संस्‍कृति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय “छत्रपति शिवाजी महाराज: महान राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ का उत्सव” नाम से एक प्रदर्शनी का आयोजन करेगा

Posted On: 05 JUN 2024 6:39PM by PIB Delhi

छत्रपति शिवाजी महाराज के भव्य राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, छत्रपति शिवाजी महाराज: महान राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ का उत्सव नामक एक प्रदर्शनी 6 जून 2024 गुरुवार को शाम 5:30 बजे राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) जयपुर हाउस, नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। इसके लिए दर्शकों को इस महान व्यक्ति के उल्लेखनीय समय की यात्रा से जुड़ी प्रदर्शनी में आमंत्रित किया जाता है।

इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित अतुलनीय और आकर्षक कैनवास श्री दीपक गोरे के संग्रह का हिस्सा हैं। कलाकार जहांगीर वजीफदार की गैलरी के प्रबंधन के वर्षों के अनुभव से लैस गोरे का जुनून 1996 में लंदन और पेरिस के संग्रहालयों की यात्रा के दौरान जागृत हुआ। यूरोपीय तेल चित्रों की भव्यता को देखते हुए, उन्होंने एक शक्तिशाली, स्थानीय रूप से निहित कथा के साथ एक संग्रह बनाने की कल्पना की। इस प्रकार, शिवाजी महाराज की कथा को उसका सार्थक कैनवास मिला। वर्ष 2000 में परियोजना की शुरुआत हुई। प्रसिद्ध पिता-पुत्र कलाकार जोड़ी, श्री श्रीकांत चौगुले और श्री गौतम चौगुले के साथ साझेदारी करते हुए, गोरे ने इस महत्वाकांक्षी यात्रा की शुरुआत की। एक निर्णायक क्षण तब आया जब उनकी राह महान इतिहासकार, पद्म विभूषण श्री बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे से मिली, जिन्हें प्यार से बाबासाहेब पुरंदरे के नाम से जाना जाता था। शिवाजी के बारे में निर्विवाद विशेषज्ञ बाबासाहेब उनके मार्गदर्शक बने, उन्होंने योद्धाओं की पोशाक से लेकर महलों और किलों के भव्य पुनर्निर्माण तक हर विवरण में ऐतिहासिक सटीकता सुनिश्चित की। यह स्मारकीय कार्य कई वर्षों तक चला, जिसका समापन 2016 में अनावरण किए गए 115 उत्कृष्ट कृतियों के लुभावने संग्रह में हुआ। प्रत्येक कैनवास गोरे की दृष्टि, चौगुले जोड़ी की कलात्मक भव्यता और बाबासाहेब पुरंदरे की अमूल्य ऐतिहासिक विशेषज्ञता का प्रमाण है।

इस प्रदर्शनी की शुरुआत एक महत्वपूर्ण दृश्य से होती है: एक युवा शिवाजी, जो मुश्किल से चौदह वर्ष का है, अपने पिता शाहजी से भगवा झंडा प्राप्त करता है। यह प्रतीकात्मक कार्य एक सपने, एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य, स्वराज्य के जन्म का प्रतीक है। इसके बाद कथा प्रमुख सैन्य और नौसैनिक घटनाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से आगे बढ़ती है। जिनमें से, रायगढ़ के किले को अपने गढ़ के रूप में चुनने की रणनीतिक प्रतिभा, एक निरंतर पृष्ठभूमि जो उसकी विजयों को प्रतिध्वनित करती है, उल्लेखनीय महत्व रखती है।

दूरदर्शी शासक, शिवाजी एक कुशल प्रशासक भी थे, जिन्होंने व्यापार और जन कल्याण की आवश्यकताओं को पूरा किया। परोपकार के कार्यों और यूरोपीय वर्चस्व के खिलाफ उनकी अवज्ञा को दर्शाने वाली पेंटिंग उनके बहुमुखी नेतृत्व की झलक देती हैं। एक समर्पित खंड जो हमें उन शासकों से परिचित कराता है जो शिवाजी के समकालीन थे और जिन्होंने उनके युग को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सामने की दीवार पर नज़र डालें, जहां किला रायगढ़ को विभिन्न मूड और मौसमों में दर्शाया गया है। फोर्ट अटक (वर्तमान पाकिस्तान में) की एक आकर्षक पेंटिंग, जो बाद में विजय प्राप्त की गई थी, सिंधु से कावेरी तक फैले स्वराज्य के शिवाजी के भव्य दृष्टिकोण को दृष्टिगत रूप से पूरा करती है। शिवाजी के कई प्रारंभिक चित्र, जिनमें जहांगीर वजीफदार की विशिष्ट शैली में एक आकर्षक चित्र भी शामिल है, जो महान हस्ती के व्यक्तिव को दर्शाती है।

****

एमजी/एआर/वीएस/एसके



(Release ID: 2022947) Visitor Counter : 271


Read this release in: Tamil , English , Urdu , Marathi