Farmer's Welfare
एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना (आईसीसीवीएआई)
खेत से उपभोक्ता तक भारत की पैदावार-पश्चात आपूर्ति श्रृंखला
Posted On:
29 OCT 2025 10:13AM
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मुख्य बिंदु
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2025 में, पीएमकेएसवाई के लिए अतिरिक्त 1,920 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी जिससे 15वें वित्त आयोग (मार्च 2026 तक) के लिए कुल परिव्यय बढ़कर 6,520 करोड़ रुपये हो गया।
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इस मंज़ूरी में एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना (आईसीसीवीएआई) के अंतर्गत 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों की स्थापना के लिए 1000 करोड़ रुपये शामिल हैं।
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2008 से, 395 कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है; इनमें से 291 पूरी हो चुकी हैं और चालू हैं, जिससे सालाना 25.52 लाख मीट्रिक टन संरक्षण और 114.66 लाख मीट्रिक टन प्रसंस्करण क्षमता का सृजन हुआ है। इससे 1.74 लाख रोज़गार तैयार हुए हैं।
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वर्ष 2016-17 से अब तक 269 परियोजनाओं के लिए 2,066.33 करोड़ रुपये के स्वीकृत अनुदानों में से 1,535.63 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इनमें से 169 परियोजनाएं देशभर में संचालित हैं।
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परिचय
भारत में पैदावार के बाद होने वाली क्षति एक बड़ी चुनौती बनी हुई है खासकर फल और सब्जियों के मामले में। इसके अलावा डेयरी, मांस, मुर्गी और मछली जैसी जल्द खराब होने वाली वस्तुओं के लिए भी यही दिक्कतें हैं। अनुसंधान बताते हैं कि पैदावार और रखरखाव से लेकर परिवहन, भंडारण और प्रसंस्करण तक, पूरी आपूर्ति श्रृंखला में काफी क्षति होती है जिससे किसानों की आय घटती है, उपभोक्ता कीमतें बढ़ती हैं और खाद्य सुरक्षा कमज़ोर होती है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्यवर्धन अवसंरचना योजना चलाता है, जिसे आमतौर पर प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) के हिस्से के रूप में कोल्ड चेन योजना के रूप में जाना जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य खेत से लेकर खुदरा दुकान तक एक निर्बाध कोल्ड चेन का निर्माण करना, पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को कम करना और किसानों को उनकी उपज का बेहतर लाभ सुनिश्चित करने में मदद करना है। हालांकि यह योजना पहले शुरू की गई थी, लेकिन इसका 2016-17 में पुनर्गठन किया गया और इसे पीएमकेएसवाई के अंतर्गत शामिल किया गया। पीएमकेएसवाई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की एक व्यापक योजना है जिसका उद्देश्य खेत से लेकर खुदरा दुकान तक कुशल संपर्क और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक अवसंरचना का निर्माण करना है। कोल्ड चेन योजना को पीएमकेएसवाई के अंतर्गत लाया गया, ताकि किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और बाजारों को जोड़ने वाले सम्पूर्ण कोल्ड चेन समाधान तैयार किए जा सकें, तथा बर्बादी में कमी लाई जा सके, रोजगार को बढ़ावा दिया जा सके और जल्द खराब होने वाली वस्तुओं के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके।
इसके अलावा, कोल्ड चेन अवसंरचना का महत्व केवल भंडारण तक ही सीमित नहीं है। इसमें खेतों में प्री-कूलिंग सुविधाएं, आधुनिक प्रसंस्करण केंद्र, कुशल वितरण केंद्र और तापमान-नियंत्रित परिवहन प्रणालियाँ शामिल हैं जो एक साथ मिलकर काम करती हैं। यह योजना बागवानी (2022 से फलों और सब्जियों को छोड़कर, जिन्हें एक अलग योजना के दायरे में लाया गया है), डेयरी, मांस, मुर्गी पालन और समुद्री या मछली उत्पादों (झींगा को छोड़कर) सहित कई क्षेत्रों को शामिल करती है, जिससे कृषि और संबद्ध उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण जल्द खऱाब होने वाली वस्तुओं की समस्याओं को हल निकाला जाता है। इस पुनर्गठन का उद्देश्य सहायता को सुव्यवस्थित करना और दोहराव को रोकना है। इसने फलों, सब्जियों और झींगा को ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया। यह योजना पीएमकेएसवाई का एक अन्य घटक है जो आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर करने के लिए चलाई जा रही है।
नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एनएबीसीओएनएस) द्वारा 2020 में किए गए एक मूल्यांकन में बताया गया कि आईसीसीवीएआई योजना के तहत कदम उठाये जाने के कारण बर्बादी में उल्लेखनीय कमी आई है, विशेष रूप से फल और सब्जियां, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्रों में।
आईसीसीवीएआई के उद्देश्य
योजना के मूल उद्देश्य कोल्ड चेन अवसंरचना के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित किए गए थे:

आईसीसीवीएआई के प्रमुख घटक
यह योजना आपूर्ति श्रृंखला में सुविधाओं के निर्माण का समर्थन करती है, जिसमें अक्सर खेत स्तर पर बुनियादी ढांचा तैयार करने पर ज़ोर दिया जाता है। सामान्य कोल्ड चेन योजना (22.05.2025 के दिशानिर्देशों के अनुसार) के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, आवेदक को खेत स्तर पर बुनियादी ढांचा (एफएलआई) स्थापित करना होगा और उसे वितरण केंद्र (डीएच) और/या रेफ्रिजरेटेड/इन्सुलेटेड परिवहन से जोड़ना होगा।

खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने हेतु पीआईए की पात्रता
आईसीसीवीएआई एक मांग-आधारित योजना है। विभिन्न पात्र संस्थाएं (परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियां- पीआईए) खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कर सकती हैं। पीआईए निम्नलिखित में से कोई भी हो सकता है:
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व्यक्ति (किसानों सहित)।
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संस्था/संगठन जैसे किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी), गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू), फर्म, कंपनियां, निगम, सहकारी समितियां और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)।
मंत्रालय पात्र संस्थाओं से धन की उपलब्धता के आधार पर अस्थायी रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) के माध्यम से आवेदन/प्रस्ताव आमंत्रित करता है। खाद्य वस्तुओं के भंडारण के लिए राज्यों से सहमति प्राप्त करना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने में उनकी सहायता आवश्यक है।
आईईसीसीवीएआई योजना के पूरक प्रमुख सरकारी पहल
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) और कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) कुछ प्रमुख सरकारी पहल हैं जो आईसीसीवीएआई योजना के पूरक हैं।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)
एमआईडीएच के तहत, देश भर में 5,000 मीट्रिक टन तक की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज के निर्माण, विस्तार और आधुनिकीकरण सहित बागवानी संबंधी विभिन्न गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। ये परियोजनाएं राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक कार्य योजनाओं के आधार पर कार्यान्वित की जाती हैं। कोल्ड स्टोरेज व्यवस्था मांग और उद्यमियों द्वारा संचालित है, जो सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35 प्रतिशत और पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों के साथ-साथ अनुसूचित क्षेत्रों में 50 प्रतिशत ऋण-लिंक्ड बैक-एंडेड सब्सिडी प्रदान करता है। यह सहायता संबंधित राज्य बागवानी मिशनों के माध्यम से प्रदान की जाती है।
ऑपरेशन ग्रीन्स योजना
यह एक और केंद्र की योजना है जिसे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा 2018-19 से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के अंतर्गत कार्यान्वित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है। इस योजना का उद्देश्य शुरू में टमाटर, प्याज और आलू (टीओपी) मूल्य श्रृंखला के एकीकृत विकास के लिए था, लेकिन बाद में इसमें विभिन्न प्रकार की अन्य सब्जियों और फलों, और झींगा को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) की पहल
एनएचबी "बागवानी उत्पादों के लिए शीतगृहों और भंडारण गृहों के निर्माण/ विस्तार/ आधुनिकीकरण हेतु पूंजी निवेश सब्सिडी" नामक एक योजना का क्रियान्वयन कर रहा है। यह योजना सामान्य क्षेत्रों में परियोजना की पूंजीगत लागत का 35 प्रतिशत और पूर्वोत्तर, पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों के लिए 50 प्रतिशत ऋण-लिंक्ड बैक-एंडेड सब्सिडी प्रदान करती है। यह योजना 5,000 मीट्रिक टन से 20,000 मीट्रिक टन तक की क्षमता वाले शीतगृहों और नियंत्रित वातावरण (सीए) वाली भंडारण सुविधाओं के निर्माण, विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए सहायता प्रदान करती है, जिससे वैज्ञानिक भंडारण को बढ़ावा मिलता है और बागवानी क्षेत्र में पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ)
देश भर में कृषि अवसंरचना को और मजबूत करने के लिए, सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के कोष के साथ एआईएफ शुरू किया है। इस निधि का उद्देश्य शीतगृहों, गोदामों और प्रसंस्करण इकाइयों सहित पैदावार के बाद प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के सृजन को सुगम बनाना है। सभी पात्र लाभार्थी दो करोड़ रुपये तक के कोलेटेरल फ्री सावधि ऋण के साथ-साथ सावधि ऋण पर तीन % प्रति वर्ष की ब्याज छूट का लाभ उठा सकते हैं।
वित्तीय सहायता
पीएमकेएसवाई के अंतर्गत बढ़ा हुआ बजटीय आवंटन (2025)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2025 में पीएमकेएसवाई के लिए 1,920 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय को मंज़ूरी दी, जिससे 15वें वित्त आयोग चक्र (31 मार्च, 2026 तक) के लिए कुल आवंटन बढ़कर 6,520 करोड़ रुपये हो गया। इस मंज़ूरी में एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्यवर्धन अवसंरचना (आईसीसीवीएआई) के अंतर्गत 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों की स्थापना के लिए 1000 करोड़ रुपये शामिल हैं। यह उल्लेखनीय वृद्धि कोल्ड चेन अवसंरचना के प्रभाव का विस्तार करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
यह योजना सामान्य क्षेत्रों में पात्र परियोजना लागत का 35 प्रतिशत और दुर्गम क्षेत्रों में 50प्रतिशत, साथ ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समूहों, एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के प्रस्तावों को कवर करते हुए एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाएं स्थापित करने हेतु अनुदान या सब्सिडी प्रदान करती है। दुर्गम क्षेत्रों में पूर्वोत्तर राज्य (सिक्किम सहित), उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम (आईटीडीपी) क्षेत्र और द्वीप शामिल हैं। प्रत्येक परियोजना को 10 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता मिल सकती है।
उपलब्धियां और प्रगति
जून 2025 तक, 2008 में इसकी शुरुआत के बाद से, कोल्ड चेन योजना के अंतर्गत कुल 395 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनमें से 291 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और चालू हैं, जिससे प्रति वर्ष 25.52 लाख मीट्रिक टन की संरक्षण क्षमता और 114.66 लाख मीट्रिक टन की प्रसंस्करण क्षमता का सृजन हो रहा है। चालू और पूरी हो चुकी परियोजनाओं ने देश भर में 1,74,600 रोज़गार सृजन में योगदान दिया है।

2016-17 के बाद उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2016-17 से, 269 स्वीकृत परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु 2066.33 करोड़ रुपये के स्वीकृत अनुदान/सब्सिडी में से 1535.63 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इनमें से 169 कोल्ड चेन परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और देश भर में चालू हो चुकी हैं।
प्रमुख संशोधन और नयी नीतिगत जानकारी
योजना की प्रभावशीलता बढ़ाने और उभरती ज़रूरतों के अनुरूप बनाने के लिए इसमें कई संशोधन किए गए हैं:
जून 2022 संशोधन: 8 जून, 2022 को एक महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन लागू किया गया, जब इस योजना में फलों और सब्जियों के क्षेत्र में कोल्ड चेन परियोजनाओं के लिए समर्थन बंद कर दिया गया। इसके अलावा, इस क्षेत्र को ऑपरेशन ग्रीन्स योजना में स्थानांतरित कर दिया गया, जो कि पीएमकेएसवाई का एक अन्य घटक है और विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र में मूल्य स्थायित्व उपायों के समाधान के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसलिए, इस रणनीतिक पुनर्आवंटन ने विशेष ध्यान और बेहतर संसाधन उपयोग की अनुमति दी।
अगस्त 2024 दिशानिर्देश: कोल्ड चेन योजना के तहत बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों (खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने, शेल्फ लाइफ बढ़ाने और विभिन्न उत्पादों के लिए पैदावार के बाद के नुकसान को कम करने के लिए आयनकारी विकिरण का उपयोग) की स्थापना के लिए 6 अगस्त, 2024 को परिचालन योजना दिशानिर्देश जारी किए गए। इसलिए, यह संशोधन आधुनिक संरक्षण तकनीकों के समावेश को दर्शाता है जो पोषण गुणवत्ता से समझौता किए बिना वस्तुओं की जीवन-अवधि को बढ़ाते हैं और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
मई 2025 संशोधन: 22 मई, 2025 को जारी नवीनतम परिचालन दिशानिर्देश, खेत से लेकर उपभोक्ता तक, संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में संरक्षण और मूल्य-संवर्धन अवसंरचना को मज़बूत करने पर केंद्रित हैं। इन उपायों का उद्देश्य गैर-बागवानी उत्पादों के पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य मिले और उपभोक्ताओं को साल भर खाद्य उत्पादों की उपलब्धता का लाभ मिले।
निष्कर्ष
योजना का विकास संवेदनशील शासन को दर्शाता है। 2022 में क्षेत्र वार पुनर्गठन, फलों और सब्जियों को ऑपरेशन ग्रीन्स में स्थानांतरित करना, रणनीतिक विशेषज्ञता का परिचय देता है। 2025 के बजट में 6,520 करोड़ रुपये की वृद्धि, कोल्ड चेन अवसंरचना के प्रभाव को मजबूत करने और विस्तारित करने पर सरकार की दृष्टि को रेखांकित करती है। विकिरण सुविधाओं की शुरूआत और दिशानिर्देशों में नियमित संशोधन तकनीकी प्रगति और जमीनी स्तर की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता को दिखाती है।
योजना का वित्तीय ढांचा यह सुनिश्चित करता है कि कोल्ड चेन विकास व्यक्तिगत किसानों से लेकर बड़ी कॉर्पोरेट संस्थाओं तक, विभिन्न हितधारकों के लिए आर्थिक रूप से उपयोगी बना रहे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजनाओं का क्रियान्वयन वास्तविक बाजार आवश्यकताओं के अनुरूप हो। इसके अलावा, इस योजना में महत्वपूर्ण क्षमताएं हैं। आईओटी-आधारित निगरानी, ऊर्जा-कुशल प्रणालियां और कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित परिवहन व्यवस्था जैसी आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करने से परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। कृषि विपणन सुधारों के साथ संबंधों को मजबूत करने से किसानों के लिए लाभ और बढ़ सकते हैं।
संदर्भ
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI)
पत्र सूचना कार्यालय
संसद
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