रक्षा मंत्रालय
मध्य प्रदेश के आर्मी वॉर कॉलेज में युद्ध, युद्धकला और युद्ध-संचालन पर अपनी तरह का पहला त्रि-सेवा सेमिनार ‘रण संवाद-2025’ के लिए मंच तैयार
रक्षा मंत्री पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे
संयुक्त सिद्धांत और प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य एवं क्षमता रोडमैप जारी किया जाएगा
Posted On:
25 AUG 2025 4:27PM by PIB Delhi
युद्ध, युद्धकला और युद्ध संचालन पर दो दिवसीय विशिष्ट त्रि-सेवा सेमिनार, 'रण संवाद-2025' 26 अगस्त, 2025 को मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में शुरू होने जा रहा है। यह आयोजन, रणनीतिक संवाद हेतु सेवारत सैन्य पेशेवरों को एक मंच पर लाएगा। कार्यक्रम के अंतिम दिन रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह इसे संबोधित करेंगे। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान उद्घाटन भाषण देंगे। इस आयोजन के दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांत और प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य एवं क्षमता रोडमैप भी जारी किए जाएंगे।
यह आयोजन अपनी तरह की एक अनूठी पहल है जिसमें प्रत्येक विषयगत सत्र का नेतृत्व सेवारत अधिकारी करेंगे और आधुनिक युद्धक्षेत्रों में अपने प्रत्यक्ष संचालन अनुभव और विचार साझा करेंगे। इसका आयोजन, सीडीएस के मार्गदर्शन में एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय और संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र द्वारा सेना प्रशिक्षण कमान के साथ मिलकर किया गया है।
रण संवाद-2025 का उद्देश्य, युद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर सैन्य समुदायों के बीच बातचीत, संपर्क और सहयोग को बढ़ाना है। अकादमिक चर्चा से आगे बढ़कर, यह सेमिनार युद्ध के विकासशील स्वरूप की एक बुनियादी समझ प्रदान करता है, जो सैनिकों के जीवंत अनुभव और पेशेवर विशेषज्ञता पर आधारित है।
इस कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ-साथ प्रसिद्ध रक्षा विशेषज्ञों, रक्षा उद्योग के प्रमुखों और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पेशेवरों के शामिल होने की उम्मीद है। सार्थक संवाद के माध्यम से, इसमें सूचना युद्ध और ग्रे ज़ोन खतरों से लेकर एकीकृत संचालन और भविष्य की युद्ध तकनीकों के विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस वर्ष का आयोजन, भारतीय सेना द्वारा आयोजित किया जा रहा है और यह सभी सेनाओं में इस सेमिनार के क्रमिक आयोजन की नींव रखेगा जिसमें आने वाले वर्षों में भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना अग्रणी भूमिका निभाएगी।
‘रण संवाद-2025’ के भारत की सुरक्षा प्राथमिकताओं को सुदृढ़ करते हुए वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में विकसित होने की उम्मीद है। यह रणनीतिक स्वायत्तता, अंतर-सेवा तालमेल और विश्वसनीय सैन्य संवाद की आवश्यकता की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है जो न केवल भारतीय वास्तविकताओं बल्कि व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश पर भी आधारित है।
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(Release ID: 2160649)