इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
मजबूत और उच्च स्तरीय कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा के साथ, भारत जल्द ही सस्ती लागत पर अपना सुरक्षित और संरक्षित स्वदेशी एआई मॉडल लॉन्च करने के लिए तैयार है: श्री अश्विनी वैष्णव
वैश्विक मॉडल के अनुसार प्रति घंटे इस्तेमाल पर 2.5 से 3 डॉलर के खर्च की तुलना में, भारत के एआई मॉडल पर 40 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी के बाद 100 रुपये प्रति घंटे से भी कम खर्च होगा; आकर्षक अर्धवार्षिक और वार्षिक योजनाएं इसे और अधिक किफायती बना देंगी
भारतीय संदर्भ के लिए, भारतीय भाषाओं में कई आधारभूत मॉडल, इस वर्ष के अंत में तैयार होने की संभावना है, जो अनुसंधानकर्ताओं, छात्रों और आम लोगों को इसकी कम लागत, तेज कंप्यूटिंग और त्वरित परिणामों के लिए मदद करेंगे
शुरुआत में, कृषि क्षेत्र, शिक्षण की अक्षमता और जलवायु परिवर्तन से संबंधित 18 नागरिक केंद्रित एप्लिकेशन इस एआई मॉडल का हिस्सा होंगे
सुरक्षा प्रोटोकॉल संबंधी जांच के बाद डीपसीक को भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जाएगा, ताकि उपयोगकर्ता, कोडर, डेवलपर इसके ओपन सोर्स कोड से लाभ उठा सकें
Posted On:
30 JAN 2025 7:48PM by PIB Delhi
भारत सस्ती लागत पर अपना स्वयं का सुरक्षित और संरक्षित स्वदेशी एआई मॉडल लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे, सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज नई दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में इसकी घोषणा की। मीडिया से बातचीत करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय एआई मॉडल ऐसे समय पर उठाया गया कदम है, जब भारत विभिन्न राष्ट्रों के समूह में एक विश्वसनीय राष्ट्र है और इसलिए यह आने वाले दिनों में भारत को नैतिक एआई समाधानों के एक अधिक विश्वसनीय तकनीकी महाशक्ति के रूप में उभरने में मदद करेगा। एक उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा द्वारा समर्थित, भारत एआई मिशन अब भारतीय भाषाओं का उपयोग करके भारतीय संदर्भ के लिए स्वदेशी एआई समाधानों को अनुकूलित करने के करीब है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, डेवलपर और कोडर इस संबंध में कई आधारभूत मॉडलों पर पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि भारतीय एआई मॉडल 6 महीने के भीतर तैयार हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि "हमारे प्रधानमंत्री का आर्थिक विषयों पर चिंतन बहुत समावेशी है। वह आधुनिक तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाने में विश्वास करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वाले लोग आर्थिक रूप से सशक्त हों।"
एआई मॉडल की शुरुआत लगभग 10000 जीपीयू की कम्प्यूटेशन सुविधा के साथ हो रही है। जल्द ही शेष 8693 जीपीयू भी इसमें शामिल कर लिए जाएंगे। शुरुआत में इसका लाभ मुख्य रूप से अनुसंधानकर्ताओं, छात्रों और डेवलपर को मिलेगा। मिशन में भाग लेने वाले तकनीकी भागीदारों ने इस मिशन की क्षमता पर बहुत भरोसा जताया है कि यह कम्प्यूटिंग तक पहुंच को और वह भी बहुत ही प्रतिस्पर्धी दरों पर लोकतांत्रिक बनाने के अपने उद्देश्य को पूरा करेगा। सरकार ने लागत का 40 प्रतिशत सब्सिडी के बाद इसे उपयोगकर्ताओं को 100 रुपये प्रति जीपीयू से भी कम की दर पर देने का फैसला किया है। 2.5 से 3 डॉलर प्रति घंटे के उपयोग की लागत वाले वैश्विक मॉडलों की तुलना में, भारत के एआई मॉडल की लागत 40 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी के बाद 100 रुपये प्रति घंटे से भी कम होगी। आकर्षक अर्धवार्षिक और वार्षिक योजनाएं इसे और अधिक किफायती बना देंगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इंडिया एआई मिशन के शुभारंभ के 10 महीनों के भीतर, , अभूतपूर्व रुचि प्राप्त करने और इस्तेमाल के लिए तैयार लगभग 18,693 ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट, जीपीयू की एक हाई एंड और मजबूत आम कंप्यूटिंग सुविधा बनाने में सक्षम है। यह ओपन सोर्स मॉडल डीपसीक के मुकाबले लगभग नौ गुना और चैटजीपीटी के मुकाबले लगभग दो तिहाई है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डीपसीक को सुरक्षा जांच के बाद भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जा सकता है ताकि कोडर, डेवलपर और डिजाइनर इसके ओपन सोर्स कोड का लाभ उठा सकें।
एआई मॉडल की सुरक्षा और नैतिक स्वरूप में लागू करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। केंद्रीय मंत्री ने अपनी घोषणा को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि भारत एक तकनीकी-कानूनी दृष्टिकोण अपनाते हुए एक एआई सुरक्षा संस्थान की स्थापना कर रहा है।
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इस संबंध में सुरक्षा-संबंधी प्रमुख परियोजनाओं में एल्गोरिदम दक्षता के नैतिक ऑडिटिंग के साथ-साथ डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित 8 प्रयास एक साथ शामिल हैं।
● मशीन अनलर्निंग (आईआईटी जोधपुर)
● सिंथेटिक डेटा जेनरेशन (आईआईटी रुड़की)
● एआई संबंधी पूर्वाग्रह शमन रणनीति (एनआईटी रायपुर)
● व्याख्यात्मक एआई फ्रेमवर्क (डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, पुणे और माइनक्राफ्ट टेक्नोलॉजी)
● गोपनीयता बढ़ाने की रणनीति (आईआईटी दिल्ली, आईआईआईटी दिल्ली, आईआईटी धारवाड़ और दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र, टीईसी)
● एआई नैतिक प्रमाणन फ्रेमवर्क (टूल निष्पक्ष आईआईआईटी दिल्ली और टीईसी में विकसित किया जा रहा है)
● एआई एल्गोरिदम ऑडिटिंग फ्रेमवर्क (टूल परख सिविक डेटा लैब्स द्वारा विकसित किया जा रहा है)
● एआई गवर्नेंस टेस्टिंग फ्रेमवर्क (अमृता विद्यापीठम और दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र)
कॉमन कंप्यूट सुविधा लोकतांत्रिक एआई के विकास के लिए मजबूत आधार
इंडिया एआई मिशन के तहत, एक विशाल कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है, जिसने थोड़े समय में वैश्विक बेंचमार्क को पार कर लिया है। इस सुविधा में अब 18,693 जीपीयू हैं, जिनमें 12,896 एच100, 1,480 एच200 और 7,200 एमआई 200 300 यूनिट शामिल हैं, जो 10,000 जीपीयू के शुरुआती लक्ष्य से काफी अधिक है। इस क्षमता को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, डीप सीक को 2,000 जीपीयू पर प्रशिक्षित किया गया था, जबकि चैटजीपीटी को 25,000 जीपीयू की आवश्यकता थी। यह विशाल कंप्यूटिंग शक्ति न केवल अनुसंधान, मॉडल प्रशिक्षण को गति देगी, नैतिक एआई एल्गोरिदम विकास में मदद करेगी और भारत के एआई इकोसिस्टम में नवाचार को बढ़ावा देगी।
सभी हितधारकों के लिए पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक सामान्य कंप्यूट प्लेटफॉर्म बनाया गया है। लगभग 10,000 जीपीयू पहले से ही उपलब्ध हैं, और तकनीकी भागीदारों ने विश्व स्तरीय एआई समाधान देने की मिशन की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया है। स्वीकृति के बाद, यह सुविधा जल्द ही व्यापक इस्तेमाल के लिए चालू हो जाएगी।
भारत सरकार ने मार्च 2024 में 10372 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य मौजूदा एआई इकोसिस्टम में अंतराल को पाटना और भारत को एआई प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के विकास के केंद्र के रूप में उभरने में सक्षम बनाना था। इंडिया एआई मिशन को 7 प्रमुख स्तंभों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है और इनमें से एक प्रमुख स्तंभ एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10,000 जीपीयू की उपलब्धता को सक्षम बनाना है। इस उद्देश्य की दिशा में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंडिया एआई स्वतंत्र व्यापार प्रभाग (आईबीडी) के माध्यम से, क्लाउड पर एआई सेवाओं को पैनल बनाने और सीपीसी पोर्टल के माध्यम से शिक्षाविदों, एमएसएमई, स्टार्टअप, अनुसंधान समुदाय, सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों और इंडिया एआई द्वारा अनुमोदित अन्य संस्थाओं को सेवाएं प्रदान करने के लिए 16 अगस्त, 2024 को पैनल बनाने के लिए अनुरोध (आरएफई) प्रकाशित किया।
क्लाउड सेवा प्रदाताओं (सीएसपी), प्रबंधित सेवा प्रदाताओं (एमएसपी) और डेटा सेंटर सेवा प्रदाताओं सहित 19 बोलीदाताओं ने प्रस्ताव प्रस्तुत किए। पूर्व योग्यता मानदंड के अनुसार प्रारंभिक जांच के बाद 13 बोलीदाताओं को तकनीकी मूल्यांकन समिति के समक्ष प्रस्तुतियां देने के लिए आमंत्रित किया गया। तकनीकी मूल्यांकन के अनुसार, दस बोलीदाताओं को वित्तीय बोलियाँ खोलने के लिए पात्र पाया गया। 10 तकनीकी रूप से योग्य बोलीदाताओं की वित्तीय बोलियां 22 जनवरी, 2025 को खोली गईं। नीचे सूचीबद्ध 10 बोलीदाताओं ने उद्धृत एआई कंप्यूट इकाइयों (जीपीयू) की विभिन्न श्रेणियों के लिए अपने वाणिज्यिक प्रस्ताव पेश किए हैं।
1. सीएमएस कंप्यूटर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
2. सीटीआरएलएस डेटासेंटर लिमिटेड
3. ई2ई नेटवर्क्स लिमिटेड
4. जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड
5. लोकुज एंटरप्राइज सॉल्यूशंस लिमिटेड
6. नेक्स्टजेन डेटासेंटर एंड क्लाउड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड
7. ओरिएंट टेक्नोलॉजीज लिमिटेड
8. टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड
9. वेन्सिसको टेक्नोलॉजीज लिमिटेड
10. योट्टा डेटा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
इन बोलीदाताओं ने एआई कंप्यूट यूनिट्स (जीपीयू) की विविध श्रेणी को उद्धृत किया है जिसमें इंटेल गौडी 2, एएमडी एमआई300एक्स, एमआई325 एक्स, एनवीआईडीआईए एच100 (पीसीआईई, एनवीएल और एसएक्सएम), एनवीआईडीआईए एच200 (पीसीआईई, एनवीएल और एसएक्सएम), एनवीआईडीआईए ए100, एनवीआईडीआईए, एल40एस, एनवीआईडीआईए एल4, एडब्ल्यूएस इनफेरेंटिया2 और एडब्ल्यूएस ट्रैनियम शामिल हैं। बोलीदाताओं ने एनवीआईडीआईए और एएमडी के 8 जीपीयू मॉड्यूल भी पेश किए हैं।
पैनल में शामिल करने की शर्तों के अनुसार, किसी विशेष श्रेणी की कंप्यूट यूनिट के लिए एल1 दरें उद्धृत करने वाले बोलीदाता को पहले पैनल में शामिल किया जाएगा और कंप्यूट यूनिट की उस श्रेणी के अन्य सभी बोलीदाता, यदि वे एल1 बोली से मेल खाने के लिए सहमत होते हैं, तो पैनल में शामिल होने के लिए पात्र होंगे। सबसे कम (एल1) बोलीदाता, प्रत्येक एआई कंप्यूट श्रेणी में पेश की गई एल1 बोली कीमत और प्रकाशित बाजार कीमतों की तुलना में प्रति घंटे, मासिक, 6 महीने और सालाना मांग पर दी जाने वाली छूट का प्रतिशत तालिका ए और बी में अनुलग्नक 1 में दिया गया है। भंडारण और नेटवर्क सेवाओं के लिए पेश की गई एल1 बोलीदाता कीमत तालिका सी और डी में अनुलग्नक 2 में दी गई है। बोलीदाताओं ने अपने बाजार मूल्य की तुलना में रियायती मूल्य पर एआई प्लेटफॉर्म और अन्य सेवाएं भी प्रदान की हैं।
इंडिया एआई सुरक्षा संस्थान की स्थापना
केंद्रीय मंत्री ने एआई जोखिमों और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए इंडियाएआई मिशन के सुरक्षित और विश्वसनीय स्तंभ के तहत इंडियाएआई सुरक्षा संस्थान की स्थापना की घोषणा की। इंडियाएआई सुरक्षा संस्थान एआई में सुरक्षा, संरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने की दिशा में शिक्षा जगत, स्टार्टअप, उद्योग और सरकारी मंत्रालयों/विभागों सहित सभी संबंधित हितधारकों के साथ काम करेगा। संस्थान भारतीय डेटासेट के आधार पर और भारत की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के संदर्भ में स्वदेशी अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाएगा। इंडियाएआई मिशन द्वारा इनक्यूबेट किए गए संस्थान की स्थापना हब और स्पोक मॉडल पर की जाएगी, जिसमें विभिन्न शोध और शैक्षणिक संस्थान, निजी क्षेत्र के भागीदार हब में शामिल होंगे और इंडियाएआई मिशन के सुरक्षित और विश्वसनीय स्तंभ के तहत परियोजनाएं शुरू करेंगे। सुरक्षित और विश्वसनीय स्तंभ के तहत, इंडियाएआई मिशन ने पहली रुचि अभिव्यक्ति (ईओआई) के खिलाफ आठ जिम्मेदार एआई परियोजनाओं का चयन किया है। ये परियोजनाएं अनुलग्नक 3 में सूचीबद्ध हैं।
इसके अलावा, इंडियाएआई ने भारतीय शैक्षणिक संस्थानों/संगठनों, स्वायत्त निकायों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/संगठनों, स्टार्टअप्स और कंपनियों के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) का दूसरा दौर शुरू किया है। दूसरे ईओआई के अंतर्गत शामिल विषयों में शामिल हैं:
i. वॉटरमार्किंग और लेबलिंग
ii. नैतिक एआई फ्रेमवर्क
iii. एआई जोखिम मूल्यांकन और प्रबंधन
iv. तनाव परीक्षण उपकरण
v. डीप-फेक डिटेक्शन उपकरण
इस पहल का उद्देश्य शोधकर्ताओं, छात्रों और आम जनता को इसकी कम लागत वाली, तेज़ कंप्यूटिंग क्षमताओं और इसके त्वरित परिणामों से लाभान्वित करना है। भारतीय एआई मॉडल नवाचार को बढ़ावा देने और नागरिक केंद्रित बेहतर शासन उपकरण विकसित करने में मदद करेगा, जिसमें बड़े पैमाने पर लोगों के लिए तकनीकी लाभों का दोहन करने की अपार क्षमता वाले कई औद्योगिक उपयोग शामिल हैं।
भारत का अपना एआई मॉडल: स्थानीय संदर्भ के लिए बनाया गया
पिछले डेढ़ साल से, भारत अपने स्वयं के मूलभूत एआई मॉडल का समर्थन करने के लिए एक मजबूत एआई इकोसिस्टम विकसित कर रहा है। यह मॉडल पूर्वाग्रहों को दूर करते हुए, समावेशिता सुनिश्चित करते हुए और निष्पक्षता को बढ़ावा देते हुए भारतीय भाषायी और प्रासंगिक आवश्यकताओं का समाधान करेगा। अग्रणी डेवलपर और अनुसंधानकर्ता 8 से 10 महीनों के भीतर कई मूलभूत मॉडल को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि किफायती और समय पर विकास के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एल्गोरिदमिक दक्षता का लाभ उठाया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का एआई मॉडल देश की विविध आवश्यकताओं को पूरा करेगा, जिससे भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए उच्च स्तर का नवाचार सामने आएगा।
नागरिकों को लाभान्वित करने के लिए एआई का इस्तेमाल
इंडिया एआई मिशन कृषि, स्वास्थ्य सेवा, मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई का इस्तेमाल तैयार करने पर केंद्रित है। सामाजिक लाभ के उद्देश्य से एआई का उपयोग करने के लिए इन डोमेन में अठारह अनुप्रयोगों की पहचान की गई है। यह पहल जलवायु परिवर्तन, शिक्षण की अक्षमता और कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े समाधान जैसी चुनौतियों का समाधान करेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि एआई लाखों लोगों की भलाई में योगदान दे।
एआई विकास के लिए किफायती कंप्यूट सुविधा
भारत की कंप्यूट सुविधा अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर पेश की जा रही है। प्रति जीपीयू घंटे की लागत लगभग 115.85 रुपए है, जो वैश्विक बेंचमार्क 2.5 डॉलर-3 डॉलर प्रति घंटे से काफी कम है। हाई-एंड कंप्यूटिंग 150 रुपए प्रति घंटे पर उपलब्ध होगी, जिसमें 40 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी होगी, जिससे आम कंप्यूट एक्सेस के लिए लागत 100 रुपए प्रति घंटे से भी कम हो जाएगी। यह किफायती होने के कारण लोकतांत्रिक एआई एक्सेस सुनिश्चित करती है, जिससे स्टार्टअप और अनुसंधानकर्ता दोनों ही सशक्त होते हैं।
यह पहल छह महीने की प्रतिस्पर्धी और वार्षिक कंप्यूट दर का पैकेज प्रदान करती है। इस सुविधा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना प्राप्त की है, जिसमें दावोस में मान्यता भी शामिल है, जिसने भारत की स्थिति को एक विश्वसनीय वैश्विक एआई हब के रूप में मजबूत किया है।
भारत के आधारभूत एआई मॉडल बनाने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने आधारभूत एआई मॉडल के विकास का समर्थन करने के लिए इंडिया एआई मिशन के तहत प्रस्ताव आमंत्रित किए, जिसमें स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और उद्यमियों को भारतीय डेटासेट का उपयोग करके अत्याधुनिक एआई मॉडल बनाने में सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया गया। इस पहल का उद्देश्य स्वदेशी एआई मॉडल स्थापित करना है, जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए बड़े मल्टीमॉडल मॉडल, बड़े भाषा मॉडल या छोटे भाषा मॉडल हो सकते हैं। इन एआई मॉडल को भारतीय डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, जिससे भाषाई, सांस्कृतिक और प्रासंगिक प्रासंगिकता सुनिश्चित हो सके। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, जलवायु और शासन जैसे क्षेत्रों में स्केलेबल और प्रभावशाली एआई समाधान बनाना है।
प्रस्तावों का मूल्यांकन कई प्रमुख मानदंडों के आधार पर किया जाएगा, जिसमें टीम की क्षमता शामिल है, जो एआई/एमएल में विशेषज्ञता, पूर्व अनुभव और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं को निष्पादित करने की क्षमता का मूल्यांकन करती है। दृष्टिकोण और रणनीति की नवीनता, डेटासेट रणनीति, मॉडल आर्किटेक्चर और स्थिरता योजनाओं के लिए समीक्षा की जाएगी। समय-सीमा और मील के पत्थर स्पष्ट डिलीवरेबल्स के साथ यथार्थवादी विकास कार्यक्रम प्रस्तुत करने चाहिए। उपयोग के मामलों के अनुभाग को रचनात्मकता, व्यवहार्यता और सामाजिक प्रभाव अनुप्रयोगों की मापनीयता के आधार पर आंका जाएगा। नैतिक अनुपालन के लिए डीपीडीपी अधिनियम, आईटी अधिनियम और पूर्वाग्रह शमन रणनीतियों का पालन करना आवश्यक होगा। उद्योग बेंचमार्क, दीर्घकालिक अनुकूलनशीलता और वाणिज्यिक व्यवहार्यता के आधार पर मापनीयता और स्थिरता की जांच की जाएगी। अंत में, बजट औचित्य, फंडिंग स्रोतों और लागत-प्रभावशीलता के संदर्भ में वित्तीय व्यवहार्यता का आकलन किया जाएगा।
फंडिंग और समर्थन तंत्र में प्रत्यक्ष फंडिंग शामिल है, जो मील के पत्थर-आधारित संवितरण के साथ अनुदान और एआई कंप्यूट क्रेडिट प्रदान करता है, और इक्विटी-आधारित निवेश, जहां आपसी समझौतों के माध्यम से अतिरिक्त फंडिंग प्रदान की जाती है। सह-वित्तपोषण विकल्प भी हैं, जो संस्थाओं को उद्यम पूंजीपतियों, एंजेल निवेशकों, गैर-लाभकारी संस्थाओं या राज्य और केंद्र सरकार के अनुदानों से अतिरिक्त फंडिंग सुरक्षित करने की अनुमति देते हैं। प्रस्तावों को रोलिंग सबमिशन के आधार पर स्वीकार किया जाएगा और पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा।
भविष्य का रोडमैप और स्थिरता
इंडिया एआई मिशन दीर्घकालिक स्थिरता के साथ चार साल के सनसेट क्लॉज के तहत काम करता है। जैसे-जैसे भारत अपनी सेमीकंडक्टर यात्रा में आगे बढ़ रहा है, सरकार स्पष्टता और व्यवस्थित योजना के साथ अपने पारिस्थितिकी तंत्र को रणनीतिक रूप से विकसित कर रही है। सेमीकंडक्टर मिशन में 30 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश के साथ, इंडिया एआई की आकांक्षाएं इसकी व्यापक तकनीकी दृष्टि के साथ तालमेल रखती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डीपसीक और अन्य मूलभूत मॉडल भारतीय सर्वर पर होस्ट किए जा सकते हैं, जो एलएलएएमए जैसी पिछली पहलों के समान है। उन्होंने कहा, एआई का वास्तविक प्रभाव चैटबॉट और इमेज जेनरेशन से परे औद्योगिक अनुप्रयोगों में है; यह वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करेगा जैसे:
● तेल ड्रिलिंग रिग का स्वास्थ्य
● रेलवे टिकटिंग अनुकूलन
● कृषि के लिए मृदा स्वास्थ्य निगरानी
● मौसम और चक्रवात की भविष्यवाणी
मिशन वास्तविक समय का पता लगाने वाले उपकरणों, डीप-फेक शमन और मजबूत एआई जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के माध्यम से एआई सुरक्षा पर भी जोर देता है। स्टैनफोर्ड ने एआई शिक्षा में भारत को शीर्ष देशों में स्थान दिया है, जिसमें 240 विश्वविद्यालय एआई पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं और 100 विश्वविद्यालय 5जी प्रयोगशालाओं से सुसज्जित हैं।
लोकतांत्रिक, समावेशिता, सामर्थ्य और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत एक वैश्विक एआई पावरहाउस के रूप में उभरने के लिए तैयार है, जो सामाजिक और औद्योगिक उन्नति के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य को आकार देगा। इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव श्री अभिषेक सिंह और इंडिया एआई की सीईओ श्रीमती कविता भाटिया, इंडिया एआई के सीओओ, एनईजीडी के पीएंडसीईओ श्री नंद कुमारम और डीआईसी के सीईओ और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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एमजी/ आरपी/ केसी/ एसकेएस/
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