Posted On:
12 DEC 2018 10:59AM by PIB Delhi
ऊर्जा आर्थिक विकास का एक मुख्य चालक है और सरकार का ध्यान ऊर्जा न्याय और जलवायु न्याय जैसे दो उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत के ऊर्जा क्षेत्र मे एक गुणात्मक परिवर्तन लाना है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस क्षेत्र में "सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन" यानि रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म लाने का प्रयास किया है। सरकार ने अन्वेषण और उत्पादन, रिफाइनरी, विपणन, प्राकृतिक गैस और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों में दूरगामी प्रभावों को लाने के लिए कई सुधारों और कार्यों को पूरा किया है।
1. अन्वेषण और उत्पादन
पिछले एक साल में देश में अन्वेषण और उत्पादन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई नई पहल की शुरूआत की गई है। पेट्रोलियम और हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नीति सुधारों की एक श्रृंखला की शुरूआत की है। कुछ उल्लेखनीय नीतिगत सुधार निम्नलिखित हैं:
i. हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी)/ ओपन एक्रीज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी)– आसान व्यवसाय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए यह उत्पाद साझाकरण अनुबंध यानि प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रेक्ट (पीएससी) से राजस्व साझाकरण अनुबंध यानि रेवेन्यू शेयरिंग कॉन्ट्रेक्ट (आरएससी) की दिशा में बढ़ने का एक आदर्श बदलाव है। यह परंपरागत और गैर परंपरागत हाइड्रोकार्बन संसाधनों की खोज और उत्पादन के लिए एकल लाइसेंस प्रदान करता है; मूल्य निर्धारण और विपणन स्वतंत्रता; ऑफशोर ब्लॉकों के लिए अधिशुल्कों की दर में कमी, ओपन एक्यूज लाइसेंसिंग पॉलिसी जिसका मतलब औपचारिक बोली दौर की प्रतीक्षा किए बिना अन्वेषण ब्लॉक का चयन करने का विकल्प है। खुली एकड़ लाइसेंसिंग नीति जिसका अर्थ औपचारिक बोली दौर की प्रतीक्षा किए बिना अन्वेषण ब्लॉक का चयन करने का विकल्प है। खुली एकड़ लाइसेंसिंग नीति, जिसका मतलब औपचारिक बोली की प्रतीक्षा किए बिना अन्वेषण ब्लॉकों का चयन करने का विकल्प होता है। पसंद की अभिव्यक्ति पूरे वर्ष भर जमा की जा सकती है और बोली की प्रक्रिया प्रत्येक 6 महीने में होती है।
ओएएलपी निविदा बोली के प्रथम दौर के अंतर्गत, 59,282 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले 55 खंडों को 1 अक्टूबर, 2018 को आवंटित किया गया। ओएएलपी निविदा बोली के दुसरे दौर के अंतर्गत 14 ब्लॉकों का पेशकश किया गया गया है।
ii. तेल और गैस की प्राप्ति के उन्नत विधियों को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए नीति ढांचा- सरकार ने वित्तीय सुधार के माध्यम से उन्नत रिकवरी (ईआर)/ बेहतर रिकवरी (आईआर)/ अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन (यूएचसी) उत्पादन तरीकों/ वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से तकनीकों को अपनाने और प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत ढांचे को, साथ ही मौजूदा क्षेत्रों की उत्पादकता में सुधार लाने और घरेलू हाइड्रोकार्बन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक विकसित पारिस्थितिक तंत्र बनाने की मंजूरी दे दी है।
यह नीति इसके सभी ईआर क्षमताओं, ईआर तकनीकों का मूल्यांकन करता है, ईआर परियोजनाओं में शामिल लागत को कम करता है और इसके आर्थिक महत्व को व्यवहारिक बनाता है।
iii. डिसक्वर्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी (डीएसएफ), राउंड I और II- राष्ट्रीय तेल कंपनियों (एनओसी) की अनौपचारिक खोजों को जल्दी से औपचारिक बनाने के लिए, मंत्रिमंडल ने सितंबर, 2015 में डिसक्वर्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी (डीएसएफ) के अंतर्गत 69 सीमांत क्षेत्रों के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इन अनुबंधित क्षेत्रों को रेवन्यू शेयरिंग मॉडल की नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रदान किया गया है। अनुबंधों के वितरण का उद्देश्य तेल और गैस के उत्पादन क्षेत्र का तेजी से विकास और सुविधा प्रदान करना है।
डिसक्वर्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी (डीएसएफ) के अंतर्गत 25 मई 2016 को पहली निविदा-प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसके द्वारा अंतरराष्ट्रीय बोली-प्रक्रिया के लिए ओएनजीसी और ओआईएल के 46 अनुबंधित क्षेत्रों में 67 डिसक्वर्ड स्मॉल फील्डों की पेशकश की गई। मार्च, 2017 में 43 डिसक्वर्ड स्मॉल फील्डों के लिए 20 कंपनियों के साथ कुल 30 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किया गया। यह उम्मीद की जा रही है कि 15 वर्षों की अवधि में इस जगह पर 40 एमएमटी की मात्रा का हाइड्रोकार्बन और 22.0 बीसीएम मात्रा का गैस को मुद्रीकृत कर लिया जाएगा। मंत्रिमंडल ने 7 फरवरी, 2018 को डिसक्वर्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी निविदा राउंड- II को मंजूरी दी, जो कि 14.10.2015 को अधिसूचित किए गए डिसक्वर्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी का विस्तार है। डीएसएफ- II के अंतर्गत, निविदा के लिए 59 डिसक्वर्ड स्मॉल फील्ड/ अनौपचारिक खोजों को रखा गया है, जहां पर 194.65 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) तेल और तेल समकक्ष गैस के होने का अनुमान किया गया है।
डीएसएफ पॉलिसी के अंतर्गत दूसरी बोली-प्रक्रिया की शुरूआत 9 अगस्त, 2018 को की गई जिसमें 25 नए अनुबंध क्षेत्रों में 59 खोजों को शामिल किया गया।
iv. गैर-मूल्यांकन क्षेत्रों के लिए नेशनल सिस्मिक प्रोग्राम- सरकार ने सम्पूर्ण अनौपचारिक क्षेत्रों के लिए 2 डी सिस्मिक सर्वे कार्यक्रम का आयोजन किया है। नेशनल सिस्मिक प्रोग्राम की शुरूआत 12 अक्टूबर, 2016 को की गई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, सरकार ने 48,243 लाइन किलो मीटर (एलकेएम) के डेटा अधिग्रहण, प्रसंस्करण और प्रस्तुतीकरण (एपीआई) के लिए 2 डी सिस्मिक सर्वे को आयोजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2932.99 करोड़ रुपया है और इस परियोजना को 2019-20 तक पूरा करने का प्रस्ताव है।
31 अक्टूबर, 2018 तक, नेशनल सिस्मिक प्रोग्राम के 2 डी सिस्मिक डाटा अधिग्रहण के अंतर्गत 48,243 एलकेएम में 28485 एलकेएम के सतह की कवरेज प्राप्त कर ली गई है।
v. प्रोडक्शन शेयरिंग अनुबंधों के काम को सुव्यवस्थित करने के लिए नीतिगत ढांचा- इस नीति के अंतर्गत, सरकार ने एनईआर में परिचालन ब्लॉकों के लिए अन्वेषण की अवधि में 2 वर्ष का विस्तार और मूल्यांकन अवधि में 1 वर्ष के विस्तार की अनुमति दी है, इसके अलावा एनईआर में भविष्य में उत्पादित प्राकृतिक गैसों के मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता और विपणन की अनुमति; प्री-एनईएलपी एक्सप्लोरेशन ब्लॉक में रॉयल्टी और सेस सहित वैधानिक लेवीस को साझा करने और संभावित प्रभाव के साथ वसूल करने योग्य लागत; आयकर, प्री-एनईएलपी डिस्कवर्ड क्षेत्रों के के अंतर्गत आने वाले परिचालित ब्लॉकों में आयकर की 1961 की धारा 42 के तहत लाभ प्रदान करना शामिल है।
vi. हाइड्रोकार्बन संसाधनों का पुनर्मूल्यांकन- देश में हाइड्रोकार्बन संसाधन क्षमता का आकलन एक बहु संगठन दल (एमओटी) किया है जिसमें ओएनजीसी, ओआईएल और डीजीएच के प्रतिनिधि शामिल हैं। देश के 26 तलछटी घाटीयों में संभावित पारंपरिक हाइड्रोकार्बन संसाधन की मात्रा 41.87 बिलियन टन (तेल और तेल के समान गैस) हैं, जोकि पहले की 28.08 बिलियन टन के अनुमानों की तुलना में लगभग 49% ज्यादा है।
vii. मौजूदा प्रोडक्शन शेयरिंग अनुबंध (पीएससी), कोल बेड मीथेन (सीबीएम) अनुबंध और नामांकित फिल्ड्स के अंगर्गत अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन की खोज और उपयोग के लिए नीतिगत ढांचा- सरकार ने मौजूदा क्षेत्रफल में अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन की संभावना को प्राप्त करने के लिए लाइसेंस/ पट्टे वाले मौजूदा ठेकेदारों को प्रोत्साहित करने की नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के अंतर्गत, पारंपरिक या गैरपरंपरिक हाइड्रोकार्बन के खोज और उपयोग के लिए पीएससी के तहत 72,027 वर्ग किमी क्षेत्र और सीबीएम अनुबंध के तहत 5269 वर्ग किमी क्षेत्र को रखा गया है।
2. प्राकृतिक गैस
क. प्राकृतिक गैस ग्रिड
पूरे देश में ईंधन/ फीडस्टॉक के रूप में प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने और गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए अतिरिक्त 13500 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन के निर्माण का काम, गैस ग्रिड को पूरा करने के लिए चल रहा है। प्रमुख निर्माणाधीन गैस पाइपलाइन परियोजनाओं की स्थिति निम्नलिखित है:
i. प्रधान मंत्री उर्जा गंगा परियोजना (जगदीशपुर - हल्दिया और बोकारो - धमरा पाइपलाइन परियोजना (जेएचबीडीपीएल): 12,940 करोड़ रुपये की लागत से 2655 किमी पाइपलाइन परियोजना को निष्पादित किया जा रहा है, जिसमें भारत सरकार का 40% पूंजी अनुदान (यानी 5,176 करोड़ रुपये) शामिल है और इस परियोजना को प्रगतिशील रूप से दिसंबर 2020 तक पूरा करना है। जेएचबीडीपीएल के माध्यम से पांच राज्यों, अर्थात् उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाएगी। जेएचबीडीपीएल परियोजना का प्रथम भाग (770 किलोमीटर) की के निर्माण का कार्य प्रगतिशील अवस्था में है और इसे जल्द ही शुरू करने की उम्मीद है। वाराणसी शहर गैस वितरण नेटवर्क को गैस की आपूर्ति करने के लिए वाराणसी तक पाइपलाइन के एक खंड को चालु कर दिया गया है। संतुलित खंड (पश्चिम बंगाल को छोड़कर) के लिए आगे की पाइपलाइन का प्रबंधन और उसे बिछाने का काम भी शुरू कर दिया गया है और उसका निर्माण प्रगति पर है।
ii. बरौनी से गुवाहाटी पाइपलाइन: गैस ग्रिड का विस्तार उत्तर-पूर्व तक करने के लिए, बरौनी से गुवाहाटी तक जेएचबीडीपीएल परियोजना के अभिन्न अंग के रूप में 729 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के निर्माण की अनुमति दी गई है। यह पाइपलाइन बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम से होकर गुजरेगी। पाइपों की खरीद और बिछाने का काम के लिए निविदाएं हो रही है। इस परियोजना को दिसंबर 2021 तक शुरू किया जाएगा।
iii. उत्तर पूर्व क्षेत्र (एनईआर) गैस ग्रिड: उत्तर-पूर्व के प्रत्येक राज्यों और सिक्किम में गैस ग्रिड का विस्तारित करने के लिए, 10.08.2018 को तेल और गैस की पांच केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसयू) यानी आईओसीएल, ओएनजीसी गेल, ओआईएल और एनआरएल ने मिलकर इंद्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी (जेवीसी) का गठन किया है। यह जेवीसी उत्तर-पूर्व के सभी राज्यों अर्थात असम, सिक्किम, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में 1656 किलोमीटर लंबी एनईआर गैस ग्रिड को चरणबद्ध रूप से विकसित करेगा, जिसकी कुल लागत लगभग 9265 करोड़ रूपया है। उत्तर-पूर्व गैस पाइपलाइन ग्रिड के विकास के लिए पीएनजीआरबी ने दिनांक 14.09.2018 को आईजीजीएल को अस्थायी प्राधिकरण जारी किया है। अपना निर्माण पूरा होने जाने के बाद, एनईआर ग्रिड इस क्षेत्र में निर्बाध रूप से प्राकृतिक गैस की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकेगा और इस क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
iv. कोच्चि– कुट्टानद- बैंगलोर- मैंगलोर पाइपलाइन (फेज II): गेल, 5150 करोड़ रुपये की लागत से केरल और तमिलनाडु राज्य में 872 किमी लंबी पाइपलाइन को विकसित कर रहा है। केरल राज्य में निर्माण का कार्य प्रगतिशील अवस्था में है और 2019 के मध्य तक इसके पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसके अलावा, तमिलनाडु राज्य को जोड़ने के लिए भी पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू किया गया है और कार्य प्रगति पर है।
v. एन्नौर- थिरुवेल्लूर- बेंगलुरु- पुडुचेरी- नागापतिनम- मदुरै- तुतीकोरन पाइपलाइन (ईटीबीपीएनएमटीपीएल): इंडियन ऑयल 4497 करोड़ रुपये की लागत से 1385 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन को विकसित कर रहा है। यह पाइपलाइन तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों से होकर गुजरेगी। इस पाइपलाइन के खंड (एन्नौर-मनाली और रामानंद-तुतीकोरन) पर काम प्रगति पर है। इसके अलावा, पाइपलाइन के शेष खंडों के लिए पाइप बिछाने का काम शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है।
vi. गैस ग्रिड को पूरा करने के लिए अन्य गैस पाइपलाइन परियोजनाओं के कार्यान्वयन का काम विभिन्न चरणों में चल रहा हैं और इसका निष्पादन चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है।
ख. सिटी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क
बड़े स्तर पर प्राकृतिक गैस जनमानस को उपलब्ध कराने के लिए, सरकार ने पूरे देश में सिटी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क को विस्तार पर गहन रूप से जोर दिया है। सीजीडी नेटवर्क घरों, औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों में साफ ईंधन (यानी पीएनजी) की आपूर्ति के साथ-साथ वाहनों के लिए परिवहन ईंधन (यानी सीएनजी) प्रदान करना सुनिश्चित करता है। 2017 तक, देश में केवल 11 प्रतिशत क्षेत्र के 96 भौगोलिक क्षेत्रों में में कुल आबादी का मात्र 19 प्रतिशत आबादी की पहुंच सीजीडी तक थी। सीजीडी क्षेत्र में विकास के लिए, अप्रैल, 2018 में 86 भौगोलिक क्षेत्रों (जीएएस) के लिए 9वें सीजीडी बोली-प्रक्रिया को शुरू किया गया, जिसके अंतर्गत देश के 22 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के 174 जिलों को शामिल किया गया था। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की 38 इकाइयों ने इसमें हिस्सा लिया और सभी 86 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए कुल 406 निविदाएं जमा कीं गई। अब तक, सीजीडी नेटवर्क के विकास के लिए 84 सफल बोलीदाताओं को भौगोलिक क्षेत्र आवंटित किए जा चुके हैं। माननीय प्रधानमंत्री ने 22 नवंबर 2018 को 61 नए अधिकृत भौगोलिक क्षेत्रों में सीजीडी परियोजनाओं के विकास के लिए आधारशिला रखी है, जिसमें 17 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 129 जिलों को शामिल किया गया है और साथ ही उन्होंने 50 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए सीजीडी निविदा के अगले दौर (10वें) को भी शुरू किया। 10वें दौर के समापन के साथ ही, इस सीजीडी नेटवर्क के कवरेज का विस्तार देश की आबादी का लगभग 70 प्रतिशत तथा 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में हो जाएगा। इस सीजीडी कवरेज के विकास के माध्यम से गैस मूल्य श्रृंखला में 1,20,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को आकर्षित किए जाने की संभावना है, तथा आने वाले वर्षों में लगभग 3 लाख रोजगारों का सृजन किया जा सकेगा।
ग. तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) पुन: गैसीकरण
देश में गैस की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए, वैश्विक गैस बाजारों से विभिन्न इकाइयां तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात कर रही है। मौजूदा चार (4) एलएनजी टर्मिनलों के माध्यम से एलएनजी का आयात किया जा रहा है, जिसमें लगभग 26.3 एमएमटीपीए (~ 95 एमएमएससीएमडी) पुन: गैसीकरण की क्षमता है।
लोकेशन
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ऑनर
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क्षमता
(एमएमटीपीए)
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दाहेज
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पीएलएल
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15
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हजीरा
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शेल
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5
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कोच्चि
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पीएलएल
|
5
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दाभोल*
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गेल
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1.3
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कुल क्षमता (एमएमटीपीए)
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26.3
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(* नेम प्लेट क्षमता 5 एमएमटीपीए है लेकिन ब्रेकवाटर की अनुपस्थिति में इस टर्मिनल की क्षमता केवल 1.3 एमएमटीपीए की है)
माननीय प्रधानमंत्री ने 30 सितंबर, 2018 को जीएसपीसी एलएनजी लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया मुंद्रा एलएनजी परियोजना का उद्घाटन किया। इस टर्मिनल में 5 एमएमटीपीए एलएनजी को संभाल सकने की क्षमता है। इसके अतरिक्त, वर्तमान समय में 5 एमएमटीपीए क्षमता वाले दो नए एलएनजी टर्मिनल, एन्नौर (तमिलनाडु) और धामरा (ओडिशा) में विकसित किए जा रहे हैं।
3. विपणन (मार्केटिंग)
i. प्रधान मंत्री उज्जवला योजना (पीएमयुवाई)
देश भर में बीपीएल परिवारों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन एलपीजी प्रदान करने के लिए, सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों से संबद्ध महिलाओं के बीच कुल 5 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन का वितरण करने के लिए "प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना" (पीएमयूवाई) की शुरूआत की गई, जिसे बाद में 12,800 करोड़ रुपये बजट आवंटन के साथ 8 करोड़ तक बढ़ा दिया गया।
इस योजना के लाभार्थियों की पहचान सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) की सूची के माध्यम से किया जाता है और अगर उनका नाम इस एसईसीसी सूची में नहीं है, तो लाभार्थियों को वर्गों अर्थात एससी/ एसटी परिवारों, प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई, ग्रामीण)), अंत्योदय अन्न योजना (एएई), जंगल में रहने वालों, सबसे पिछड़ा वर्ग (एमबीसी), चाय और पूर्व चाय बागान जनजाति और द्वीप/ नदी द्वीपों में रहने वाले लोग के माध्यम से की जाती है।
पहले 5 करोड़ कनेक्शन को प्रदान करने का शुरूआती लक्ष्य मार्च, 2019 था लेकिन इसे पहले ही प्राप्त कर लिया गया। इस योजना के अंतर्गत, 05.12.2018 को 5.83 करोड़ से ज्यादा कनेक्शन बांटे जा चुके हैं। पीएमयूवाई के लागु होने के परिणामस्वरूप सामान्य रूप से सामान्य और पूर्वी राज्यों में एलपीजी कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सरकार के इन प्रयासों की सराहना की है और इसक कदम को डब्ल्यूएचओ देश की महिलाओं द्वारा घर के अंदर झेले जाने वाले स्वास्थ्य प्रदूषण को खत्म करने में एक निर्णायक कदम करार दिया है।
ii. पहल (पीएएचएएल)
सरकार ने, सुशासन के लिए एक उपाय के रूप में, पहल के माध्यम से एलपीजी उपभोक्ताओं को सब्सिडी वितरण करने की एक अच्छी लक्षित प्रणाली को लागु किया है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य सब्सिडी के कटौती में कमी लाने वाले दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना था, उन्हें सब्सिडी प्रदान करना नहीं था।
दिनांक 06.12.2018 तक, 23.08 करोड़ से अधिक एलपीजी उपभोक्ता पहल योजना में शामिल हो चुके हैं। पहल योजना का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है कि यह सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम है।
अब तक, 96,625 करोड़ रुपये से अधिक की रकम उपभोक्ताओं के बैंक खातों में स्थानांतरित करवा दिए गए हैं।
पहल योजना ने काल्पनिक खातों, अपवर्त्य खातों और निष्क्रिय खातों की पहचान करने में मदद की है। इससे द्वारा सब्सिडी वाले एलपीजी को वाणिज्यिक उद्देश्यों की पूर्ति करने से रोकने में मदद मिली है। पहल योजना के कार्यान्वयन के कारण अबतक अनुमानित रूप से लगभग 50,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
iii. ओएमसी आरओ पर स्वचालन
क्यू एंड क्यू (गुणवत्ता और मात्रा) के माध्यम से ईंधन के प्रति ग्राहक का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए और लेनदेन में धोखाधड़ी का मौका कम करने के लिए, इस मंत्रालय ने ओएमसी को लक्ष्य दिया है कि जहां तक संभव हो सके देश भर में सभी आरओ को स्वचालित किया जाए। दिनांक 01.11.2018 तक, देश भर के 40354 आरओ यानि 70 प्रतिशत आरओ स्वचालित किए जा चुके हैं।
iv. एमओपी एंड एनजी द्वारा प्रारंभ किया गया डिजिटल भुगतान का प्रचार
खुदरा दुकानों में डिजिटल भुगतान की आधारभूत संरचना में एक महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। दिनांक 20.11.2018 तक, देश भर के 53717 (98 प्रतिशत) पेट्रोल पंपों पर 100876 पीओएस टर्मिनलों और 92408 ई-वॉलेटों की सुविधा प्रदान कर दी गई है, भीम यूपीआई के साथ 52959 रिटेल आउटलेटों को सक्षम बना दिया गया है। सभी एलपीजी वितरकों और सिटी गैस वितरण कंपनियों को भीम यूपीआई के साथ सक्षम कर दिया गया है।
v. रिटेल आउटलेट डीलर चयन का विज्ञापन किया गया जारी
तेल विपणन कंपनियों द्वारा खुदरा आउटलेट नेटवर्क (पेट्रोल पंप) का विस्तार किया जा रहा है जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से ग्राहकों के ईंधन की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करना और उभरते बाजारों जैसे राजमार्गों, कृषि क्षेत्रों और औद्योगिक केंद्रों में सुविधाओं को प्रदान करना है। खुदरा आउटलेट नेटवर्क का विस्तार ग्रामीण, दूरस्थ और दूरदराज के इलाकों में किया जा रहा है जिससे कि ग्रामीण कृषि मांग तक उत्पाद की पहुंच, गुणवत्ता और सही मूल्य को सुनिश्चित किया जा सके और इसकी पहुंच दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों तक बनाया जा सके। इसके अलावा, खुदरा आउटलेट नेटवर्क के विस्तार से रोजगार के अवसर पैदा होने की भी उम्मीद है।
25 नवंबर, 2018 को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा 55652 स्थानों पर पेट्रोल पंप की स्थापना के लिए 30 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के संभावित उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन जारी किए हैं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण लागु आदर्श आचार संहिता हटाए जाने के बाद ये विज्ञापन जारी किए जाएंगे।
यह पहली बार है कि अधिक पारदर्शिता लाने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कम्प्यूटरीकृत "ड्रा ऑफ लॉट्स"/ "बिड ओपनिंग" का आयोजन किया जाएगा। सभी खुदरा दुकानों का निर्माण ऑटोमेशन सहित नवीनतम तकनीकों के साथ किया जाएगा।
4. रिफाइनरी
देश की कुल 23 रिफाइनरियों में से 18 का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र में हैं जबकि 3 निजी क्षेत्र में हैं और दो संयुक्त उद्यम के रूप में हैं जिसकी कुल परिष्कृत क्षमता 247.566 एमएमटीपीए हैं। 247.566 एमएमटी के शुद्धिकरण क्षमता में से सार्वजनिक क्षेत्र की क्षमता142.066 एमएमटीपीए है जबकि संयुक्त उद्यम की क्षमता17.30 एमएमटीपीए और शेष 88.2 क्षमता एमएमटीपी निजी क्षेत्र में है। देश न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर है बल्कि पर्याप्त मात्रा में पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी करता है।
5. ऑटो फ्युल विजन और पॉलिसी
i. देश में बीएस– IV और बीएस- VI ईंधन की शुरूआत:
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने दिनांक 19.01.2015 यह आदेश जारी किया कि पूरे देश में दिनांक 01.04.2017 से चरणबद्ध रूप में से बीएस- IV ऑटो ईंधन के इस्तेमाल को कार्यान्वयन किया जाएगा। जिसके बाद, 01.04.2017 से पूरे देश में बीएस- IV ऑटो ईंधन को लागू कर दिया गया है।
यह भी निर्णय लिया गया है कि देश में बीएस- IV ईंधन मानकों से सीधे बीएस- VI ईंधन मानकों की ओर छलांग लगाया जाएगा और बीएस- VI वाले मानक को देश में 01.04.2020 से लागू किया जाएगा।
दिल्ली में प्रदूषण के स्तर की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 01.04.20118 से बीएस- VI की आपूर्ति शुरू कर दी है।
ii. इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम
वर्ष 2018-19 में इथेनॉल आपूर्ति के लिए, सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली कच्ची सामग्री को आधार बनाकर इथेनॉल खरीद के लिए लाभकारी मूल्य का निर्धारण किया है:
सी- हैवी शीरा से 43.46 रू. प्रति लीटर
बी- हैवी शीरा/ आंशिक गन्ना के रस से 52.43 रू. प्रति लीटर।
मिलों के लिए इथेनॉल की कीमत, जो इथेनॉल के उत्पादन के लिए 100 प्रतिशत गन्ना का रस डालेगी लेकिन जिससे चीनी का उत्पादन नहीं होगा, प्रति लीटर 59.19 रुपये प्रति लीटर तय किया गया है। यह कीमत ओएमसी द्वारा उन चीनी मिलों को भुगतान किया जाएगी जो इथेनॉल के उत्पादन के लिए 100 प्रतिशत गन्ना के रस का उपयोग करेगा लेकिन चीनी का उत्पादन नहीं करेगा। अगर कोई चीनी मिल बी- हैवी शीरा और गन्ना के रस के संयोजन से इथेनॉल पैदा करती है, तो उसे ओएमसी द्वारा बी- हैवी शीरा के माध्यम से प्राप्त इथेनॉल के मूल्य जितना प्रदान किया जाएगा।
इसके अलावा, सरकार ने क्षतिग्रस्त अनाजों से भी इथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी है। इस मार्ग को प्रोत्साहित करने के लिए ओएमसी अलग मूल्य निर्धारण की पेशकश कर रहे हैं जो कि 47.13 रू. प्रति लीटर है।
पिछले आपूर्ति वर्ष 2017-18 में, पेट्रोल के साथ इथेनॉल की मिश्रित मात्रा 149.54 करोड़ लीटर थी और मिश्रण का औसत प्रतिशत 4.19 था जो कि ईबीपी कार्यक्रम के इतिहास में सबसे अधिक था।
1951 में हुए इंडस्ट्रीज (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट में संशोधन के बाद, केंद्र सरकार को इथेनॉल के उत्पादन, गतिविधि और भंडारण पर नियंत्रण मिल गया, ईबीपी कार्यक्रम के कार्यान्वयन को सुचारू रूप से चलाने और बाधाओं को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार नियमित रूप से राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रही है। अब तक, नौ राज्यों ने संशोधित प्रावधानों को लागू कर दिया है।
ईबीपी कार्यक्रम के लिए प्रयुक्त विकृत इथेनॉल पर जीएसटी को कम करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा दिया गया था। इस प्रस्ताव के आधार पर, सरकार ने ईबीपी कार्यक्रम के लिए प्रयुक्त इथेनॉल पर जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है।
इथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना की शुरू की है। इस योजना का लक्ष्य ब्याज अनुदान मार्ग के माध्यम से 1,332 करोड़ रुपये अर्जित करना है। इस योजना के अंतर्गत, 6139.08 करोड़ रुपये के 114 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इथेनॉल आसवन क्षमता में प्रतिवर्ष 200 करोड़ लीटर की बढ़ोत्तरी होगी। आगे बढ़ते हुए, 21.09.2018 को प्रधान मंत्री के पीएस की बैठक में " व्यवसाय करने में सुविधा और चीनी के आसवन से संबंधित समय में और कमी " करने हेतु लिए गए निर्णय के अनुसार, एमओपी एंड एनजी ने इस परियोजना के विकास की निगरानी के लिए एक प्रारूप को तैयार, बाधाओं की पहचान और इसके आसवनों के साथ इसे साझा करने का काम किया है। इस संदर्भ में, परियोजना प्रस्तावकों के साथ 10.10.2018 और 13.11.2018 को संयुक्त बैठकों का आयोजन किया गया था। इसके अलावा, एमओपी एंड एनजी ने कर्नाटक, यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड राज्य सरकारों को दिनांक 16.10.2018 को योजना के कार्यान्वयन हेतु वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान करने के लिए के पत्र लिखा है।
iii. बायो-डीजल कार्यक्रम
तेल विपणन कंपनियों द्वारा मई-अक्टूबर, 2018 की अवधि के लिए 8.14 करोड़ लीटर बायोडीजल की आपूर्ति के लिए खरीद आदेश जारी किए गए हैं, तीन महीने के विस्तार के प्रावधान के साथ।
दिनांक 30.10.2018 तक, ओएमसी ने 7.97 करोड़ लीटर बायोडीजल प्राप्त किया है।
iv. दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल
इथेनॉल उत्पादन के वैकल्पिक मार्ग अर्थात द्वितीय पीढ़ी (2जी) के मार्ग खोलने के लिए, तेल विपणन कंपनियां 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 12 2जी जैव-रिफाइनरियों की स्थापना करने की प्रक्रिया में लगी हुई है।
कुछ 2जी बायो-इथेनॉल संयंत्रों की विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट तेल पीएसयू द्वारा (डीएफआर) तैयार की गई है। तेल पीएसयू में से एक नुमालिगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड ने फिनलैंड के मैसर्स चेम्पोलिस ओई और नीदरलैंड के मैसर्स फोर्टम 3 बीवी के साथ मिलकर जून, 2018 में असम बायो-रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड नामक एक संयुक्त उद्यम बनाया है। बारगढ़, ओडिशा में, बीपीसीएल द्वारा प्रस्तावित, 2जी इथेनॉल परियोजना का समारोह, 10.10.2018 को आयोजित किया गया।
v. जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति- 2018
सरकार ने दिनांक 8.6.2018 को जैव ईंधन 2018 के लिए एक राष्ट्रीय नीति को अधिसूचित किया है, जिससे माध्यम से देश के जैव ईंधन कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा।
इस पॉलिसी की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है:
प्रत्येक श्रेणी के लिए उचित वित्तीय और वित्त संबंधित प्रोत्साहनों के विस्तार को सक्षम बनाने के लिए जैव ईंधनों का वर्गीकरण "मूल जैव ईंधन" - पहली पीढ़ी (1 जी) के जैव इथेनॉल और बायोडीजल तथा "उन्नत जैव ईंधन" - दूसरी पीढ़ी (2 जी) के इथेनॉल, बायो-सीएनजी इत्यादि के रूप में।
इथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल के दायरे में विस्तार करते हुए गन्ना का रस, चीनी बीट, मिठा ज्वार, स्टॉर्च युक्त सामग्री जैसे मकई, कसावा, गेहूं, क्षतिग्रस्त अनाज जैसे सड़ा हुआ चावल, सड़ा हुआ आलू, मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त चीनी के इस्तेमाल की अनुमति देकर।
यह नीति, राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति की मंजूरी के बाद पेट्रोल के साथ मिश्रण करने हेतु इथेनॉल के उत्पादन के लिए बचे हुए अनाज के प्रयोग करने की अनुमति देती है।
यह नीति, उन्नत जैव ईंधन पर जोर देने के साथ ही, 6 साल की अवधि के दौरान 2जी इथेनॉल बायो रिफाइनरियों के लिए 5000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर प्रोत्साहन वित्त पोषण योजना के बारे में बताता है, जो कि 1जी जैव ईंधन की तुलना में उच्च खरीद मूल्य है।
vi उन्नत मोटर ईंधन ग्रुप में शामिल होना
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने दिनांक 9.5.2018 को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सदस्य के रूप में खुद को एक प्रौद्योगिकी सहयोग कार्यक्रम (टीसीपी), उन्नत मोटर ईंधन (एएमएफ) को शामिल किया। ईंधन दक्षता में सुधार करने और जीएचजी उत्सर्जन को कम करने पर ज्यादा ध्यान देने के साथ ही उन्नत मोटर ईंधन/ वैकल्पिक ईंधन के विकास हेतु आर एंड डी में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यह एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है।
vii. सैटैट पहल
मंत्रालय ने वहन योग्य परिवहन के सतत वैकल्पिक उपायों (सैटैट पहल) के लिेए संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भुवनेश्वर, चंडीगढ़ और लखनऊ में रोड शो को आयोजित करके का फैसला किया।
जिसके अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के तेल विपणन कंपनियों आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल द्वारा दिनांक 17.11.2018 को चंडीगढ़ में प्रथन रोड शो का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में, भावी उद्यमियों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पीईडीए) के प्रतिनिधियों, हरियाणा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरदा), वित्तीय संस्थानों, फिक्की, सीआईआई, एसोचैम के प्रतिनिधियों के साथ ओएमसी के लिए इच्छुक डीलरों/ वितरकों और अधिकारियों ने भाग लिया। रोड शो में, प्रतिभागियों को एसएटीएटी पहल के बारे में सूचित किया गया और उद्यमियों को ओएमसी के लिए सीबीजी संयंत्र स्थापित करने और सीबीजी की आपूर्ति करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
i. विदेशी सोर्सिंग
फरवरी 2018 में, ओवीएल, आईओसीएल और बीपीआरएल के एक भारतीय संघ ने अबू धाबी के अपतटीय निचले जाकम तेल क्षेत्र के 10 प्रतिशत भाग को प्रापत करने का अनुमोदन प्राप्त कर लिया।
30 मार्च 2018 को अमेरिका से पहला दीर्घकालिक एलएनजी कार्गो दाभोल पहुंचा।
अप्रैल 2018 में, आईओसीएल ने ओमान के मुखाइजना तेल क्षेत्र में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी प्राप्त कर ली।
रूस से पहले दीर्घकालिक अवधि का एलएनजी कार्गो 4 जून 2018 को दाहेज पहुंचा।
ii. महत्वपूर्ण समझौता/ अनुबंध
जून 2018 में, सऊदी अरामको और एडीएनओसी ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए किया, जिसमें महाराष्ट्र के रत्नागिरी में रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) द्वारा उन्नत किए गए एकीकृत रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स को संयुक्त रूप से विकसित और निर्माण करने की बात की गई।
भारत और अमेरिका ने 17 अप्रैल 2018 को मंत्री स्तर की ऊर्जा वार्ता करते हुए सामरिक ऊर्जा भागीदारी प्रक्रिया की शुरूआत की।
7 अप्रैल 2018 को नई दिल्ली में भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों ने लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से मोतीहारी से अमलेखागंज तक भारत-नेपाल पेट्रोलियम उत्पादों के पाइपलाइन की शुरूआत की।
कोलम्बो में एलएनजी टर्मिनल को स्थापित करने के लिए अप्रैल, 2018 में पेट्रोनेट एलएनजी ऑफ इंडिया, श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण और एक जापानी कंपनी के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।
मंगलौर एसपीआर फैसिलिटी में 5.86 मिलियन बैरल कच्चे तेल को भरने के लिए 10 फरवरी 2018 को आईएसपीआरएल और एडीएनओसी (संयुक्त अरब अमीरात) ने तेल संग्रहण और प्रबंधन के लिए एक परिभाषित समझौते पर हस्ताक्षर किया।
18 सितंबर, 2018 को, भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों ने किया।
12 नवंबर, 2018 को, पादुर एसपीआर में एडीएनओसी की भागीदारी की संभावना तलाशने के लिए आईएसपीआरएल और एडीएनओसी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।
iii. प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन/ बैठकें:
भारत में, 16 वीं अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम (आईईएफ) की मंत्रिस्तरीय बैठक का आयोजन नई दिल्ली में 10-12 अप्रैल 2018 तक किया गया।
13 अक्टूबर 2018 को, इंटरनेशनल थिंक टैंक (आईटीटी) की दूसरी बैठक का आयोजन इंडियन ऑयल और गैस क्षेत्रों के लिए भविष्य में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और उनको आगे बढ़ने के तरीके पर चर्चा करने के लिए की गई थी।
भारत-ओपेक ऊर्जा वार्ता की तीसरी बैठक का आयोजन 17 अक्टूबर 2018 को किया गया।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने नई दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर 2018 तक सीईआरएवीक द्वारा आयोजित किए गए दूसरे वार्षिक भारत ऊर्जा फोरम का उद्घाटन किया।
पीपीपी मॉडल के निर्माण और निर्माण के लिए प्रस्तावित फेज- II सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व फैसलिटी्ज को अंतिम रूप देने के लिए, अक्टूबर, 2018 में आईएसपीआरएल द्वारा नई दिल्ली, सिंगापुर और लंदन में रोड शो का आयोजन किया गया।
7. स्वच्छ भारत अभियान
i. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्वच्छता कार्य योजना (एसएपी) 2017-18 के लिए स्वच्छ भारत राष्ट्रीय पुरस्कार, 02 अक्टूबर, 2018 को गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित स्वच्छ भारत राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में प्राप्त किया। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एसएपी 2017- 18 के लिए 335.68 करोड़ रूपये आवंटित किए और शीर्ष स्तर के समीक्षा बैठकों के माध्यम से निरंतर निगरानी कर रही है, तेल और गैस सीपीएसई सहित पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लगभग 402 करोड़ रुपये के व्यय आंकड़ा को प्राप्त किया है, जो लगभग 120 प्रतिशत की उपलब्धि दिखाता है।
ii. महात्मा गांधी के 150 वें जन्म दिवस समारोह की शुरूआत करने हेतु अग्रदूत के रूप में, एमओपीएनजी ने 15 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2018 तक स्वच्छता ही सेवा 2018 (एसएचएस) का अवलोकन किया। एमओपीएनजी ने स्वच्छता ही सेवा अभियान का नेतृत्व किया। मंत्रालय ने स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई पहल की है जिसमें रैलियां/ वाकथॉन / साइक्लोथन का आयोजन तथा कई स्थानों पर श्रमदान का आयोजन, प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए आम जनता में जूट बैग का वितरण; पर्यटक स्थलों पर सफाई अभियान का आयोजन; स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों में शौचालयों का निर्माण, स्वच्छता और स्वच्छता उत्पादों का वितरण, स्वास्थ्य वार्ता और स्वास्थ्य शिविरों को आयोजित करना शामिल है।
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आर.के.मीणा/अर्चना/अभय/संजय –