वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
सुरेश प्रभु ने लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र के राजनयिकों को संबोधित किया
Posted On:
28 FEB 2019 1:26PM by PIB Delhi

श्री सुरेश प्रभु नई दिल्ली में भारत-लैटिन अमेरिका और कैरेबियन रणनीतिक आर्थिक सहयोग बैठक को संबोधित करते हुए
केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने भारत-लैटिन अमेरिका और कैरेबियन रणनीतिक आर्थिक सहयोग पर चर्चा के दौरान कल यहां लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र (एलएसी) के राजनयिकों को संबोधित किया। श्री प्रभु ने इस अवसर पर क्षेत्र के देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बहु-आयामी रणनीति की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मूल्यवर्धन श्रृंखला (वैल्यू चेन) के जरिए भारत और एलएसी देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को मजबूत बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों से व्यापार के तौर-तरीके में व्यापक बदलाव आया है। विभिन्न चरणों में व्यापारिक गतिविधियों में मूल्यवर्धन अलग-अलग देशों में केन्द्रित हो चुका है। एलएसी और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की कोई भी रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि विभिन्न विनिर्माण और सेवा क्षेत्र से जुड़ी मूल्यवर्धन श्रृंखलाओं को आपस में कितने प्रभावी तरीके से जोड़ा जा सकता है।
श्री प्रभु ने कहा कि एलएसी और भारत के बीच कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को और मजबूत बनाने की काफी अवसर हैं। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है जिसकी वजह से उसकी खाद्यान्न और ऊर्जा जरूरतें भी तेजी से बढ़ रहे है। ऐसे में एलएसी क्षेत्र के सहयोगी देशों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध दोनों पक्षों के लिए लाभकारी साबित होंगे।
उद्योग मंत्री ने कहा कि एलएसी क्षेत्र के कई देश कृषि उत्पादन का बड़ा केन्द्र है और उनके पास निर्यात के लिए अतिरिक्त कृषि उत्पाद उपलब्ध है। उन्होंने कहा यहीं वजह है कि इस क्षेत्र को ग्लोबल ब्रेड बास्केट कहा जाता है। श्री प्रभु ने कहा कि भारतीय कम्पनियां एलएसी क्षेत्र के देशों के साथ दाल-दलहन और खाद्यान्नों की खेती के लिए संयुक्त उपक्रम लगा सकती है। भारतीय कम्पनियां कृषि उत्पादों की बर्बादी रोकने के लिए भंडारण क्षेत्र में भी निवेश कर सकते है। डेयरी फार्मिंग ,बीजों आर दलहनो की खेती के क्षेत्र में भी भारतीय कंपनियां बेहतर तौर तरीको को साझा कर सकती हैं और मिलकर अनुसंधान कार्य कर सकती हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि फार्मा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के कारण भारत से एलएसी देशों को होने वाले निर्यात में दवाओं का बड़ा स्थान है। एलएसी के आयात में भारत से निर्यात होने वाली दवाइयों का हिस्सा तीन प्रतिशत से ज्यादा है। भारत की कुछ फार्मा कंपनियों ने एलएसी में अपनी उत्पादन इकाइयां भी स्थापित कर रखी हैं। स्थानीय क्षेत्रो में दवाओं की आपूर्ति के अलावा यह कंपनियां क्षेत्र से बाहर अमेरिका और अन्य देशों को भी दवाओं का निर्यात करती हैं। इससे एलएसी में कम लागत वाली स्वास्थ्य सेवाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। इन क्षेत्रों से अन्य देशों को जेररिक दवाओं का निर्यात बढ़ रहा है।
श्री प्रभु ने कहा कि सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमता और ताकत के कारण भारतीय आईटी कंपनियां एलएसी क्षेत्र में भी संयुक्त उपक्रम लगा रही है। इन संयुक्त उपक्रमों के जरिए उत्तरी अमेरिका के उपभोक्ता कम्पनियों को उनके टाईम जोन से 12 घंटे की सेवाएं दी जा रही है और बाकी के 12 घंटे की सेवाएं भारतीय समय के अनुसार दी जा रही है।
उद्योग सचिव डॉ. अनूप वाधवन ने कहा कि एलएसी भारत का प्रमुख आर्थिक साझेदार है। दोनों के बीच हाल के वर्षों में व्यापार में काफी वृद्धि हुई है। दोनों पक्षों के बीच सेवा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की भी प्रचुर संभावनाएं है।
एलएसी क्षेत्र में 43 देश शामिल हैं। इनमें ब्राजील, अर्जेटीना, पेरु, चिली, कोलम्बिया, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, वेनेजुएला, पनामा और क्यूबा भारत के महत्वपूर्ण आर्थिक और व्यापारिक साझेदार है।
2014-15 के दौरान भारत और एलएसी देशों के बीच कुल 38.48 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जो कि 2015-16 में 25.22 अरब डॉलर और 2016-17 में 24.52 अरब डॉलर रहा। कच्चे तेल की कीमतों में बड़े पैमाने पर हुए उतार-चढ़ाव के कारण द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ा।
****
आर.के.मीणा/एएम/एमएस/डीके-603
(Release ID: 1566625)
Visitor Counter : 215