भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
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सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा-रोधी आचरण में संलिप्त होने पर यूएफओ मूवीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (इसकी सहायक कंपनी स्क्रैबल डिजिटल लिमिटेड के साथ) और क्यूब सिनेमा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक और गैर-मौद्रिक प्रतिबंध लगाए

Posted On: 16 APR 2025 6:27PM by PIB Delhi

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 27 के प्रावधानों के तहत दिनांक 16.04.2025 को एक आदेश पारित करते हुए यूएफओ मूवीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (यूएफओ मूवीज), स्क्रैबल डिजिटल लिमिटेड और क्यूब सिनेमा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (क्यूब) पर अधिनियम की धारा 3(4) के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए मौद्रिक और गैर-मौद्रिक प्रतिबंध लगाए गए। प्रावधानों के उल्लंघन के इस मामले में टाई-इन व्यवस्था, विशेष आपूर्ति समझौता और सौदे से इनकार कर दिया गया था।

आयोग ने माना कि यूएफओ मूवीज और क्यूब भारत में सिनेमा थिएटर मालिकों (सीटीओ) को लीज/किराए पर डिजिटल सिनेमा इनिशिएटिव- कंप्लायंट डिजिटल सिनेमा इक्विपमेंट (डीसीआई-कंप्लायंट डीसीई) की आपूर्ति के लिए संबंधित बाजार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी थीं। आयोग ने पाया कि यूएफओ मूवीज और क्यूब ने सीटीओ के साथ किए गए लीज समझौतों में कंटेंट की आपूर्ति पर रोक लगाकर, पोस्ट-प्रोडक्शन प्रोसेसिंग (पीपीपी) सेवाओं के प्रावधान में लगी कंपनियों के लिए बाधाएं पैदा कीं और साथ ही डीसीआई-कंप्लायंट डीसीई वाले सीटीओ के एक बड़े हिस्से को किसी अन्य कंपनी द्वारा सेवा प्रदान करने से रोक दिया। आयोग ने यूएफओ मूवीज (इसकी सहायक कंपनी स्क्रैबल डिजिटल लिमिटेड के साथ) और क्यूब को अधिनियम की धारा 3(4) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया।

आयोग ने अधिनियम की धारा 27 के प्रावधानों के तहत यूएफओ मूवीज और क्यूब को निर्देश दिया कि वे अन्य पक्षों से कंटेंट की आपूर्ति पर रोक लगाने वाले सीटीओ के साथ दोबारा लीज समझौते न करें। आयोग ने आगे कहा कि सीटीओ के साथ मौजूदा लीज समझौतों को संशोधित किया जाएगा ताकि वे यूएफओ मूवीज (और इसके सहयोगी) और क्यूब के अलावा अन्य पक्षों से कंटेंट की आपूर्ति पर रोक न लगा सकें। आयोग ने उल्लंघन की प्रकृति और गंभीरता पर विचार करने के साथ-साथ कम करने वाले और बढ़ाने वाले कारकों का आकलन करने के बाद यूएफओ मूवीज (इसकी सहायक कंपनी स्क्रैबल डिजिटल लिमिटेड) और क्यूब पर क्रमशः 104.03 लाख रुपये और 165.8 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना भी लगाया।

वर्ष 2020 के केस नंबर 11 में पारित आदेश के सार्वजनिक संस्करण की एक प्रति सीसीआई की वेबसाइट www.cci.gov.in पर उपलब्ध है।

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