• Skip to Content
  • Sitemap
  • Advance Search
Rural Prosperity

जल जीवन मिशन

₹2.08 लाख करोड़ के केन्‍द्रीय परिव्यय के साथ, 15.72 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया जाएगा

Posted On: 26 OCT 2025 10:26AM

मुख्य बिंदु

  • 15.72 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को अब नल का सुरक्षित पानी उपलब्ध है।
  • मिशन (2019) की शुरुआत के समय, केवल 3.23 करोड़ घरों में ही नल का पानी उपलब्ध था। तब से, 12.48 करोड़ अतिरिक्त घरों को इससे जोड़ा गया है, जो भारत के सबसे तेज़ बुनियादी ढाँचे के विस्तार में से एक है।  
  • मिशन तैयार करने के दौरान 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार सृजित करने की क्षमता है, तथा लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि देश में सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की व्यवस्था होने से डायरिया से होने वाली 4 लाख मौतों को टाला जा सकेगा। यह भी अनुमान है कि देश में सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की सार्वभौमिक पहुँच से लगभग 14 मिलियन डीएएलवाई (दिव्‍यांगता-समायोजित जीवन वर्ष) को टाला जा सकेगा।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने से जल संग्रहण में लगने वाले समय में महत्वपूर्ण बचत होगी (प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे), विशेषकर महिलाओं के मामले में (इस बोझ का तीन-चौथाई हिस्सा)।
  • भारत भर में 2,843 जल परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 2025-26 में 38.78 लाख नमूनों का परीक्षण किया, जिससे जल गुणवत्ता की कड़ी निगरानी सुनिश्चित हुई।

परिचय

भारत ने जल जीवन मिशन (हर घर जल) के तहत एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जिसके तहत अब 81 प्रतिशत से ज़्यादा ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ नल का पानी उपलब्ध हो रहा है। 22 अक्टूबर 2025 तक, 15.72 करोड़ से ज़्यादा ग्रामीण घरों को घरेलू नलों के ज़रिए सुरक्षित पेयजल मिल रहा है, जो ग्रामीण भारत में सार्वभौमिक जल सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मिशन के तहत, सरकार ने राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को ₹2,08,652 करोड़ के केन्‍द्रीय परिव्यय के साथ सहायता स्वीकृत की, जिसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा चुका है।

इस मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल का जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की थी। उस समय, केवल 3.23 करोड़ परिवारों (16.71 प्रतिशत) को ही नल का जल उपलब्ध था। तब से, 12.48 करोड़ अतिरिक्त परिवारों को इससे जोड़ा जा चुका है, जो ग्रामीण भारत में बुनियादी ढाँचे के सबसे तेज़ विस्तार में से एक है।


जल जीवन मिशन ने माताओं और बहनों को अपने घरों के लिए पानी लाने की सदियों पुरानी मशक्कत से मुक्ति दिलाने का भी प्रयास किया है। इसका उद्देश्य उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना, जीवन को आसान बनाना और ग्रामीण परिवारों का जीवन आसान बनाना तथा गौरव और सम्मान बढ़ाना है।

मिशन स्थिरता और सामुदायिक भागीदारी पर समान रूप से ज़ोर देता है। इसमें गंदे पानी का प्रबंधन, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल स्रोतों का पुनर्भरण और पुन: उपयोग जैसे स्‍थायी उपाय शामिल हैं। इसे समुदाय-आधारित दृष्टिकोण से क्रियान्वित किया जाता है, जिसमें जागरूकता और स्वामित्व पैदा करने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियाँ प्रमुख घटक हैं। मिशन का उद्देश्य जल के लिए एक जन आंदोलन बनाना है, जिससे यह एक साझा राष्ट्रीय प्राथमिकता बन सके।

उद्देश्य

जल जीवन मिशन के व्यापक उद्देश्यों में शामिल हैं:

 

जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रगति (22 अक्‍तूबर, 2025)

जल जीवन मिशन भारत के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल सुनिश्चित करने की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है।

  • जिला-स्तरीय प्रगति: 192 जिलों के सभी घरों, स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्‍द्रों तक नल का पानी पहुँच चुका है, जिनमें से 116 जिलों को सत्यापन के बाद ग्राम सभा प्रस्तावों के माध्यम से आधिकारिक रूप से प्रमाणित किया जा चुका है।
  • ब्‍लॉक, पंचायत, और गांव की कवरेज:
    • ब्लॉक: 1,912 ने पूर्ण कवरेज की सूचना दी है, जिनमें से 1,019 प्रमाणित हैं।
    • ग्राम पंचायत: 1,25,185 ने सूचना दी है, और 88,875 ने प्रमाणन प्राप्त कर लिया है।
    • गाँव: 2,66,273 ने सूचना दी है, जिनमें से 1,74,348 हर घर जल पहल के अंतर्गत प्रमाणित हैं।
  • 100 प्रतिशत कवरेज वाले राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश: ग्यारह राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों, गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, हरियाणा, तेलंगाना, पुडुचेरी, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश ने सभी ग्रामीण घरों के लिए पूर्ण नल जल कनेक्टिविटी हासिल कर ली है।
  • संस्थागत कवरेज: देश भर में 9,23,297 स्कूलों और 9,66,876 आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।

'रिपोर्ट' का अर्थ है कि राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के जल आपूर्ति विभाग ने पुष्टि की है कि उस प्रशासनिक इकाई के सभी घरों, स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में नल के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है।

'प्रमाणित' का अर्थ है कि ग्राम सभा ने जल आपूर्ति विभाग के इस दावे की पुष्टि करने के बाद प्रस्ताव पारित किया है कि गाँव के सभी घरों, स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में नल का पानी मिल रहा है। यह प्रस्ताव जल आपूर्ति विभाग द्वारा ग्राम पंचायत को यह प्रमाण पत्र प्रदान करने के बाद पारित किया जाता है कि सभी घरों में नल का पानी उपलब्ध है।(

गुणवत्ता आश्वासन और निगरानी

जल जीवन मिशन के अंतर्गत, ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता आश्वासन और निगरानी हेतु एक मजबूत प्रणाली लागू की गई है। 2025-26 (21 अक्टूबर 2025 तक) के दौरान, कुल 2,843 प्रयोगशालाओं (2,184 संस्थागत और 659 जल उपचार संयंत्र-आधारित) ने देश के 4,49,961 गाँवों में 38.78 लाख जल नमूनों का परीक्षण किया।

सामुदायिक स्तर की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, 5.07 लाख गाँवों में 24.80 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट (एफटीके) का उपयोग करके जल गुणवत्ता परीक्षण हेतु प्रशिक्षित किया गया है। यह समुदाय-संचालित दृष्टिकोण जल प्रदूषण का शीघ्र पता लगाना सुनिश्चित करता है और ग्रामीण जल गुणवत्ता निगरानी के स्थानीय स्वामित्व को सुदृढ़ करता है।

 

जल जीवन मिशन (जेजेएम) के प्रमुख घटक


जल जीवन मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित घटकों की परिकल्पना की गई है:

  • गाँव में पाइप से जलापूर्ति का बुनियादी ढाँचा - प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के पानी का कनेक्शन सुनिश्चित करने के लिए गाँवों के भीतर पाइप से पानी की व्‍यवस्‍था करना।
  • स्‍थायी पेयजल स्रोत- लंबे समय जल आपूर्ति प्रणाली प्रदान करने के लिए विश्वसनीय पेयजल स्रोतों का और/या मौजूदा स्रोतों का संवर्धन।
  • बड़ी मात्रा में पानी का हस्तांतरण और वितरण - थोक जल हस्‍तांतरण प्रणालियों, उपचार संयंत्रों और वितरण नेटवर्क की स्थापना।
  • जल गुणवत्ता के लिए तकनीकी हस्तक्षेप - जहाँ जल गुणवत्ता एक समस्या है, वहाँ दूषित पदार्थों को हटाने के लिए तकनीकों को लागू करना।
  • मौजूदा योजनाओं का पुन:संयोजन - 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) के न्यूनतम सेवा स्तर पर  घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करने के लिए पूर्ण और चालू योजनाओं का आधुनिकीकरण।
  • ग्रे जल प्रबंधन - जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए गंदे पानी का उपचार और पुन: उपयोग।
  • सामुदायिक क्षमता निर्माण - स्थायी जल प्रबंधन के लिए समुदायों की क्षमता निर्माण के उद्देश्य से सहायक गतिविधियाँ।
  • आकस्मिक निधि - प्राकृतिक आपदाओं या विपत्तियों से उत्पन्न अप्रत्याशित चुनौतियों या मुद्दों के समाधान के लिए धन का प्रावधान।

 

डिजिटल नवाचार के माध्यम से ग्रामीण जल आपूर्ति में परिवर्तन

जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं (आरपीडब्ल्यूएसएस) के उन्नत मॉड्यूल को लॉन्च किया है, जो ग्रामीण जल सेवाओं में डिजिटल शासन की दिशा में एक बड़ा कदम है।


नई प्रणाली, जो सभी पाइप जल योजनाओं के लिए एक डिजिटल रजिस्ट्री के रूप में काम करेगी, पारदर्शिता, पता लगाने की क्षमता और डेटा-संचालित निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक को एक विशिष्ट आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी प्रदान करेगी, पर काम चल रहा है। राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को नवम्‍बर 2025 तक आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी निर्माण पूरा करने के लिए कहा गया है।

 

जीआईएस मैपिंग और पीएम गति शक्ति से जुड़ा, यह प्लेटफ़ॉर्म कुशल संचालन और रखरखाव के लिए रीयल-टाइम डैशबोर्ड, पूर्वानुमान विश्लेषण और उपकरण प्रदान करता है। यह पंचायतों और ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों को जल प्रणालियों के प्रबंधन के लिए सत्यापित डेटा प्रदान करता है और वाश क्षेत्र में स्थानीय कौशल विकास को बढ़ावा देता है।

 

अत्‍याधुनिक आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी निर्माण मॉड्यूल, जो प्रगति पर है, जल जीवन मिशन के तहत जवाबदेही, स्थिरता और सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करता है।
 

जेजेएम का प्रभाव

जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन से ग्रामीण जीवन में महत्वपूर्ण सुधार आया है, जैसा कि कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा उजागर किया गया है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन प्रदान करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत होगी, मुख्य रूप से महिलाओं के लिए (इस बोझ का तीन चौथाई हिस्सा)।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि भारत में सभी घरों के लिए सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने से डायरिया रोग से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोका जा सकता है, लगभग 14 मिलियन विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) को टाला जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य लागत में ₹8.2 लाख करोड़ तक की अनुमानित बचत हो सकती है।
  • एसबीआई रिसर्च के अनुसार, घरों में बाहर से पानी लाने वालों की संख्या में 8.3 प्रतिशत प्‍वाइंट की गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप 9 करोड़ महिलाओं को अब पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी में 7.4 प्रतिशत प्‍वाइंट की वृद्धि हुई है।
  • नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर के शोध से पता चलता है कि सुरक्षित जल कवरेज से पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जिससे संभावित रूप से प्रतिवर्ष 1,00,000 से अधिक लोगों की जान बच सकती है।
  • भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साथ साझेदारी में, जेजेएम की अपने विस्‍तार के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार पैदा करने की क्षमता है, जिसमें लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

 

समुदाय-नेतृत्व और प्रौद्योगिकी-संचालित सफलता की कहानियाँ

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है, "हर घर जल पहुँचाने के लिए जल जीवन मिशन एक प्रमुख विकास मानदंड बन गया है।" जल जीवन मिशन (जेजेएम) की सफलता न केवल बुनियादी ढाँचे के निर्माण में निहित है, बल्कि "जनभागीदारी से पेयजल प्रबंधन" की भावना, समुदाय-आधारित जल प्रशासन और प्रौद्योगिकी के नवीन उपयोग पर भी आधारित है।

 

  • जल प्रबंधन में महिला नेतृत्व – महाराष्ट्र

म्हापन गाँव में, अमृतनाथ महिला समूह, एक महिला स्वयं सहायता समूह, गाँव की नल जल योजना का प्रबंधन करता है। यह समूह पंप चलाना, सिस्टम का रखरखाव करना, मीटर रीडिंग लेना, पानी के बिल जमा करना और शिकायतों का समाधान करना जैसी जिम्‍मेदारियां निभाता है। समूह ने 100 प्रतिशत पानी के बिल एकत्र किए, जिससे योजना की वित्तीय स्थिति स्थिर हुई और यह आत्मनिर्भर बनी। कुशल प्रबंधन के माध्यम से, स्वयं सहायता समूह ने ₹1,70,000 अर्जित किए, जिससे समूह एक स्थायी आय-उत्पादक इकाई और समुदाय-आधारित उपयोगिता प्रबंधन का एक मॉडल बन गया।

 

  • स्रोत स्थिरता और जलवायु लचीलापन - नागालैंड

नागालैंड के वोखा में, लोग जल जीवन मिशन के तहत अपने जल स्रोतों का संरक्षण कर रहे हैं। समुदाय "लोग सर्वप्रथम, स्रोत-प्रथम" दृष्टिकोण अपनाते हैं। वोखा के समुदायों ने महसूस किया है कि जलग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण उनके नलों की सुरक्षा और वर्षों तक पानी के मुक्त प्रवाह की कुंजी है। जल जीवन मिशन और वन तथा मृदा एवं जल संरक्षण विभागों के सहयोग से, ग्रामीण मिल-जुलकर क्षतिग्रस्त ढलानों को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने मिट्टी के कटाव को रोकने और वर्षा जल को ज़मीन में रिसने में मदद करने के लिए खाइयाँ, पुनर्भरण गड्ढे और रिसाव टैंक बनाए हैं। मिट्टी को थामे रखने के लिए एल्डर, ओक और बाँस जैसे स्थानीय पेड़ लगाए जाते हैं। महिला समूह इन वृक्षारोपण अभियानों का नेतृत्व करते हैं, जबकि युवा क्लब पुनर्भरण संरचनाओं की देखभाल करते हैं।

 

  • स्वास्थ्य और स्वच्छता परिवर्तन – असम

असम के बोरबोरी गाँव में, जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत सामुदायिक संवेदीकरण ने लंबे समय से चली आ रही जलजनित बीमारियों को खत्म करने में मदद की। पाइप से पानी पहुँचाने और स्वच्छता जागरूकता अभियान शुरू होने के बाद, 2022-23 में दर्ज मामलों की संख्या 27 से घटकर दो साल के भीतर शून्य हो गई, और कोई मौत भी नहीं हुई। स्थानीय नेता बिंदु देवी ने न केवल जल आपूर्ति योजना के लिए अपनी ज़मीन दान की, बल्कि एक स्थायी रखरखाव मॉडल को भी बढ़ावा दिया, जहाँ प्रत्येक परिवार जल प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रतिदिन ₹1 का योगदान देता है। इस दृष्टिकोण ने सामुदायिक स्वामित्व और ज़िम्मेदारी को बढ़ावा दिया, जिससे प्रणाली का सुचारू और दीर्घकालिक संचालन सुनिश्चित हुआ।

 

  • जल की कमी को जल सुरक्षा में बदलना – राजस्थान

बोथरा गांव में, एक सामुदायिक बैठक में गंभीर जल संकट और 103 प्रतिशत से अधिक भूजल दोहन का खुलासा हुआ। इस अहसास ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत सभी घरों के लिए सतत पेयजल सुनिश्चित करने पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए एक जल सुरक्षा योजना तैयार की। जल सुरक्षा समिति (डब्ल्यूएससी) की बैठक के दौरान, ग्रामीणों ने चिंता जताई कि जेजेएम के तहत बनाए गए नए खुले कुएं को प्रभावी पुनर्भरण उपायों के सहयोग की आवश्यकता है। इनके बिना, कुआं अभी भी सूख सकता है। डब्ल्यूएससी ने एक जल सुरक्षा योजना तैयार की और रिज-टू-वैली दृष्टिकोण अपनाया। चेक डैम और समोच्च खाइयों का निर्माण किया गया, जिससे चेक डैम के पूरा होने के दस दिनों के भीतर एक खुले कुएं के जल स्तर में 70 फुट की वृद्धि हुई। इस प्रयास से गांव की वार्षिक जल भंडारण क्षमता में 11.77 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें समुदाय ने पुनर्भरण संरचनाओं के लिए कुल लागत का 5 प्रतिशत योगदान दिया।

 

  • डिजिटल शासन और पारदर्शिता – पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के 'जल मित्र' एप्लिकेशन ने सामुदायिक जल प्रशासन में निगरानी और पारदर्शिता में क्रांति ला दी है। 'जल मित्र' मोबाइल और वेब एप्लिकेशन, जल जीवन मिशन (जेजेएम) से संबद्ध एक प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को गुणवत्‍तापूर्ण पेयजल उपलब्‍ध कराने के लिए घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) सुनिश्चित करना है, साथ ही डिजिटल नवाचार के माध्यम से निरंतर सेवा वितरण, सामुदायिक स्वामित्व और सहभागी निगरानी पर ज़ोर देना है। डिजिटल प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्लेटफ़ॉर्म ने 13.70 करोड़ सामुदायिक गतिविधियों (अप्रैल 2024-अगस्त 2025) पर नज़र रखी, 22,111 गाँवों के 80.39 लाख परिवारों को कार्यक्षमता आकलन की सुविधा प्रदान की और 4,522 जल बचाओ समितियों के निर्माण में सहायता की। इस ऐप ने एक खंडित मैन्युअल प्रक्रिया को एक वास्तविक समय, डेटा-संचालित प्रणाली से बदल दिया, जिससे जवाबदेही और निरंतर कार्यक्षमता सुनिश्चित हुई।

निष्‍कर्ष

 

जल जीवन मिशन 81 प्रतिशत से ज़्यादा घरों में सुरक्षित नल के पानी की पहुँच सुनिश्चित करके ग्रामीण भारत में बदलाव ला रहा है। मात्र छह वर्षों में, यह तेज़ी से विस्तार, डिजिटल नवाचार और मज़बूत सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए हर घर जल के सपने को हकीकत में बदल रहा है। बुनियादी ढाँचे के अलावा, जल जीवन मिशन गाँवों में स्वास्थ्य, आजीविका और सम्मान में सुधार ला रहा है। यह रोज़गार सृजन कर रहा है, महिलाओं के समय की बचत कर रहा है और जलजनित बीमारियों को कम कर रहा है। स्थिरता और समता को अपने मूल में रखते हुए, यह मिशन सुशासन और जन-नेतृत्व वाले विकास का एक आदर्श उदाहरण है, जो भारत को सार्वभौमिक और विश्वसनीय जल सुरक्षा के और करीब ले जा रहा है।

संदर्भ

जल शक्ति मंत्रालय

पीआईबी बैकग्राउंडर

See in Hindi PDF

***

पीके/केसी/केपी

(Backgrounder ID: 155711) Visitor Counter : 22
Provide suggestions / comments
Read this release in: English
Link mygov.in
National Portal Of India
STQC Certificate