उद्घाटन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) द्वारा मंत्रालय और एनईसी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री ने क्षेत्र में वन्यजीव अभ्यारण्यों / पार्कों, प्राकृतिक सौंदर्य से भरे स्थलों, झरनों, जंगलों, संस्कृति, विरासत, हस्तशिल्प और व्यवसाय के साथ ईको-पर्यटन का प्रचार करने के लिए मिजोरम का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान क्षेत्र में पर्यटन संस्कृति को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेंगलूरू विश्वविद्यालय में पढ़ रहे पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों के लिए 6 मार्च 2019 को कर्नाटक के गुलबर्गा में लड़कियों के एक छात्रावास का उद्घाटन किया।.
- नयी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्वौत्तर क्षेत्र की छात्रोंओं के लिए महिला छात्रावास : इस छात्रावास का निर्माण 28.675 करोड़ रूपए की लागत से किया जा रहा है। इसमें से 11;01 करोड़ रूपए एनईसी की ओर से दिए गए हैं। छात्रावा का निर्माण शुरू हो चुका है और दिसंबर 2020 तक इसके पूरा हो जाने की संभावना है।
- पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों के लिए दिल्ली के रोहिणी में छात्रावास बनाने के लिए जमीन की खरीद: नई दिल्ली के रोहिणी में पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए एक छात्रावास के निर्माण के लिए 1990 वर्गमीटर भूमि की खरीद के लिए 2.50 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। डीडीए की ओर से भूमि पर कब्जे का प्रमाण पत्र मिल चुका है।
- द्वारका में एनईसी कन्वेंशन सेंटर की स्थापना: एनईसी के माध्यम से सरकार का नई दिल्ली, के द्वारका, में सेक्टर 13 में एक एनईसी कन्वेंशन सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव है। केंद्र में बैंक्वेट हॉल, प्रदर्शनी स्थल, संग्रहालय, पुस्तकालय, फूड कोर्ट, कार्यालय के लिए स्थान, कार पार्किंग की जगह और आठ गेस्ट रूम और तीन स्टाफ क्वार्टरों के प्रावधान के साथ 1000 बैठने की क्षमता का एक सभागार भी होगा। डीडीए ने कन्वेंशन सेंटर के लिए 5341.75 वर्गमीटर की भूमि आवंटिजत की है।
- असम के बर्नीहाट में पूर्वोत्तर क्षेत्र सीबीटीसी के प्रशासनिक भवन का उद्घाटन, राज्य मंत्री (IC), उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय द्वारा किया गया था।Establishment of the NEC Convention
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) द्वारा बर्निहाट में सीबीटीसी के प्रशासनिक भवन का उद्घाटन।
- पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना( एनइआरएसडीएस): इसके तहत एनईसी दो राज्यों को जोड़ने वाले ऐसे राजमार्गों की हालत सुधारने का काम करता है जो रणनीतिक द्ष्टि से काफी महत्व के हैं और जिनका रखरखाव दोनों में से किसी भी राज्य द्वारा नहीं किया जा रहा। 2019-20 के दौरान ऐसी दस नयी योजनाओं के लिए कुल 882 करोड़ रूपए जारी किए गए। इसके अलावा ऐसी अन्य योजनाओं के लिए 118 करोड़ रूपए की मंजूरी प्रक्रिया चल रही है।
- रद्द न हो सकने वाले केन्द्रीय संसाधन पूल एनएलसीपीआर (केन्द्रीय) इसे अप्रेल 2018 में लागू करने के लिए एनइसी को हस्तांतरित कर दिया गया। इस योजना के तहत मजुलिस द्वीप तथा अगरतला –अखौरा रेल लाइन परियोजना आदि के लिए 2019-20 की अवधि के लिए 217.41 करोड़ रूपए जारी किए जा चुके हैं।
- आवंटन और व्यय: वित्त वर्ष 2019-20 के लिए1476.00 करेाड़ रूपए के अनुमानित बजट की तुलना में 13 दिसंबर 2019 तक कुल व्यय 867.32 करोड़ रूपए रहा जो कि बजट अनुमान का 58.75 फीसदी है।
- पूरी हुयी परियोजनाएं: वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 964.25 करोड़ रूपए से 78 परियोजनाओं और गैर परियोजनाओं का काम पूरा किया गया।
- 14 आकांक्षी जिलों में से प्रत्येक के लिए एक करोड़ रूपए जारी किए गए: 67 वीं प्लेनरी बैठक के दौरान यह तय किया गया कि प्रत्येक आंकाक्षी जिले को एक करोड़ रूपए दिए जाएंगे। ताकि वह विभिन्न संकेतकों के अनुरूप पर्याप्त प्रगति कर सकें। एनइसी ने कुल मिलाकर पूर्वोत्तर राज्यों के 14 जिलों के लिए 14 करोड़ रूपए जारी किए हैं।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री द्वारा गुवाहाटी में मंत्रालय के सीपीएसयू भवन का शिलान्यास किया गया।
- पूर्वोत्तर राज्य सड़क निवेश कार्यक्रम (एनईएसआरआईपी) को पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना (ईएपी) का नया नाम दिया गया: इस योजना के तहत पूर्वोत्तर के सात राज्यों में 2144.56 करोड़ रूपए की लागत से राष्ट्रीय राजमार्गों के 432.2 किलोमीटर लंबे हिस्से का उन्नयन की 12 परियोजनाएं1 इसके लिए एशियाई विकास बैठक की ओर वित्तीय मदद दी गई है।
- वर्ष 2019 में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने असम,मेघालय, मणिपुर,मिजोरम,नागालैंड और त्रिपुरा में पर्यावरण, जल, पर्यटन, शिक्षा, बिजली, ग्रामीण क्षेत्र, चिकित्सा,सड़क और कृषि क्षेत्र से जुडी 21 परियोजनाओं को मदद दे रहा है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन परियोजना
पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन परियोजना आजीविका से जुड़ी भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना है। परियोजना के तीसरे चरण का क्रियान्वयन छह वर्षों यानी 31 मार्च 2020 तक के लिए जून 2014 से शुरु कर दिया गया था। अरूणाचल प्रदेश के अविभाजित तिराप और चांगलांग तथा मणिपुर के चूड़ाचंदपुर और चंदेज जिले मौजूदा तीसरे चरण के दायरे में आएंगे। परियोजना की मौजूदा स्थिति इस प्रकार है-
ब्यौरा
|
लक्ष्य
|
उपलब्धियां
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दायरे में आने वाले राज्य
|
2
|
2
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दायरे में आने वाले जिले
|
4
|
4
|
दायरे में आने वाले गांव
|
1,177
|
1212
|
दायरे में आने वाले परिवार
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58,850
|
58789
|
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन समूह (एनएआरएम-जीएस)
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1,570
|
1383
|
स्वसहायता समूह (एसएचजी)
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3,920
|
3494
|
एनएआरएफ जी सूमह संगठन
|
60
|
123
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एसएचजी परिसंघ
|
175
|
134
|
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान (अक्तूबर 2019) तक इन परियोजना के लिए 96 करोड़ रूपए वितरित/इस्तेमाल किए गए।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र ग्रामीण आजीविका परियोजना (एनईआरएलपी)
विश्व बैंक की मदद से चलाई जा रही एनईआरएलपी परियोजना ग्रामीण आबादी के लिए आजीविका के अवसर बेहतर बनाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा 2012 में शुरु की गई थी। मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के 11 जिलों के कुल 1645 गांव इस परियोजना के दायरे में आएंगे। परियोजना का काम 30 नंवबर 2019 को ही पूरा हो गया था लेकिन परियोजना खत्म होने के बाद लेखा कार्यों से जुड़े काम को पूरा करने के लिए इसकी अवधि 31 दिसंबर 2019 तक बढ़ाई गई है।
परियोजना की मुख्य उपलब्धियां इस प्रकार हैं:-
(।) इसके तहत 10462 लड़के और लड़कियों को रोजगार से जुड़े विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित किया गया।
(ii) 28154 स्वसहायता समूहों और 1212 गांव परिसंघों तथा 1599 सामुदायिक विकास
समूहों के जरिए 2,92,889 परिवारों को परियोजना दायरे में लाया गया।
- परियोजना के तहत बनाए गए स्वसहायता समूहों के 97 प्रतिशत सदस्यों के पास बैंकों
में बचत खाते हैं जिसमें कुल 60.51 करोड़ रूपए जमा हैं
(iv) परियोजना के तहत 28154 स्वसहायता समूहों के लिए 319.15 करोड़ रूपए का
सामुदायिक निवेश कोष बनाया गया है।
- (v) कुल 5535 स्वसहायता समूहों को बैंक से 58.19 करोड़ रूपए का रिण जारी किया
गया है। प्रत्येक स्वसहायता समूह को बैंक से औसतन 1.02 लाख रूपए का कर्ज
जारी किया गया है।
(b): विभिन्न तरह के कौशल प्राप्त करने वाले लोगों का राज्यवार ब्यौरा इस प्रकार है:
राज्य
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प्रशिक्षित लेागों की संख्या
|
मिजोरम
|
1601
|
नागालैंड
|
1438
|
सिक्किम
|
3491
|
त्रिपुरा
|
3932
|
कुल प्रशिक्षित
|
10462
|
6. पूर्वोत्तर हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम लिमिटेड(एनइएचएचडीसी)
- से अपने हस्तशिल्प प्रोत्साहन केन्द्रों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के क्लस्टरों में 30 नए किस्म की हस्तशिल्प और हथकरघा वस्तुएं विकसित की हैं।
- एनइएचएचडीसी ने गुजरात मे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के पास केवडि़या में एकता मॉल मे में एक शो रूप खोला है जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई प्रकार के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद रखे गए है।
- पूर्वोत्तर की हथकरघा और हस्तशिल्प वस्तुओं के विपणन के लिए एनइएचएचडीसी ने जून 2019 में अपना ऑनलाइन पोर्टल शुरु किया था।
- एनइएचएचडीसी हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की आपूर्ति के लिए 35 वेंडर बनाए हैं।.
- एनइएचएचडीसी ने पिछले साल पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनकरों/कारीगरों के लिए कयी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए।
7. पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनइआरएएमएसी)– एनइआरएएमएसी की प्रमुख गतिविधियां ( 1 जनवरी 2019 से 15 दिसंबर 2019 तक) इस प्रकार रहीं:
- अदरख,बड़ी इलायची,पाइनएप्पल ,पेरा आअैर किवी जैसे पूर्वोत्तर के उत्पादों की खरीद और आपूर्ति
- काला चना,हरा चना, केचुएं की खाद, टिशु कल्चर ऑर्चिड,काली मिर्च,टिश्यू कल्ख्चर और बनाना सीडिंग आदि जैसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति की व्यवस्था
- हल्दी पाउडर ,पाइनएप्पल स्कवैश, किवी स्कवैश,किवी जैम, काली मिर्च पाउडर, बडी इलाइची और विशेष किस्म के खरीदे गए काले चावल की खुदरा बिक्री के लिए पैकेजिंग की सुविधा
- एनइआरएएमएसी पूर्वोत्तर क्षेत्र के कृषि और बागवानी उत्पादों का देश भर में प्रचार करने के लिए कई तरह की प्रर्दशनियां,सेमिनार आयोजित करता है और कई ऐसे आयोजनों में हिससा लेता है।
- पूर्वोत्तर के चाक हाओ, ब्लैक चेरी, देकांग,मीठी ककड़ी ,विशेष किस्म के केल दाले मिर्च,ओटांगा,लेटुका,कटहल और सोहियांग जैसे दस प्रमुख उत्पादों के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन किया गया है।
- बाजार से जोड़ने के लिए एमओवीसीडीएनइआर के तहत एफपीओ/एफपीसी के 75 एनओस को तथा पूर्वोत्तर के 16 उद्यमियों को एफएसएसएआई के तहत पंजीकृत करने की व्यवस्था
- किसानों तथा उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था। करीब 600 किसान इससे लाभन्वित हुए हैं।
- जैविक खेती और उत्पादों को वन ऑर्गेनिक नार्थ ईस्ट ब्रांड के तहत प्रोत्साहित करना
8. पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम कार्पोरेशन लिमिटेड:.
- कार्पोरेशन ने 1 जनवरी, 2019 से 16 दिसंबर, 2019 की अवधि के दौरान, निगम ने आंबटन और वितरण की राशि सीमा क्रमशः 315.72 और 281.55 करोड़ रूपए तक बढ़ायी। स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और आतिथ्य, हथकरघा और हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण आदि के विभिन्न क्षेत्रों में माइक्रोफाइनेंस की सुविधा दी गई1 16 दिसंबर, 2019 तक कुल आंबटित वितरित राशि क्रमशः 5285 करोड़ और 4047 करोड़ रूपए रही।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम कार्पोरेशन लिमिटेड और लघु उद्योग विकास बैंक की मदद से एक पूर्वोत्तर वेंचर कोष बनाया है जो पूरी तरह से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए है।
- पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के 71 प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए।
- कार्पोरेशन ने 1000 से ज्यादा प्रतिभागियों के लिए 19 व्यापार बैठकें भी आयोजित कीं जिनमें पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों के प्रतिनिधियों को कार्यक्रम और योजनाओं की जानकारी दी गई।
- कार्पोरेशन ने ट्रासंपोर्ट सब्सिडी योजना, केन्द्रीय पूंजी निवेश सब्सिडी योजना,माल ढुलाई सब्सिडी योजना और केन्द्रीय वृहत बीमा येाजना के तहत सब्सिडी के वितरण को सुगम बनाने का काम किया।विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी वितरण का ब्यौरा इस प्रकार है:
केन्द्र की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी:-
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(करोड़ रूपए में )
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01.01.2019 से 16.12.2019 तक आंबटित
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योजनाएं
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राशि
|
परिवहन सब्सिडी
|
529.34
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केन्द्रीय पूंजी निवेश सब्सिडी
|
499.67
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केन्द्रीय ब्याज सब्सिडी
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18.12
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केन्द्रीय वृहत बीमा योजना सब्सिडी
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18.45
|
माल भाड़ा सब्सिडी
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90.63
|
कुल
|
1156.21
|
- पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम ने अपनी कार्पोरेट सामाजिक दायित्व पहल के तहत 691 एनओज को क्षमता विकास में प्रशिक्षण के जरिए मदद की है। इसके लिए 25 प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए।
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(आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एमएस/–5028
(Release ID: 1598017)
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