राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
एनएचआरसी, भारत की ओर से ‘खेल और मानवाधिकार: भारत में खिलाड़ियों के अधिकारों और कल्याण की सुरक्षा’ पर चर्चा
चर्चा की अध्यक्षता करते हुए कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि खिलाड़ियों के मानवाधिकारों का सम्मान करना और संस्थागत तंत्र के माध्यम से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना खेलों में देश की प्रतिभाओं के बेहतर प्रदर्शन के लिए आवश्यक है
खिलाड़ियों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा में संस्थाओं की भूमिका के बीच अंतरसंबंध पर प्रकाश डाला गया
विभिन्न सुझावों के बीच खिलाड़ियों के बीच सामाजिक समानता विकसित करने के लिए विभिन्न खेल निकायों के भीतर संस्थागत तंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया गया
सभी खेल निकायों में कार्यात्मक संस्थागत तंत्र के माध्यम से यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया
Posted On:
29 OCT 2024 7:51PM by PIB Delhi
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने आज नई दिल्ली स्थित अपने परिसर में ‘खेल और मानवाधिकार: खिलाड़ियों के अधिकारों की सुरक्षा और कल्याण’ विषय पर हाइब्रिड मोड में एक ओपन हाउस चर्चा का आयोजन किया। चर्चा की अध्यक्षता करते हुए कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि मानवीय मूल्यों को बनाए रखना खिलाड़ी की भावना की पहचान है। इसलिए, खिलाड़ियों के मानवाधिकारों का सम्मान करना और संस्थागत तंत्र के माध्यम से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना खेलों में देश की प्रतिभाओं के बेहतर प्रदर्शन के लिए आवश्यक है।
उन्होंने खिलाड़ियों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा में संस्थाओं की भूमिका के बीच अंतरसंबंध को समझने के महत्व पर प्रकाश डाला। इंटरसेक्शनैलिटी का सिद्धांत नीति निर्माताओं और खेल आयोजकों को यह समझने में मदद कर सकता है कि कैसे भेदभाव के विभिन्न प्रकार – जैसे नस्लवाद, होमोफोबिया और दिव्यांगता के प्रति पूर्वाग्रह – विशेषकर महिलाओं को खेल में भाग लेने से रोकते हैं।
कार्यवाहक अध्यक्ष ने खिलाड़ियों के अधिकारों के उल्लंघन के मामले में न्यायिक तंत्र को मजबूत करने पर भी जोर दिया, साथ ही दुर्व्यवहार के मामले में खिलाड़ियों के पुनर्वास और उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान करने पर भी जोर दिया।
एनएचआरसी, भारत के महानिदेशक (जांच) श्री अजय भटनागर ने खिलाड़ियों के यौन शोषण के प्रति शून्य सहिष्णुता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे संस्थाएँ, विशेष रूप से सत्ता में बैठे लोग, खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए अधिक जवाबदेह हैं।
इससे पहले, एनएचआरसी, भारत के संयुक्त सचिव, श्री देवेंद्र कुमार निम ने ओपन हाउस के तीन तकनीकी सत्रों का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिनमें ‘दुर्व्यवहार की घटनाओं के बाद खिलाड़ियों का पुनर्वास’, ‘भारत में खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य’ और ‘खिलाड़ियों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचा’ शामिल थे।
चर्चा से निकली कुछ सुझाव निम्नलिखित थे:
• एथलीटों को बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए नैदानिक मनोविज्ञान में प्रशिक्षित प्रशिक्षकों का होना आवश्यक है;
• खेल चोटों से पीड़ित एथलीटों के लिए बीमा लाभों को सुव्यवस्थित करना;
• यौन शोषण की रिपोर्ट करने के लिए एथलीटों के बीच जागरूकता लाना;
• सभी खेल निकायों में कार्यात्मक संस्थागत तंत्रों के माध्यम से यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर कार्रवाई सुनिश्चित करना;
• पैरा-एथलीटों का समर्थन करने के लिए संस्थागत तंत्रों को मजबूत करना;
• विविध पृष्ठभूमि और हाशिए के समुदायों के खिलाड़ियों के बीच सामाजिक समानता विकसित करने के लिए विभिन्न खेल निकायों के भीतर संस्थागत तंत्रों को मजबूत करना;
बैठक में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, पटियाला स्थित भारतीय नेताजी सुभाष खेल प्राधिकरण, राष्ट्रीय खेल विज्ञान एवं अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय, इम्फाल, भारतीय कुश्ती महासंघ, भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ, अखिल भारतीय कबड्डी महासंघ, खेल एवं अधिकार गठबंधन, स्विट्जरलैंड, वाको इंडिया किकबॉक्सिंग महासंघ, ह्यूमन्स फॉर स्पोर्ट्स, यूके, भारत स्थित गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन तथा नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल स्थित स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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