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Rural Prosperity

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

“डिजिटल न्याय के माध्यम से कुशल एवं शीघ्र शिकायत निवारण

Posted On: 23 DEC 2025 1:29PM

मुख्य बातें

 

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस हर वर्ष 24 दिसम्बर को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में इसका विषय है डिजिटल न्याय के साथ सक्षम और त्वरित निष्पादन
  • उपभोक्ताओ की शिकायत निवारण की पोर्टल ई-जागृति के क्रियाकलाप में काफी सुधार हुआ है जिसके करीब कुल 2.81 लाख उपयोगकर्ता है। पोर्टल पर 1.35 लाख शिकायत आवेदनों पर 1.31 लाख आवेदन का निपटारा हुआ।
  • देश के करीब 10 राज्यों और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने शत प्रतिशत उपभोक्ता शिकायतों का निपटारा किया
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन हर साल करीब 12 लाख उपभोक्ता शिकायतों का अपने 1169 पार्टनर के सहयोग से निपटारा करती है
  • भारत में उपभोक्ता शिकायतों के करीब 22300 अधिमान कार्यशील है जिसमें 94 प्रतिशत वैश्विक मानकों से जुड़े है।

 

प्रस्तावना

 

भारत में प्रत्येक वर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है, जो उपभोक्ता अधिकारों के महत्व और उपभोक्ता संरक्षण के व्यापक ढांचे को उजागर करता है। इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई थी, जिसने उपभोक्ताओं के लिए एक व्यापक अधिकारों का सेट स्थापित किया। इनमें उपभोक्ताओं को संरक्षण का अधिकार, सूचित होने का अधिकार, आश्वासन का अधिकार, सुने जाने का अधिकार, प्रतिकार का अधिकार, और उपभोक्ता जागरूकता का अधिकार शामिल हैं। इस दिवस का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और उपभोक्ताओं तथा अन्य हितधारकों के बीच जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

 

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राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के कार्यक्रम

 

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अंतर्गत उपभोक्ता संरक्षण, उपभोक्ता जागरूकता और उनकी संस्थागत मजबूती के संवर्धन के लिए कई चीजों की नई शुरुआत के कार्यक्रम और नई घोषणाए होंगी। कुल मिलाकर उपभोक्ता के शिकायतों का डिजिटल निराकरण, क्वालिटी का आश्वासन और विभिन्न उपभोक्ता संरक्षण संस्थाओं में आपसी समन्वय पर मुख्य जोर होगा।

 

 

उपभोक्ता अधिकारों की पुनर्कल्पना : ज्यादा सशक्त कानून, शिकायतों का त्वरित निष्पादन और बेहतर परिणाम

 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, भारत में उपभोक्ता हितों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करता है। 20 जुलाई 2020 को लागू यह कानून 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को प्रतिस्थापित करता है और विवाद निपटान तथा बाजार जवाबदेही के लिए एक बेहतर समकालीन ढांचा प्रस्तुत करता है। यह अधिनियम उपभोक्ता कल्याण की रक्षा करने और व्यावसायिक लेन-देन में निष्पक्षता को बढ़ावा देने का प्रयास करता है, सूचित निर्णय लेने को सुगम बनाकर, एकसमान और समान परिणाम सुनिश्चित करके, तथा त्वरित और प्रभावी शिकायत निवारण सक्षम बनाकर।

यह कानून कई प्रमुख अधिकारों की गारंटी देता है, जिसमें वस्तुओं या सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता तथा मानकों के बारे में सूचित होने का अधिकार शामिल है, जिससे उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापारिक प्रथाओं से बचाया जाता है। अपने उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के लिए, यह अधिनियम उपभोक्ता विवाद निपटान के लिए एक तीन-स्तरीय न्यायिक संरचना स्थापित करता है:

 

  • जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच (जिला मंच) - पहला स्तर, जिला अदालत पर स्थित, 50 लाख रुपये तक के दावों वाले शिकायतों का निपटान करता है।

 

  • राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (राज्य आयोग) - दूसरा स्तर, राज्य-स्तरीय निकाय, 50 लाख रुपये से अधिक और 2 करोड़ रुपये तक की शिकायतों का निपटान करता है।

 

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (राष्ट्रीय आयोग) - शीर्ष स्तर, राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत, 2 करोड़ रुपये से अधिक की शिकायतों का निपटान करता है।

 

 

(एनसीडीआरसी) ने 100 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निपटारा किया। यह दर्शाता है कि महीने के दौरान निपटाए गए मामलों की संख्या नए दाखिल मामलों की संख्या से अधिक थी, जो बेहतर दक्षता और समयबद्ध उपभोक्ता न्याय प्रदान करने की मजबूत प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

 

जिला मंच और राज्य आयोग को राज्य सरकारो द्वारा केंद्रीय सरकार की मंजूरी से गठित किया जाता है, जबकि राष्ट्रीय आयोग को सीधे केंद्रीय सरकार द्वारा स्थापित किया जाता है। ये न्यायिक निकाय सिविल अदालतों के क्षेत्राधिकार को प्रतिस्थापित नहीं करते, बल्कि उपभोक्ता शिकायतों के निपटान के लिए एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करते हैं।

 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की भूमिका और कार्य

 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए), जो 24 जुलाई 2020 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत स्थापित किया गया, उपभोक्ताओं के सामूहिक हितों की रक्षा करने के लिए एक नियामक निकाय के रूप में कार्य करता है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं:

 

  • उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा, संवर्धन और प्रवर्तन करना

 

  • अनुचित व्यापारिक प्रथाओं की घटना को रोकना

 

  • यह सुनिश्चित करना कि वस्तुएं और सेवाएं अधिनियम के उल्लंघन में न बेची जाएं

 

  • झूठे या भ्रामक दावों को रोकने के लिए विज्ञापनों की निगरानी और नियमन करना

 

  • भ्रामक विज्ञापनों के प्रसार में शामिल निर्माताओं, समर्थकों और प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई आरंभ करना

 

सीसीपीए को असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस बुलाने का आदेश देने, अनुचित व्यापारिक प्रथाओं को बंद करने, दंड लगाने तथा आवश्यकता पड़ने पर अभियोजन आरंभ करने की शक्ति प्राप्त है।

 

उपभोक्ता संरक्षण उपायों को गति प्रदान करना: उपभोक्ता कल्याण कोष

 

उपभोक्ता कल्याण कोष का उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करने वाली पहल का समर्थन करना और राष्ट्रव्यापी उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत करना है। राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को उपभोक्ता कल्याण संग्रह कोष की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें 75:25 अनुपात में योगदान दिया जाता है और विशेष श्रेणी के राज्यों तथा निर्दिष्ट संघ राज्य क्षेत्रों के लिए 90:10 अनुपात में यह योगदान दिया जाता है। कार्यक्रम गतिविधियों का वित्तपोषण इस संग्रह पर अर्जित ब्याज से किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 (31.12.2024 तक) के दौरान, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को इस मामले में 38.68 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

 

उपभोक्ता शिकायत निवारण का एक उत्तरदाई और विश्वसनीय कार्य ढांचा तैयार करना

 

एक उत्तरदायी और विश्वसनीय उपभोक्ता निवारण प्रणाली लोगों को वस्तुओं या सेवाओं की खरीद से उत्पन्न शिकायतों के लिए समयबद्ध और समान समाधान प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस प्रणाली को मजबूत करना न केवल बाजार में विश्वास का निर्माण करता है, बल्कि उपभोक्ताओं को सशक्त भी बनाता है, यह सुनिश्चित करके कि उनकी चिंताओं को मान्यता दी जाए, संबोधित किया जाए तथा उन्हें कुशलतापूर्वक निपटाया जाए।

 

1. ई-जागृति - 2025 में उपभोक्ता न्याय में क्रांति

 

ई-जागृति, जो 1 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया, भारत में उपभोक्ता शिकायत निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में बड़ी तेजी से उभरा है। यह पूर्व प्रणालियों, जिसमें ओसीएमएस, ई-दाखिल, एनसीडीआरसी सीएमएस तथा कॉन्फोनेट शामिल हैं, उनको एक एकल, सुव्यवस्थित इंटरफेस में एकीकृत करता है, उनकी पहुंच को बढ़ाया जाता है और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाता है। अब यह एनसीडीआरसी तथा सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यरत है।

यह प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को शिकायतें दाखिल करने, भुगतान करने, वर्चुअल सुनवाई में भाग लेने तथा मामले की प्रगति की निगरानी करने की सुविधा प्रदान करता है। इसकी बहुभाषी सहायता, चैटबॉट सहायता, वॉयस-टू-टेक्स्ट सुविधाएं तथा सुरक्षित डिजिटल पहुंच सभी उपभोक्ताओं, जिसमें वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांग व्यक्ति शामिल हैं, के लिए अपनी बड़ी उपयोगिता सुनिश्चित करता है।

 

ई-जागृति के प्रमुख लाभ

 

  • वैश्विक पहुंच: यह प्लेटफॉर्म गैर-निवासी भारतीयों और घरेलू उपयोगकर्ताओं दोनों को दूरस्थ रूप से मामले दाखिल करने और प्रबंधित करने की अनुमति देता है, जो सुरक्षित एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन तथा भूमिका-आधारित सुरक्षित पहुंच द्वारा समर्थित है।

 

  • दक्षता और गति: स्वचालित कार्यप्रवाह, वास्तविक समय एसएमएस और ईमेल अधिसूचनाएं तथा वर्चुअल सुनवाई ने इस प्रणाली की समग्र दक्षता में उल्लेखनीय सुधार किया है। विशेष रूप से, दस राज्यों और एनसीडीआरसी ने हाल ही में 100 प्रतिशत से अधिक शिकायत निपटान दर दर्ज की है।

 

  • समावेशिता: प्लेटफॉर्म बहुभाषी इंटरफेस और पहुंच सुविधाएं प्रदान करता है, जो विविध भाषाई और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए उपयोग अनुकूल बनाता है।

 

  • सुरक्षित लेन-देन: भारत कोष और पे गॉव भुगतान गेटवे के साथ एकीकरण यह सुनिश्चित करता है कि शुल्क भुगतान प्रक्रियाएं कुशल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-अनुकूल हों।

 

 

त्रिपुरा के एक उपभोक्ता को न्याय प्रदान

 

पश्चिम त्रिपुरा के एक उपभोक्ता ने 85,000 रुपये के एलजी साइड बाय साइड रेफ्रिजरेटर की शिकायत को लेकर 8 वर्षों की समस्याओं का सामना करने के बाद राहत प्राप्त की ।वह फ्रीज जो पानी रिसाव करता था और बार-बार मरम्मत के बावजूद डीफ्रॉस्ट नहीं हो रहा था। यह मामला, जो डीसी/272/सीसी/33/2025 के रूप में दाखिल किया गया था, 5 महीनों के भीतर निपटाया गया। इसमें आयोग ने एलजी इंडिया और सर्विस सेंटर को सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापारिक प्रथाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया।

आदेश में 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पूरा रिफंड और मरम्मत व्यय के लिए 12,000 रुपये, मानसिक पीड़ा के लिए 50,000 रुपये तथा मुकदमे के लिए 20,000 रुपये, कुल 1.67 लाख रुपये से अधिक, 30 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया गया। यह परिणाम दर्शाता है कि ई-जागृति उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना जारी रखता है और ब्रांडों को दीर्घकालिक सेवा जिम्मेदारियों के लिए जवाबदेह बनाता है।

 

नवंबर 2025 के मध्य तक, इस मंच ने 1.35 लाख से अधिक मामले दर्ज करने में सहायता प्रदान की है और 1.31 लाख से अधिक मामलों के निपटारे को सक्षम बनाया है। इसके 2.81 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओ का आधार शामिल है, जिसमें 1,400 गैर-निवासी भारतीय (एनआरआई) शामिल हैं। कुल 466 शिकायतें गैर-निवासी भारतीयों द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका (146), यूनाइटेड किंगडम (52), यूएई (47), कनाडा (39), ऑस्ट्रेलिया (26) और जर्मनी (18) सहित देशों से दर्ज की गईं।

2025 में, ई-जागृति ने अपने शिकायत मामले निपटाने की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार प्रदर्शित किया। जुलाई और अगस्त के बीच, 27,545 मामले हल किए गए, जबकि 27,080 नए मामले दर्ज किए गए। सितंबर और अक्टूबर के दौरान, 24,504 मामले निपटाए गए, जबकि 21,592 नए मामले दर्ज हुए। दोनों अंतरालों में 2024 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन दिखाया गया है, जो लंबित मामलों के तेजी से निपटान और अधिक प्रभावी शिकायत निवारण को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, मंच ने 2 लाख से अधिक एसएमएस अलर्ट और 12 लाख से अधिक ईमेल अधिसूचनाएं जारी की हैं, जो इसके वास्तविक समय संचार और समय पर अनुपालन सुनिश्चित करती हैं।

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2. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 2.0

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अपने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) को अपग्रेड किया है, जिसमें एआई-सक्षम एनसीएच 2.0 को इंट्रोड्यूस किया गया है, जो बहुभाषी सहायता, चैटबॉट-समर्थित इंटरैक्शन और तेज शिकायत निपटान प्रदान करता है। पोर्टल उपभोक्ताओं को ऑनलाइन शिकायतें दर्ज करने, पूर्व-मुकदमेबाजी उपचार प्राप्त करने और अपने अधिकारों संबंधी जानकारी तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन ने उन्नत तकनीकी समाधानों को एकीकृत करके अपनी पहुंच और परिचालन दक्षता को काफी बढ़ाया है। एनसीएच द्वारा प्राप्त कॉल की संख्या दिसंबर 2015 में 12,553 से बढ़कर दिसंबर 2024 में 1,55,138 हो गई है।

तेजी से यह वृद्धि उपभोक्ताओं के हेल्पलाइन में बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। इसी तरह, प्रति माह औसत दर्ज शिकायतों की संख्या 2017 में 37,062 से बढ़कर 2024 में 1,11,951 हो गई है। अब यह वार्षिक रूप से 12 लाख से अधिक शिकायतें हल करता है, जिनमें से कई 21 दिनों के भीतर निपटाई जाती हैं, जिसमें 1,169 कंपनियां भागीदार के रूप में शामिल हैं और एआई-आधारित प्रणालियां तेज शिकायत निपटान सुनिश्चित करती हैं। डिजिटल चैनलों के माध्यम से शिकायत पंजीकरण लगभग 65 प्रतिशत हैं, जिसमें व्हाट्सएप-आधारित सबमिशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो मार्च 2023 में 3 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 में 20 प्रतिशत हो गई। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने 25 अप्रैल 2025 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच उपभोक्ताओं को 27.61 करोड़ रुपये का रिफंड सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया है। यह महत्वपूर्ण निवारण 30 क्षेत्रों में किया गया, जिसमें रिफंड दावों से संबंधित 49,333 उपभोक्ता शिकायतों का प्रभावी समाधान शामिल है।

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राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 17 भाषाओं में उपलब्ध है और उपभोक्ताओं को एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से व्हाट्सएप, एसएमएस, ईमेल, एनसीएच ऐप, वेब पोर्टल और उमंग ऐप सहित कई चैनलों के जरिए शिकायतें दर्ज करने में सक्षम बनाता है। विभाग उपभोक्ताओं को टोल-फ्री नंबर 1915 या ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि वस्तुओं या सेवाओं से संबंधित उनकी चिंताओं का तत्काल और प्रभावी समाधान सुनिश्चित हो सके।

3. जागो ग्राहक जागो पोर्टल और मोबाइल ऐप

 

उपभोक्ता मामलों का विभाग ने उपभोक्ताओं को धोखाधड़ीपूर्ण ऑनलाइन प्रथाओं से बचाने के लिए उन्नत डिजिटल उपकरणों को लागू किया है। एयरवाट एआई सुपरकंप्यूटर पर वास्तविक समय के बुद्धिमान साइबर-भौतिक प्रणाली के हिस्से के रूप में विकसित ये उपकरण प्लेटफॉर्म के पाठ और डिजाइन का विश्लेषण करके संभावित डार्क पैटर्न की पहचान करते हैं।

जागो ग्राहक जागो ऐप सत्यापित ई-कॉमर्स जानकारी प्रदान करता है और उपयोगकर्ताओं को संभावित असुरक्षित वेबसाइटों के बारे में अलर्ट करता है, जबकि जागृति ऐप उपभोक्ताओं को संदिग्ध यूआरएल को सीधे केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है। जागृति डैशबोर्ड प्लेटफॉर्मों के वास्तविक समय मूल्यांकन प्रदान करके निगरानी को और समर्थन करता है। सामूहिक रूप से, ये उपकरण निगरानी को मजबूत करते हैं, त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई को सुगम बनाते हैं और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा को सुदृढ़ करते हैं।

 

डार्क पैटर्न वे डिजाइन रणनीतियाँ हैं जो उपभोक्ताओं को गुमराह करने या उन पर दबाव डालने के लिए उपयोग की जाती हैं ताकि वे ऐसी पसंद करें जो वे वास्तव में करने का इरादा न रखते हों। सीसीपीए ने इस मुद्दे का समाधान द्रिप प्राइसिंग, छिपे हुए विज्ञापनों और झूठी तात्कालिकता जैसी प्रथाओं को रोकने वाले दिशानिर्देश जारी करके किया है, जो डिजिटल बाजार में अधिक निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।

 

4.भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) BIS अधिनियम, 2016 के तहत भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है। यह मानकों के निर्माण, उत्पाद प्रमाणीकरण और गुणवत्ता आश्वासन में केंद्रीय भूमिका निभाता है। मानक विकास, प्रमाणीकरण और परीक्षण के माध्यम से अपनी गतिविधियों द्वारा, BIS सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य जोखिमों को कम करता है, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता और आयात प्रतिस्थापन का समर्थन करता है तथा बाजार में उत्पाद विनिर्देशों में अनावश्यक विविधता को रोकता है।

22,300 से अधिक भारतीय मानक लागू हैं, जिनमें 94 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) और अंतरराष्ट्रीय विद्युत् तकनीकी आयोग (IEC) द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हैं। 2014 से, अनिवार्य प्रमाणीकरण का दायरा काफी विस्तृत हुआ है, 14 गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCOs) द्वारा नियंत्रित 106 उत्पादों से बढ़कर अब 191 QCOs प्लस दो क्षैतिज QCOs द्वारा विनियमित 773 वस्तुओं तक।

सोने और चांदी के आभूषणों का हॉलमार्किंग- BIS केयर ऐप: BIS केयर ऐप उपभोक्ताओं को HUID नंबर केवल दर्ज करके हॉलमार्क वाले आभूषणों की शुद्धता, उत्पाद प्रकार और जौहरी तथा हॉलमार्किंग केंद्र के विवरण की आसानी से जांच करने में सक्षम बनाता है। एंड्रॉइड और iOS दोनों पर 12 भाषाओं में मुफ्त उपलब्ध, यह उपयोगकर्ताओं को ISI चिह्नों की जांच करने, लाइसेंस नंबरों की पुष्टि करने और संदिग्ध गैर-अनुपालन उत्पादों के बारे में शिकायत दर्ज करने की अनुमति भी देता है। ऐप सूचित खरीदारी के लिए एक मूल्यवान उपकरण के रूप में कार्य करता है और राष्ट्रव्यापी उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित उत्पादों और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के BIS के प्रयासों का समर्थन करता है।

5.राष्ट्रीय परीक्षण गृह

राष्ट्रीय परीक्षण गृह (NTH) उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करता है और भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों में से एक है। 1912 में रेलवे बोर्ड के तहत स्थापित, यह इंजीनियरिंग सामग्रियों और तैयार उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के परीक्षण, संशोधन, मूल्यांकन और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए एक विश्वसनीय प्रयोगशाला के रूप में विकसित हुआ है। NTH राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों तथा ग्राहक-विशिष्ट आवश्यकताओं का अनुपालन करने वाले परीक्षण प्रमाणपत्र जारी करता है, जो मूल्यांकन में विश्वसनीयता और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। संस्थान उद्योग, व्यापार और मानकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, स्वदेशी विनिर्माण के विकास का समर्थन करता है तथा औद्योगिक अनुसंधान और उत्पादन के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।

राष्ट्रीय परीक्षण गृह अपनी गतिविधियों को डिजिटल समाधानों को अपनाकर आधुनिक बना रहा है। प्रयोगशाला डेटा ऑटोमेशन सिस्टम (LDAS) को पेश किया जा रहा है ताकि मैनुअल त्रुटियों को कम किया जा सके, टर्नअराउंड समय को छोटा किया जा सके तथा गुणवत्ता परीक्षणों को तेजी से पूरा किया जा सके, जिससे समग्र क्षमता और दक्षता में वृद्धि हो। इसके अतिरिक्त, एक नया मोबाइल एप्लिकेशन उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों को प्रयोगशाला सेवाओं तक आसानी से पहुंच प्रदान करेगा, संलग्नता को सुव्यवस्थित करेगा और सेवा वितरण को बेहतर बनाएगा। NTH का हालिया प्रदर्शन इसकी मजबूत वृद्धि को दर्शाता है, जिसमें 2024-25 में नमूना परीक्षण 60.36 प्रतिशत बढ़कर 45,926 नमूनों तक पहुंच गया, तथा राजस्व 49.89 प्रतिशत बढ़कर 44.45 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष के 29.66 करोड़ रुपये की तुलना में अधिक है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लक्षित राजस्व 80 करोड़ रुपये है।

6.कानूनी मेट्रोलॉजी नियम- हालिया संशोधन (2025)

अक्टूबर 2025 में, उपभोक्ता मामलों का विभाग ने कानूनी मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम, 2025 को अधिसूचित किया, जिसमें निर्दिष्ट किया गया कि चिकित्सा उपकरण पैकेज अब चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 में वर्णित लेबलिंग आवश्यकताओं का पालन करेंगे। अक्टूबर 2025 में, कानूनी मेट्रोलॉजी (सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केंद्र) संशोधन नियम, 2025 को अधिसूचित किया गया, जिसमें क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशालाओं और राष्ट्रीय परीक्षण गृहों को मान्यता देकर अनुमोदित परीक्षण केंद्रों के दायरे का विस्तार किया गया। जीएसटी से जुड़ी मूल्य संशोधनों के बाद अनुपालन का समर्थन करने के लिए, सरकार ने निर्माताओं और पैकर्स को मार्च 2026 तक मौजूदा पैकेजिंग का उपयोग करने की अनुमति दी है। 2025 की छूटों के तहत, वे पैकेजों को पुनःडिजाइन किए बिना एमआरपी को अपडेट कर सकते हैं, जो नियामक अनुपालन सुनिश्चित करते हुए व्यवसाय संचालन को सरल बनाता है। नवंबर 2025 में, विभाग ने ड्राफ्ट कानूनी मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) (द्वितीय) संशोधन नियम, 2025 जारी किए, जिसमें आयातित पैकेज्ड सामान बेचने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के लिए 'उत्पत्ति देश' के आधार पर खोजने योग्य और छांटने योग्य फिल्टर प्रदान करना अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया। दिसंबर 2025 में, एक नया संशोधन सभी पान मसाला पैकेजों के लिए, आकार की परवाह किए बिना, 1 फरवरी 2026 से खुदरा बिक्री मूल्य सहित सभी आवश्यक घोषणाओं को प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया।

कुल मिलाकर, ये संशोधन नियामक आवश्यकताओं को सुव्यवस्थित करते हैं, पूर्व अस्पष्टताओं को समाप्त करते हैं तथा चिकित्सा उपकरण लेबलिंग, मापन सत्यापन और वस्तुओं की पैकेजिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्टता बढ़ाते हैं। सत्यापन नेटवर्क का विस्तार करके, प्रकटीकरण मानदंडों को मजबूत करके तथा मूल्य पारदर्शिता को कड़ा करके, ये सुधार सामूहिक रूप से सुसंगतता, जवाबदेही और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, वे उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प बनाने के लिए सशक्त बनाने और निष्पक्ष बाजार प्रथाओं को सुनिश्चित करने वाले अधिक विश्वसनीय नियामक वातावरण का समर्थन करते हैं।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 भारत की उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करने और बाजार में विश्वास को बढ़ावा देने के निरंतर संकल्प को रेखांकित करता है। थीम “डिजिटल न्याय के माध्यम से कुशल और तीव्र निपटान” ई-जागृति जैसे डिजिटल शिकायत निवारण मंचों और उन्नत राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के निरंतर विस्तार में स्पष्ट है, जिन्होंने पूरे देश में पहुंच, पारदर्शिता और निपटान दक्षता में सुधार किया है। डिजिटल लॉन्च, संस्थागत सहयोग, जागरूकता पहल और नवाचार की मान्यता सहित कार्यक्रम गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला उपभोक्ता सशक्तिकरण के लिए समन्वित दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना, उपभोक्ता कल्याण निधि का विस्तार तथा सुलभ शिकायत निवारण प्रणालियों का विकास सहित उल्लिखित सुधार और पहलें एक उत्तरदायी और प्रौद्योगिकी संचालित उपभोक्ता न्याय प्रणाली की ओर बदलाव को दर्शाते हैं। BIS, राष्ट्रीय परीक्षण गृह तथा कानूनी मेट्रोलॉजी ढांचे के माध्यम से प्रगति ने गुणवत्ता आश्वासन, मानकीकरण तथा व्यापार में सटीकता को और मजबूत किया है। सामूहिक रूप से, ये उपाय निष्पक्ष, पारदर्शी तथा उपभोक्ता-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र की ओर स्थिर प्रगति दर्शाते हैं, जो यह मूल संदेश मजबूत करते हैं कि सूचित और सशक्त उपभोक्ता एक स्वस्थ और समान अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं।

संदर्भ

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

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