Posted On:
19 DEC 2018 3:13PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में सार्वभौमिक स्वच्छता व्याप्ति प्राप्त करने के प्रयासों को तेज करने और भारत में सुरक्षित स्वच्छता तक पहुंच को प्रोत्साहित करने के लिए 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की शुरुआत की थी। एसबीएम का उद्देश्य 2 अक्टूबर 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने के लक्ष्य को प्राप्त करना है जो कि 150वें जन्म वर्ष पर महात्मा गांधी को उचित श्रद्धांजलि होगी। स्वच्छ भारत मिशन ओडीएफ के नतीजों की प्राप्ति के लिए व्यवहार परिवर्तन को प्राथमिक और बुनियादी उपकरण के तौर पर पहचानता है।
नतीजतन 2014 में एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय जो ग्रामीण स्वच्छता दायरा 38.7 प्रतिशत तक था वो बहुत महत्वपूर्ण ढंग से बढ़कर 5 दिसंबर 2018 तक 96.88 प्रतिशत हो गया है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पर एक नजर :
- 8.95 करोड़ निजी घरेलू शौचालयों (आईएचएचएल) का निर्माण, 2 अक्टूबर 2014 से अब तक
- 58.18 प्रतिशत बढ़ोतरी स्वच्छता दायरे में, 2 अक्टूबर 2014 से अब तक
- 534 जिले खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हुए
- 4470 ओडीएफ गांव नमामि गंगे में
- 25 ओडीएफ राज्य / केंद्रशासित प्रदेश
- 5,33,911 ओडीएफ गांव
स्वच्छ भारत को सभी का कार्य बनाना
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के आवंटित कार्यभार के अलावा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय सभी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत की उपलब्धि हासिल करने की दिशा में सभी गतिविधियों और पहलों में समन्वय करता है और उन्हें आयोजित करता है। इस सिलसिले में मंत्रालय बाकी सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों, धार्मिक संगठनों, मीडिया और अन्य साझेदारों के साथ मिलकर लगातार काम करता है। ये रवैया माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बजाए गए बिगुल पर आधारित है कि स्वच्छता को सिर्फ स्वच्छता विभागों का ही नहीं बल्कि सभी का कार्य बनाना है। इस संबंध में कई मंत्रालयों द्वारा जो विभिन्न विशेष पहल और परियोजनाएं शुरू की गई हैं उनका समन्वय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा किया जाता है, वो इस प्रकार हैं :
स्वच्छता पखवाड़ा
अप्रैल 2016 में शुरू किया गया स्वच्छता पखवाड़ा माननीय प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण से प्रेरित है जिसमें स्वच्छता से जुड़ी गतिविधियों में सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को जोड़ना शामिल है। इन पखवाड़ों में स्वच्छता के मसलों और अभ्यासों पर गहन ध्यान केंद्रित किया जाता है। मंत्रालयों में एक वार्षिक कैलेंडर पूर्व वितरित किया जाता है ताकि वहां पखवाड़े से जुड़ी गतिविधियों की योजना बनाई जा सके। 2018 में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा साल 2016 और 2017 के लिए स्वच्छता पखवाड़ा वार्षिक पुस्तकें जारी की गईं।
नमामि गंगे
नमामि गंगे कार्यक्रम जल संसाधन मंत्रालय की एक पहल है। एक अंतर्मंत्रालयिक पहल के तौर पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा गंगा नदी के तट पर बने गावों को खुले में शौच से मुक्त करने और ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) करने में हस्तक्षेपों को लागू किया जा रहा है।
राज्य सरकारों की सक्रिय मदद से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 52 जिलों में चिन्हित किए 4470 गांवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है। अब मंत्रालय ने गंगा नदी के तट पर बने 25 गांवों को चुना है ताकि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के साथ मिलकर गंगा ग्रामों का कायापलट किया जा सके। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने गंगा तट वाले गांवों में राजस्व भूमि पर पौधारोपण और संबंधित प्रारंभिक गतिविधियों के लिए पांच गंगा राज्यों को 67 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। वर्ष 2018 में गंगा ग्राम स्वच्छता संकल्प के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने चार गंगा राज्यों में 5 गंगा ग्राम स्वच्छता सम्मेलन आयोजित किए।
स्वच्छता कार्य योजना (एसएपी)
स्वच्छता के लिए अपनी तरह के पहले अंतर्मंत्रालयिक कार्यक्रम ‘स्वच्छता कार्य योजना’ का नेतृत्व सभी केंद्रीय मंत्रालय कर रहे हैं ताकि स्वच्छता से जुड़ी गतिविधियों की वार्षिक योजना और कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। सभी केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों ने उपयुक्त बजट प्रावधानों के साथ महत्वपूर्ण ढंग से इसे साकार करने का काम शुरू कर दिया है। एक अलग बजट मद 96 वित्त मंत्रालय ने इसके लिए तैयार की है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 74 मंत्रालयों / विभागों ने अपने एसएपी के लिए 18,154.82 करोड़ रुपये की निधि की प्रतिबद्धता की। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 72 मंत्रालयों / विभागों ने 17,077.81 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता की है।
स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थल (एसआईपी)
माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने देश भर में 100 ऐसे स्थलों में स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक बहु-हितधारक पहल आरंभ की है जो अपनी विरासत, धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व की वजह से 'प्रतिष्ठित' स्थल हैं।
इस पहल का लक्ष्य इन जगहों पर स्वच्छता की स्थितियों को सुधारकर स्पष्टतः ऊंचे स्तर पर ले जाना है। ये पहल आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय और पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय की भागीदारी में हुई है जिसमें पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय केंद्रीय मंत्रालय के तौर पर शामिल है। पहले तीन चरणों में इसमें 30 प्रतिष्ठित स्थलों की पहचान कर ली गई है। इनमें से ज्यादातर स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थलों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉरपोरेट से भी वित्तीय और तकनीकी सहयोग मिला है।
सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह अभियान (3-10 अप्रैल, 2018)
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने बिहार सरकार के साथ मिलकर 3 से 10 अप्रैल 2018 के दौरान बिहार में एक हफ्ते लंबा 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' अभियान आयोजित किया। इसका समापन 10 अप्रैल 2018 को पूर्वी चंपारण में हुआ जहां 20,000 से ज्यादा स्वच्छाग्रही बिहार को 'सक्रिय' करने के लिए साथ जुटे। समापन कार्यक्रम को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया। बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, माननीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती और अन्य केंद्रीय व राज्य मंत्री, सांसद, विधायक भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने 10 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्वच्छाग्रहियों को पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मानित किया।
गोबर धन योजना
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने हरियाणा के करनाल में 30 अप्रैल 2018 को 'गैल्वेनाइज़िंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स धन' यानी 'गोबर धन' योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य जहां गांवों को स्वच्छ रखना है, वहीं मवेशियों के गोबर और अन्य जैविक संसाधनों को बायोगैस और जैविक खाद में तब्दील करने के लिए स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहित करते हुए किसानों और मवेशी मालिकों की आय को बढ़ाना है।
स्वच्छ भारत समर इंटर्नशिप 2018
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और युवा कार्यक्रम व खेल मंत्रालय के साथ मिलकर 'स्वच्छ भारत समर इंटर्नशिप (एसबीएसआई) 2018' की शुरुआत की जिसका मकसद गर्मियों की छुट्टियों के दौरान गांवों में स्वच्छता से जुड़े कार्यों से कॉलेज को छात्रों और नेहरु युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के युवाओं को जोड़ना है।
एसबीएसआई ने देश भर में लाखों शिक्षित युवाओं को जोड़ा है, स्वच्छता क्षेत्र के लिए उनके कौशल व उन्मुखता को विकसित करने में मदद की है और स्वच्छ भारत मिशन के जन जागरूकता वाले पहलू को ज्यादा बढ़ाया है। इस इंटर्नशिप के हिस्से के तौर पर आवेदकों को करीब के गांवों में या उनके आसपास श्रमदान, स्वच्छता ढांचे का निर्माण, व्यवस्था निर्माण, व्यवहार परिवर्तन अभियान और अन्य सूचना शिक्षा संचार (आईईसी) पहलों समेत स्वच्छता से जुड़ी गतिविधियों के लिए 100 घंटे का काम करना था। एसबीएसआई 2018 के लिए 3.8 लाख छात्रों ने पंजीकरण करवाया।
स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस), (15 सितंबर 2018 से 2 अक्टूबर 2018)
माननीय प्रधानमंत्री ने 15 सितंबर 2018 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस वार्ता के माध्यम से 17 जगहों पर स्वच्छता ही सेवा अभियान का दूसरा संस्करण शुरू किया ताकि 2 अक्टूबर 2018 तक लोगों के आंदोलन को फिर से तेज किया जा सके। इस अभियान को शुरू करने के बाद श्री अमिताभ बच्चन, श्री रतन टाटा, सद्गुरु, श्री श्री रविशंकर, माता अमृतानंदमयी और अन्य गणमान्य लोगों द्वारा श्रमदान गतिविधियां की गईं। इस अभियान ने स्वच्छता के लिए 'जन-आंदोलन' को फिर से प्रज्ज्वलित करते हुए 15 सितंबर 2018 से 2 अक्टूबर 2018 के बीच लोगों को संगठित किया। केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, भारत के जाने-माने सेलेब्रिटी लोगों, सितारा खिलाड़ियों, धर्म गुरुओं, कॉरपोरेटों आदि ने स्वच्छता की ओर इस अभियान में हिस्सा लिया और अन्य लोगों से भी जुड़ने के लिए अपील की।
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन (एमजीआईएससी) (29 सितंबर से 2 अक्टूबर 2018)
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन (एमजीआईएससी) स्वच्छता मंत्रियों और दुनिया भर में इस क्षेत्र के विशेषज्ञ लोगों को साथ लाया। 67 देशों के लगभग 200 प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया जिसका उद्घाटन नई दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र में 29 सितंबर 2018 को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा किया गया। स्वच्छ भारत मिशन के अनुभवों से मिले सबक के अलावा यहां हिस्सा लेने वाले देशों ने स्वच्छता की सफल कहानियों और सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को साझा किया। चार दिन के इस सम्मेलन में क्षेत्र दौरा, पूर्ण सत्र, समानांतर तकनीकी सत्र और मंत्रिस्तरीय संवाद शामिल थे। स्वच्छता से जुड़े नवाचारों की एक समानांतर प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। महात्मा गांधी के 150वें जन्म वर्ष के जलसे की शुरुआत के साथ 2 अक्टूबर 2018 को महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन का समापन हुआ और इसी दौरान स्वच्छ भारत मिशन ने भी अपने कार्यान्वयन के पांचवें और आखिरी वर्ष में प्रवेश किया। भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने इस सम्मेलन के मंच से 2 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को संबोधित किया।
स्वजल
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने नीति आयोग द्वारा पहचाने गए 117 आकांक्षी जिलों के लिए 'स्वजल' की शुरुआत की जो एक समुदाय मांग द्वारा संचालित, विकेंद्रीकृत, एकल गांव वाला, जहां वरीयता के आधार पर सौर ऊर्जा लगी हो, छोटा पाइप जल आपूर्ति (पीडब्ल्यूएस) कार्यक्रम है। इस योजना के निष्पादन, संचालन और रख-रखाव के लिए ग्रामीण समुदायों और राज्य क्षेत्रीय एजेंसियों के साथ भागीदारी में ग्राम पंचायतों को शामिल किया जाएगा। ये कार्यक्रम भी ओडीएफ दर्जे को बरकरार रखेगा।
कार्यान्वयन के अत्याधुनिक स्तर पर लगे जिला स्तर के अधिकारियों में क्षमता निर्माण करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा 'प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण' (टीओटी) कार्यक्रम आयोजित करवाए गए। सितंबर से नवंबर तक के तीन महीनों की अवधि के दौरान भोपाल, पुणे, रांची, रायपुर और गुवाहाटी इन पांच जगहों पर टीओटी कार्यक्रम पूरे किए गए।
उत्तराखंड के नैनीताल में 30 नवंबर 2018 को हुई एक राष्ट्रीय कार्यशाला में स्वजल के प्रमुख पहलुओं को कवर करने वाले एक विशेष टीओटी ढांचे और इस कार्यक्रम की निगरानी रखने के लिए एक अलग एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) को शुरू किया गया।
उप-राष्ट्रपति महोदय ने 27 सितंबर 2018 को झारखंड में इस योजना की आधारशिला रखी और पहली योजना का उद्घाटन झारखंड के हज़ारीबाग़ में 19 नवंबर 2018 को विश्व शौचालय दिवस पर किया गया।
आरकेमीणा/एएम/जीबी