पंचायती राज मंत्रालय
कानूनी भूमि स्वामित्व के साथ ग्रामीण भारत का सशक्तिकरण
65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड वितरित
Posted On:
18 JAN 2025 3:50PM by PIB Delhi
“ग्रामीण भारत के लोगों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना मेरी सरकार की प्राथमिकता है”
~ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी [1]
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 24 अप्रैल, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई स्वामित्व योजना का उद्देश्य ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में संपत्ति मालिकों को "अधिकारों का रिकॉर्ड" प्रदान करके ग्रामीण भारत के आर्थिक परिवर्तन को गति देना है। भूमि सीमांकन के लिए उन्नत ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग करते हुए, यह योजना संपत्ति मुद्रीकरण को बढ़ावा देती है, बैंक ऋण तक पहुँच को आसान बनाती है, संपत्ति विवादों को कम करती है और व्यापक ग्राम-स्तरीय योजना को बढ़ावा देती है। सच्चे ग्राम स्वराज को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम के रूप में यह पहल ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने और इसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक है!
18 जनवरी 2025 को, आत्मनिर्भर भारत के परिकल्पना के प्रतिबिंब के रूप में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की उपस्थिति में 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 से अधिक गाँवों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड ई-वितरित किए। समारोह के दौरान, उन्होंने राष्ट्र को संबोधित किया और लाभार्थियों के साथ बातचीत की, जिसमें देश भर के गणमान्य व्यक्ति वर्चुअली शामिल हुए। [2] यह आयोजन स्वामित्व योजना में एक ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रतीक है, जो कानूनी भूमि स्वामित्व के साथ ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के परिकल्पना को आगे बढ़ाता है।
स्वामित्व की आवश्यकता
दशकों से भारत में ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण और बंदोबस्त अधूरा रहा है, कई राज्य गाँवों के आबादी क्षेत्रों का मानचित्रण या दस्तावेजीकरण करने में विफल रहे हैं। कानूनी रिकॉर्ड की कमी ने इन क्षेत्रों में संपत्ति के मालिकों को औपचारिक रिकॉर्ड के बिना छोड़ दिया, जिससे उन्हें अपने घरों को अपग्रेड करने या ऋण और अन्य वित्तीय सहायता के लिए वित्तीय संपत्ति के रूप में अपनी संपत्ति का उपयोग करने के लिए संस्थागत ऋण तक पहुँचने से प्रभावी रूप से रोक दिया गया है। इस तरह के दस्तावेजीकरण की अनुपस्थिति सात दशकों से अधिक समय तक बनी रही, जिससे ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति में एक महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न हुई है। आर्थिक सशक्तीकरण के लिए कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त संपत्ति रिकॉर्ड के महत्व को समझते हुए, एक आधुनिक समाधान की आवश्यकता थी। फलस्वरूप, गाँव के आबादी क्षेत्रों के सर्वेक्षण और मानचित्रण के लिए उन्नत ड्रोन तकनीक का लाभ उठाने के लिए स्वामित्व योजना की अवधारणा की गई थी। बहुत कम समय में पीएम स्वामित्व ने पहले ही अनुकरणीय मील के पत्थर हासिल कर लिए हैं।
योजना की उपलब्धियाँ
- 18 जनवरी 2025 को 10 राज्यों (छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख) के 50,000 से अधिक गाँवों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड का वितरण।
- स्वामित्व योजना के अंतर्गत, गाँवों में बसे ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकाना हक वाले ग्रामीण परिवारों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करने और संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी करने के उद्देश्य से 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने इस योजना को शुरू किया है ।
- राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना के अंतर्गत कुल 3,46,187 गाँवों को अधिसूचित किया गया है, जिनमें से 3,17,715 गाँवों में ड्रोन उड़ाने का कार्य पूरा हो चुका है , जो 92% उपलब्धि है।
- राज्य जाँच के लिए नक्शे सौंपे गए हैं और 1,53,726 गाँवों के लिए संपत्ति कार्ड तैयार किए गए हैं , जिसके परिणामस्वरूप लगभग 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए गए हैं ।
- उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने 100% ड्रोन सर्वेक्षण हासिल कर लिया है , तथा संपत्ति कार्ड तैयार करने में क्रमशः 73.57% और 68.93% की पर्याप्त प्रगति हुई है।
- हरियाणा और उत्तराखंड ड्रोन सर्वेक्षण और संपत्ति कार्ड तैयार करने दोनों में 100% पूरा होने के साथ आगे हैं । महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान ने ड्रोन सर्वेक्षण में सराहनीय प्रगति की है , महाराष्ट्र और गुजरात ने 98% से अधिक हासिल किया है , हालांकि संपत्ति कार्ड तैयार करने में और तेजी लाने की आवश्यकता है।
- कुल 67,000 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण आबादी भूमि का सर्वेक्षण किया गया है, जिसका मूल्य 132 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जो इस पहल के आर्थिक महत्व पर बल देता है।
- एक केंद्रीकृत ऑनलाइन निगरानी और रिपोर्टिंग डैशबोर्ड कार्यान्वयन प्रगति की वास्तविक समय ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है। डिजिलॉकर ऐप के माध्यम से लाभार्थियों को संपत्ति कार्ड आसानी से उपलब्ध है, जिससे वे अपने कार्ड को डिजिटल रूप से देख और डाउनलोड कर सकते हैं।
- इस योजना में सर्वेक्षण-ग्रेड ड्रोनों को सतत प्रचालन संदर्भ प्रणाली (सीओआरएस) नेटवर्क के साथ जोड़ा गया है, जिससे उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र शीघ्रता से और सटीक रूप से तैयार किए जा सकेंगे, जिससे ग्रामीण भूमि सीमांकन की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
स्वामित्व का व्यापक प्रभाव
सफलता की कहानियाँ
स्वामित्व योजना एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में उभरी है, जो ग्रामीण शासन को नया आकार दे रही है और संपत्ति सत्यापन तथा भूमि प्रबंधन के लिए अपने अभिनव दृष्टिकोण के माध्यम से समुदायों को सशक्त बना रही है। ये उदाहरण ग्रामीण प्रगति को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में योजना की भूमिका को रेखांकित करते हैं।
- विवाद समाधान: 25 साल की अनिश्चितता के बाद, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर तहसील के तारोपका गाँव की श्रीमती सुनीता को आखिरकार स्वामित्व योजना के माध्यम से अपनी पुश्तैनी जमीन का स्वामित्व मिल गया। अपने संपत्ति कार्ड के साथ, उन्होंने अपने पड़ोसी के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद को सुलझाया, जिससे उसके परिवार के भविष्य में बहुत ज़रूरी शांति और स्थिरता मिली। स्वामित्व पहल ने स्पष्ट कानूनी स्वामित्व प्रदान किया, जिससे उनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
- महिला सशक्तिकरण: 1947 के विभाजन के समय शरणार्थी रहीं श्रीमती स्वर्ण कांतरा के पास कभी भी उस ज़मीन के आधिकारिक स्वामित्व के कागजात नहीं थे, जिस पर वे वर्षों से रह रही हैं। पहली बार उन्हें संपत्ति कार्ड मिला, जिससे उन्हें कानूनी स्वामित्व मिला और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हुआ। यह स्वामित्व उन्हें न केवल वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि सम्मान और मानसिक शांति भी प्रदान करता है। स्वामित्व योजना के माध्यम से, श्रीमती कांतरा ने जम्मू और कश्मीर के साँबा जिले की रामगढ़ तहसील के धूप सारी गाँव में अपने परिवार के लिए सशक्तीकरण और स्थिरता सुनिश्चित करते हुए अपनी ज़मीन पर कानूनी अधिकार प्राप्त किए।
- वित्तीय समावेशन: राजस्थान के डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा तहसील के फलाटेड गाँव के श्री सुखलाल पारगी को स्वामित्व योजना के तहत पट्टा और संपत्ति कार्ड मिला। इस आधिकारिक दस्तावेज ने उन्हें औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच बनाने में सक्षम बनाया है। संपत्ति कार्ड का उपयोग करके, उन्होंने सफलतापूर्वक 3 लाख रुपये का बैंक ऋण प्राप्त किया, जिसे सुव्यवस्थित तरीके से वितरित किया गया। स्वामित्व योजना ने उन्हें न केवल कानूनी स्वामित्व प्रदान किया है, बल्कि आर्थिक विकास और स्थिरता का अवसर भी प्रदान किया है।
- राजस्व का अपना स्रोत बढ़ाया: सरपंच श्रीमती शीतल किरण तिलकदार के नेतृत्व में एखतपुर-मुंजवाड़ी में स्वामित्व योजना ने सफलतापूर्वक घरों को संपत्ति कार्ड प्रदान किए, भूमि विवादों को कम किया और सार्वजनिक स्थान प्रबंधन में सुधार किया। इसने अतिक्रमण और सड़क संबंधी मुद्दों को हल करने में मदद की, जिससे बेहतर ग्राम नियोजन संभव हुआ है। इस योजना ने अद्यतन संपत्ति रिकॉर्ड के साथ ग्राम पंचायत के स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) को बढ़ावा दिया और निवासियों को निर्माण के लिए बैंक ऋण तक पहुँच प्रदान की, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला। इस पहल ने शासन, पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाया, जिससे भारत में ग्रामीण विकास के लिए एक मॉडल तैयार हुआ है।
- पंचायत नियोजन के लिए स्वामित्व मानचित्रों का लाभ: स्वामित्व योजना से पहले, मध्य प्रदेश के सीहोर में बिलकिसगंज ग्राम पंचायत हाथ से बनाए गए मानचित्रों पर निर्भर थी, जिससे सटीक भूमि आयाम निर्धारित करना और सेवा लागत का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया था। स्वामित्व मानचित्रों और स्थानिक नियोजन की शुरुआत के साथ, पंचायत के पास अब सटीक, डेटा-संचालित जानकारी तक पहुँच है। इस नवाचार ने विभिन्न गतिविधियों के लिए भूमि आवंटन में सुधार किया है और विकास नियोजन को अनुकूलित किया है। श्रीमती प्रिया राजेश जांगड़े के नेतृत्व में, स्थानिक रूप से सूचित नियोजन में बदलाव ने निर्णय लेने को सुव्यवस्थित किया है, जिससे अधिक प्रभावी भूमि उपयोग और बेहतर सेवा वितरण संभव हुआ है, जिससे बिलकिसगंज को सतत विकास के लिए सशक्त बनाया गया है।
- भारत के भूमि प्रशासन मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आउटरीच
भविष्य को देखते हुए, मंत्रालय वैश्विक मंचों पर स्वामित्व योजना की सफलता को प्रदर्शित करने की योजना बना रहा है। मार्च 2025 में, विदेश मंत्रालय के सहयोग से, एमओपीआर ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग 40 प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ, भारत में भूमि प्रशासन पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करने की योजना बनाई है। इस कार्यशाला का उद्देश्य दुनिया भर में इसी तरह की पहल के लिए सहयोग को बढ़ावा देते हुए सर्वोत्तम प्रथाओं और उन्नत ड्रोन और जीआईएस प्रौद्योगिकियों को साझा करना है। मई 2025 में, मंत्रालय भारत की उपलब्धियों को उजागर करने और मॉडल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए वाशिंगटन में विश्व बैंक भूमि प्रशासन सम्मेलन में भाग लेने की भी योजना बना रहा है।
स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत की कहानी को नया आकार दे रही है - भूमि स्वामित्व की सदियों पुरानी चुनौतियों को विकास और सशक्तिकरण के अवसरों में बदल रही है। नवाचार को समावेशिता के साथ जोड़कर, यह बाधाओं को तोड़ती है, विवादों को सुलझाती है और संपत्ति को आर्थिक प्रगति के लिए एक शक्तिशाली उपकरण में बदल देती है। हाई-टेक ड्रोन सर्वेक्षण से लेकर डिजिटल संपत्ति कार्ड तक, यह योजना केवल नक्शे और सीमाओं के बारे में नहीं है; यह सपनों और संभावनाओं के बारे में है। जैसे-जैसे गाँव इस बदलाव को अपनाते हैं, स्वामित्व एक सरकारी पहल से कहीं बढ़कर तथा बनकर उभरता है - यह आत्मनिर्भरता, बेहतर योजना और एक मजबूत, एकीकृत ग्रामीण भारत के लिए उत्प्रेरक है।
संदर्भ
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specialdocs/documents/2022/jun/doc20226862301.pdf
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