आयुष
विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय बैठक 2025 में पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य समानता के प्रमुख वाहक के रूप में उजागर किया जाएगा
विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय बैठक पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक संवाद को आगे बढ़ाने का एक सही अवसर: केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव
नई दिल्ली में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय बैठक में समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालने के लिए आयुष की भागीदारी
Posted On:
23 APR 2025 5:31PM by PIB Delhi
विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएचएस) क्षेत्रीय बैठक 25-27 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाली है। यह बैठक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करने के लिए तैयार है। इस बैठक में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के एकीकरण और विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। शिखर सम्मेलन के मुख्य आकर्षणों में से एक सत्र का शीर्षक - “संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पारंपरिक चिकित्सा तक पहुंच बढ़ाना” है। इस बात की प्रबल संभावना है कि यह बैठक वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।
आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने इस आयोजन के महत्व की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा, "विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय बैठक एक सही समय पर पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक संवाद को आगे बढ़ाने का अवसर है। समर्पित सत्र समग्र स्वास्थ्य में बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शाता है। हम दिसंबर में दिल्ली में आयोजित और जामनगर में डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी द्वारा संचालित दूसरे डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में, भारत की ओर से वैश्विक कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है।"
“स्वास्थ्य समानता सुनिश्चित करने के लिए पहुंच बढ़ाना” विषय पर आयोजित डब्ल्यूएचएस क्षेत्रीय बैठक में मंत्री, अग्रणी वैज्ञानिक, सीईओ, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी और नागरिक समाज के हितधारक सभी के लिए स्वस्थ जीवन के लिए अभिनव, समावेशी और टिकाऊ रास्ते तलाशने के लिए एक साथ आएंगे। पारंपरिक चिकित्सा पर समर्पित सत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो लंबे समय से परीक्षित पारंपरिक ज्ञान को अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ जोड़ने की परिवर्तनकारी क्षमता का दोहन करना चाहता है।
पारंपरिक चिकित्सा पर आयोजित होने वाले सत्र में इस बात पर गहन चर्चा की जाएगी कि प्राचीन ज्ञान पर आधारित समग्र स्वास्थ्य प्रणालियां किस तरह व्यक्ति-केंद्रित देखभाल की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने में मदद कर सकती हैं और स्वास्थ्य समानता में योगदान दे सकती हैं। विशेषज्ञ तकनीकी नवाचारों, साक्ष्य-आधारित अनुसंधान और विकसित हो रहे नियामक ढांचों का लाभ उठाकर सुरक्षित और प्रभावी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों तक व्यापक पहुंच को आगे बढ़ाने के अवसरों के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।
यह सत्र 2-4 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले दूसरे डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन की अगुवाई में विशेष रूप से प्रासंगिक है। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, "डब्ल्यूएचएस क्षेत्रीय बैठक वैश्विक स्वास्थ्य चर्चाओं के भीतर साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है। पारंपरिक चिकित्सा पर सत्र दिसंबर में दूसरे डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन के लिए मंच तैयार करता है, जिसे डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी द्वारा समर्थन दिया जाता है और यह वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने में भारत के नेतृत्व को दर्शाता है।"
2022 में आयुष मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच एक मेजबान देश समझौते के तहत स्थापित जीटीएमसी, पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र डब्ल्यूएचओ आउटपोस्टेड वैश्विक केंद्र है। यह वैश्विक स्वास्थ्य रणनीतियों के साथ स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को एकीकृत करके डब्ल्यूएचओ सदस्य देशों में पारंपरिक चिकित्सा के सुरक्षित, प्रभावी और टिकाऊ इस्तेमाल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
दूसरे डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन की प्रत्याशा के साथ , नई दिल्ली में डब्ल्यूएचएस क्षेत्रीय बैठक महत्वपूर्ण संवादों और साझेदारियों को उत्प्रेरित करने के लिए तैयार है, जो वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में पारंपरिक चिकित्सा के तीव्र विकास को आकार देंगे। यह पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को भी बढ़ाएगा, वैश्विक कल्याण और सांस्कृतिक विरासत में निहित स्थायी स्वास्थ्य समाधानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा।
आगामी चर्चाओं से पारंपरिक चिकित्सा में नए सिरे से अंतरराष्ट्रीय सहयोग, नवाचार और नीति-निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जो संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के व्यापक स्वास्थ्य कवरेज के विजन के अनुरूप होगा।
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