रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
सरकार ने यूरिया क्षेत्र में नए निवेश को सुविधाजनक बनाने और भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए 2 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति (एनआईपी) - 2012 की घोषणा की और 7 अक्टूबर, 2014 को इसमें संशोधन किया
एनआईपी-2012 के तहत कुल 6 नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिनमें नामांकित पीएसयू की संयुक्त उद्यम कंपनियों (जेवीसी) के माध्यम से स्थापित 4 यूरिया इकाइयां और निजी कंपनियों द्वारा स्थापित 2 यूरिया इकाइयां शामिल हैं
Posted On:
04 FEB 2025 6:51PM by PIB Delhi
यूरिया के संबंध में, सरकार ने यूरिया क्षेत्र में नए निवेश की सुविधा प्रदान करने और भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए 2 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति (एनआईपी) - 2012 की घोषणा की थी और 7 अक्टूबर, 2014 को इसमें संशोधन किया था। एनआईपी-2012 के तहत कुल 6 नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिनमें नामांकित पीएसयू की संयुक्त उद्यम कंपनियों (जेवीसी) के माध्यम से स्थापित 4 यूरिया इकाइयां और निजी कंपनियों द्वारा स्थापित 2 यूरिया इकाइयां शामिल हैं। जेवीसी के माध्यम से स्थापित इकाइयां तेलंगाना में रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (आरएफसीएल) की रामागुंडम यूरिया इकाई और उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में क्रमशः हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की 3 यूरिया इकाइयां अर्थात् गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी हैं। निजी कंपनियों द्वारा स्थापित इकाइयां पश्चिम बंगाल में मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) की पानागढ़ यूरिया इकाई हैं; और राजस्थान में चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (सीएफसीएल) की गडेपान-III यूरिया इकाई। इनमें से प्रत्येक इकाई की स्थापित क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एलएमटीपीए) है। ये इकाइयाँ अत्यधिक ऊर्जा कुशल हैं क्योंकि ये नवीनतम तकनीक पर आधारित हैं। इसलिए, इन इकाइयों ने मिलकर 76.2 एलएमटीपीए की यूरिया उत्पादन क्षमता जोड़ दी है, जिससे कुल स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता (पुनर्मूल्यांकन क्षमता, आरएसी) 2014-15 के दौरान 207.54 एलएमटीपीए से बढ़कर 2023-24 के दौरान 283.74 एलएमटीपीए हो गई है। इसके अलावा, कोयला गैसीकरण मार्ग पर 12.7 एलएमटीपीए का नया ग्रीनफील्ड यूरिया संयंत्र स्थापित करके नामांकित पीएसयू अर्थात् तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) के जेवीसी के माध्यम से एफसीआईएल की तालचेर इकाई के पुनरुद्धार के लिए विशेष नीति को भी मंजूरी दे दी गई है।
इसके अलावा, सरकार ने आरएसी से परे स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करने के उद्देश्यों में से एक के साथ मौजूदा 25 गैस-आधारित यूरिया इकाइयों के लिए 25 मई, 2015 को नई यूरिया नीति (एनयूपी) - 2015 भी अधिसूचित की। एनयूपी-2015 के कारण 2014-15 के दौरान सालाना उत्पादन की तुलना में यूरिया का 20-25 एलएमटी अतिरिक्त उत्पादन हुआ है।
उपर्युक्त कदमों ने मिलकर 2014-15 के दौरान यूरिया उत्पादन को 225 एलएमटी प्रति वर्ष के स्तर से बढ़ाकर 2023-24 के दौरान 314.07 एलएमटी के रिकॉर्ड यूरिया उत्पादन तक पहुंचाने में मदद की है।
फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों के संबंध में, सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों के लिए 01.04.2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति लागू की है। इस नीति के तहत, अधिसूचित पी एंड के उर्वरकों पर उनकी पोषक तत्व सामग्री के आधार पर वार्षिक/द्विवार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की निश्चित राशि प्रदान की जाती है। पी एंड के क्षेत्र नियंत्रणमुक्त है और उर्वरक कंपनियां बाजार की गतिशीलता के अनुसार उर्वरकों की घरेलू उत्पादन क्षमता का निर्माण/आयात/विकास करती हैं। इसके अलावा, आयातित उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लिए, सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:
i. अनुरोधों के आधार पर, विनिर्माण को बढ़ावा देने और देश को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से, नई विनिर्माण इकाइयों या मौजूदा इकाइयों की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि को एनबीएस सब्सिडी योजना के तहत मान्यता दी गई है / रिकॉर्ड पर लिया गया है।
ii. गुड़ से प्राप्त पोटाश (पीडीएम) 100% स्वदेशी रूप से निर्मित उर्वरक है, पीडीएम को पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत अधिसूचित किया गया है।
iii. एसएसपी स्वदेशी निर्मित उर्वरक है। इस पर माल ढुलाई सब्सिडी मिट्टी को फॉस्फेटिक या 'पी' पोषक तत्व प्रदान करने के लिए एसएसपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खरीफ, 2022 से लागू है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि भारतीय कृषि क्षेत्र लगभग 46.1 प्रतिशत जनसंख्या को आजीविका सहायता प्रदान करता है और मौजूदा कीमतों पर देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है। देश में उच्च कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिए उर्वरक, पानी और बीज महत्वपूर्ण इनपुट हैं। सरकार ने पिछले दशक के दौरान उपर्युक्त पैराग्राफ में उल्लिखित विभिन्न प्रयास किए हैं, जिसके कारण कुल उर्वरक उत्पादन 2014-15 में 385.39 एलएमटी से बढ़कर 2023-24 में 503.35 एलएमटी हो गया है।
यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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