पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
Posted On:
21 DEC 2018 1:19PM by PIB Delhi
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के पास मौसम, जलवायु, समुद्र और तटीय राज्य, जल विज्ञान, भूकम्प विज्ञान और प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराना; टिकाऊ तौर पर समुद्र के जीवित और गैर जीवित संसाधनों की खोज और तीन ध्रुवीय क्षेत्रों (आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय) में खोज का अधिकार है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बीते चार साल के दौरान और विशेष रूप से वर्ष 2018 में कई योजनाओं के अंतर्गत कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। इन उपलब्धियों में विविध सेवाएं शामिल हैं, जो समाज के लिए खासी उपयोगी हैं। कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
उच्च निष्पादन गणना प्रणाली (एचपीसी)
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अपनी एचपीसी सुविधा को बढ़ाकर 6.8 पेटा फ्लॉप्स (पीएफ) तक कर लिया है, जिसके लिए भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे में 4.0 पेटा फ्लॉप्स क्षमता की और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), नोएडा में 2.8 पेटा फ्लॉप्स क्षमता की दो इकाइयां लगाई गईं। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आईआईटीएम में एचपीसी सुविधा ‘प्रत्युष’ और एनसीएमआरडब्ल्यूएफ में ‘मिहिर’ को क्रमशः 8 जनवरी, 2018 और 30 जनवरी, 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया। इस सुविधा से मौसम पूर्वानुमान में व्यापक सुधार देखने को मिला।
दुनिया में एचपीसी इकाइयों की टॉप 500 लिस्ट में भारत की रैंक 368वें पायदान से सुधरकर शीर्ष 30 के अंदर आ गई। वर्तमान में भारत मौसम/जयवायु के लिए समर्पित एचपीसी संसाधनों के मामले में जापान, ब्रिटेन और अमेरिका के बाद चौथे पायदान पर है।
यह इकाई मंत्रालय की विभिन्न परिचालन और शोध एवं विकास गतिविधियों के माध्यम से भारत के नागरिकों को विश्व स्तरीय अनुमान सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने चक्रवात, बाढ़/सूखा, लू/सर्द हवाओं, भूकम्प, सुनामी आदि से नुकसान के जोखिम को कम करने के लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को सेवाएं देकर समाज को लाभ पहुंचाने के लिए कई सेवाएं विकसित की हैं।
मौसम और चक्रवात अनुमानों में सुधार
एमओईएस द्वारा 1 जून, 2018 को बेहद ज्यादा रिजॉल्यूशन (12 किलोमीटर) वाले विशेष प्रकार के ग्लोबल एनसेंबिल प्रिडक्शन सिस्टम (ईपीएस) की स्थापना की गई थी। दुनिया भर में सक्रिय सभी मौसम अनुमान केंद्रों में ईपीएस का यह रिजॉल्यूशन (12 किलोमीटर) सबसे ज्यादा है। एनसेंबिल से मौजूदा मॉडलों की तुलना में मौसम अनुमान की सटीकता में वृद्धि होती है।
बीते चार साल के दौरान मंत्रालय द्वारा दी जाने वाली मौसम सेवाओं की गुणत्ता में पर्याप्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। विशेष रूप से भारी बारिश और उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के अनुमान के कौशल में खासा सुधार हुआ।
2014-17 के दौरान 24, 48 और 72 घंटों की अवधि के लिए अनुमान में खामियां क्रमशः 89. 142 और 207 किलोमीटर रही, जबकि 2007-13 के दौरान यह आंकड़ा 125, 202 और 268 किलोमीटर रहा था। 2007-13 की तुलना में 2014-17 के दौरान 24, 48 और 72 घंटों के लिए अनुमान में खामी में क्रमशः 29, 30 और 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
2018 के दौरान उत्तर भारतीय समुद्र (एनआईओ) के ऊपर 6 उष्ण कटिबंधीय चक्रवाद बने, जबकि सामान्य तौर पर यह आंकड़ा 4.5 चक्रवात का रहा है। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अरब सागर के ऊपर चक्रवात सागर (16 मई- 21 मई), अरब सागर पर बेहद गंभीर चक्रवात मेकूनू (21 मई-27 मई, वीएससीएस लुबान (06-15 अक्टूबर) और वीएससीएस तितली (8-13 अक्टूबर) के दौरान आईएमडी द्वारा दी गई उष्ण कटिबंधीय चक्रवात परामर्श सेवाओं की सराहना की, जिससे कई जिंदगियां बचाने और उनके असर को कम करने में मिली।
आईएमडी और बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने जमीन की माप की तुलना के लए एक मुंबई वेदर लिव मोबाइल ऐप विकसित कया है, जिससे बारिश से संबंधित सटीक जानकारी मुहैया कराई जा सके। वर्तमान में यह ऐप मुंबई शहर, उपनगरीय क्षेत्रों, नवी मुंबई और आसपास के इलाकों के 100 स्थानों को कवर करता है।
कृषि-मौसम परामर्श सेवा (एएएस)
मंत्रालय किसानों के हित के लिए भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के साथ मिलकर जिला स्तर पर कृषि मौसम परामर्श सेवाएं (एएएस) उपलब्ध कराता है। किसान बुआई, सिंचाई, उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल, फसल की कटाई और मौसम संबंधी आपदाओं से सुरक्षा जैसे कार्यों के लिए इन सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान में लगभग 4 करोड़ किसानों को उनकी भाषाओं में फसल केंद्रित कृषि मौसम परामर्श मिलते हैं। मॉनसून 2018 के दौरान देश भर के 50 जिलों के 200 विकासखंडों में विकासखंड स्तर पर प्रयौग के तौर पर मौजूदा एएमएफयू से कृषि मौसम परामर्श सेवाएं शुरू की गई हैं।
गतिविधि
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2014 में स्थिति
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2018 में स्थिति
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कृषि मौसम परामर्श सेवाएं
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लगभग 70 लाख किसानों को अपनी स्थानीय भाषा में एएएस मिल रहे थे
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लगभग 4 करोड़ किसानों को उनकी स्थानीय भाषा में एएएस मिल रहे हैं
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विद्युत क्षेत्र को सेवाएं
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और पोसोको (पीओएसओसीओ) ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए समर्पित एक वेब पोर्टल शुरू किया है। केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर. के. सिंह ने 29 अगस्त, 2018 को ऊर्जा क्षेत्र पर केंद्रित मौसम पोर्टल पर एक संदर्भ दस्तावेज जारी किया था। चूंकि मौसम में बदलाव के कारण बिजली की खपत में बदलाव होता रहता है, इसलिए तापमान, वायु और बारिश सहित पूरे मौसम के अनुमान से बिजली के उत्पादन और वितरण सहित बेहतर लोड अनुमान में मदद मिली।
संभावित मत्स्य क्षेत्र (पीएफजेड) परामर्श
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (आईएनसीओआईएस) अपनी प्रमुख संभावित मत्स्य क्षेत्र (पीएफजेड) परामर्श सेवा को जारी रखा है, जिसमें क्षेत्रों में मछली की उपलब्धता के बारे में बताना शामिल है। पीएफजेड परामर्श से समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) और समुद्रा का रंग सहित पानी की स्पष्टता और समुद्र का स्तर जैसे कई पर्यावरण मानकों पर सैटेलाइट डाटा पर आधारित परामर्श जारी होता है। 2018 के दौरान इनके उपयोगकर्ताओं में खासी वृद्धि दर्ज की गई।
सैटेलाइट डाटा के आधार पर परामर्श रोजाना जारी किए जा रहे हैं। हालांकि मछली पकड़ने के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों के लिए और समुद्र में विपरीत हालात के दौरान ऐसा नहीं किया जाता है। 1 जनवरी-25 अक्टूबर, 2018 के दौरान 225 दिनों तक बहुभाषीय पीएफजेड परामर्श उपलब्ध रहे थे। इसके अलावा वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान आईएनसीओआईएस ने 220 तुना परामर्श भी उपलब्ध कराए, जिनमें अधिकतम गहराई पर मछली से जुड़ी जानकारियां शामिल थीं।
पानी का विलवणीकरण
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने 22.10.2018 को कवरत्ती, लक्षद्वीप में दुनिया की पहली समुद्री तापीय ऊर्जा संरक्षण (ओटीईसी) चालित विलवणीकरण परियोजना की आधारशिला रखी।
ओटीईसी समुद्र की गहराई में मौजूद थर्मल ग्रेडिएंट के इस्तेमाल से बनने वाली नवीकरणीय ऊर्जा का एक रूप है। लक्षद्वीप में स्थित मौजूदा विलवणीकरण संयंत्र डीजल चालित जनरेटरों से चलता है। प्रस्तावित संयंत्र में ओटीईसी द्वारा विद्युत लवणीकरण के लिए उपलब्ध कराई गई स्वच्छ और हरित ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा और इस संयंत्र की स्थापना कवरत्ती में की जाएगी। इससे न सिर्फ ज्यादा पर्यावरण अनुकूल आत्म-निर्भर विलवणीकरण संयंत्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि ओटीईसी प्रौद्योगिकी के दूसरे जगहों पर इस्तेमाल में भी मदद मिलेगी।
एनआईओटी ने संघ शासित क्षेत्र लक्षद्वीप के अमिनी, एंड्रोट, शेतलत, कदामत, कल्पेनी और किल्टन द्वीपों में 187.87 करोड़ रुपए की लागत से 1.5 लाख लीटर प्रति दिन की क्षमता के एलटीटीडी संयंत्रों की स्थापना का काम अपने हाथ में लिया। यह परियोजना 2 साल की है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन कवरत्ती में शिलान्यास समारोह के दौरान लक्षद्वीप के प्रशासक के साथ।
द्वीपीय समुद्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने 15 सितंबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में अटल द्वीपीय समुद्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र का शुभारम्भ किया। इसकी गतिविधियों में मुख्य रूप से समुद्री मछलियों के लिए ऑफशोर ओपन सी केज कल्चर विकसित करना, एक्टिनो बैक्टीरिया से बायोएक्टिव कम्पाउंड्स का उत्पादन, समुद्री जल की गुणवत्ता की निगरानी आदि शामिल हैं।
समुद्र तटीय अनुसंधान
मुहानों, खाड़ी (लैगून), मैंग्रोव, मडफ्लैट्स, पथरीले किनारों, प्रवाल भित्तियों जैसी समुद्र तटीय विविधतापूर्ण और उत्पादक पारिस्थितिकी को मान्यता देते हुए एमओईएस ने चेन्नई स्थिति मौजूदा केंद्र का अप्रैल, 2018 में तटीय अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र के रूप में पुनर्गठन किया। मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय राष्ट्रीय जलवायु अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर) को देश की सामाजिक जरूरतों को पूरा करने का अधिकार दिया गया है। एनसीसीआर समुद्र तटीय राज्यों के सहयोग से नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों के संरक्षण और उनके टिकाऊ प्रबंधन के लिए तटीय राज्यों को वैज्ञानिक और तकनीक सहयोग उपलब्ध कराएगा। इससे गंभीर समुद्र तटीय समसयाओं के समाधन के लिए मजबूत संस्थागत और वैज्ञानिक सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा और राष्ट्र निर्माण में सहायता दी जाएगी।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने डॉल्फिन हिल, विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश में 2 नवंबर, 2018 को राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर) और एनसीसीआर व भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की संयक्त प्रशिक्षण इकाई की आधारशिला रखी।
समुद्री जल गुणवत्ता निगरानी (एसडब्ल्यूक्यूएम) कार्यक्रम के अंतर्गत एनसीसीआर ने समुद्री जल की भौतिक रासायनिक, जैविक और सूक्ष्म जैविक सहित लगभग 25 मानकों पर सीजनल डाटा संग्रहित किया है। 0.5 किलोमीटर (किनारे), 2/3 किलोमीटर (किनारे के पास) और 5 किलोमीटर (तट से दूर) पर पानी (सतह, मध्यम गहराई और निचली सतह) और तलछट के नमूने लिए जा रहे हैं। एसडब्ल्यूक्यूएम कार्यक्रम के अंतर्गत लिए गए डाटा पर बनी एक स्थिति रिपोर्ट “भारतीय तट से लगे चुनिंदा स्थानों पर समुद्री जल की गुणवत्ता” को 27 जुलाई, 2018 को एमओईएस के स्थापना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में जारी किया गया था।
विभिन्न मानवजनित और प्राकृतिक घटनाओं भारत की तट रेखा में बदलाव हो रहे हैं। तटीय क्षेत्रों पर जनसंख्या विस्फोट से तटीय संसाधनों की मांग तेजी से बढ़ी है। तटीय कटाव, नदियों/लैगून/खाड़ियों के मुंह आदि बंद होने जैसी विभिन्न तटीय समस्याओं के समाधान के लिए तटरेखा पर होने वाले बदलावों से जुड़ी सूचनाओं को एकत्र करना खासा अहम है। एनसीसीआर ने 26 साल (1990 से 2016 के लिए) की अवधि में तटरेखा पर हुए बदलावों पर एक स्थिति रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट तटीय क्षेत्रों की संपत्ति और जनसंख्या की रक्षा में तटीय प्रबंधन के लिए प्रमुख क्षेत्र की पहचान में तटीय प्रबंधकों और अन्य पक्षधारकों के लिए काफी उपयोगी होगी।
महानगरीय वायु गुणवत्ता और मौसम सेवाएं
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने दिल्ली के सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्थानों में से एक चांदनी चौक में टाउन हाल के निकट वहां के नागरिकों के फायदे के लिए एक वायु गुणवत्ता और पूर्वानुमान स्टेशन का शुभारम्भ किया, जिससे पीएम1, एचजी और यूवी रेडियो विकिरण के साथ ही नियमित वायु प्रदूषकों और मौसम के मानकों की निगरानी की जाएगी।
दिल्ली के लिए वायु गुणवतता की पूर्व प्रणाली चेतावनीः नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (एनसीएआर), अमेरिका की मदद से दिल्ली में विकसित एक नई पूर्व चेतावनी प्रणाली का शुभारम्भ 15 अक्टूबर, 2018 को किया गया था। इस प्रणाली के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण (सीपीसीबी) और वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) द्वारा चलाए जा रहे 36 निगरानी केन्द्रों से डाटा संग्रहित किया जाएगा। उपग्रहों से उत्तर-पश्चिम भारत में खेंतों में आग लगाने (पराली जलाने या ठूंठ जलाने) या धूल भरी आंधी की सूचना मिलने से गतिशील रसायन परिवहन मॉडल में शुरुआती सुधार में मदद मिलेगी, जिससे वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान देने में मदद मिलेगी। हाल में विकसित इस प्रणाली से अग्रिम तौर पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को लागू किया जाएगा।
चेन्नई बाढ़ राहत
राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन एरिया के तटीय बाढ़ चेतावनी प्रणाली से जुड़े क्षेत्र को तकनीक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए चेन्नई और राजस्व प्रशासन, आपदा प्रबंधन और शमन विभाग केसाथ एक समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे चरणबद्ध तरीके से आगे नए सीएमए क्षेत्र तक बढ़ाया जाएगा।
एनसीसीआर ने ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन (जीसीसी) के लिए चेन्नई बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली (जी-फ्लोज) विकसित की है। इस प्रणाली की डिजाइन में क्षेत्रीय मौसम अनुमान मॉडल, ज्वार पूर्वानुमान मॉडल, ज्वार बाढ़ मॉडल के साथ ही बाढ़ पूर्वानुमान मॉडल और बाढ़ मॉडल शामिल हैं। विशेषज्ञ प्रणाली के तौर पर इसकी प्रकृति बहु-अनुशासनात्मक, बहु संस्थानिक और संगठनात्मक है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटीएम), अन्ना विश्वविद्यालय, ईएसएसओ-राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) और ईएसएसओ-भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की भागीदारी के साथ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आईआईटीबी) इसमें अग्रणी संस्थान है। यह प्रणाली एक घंटे के भीतर (रियल टाइम) बाढ़ स्तर, वार्ड स्तर पर और मौसम अनुमान मिलने के 30 मिनट के भीतर (विशेषज्ञ प्रणाली) सूचनाएं उपलब्ध कराएगी। हर 6 घंटे के लिए निश्चित पूर्वानुमान और 24 घंटे के लिए मात्रात्मक पूर्वानुमान उपलब्ध कराए जाएंगे।
सी-फ्लोज का पूर्वोत्तर मानसून 2018 के लिए परीक्षण किया जाएगा और एक डैशबोर्ड और मोबाइल एप्लीकेशन के विकास के माध्यम से वैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराए जाएंगे।
तटीय इंजीनियरिंग
· पुडुचेरी में तटीय संरक्षण के लिए समुद्र तट के सुधार के साथ चट्टानों की डिजाइनः
उत्तरी छोर पर समुद्र तट की 60 मीटर की चौड़ाई बढ़ाने के लिए पानी में एक स्टील के वेज को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। यह त्रिकोण के आकार का 800 टन का एक स्टील का वेज है, जिसका आकार 50 मीटर x 60 मीटर x2.5 मीटर है। इसे बीच रिस्टोरेशन परियोजना के तहत 23 अगस्त, 2018 को पुडुचेरी के तट पर 2.5 मीटर की गहराई पर लगाया गया है। इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।
पुडुचेरी बीच रिस्टोरेशन पर 11 अक्टूबर, 2018 को पुडुचेरी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। पुडुचेरी की राज्यपाल डॉ. किरण बेदी (सेवानिवृत्त) ने वीडियो के माध्यम से पुडुचेरी बीच रिस्टोरेशन परियोजना का का अनावरण किया और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री श्री वी. नारायणसामी ने परियोजना का ब्राउशर जारी किया। इस परियोजना के अंतर्गत हुए कार्यों की पुडुचेरी सरकार, मीडिया और जनता ने खासी सराहना की।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी)
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अप्रैल, 2018 में उद्योग को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
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· एनआईओटी ने एनआरडीसी के माध्यम से रोबो कोस्टल ऑब्जर्वर से सीटी कंट्रोल टेक्नोलॉजी को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण (टीओटी) के लिए 27 अप्रैल, 2018 को हैदराबाद में एक समझौता किया। इस दौरान एमओईएस सचिव भी मौजूद रहे।
· एनआईओटी ने दूर से चलाए जाने वाले वाहनों की प्रौद्योगिकी को एलएंडटी हैवी इंडस्ट्रीज को एनआरडीसी के माध्यम से हस्तांतरित (टीओटी) करने के लिए 27 अप्रैल, 2018 को हैदराबाद में समझौता किया। इस दौरान एमओईएस सचिव भी मौजूद रहे।
· पेटेंट सुरक्षित ट्रांसड्यूसर (पेटेंट संख्या 278301) का भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किया गया और यह फिलहाल उत्पादन के चरण में है।
· एनआईओटी ने ओसीन ड्रिफ्टर और एक्सपैंडेबल सीटीडी को भारतीय कंपनियों-एम/एस नॉरिनको, मुंबई, एम/एस एस्ट्रा माइक्रोवेव, हैदराबाद और एम/एस एजिस्टा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए 31.08.2018 को एक समझौता किया। इस अवसर पर एमओईएस सचिव भी मौजूद रहे।
चयनित शहरों का माइक्रोजोनेशन:
भू भौतिकीय जांच से संबंधित भूकम्प माइक्रो जोनेशन कार्य चार शहरों चेन्नई, भुवनेश्वर, कोयम्बटूर और मंगलोर में शुरू किया गया। इसके अलावा 8 अन्य शहरों में माइक्रोजोनेशन कार्य को अहम माना जा रहा है, जिसे प्राथमिकता दी जा रही है। इस सूची में पटना, मेरठ, अमृतसर, आगरा, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और धनबाद शामिल हैं।
मंत्रालय ने राष्ट्र को सर्वश्रेष्ठ सेवाएं देने के लिए और सुधार के लिए जरूरी क्षेत्रों की पहचान भी की है और रणनीति बनाई है।
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आरकेमीणा/एएम/एमपी
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