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Farmer's Welfare

भविष्य के बीज: स्वच्छ पौध कार्यक्रम ने पकड़ी रफ्तार

रोग-मुक्त पौध सामग्री से भारतीय बागवानी का कायाकल्प

Posted On: 21 SEP 2025 9:59AM

मुख्य बिंदु

  • स्वच्छ पौध कार्यक्रम के तहत, देश भर में 9 स्वच्छ पौध केंद्र बनाए जाएँगे, ताकि रोगमुक्त और उत्पादक पौध सामग्री उपलब्ध हो सके।

महाराष्ट्र में 300 करोड़ रुपए की लागत से 3 केंद्र स्थापित किए जाएँगे।

बागवानी में क्रांति लाने के लिए संसाधनों और ताज़ा जानकारियों के एक मुख्य केंद्र के रूप में सीपीपी वेबसाइट की शुरूआत की गई।

आधुनिक नर्सरियों द्वारा किसानों को प्रतिवर्ष 8 करोड़ रोगमुक्त पौधे उपलब्ध कराए जाएँगे।

जोखिम विश्लेषण, नर्सरी जाँच और प्रयोगशाला सुधार जैसी ज़मीनी गतिविधियाँ जारी हैं, साथ ही प्रमाणन, प्रशिक्षण और फसल प्रोटोकॉल का विस्तार करने की भी योजना है।

 

प्रस्तावना

पौधों के स्वास्थ्य के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ साथ जैविक और अजैविक खतरे भी बढ़ रहे हैं। इन चुनौतियों से सीधे तौर पर कृषि में घाटा देखा जा रहा है, जिससे किसानों की आय और समग्र उत्पादकता में भी कमी आ रही है। हांलाकि भारत ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने में खासा निवेश किया है, फिर भी प्रणालीगत रोगजनक (मुख्यतः विषाणु) एक बड़ा खतरा बने हुए हैं, जिससे उपज में भारी नुकसान हो रहा है। ये रोगजनक फसल की मात्रा, गुणवत्ता और जीवन काल को कम कर देते हैं। जब तक लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक किसानों के लिए खेत में रोगों का प्रबंधन करना अक्सर नामुमकिन हो जाता है। इसलिए, रोगमुक्त रोपण सामग्री से शुरुआत करना, इन चुनौतियों से निपटने की सबसे प्रभावी रणनीति मानी गई है।

इस समस्या से निपटने के लिए, बीज की गुणवत्ता के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने और स्वच्छ पौध कार्यक्रमों को लागू करने जैसे निवारक उपायों को बड़े स्तर पर मान्यता दी गई है। ऐसे उपाय न केवल पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं, बल्कि प्रतिकूल नुकसान से मुक्त होने का अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करते हैं। इसी लिहाज़ से, 9 अगस्त 2024 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित स्वच्छ पौध कार्यक्रम (सीपीपी) को मंजूरी दे दी।

अवलोकन: स्वच्छ पौध सामग्री की अनिवार्यता

स्वच्छ पौध कार्यक्रम (सीपीपी) किसानों को उच्च-गुणवत्ता वाली, विषाणु-मुक्त पौध सामग्री उपलब्ध कराने हेतु एक प्रमुख पहल के रूप में शुरू किया गया था। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से एक कार्यान्वयन और क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करता है, जो तकनीकी प्रगति की निगरानी करता है और क्षमता निर्माण में भी मदद करता है। इस पहल में 1,765.67 करोड़ रुपए का अहम निवेश शामिल है, जिसमें दिसंबर 2023 में एशियाई विकास बैंक द्वारा स्वीकृत 98 मिलियन डॉलर का ऋण भी शामिल है।

सीपीपी क्या है?

भारत का स्वच्छ पौध कार्यक्रम (सीपीपी), जिसकी कल्पना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एशियाई विकास बैंक के सहयोग के साथ की है, एक नई पहल है, जिसका मकसद प्रमुख फल फसलों की स्वस्थ, रोगमुक्त पौध सामग्री सुनिश्चित करना है। इस कार्यक्रम का मकसद किसानों की उत्पादकता और लाभप्रदता को बढ़ाना है, जिससे अंततः भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।

यह पहल निम्नलिखित नियोजित विकासों के साथ आकार लेने लगी है:

रोगमुक्त, उत्पादक पौध सामग्री सुनिश्चित करने के लिए देश भर में 9 स्वच्छ पौध केंद्र स्थापित किए जाने हैं। इनमें से 3 केंद्र महाराष्ट्र में 300 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किए जाएँगे—पुणे (अंगूर), नागपुर (संतरा) और सोलापुर (अनार)।

आधुनिक नर्सरियों को विकसित किया जाएगा, जिनमें बड़ी नर्सरियों के लिए 3 करोड़ रुपए और मध्यम नर्सरियों के लिए 1.5 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। ये नर्सरियाँ किसानों को हर साल 8 करोड़ रोगमुक्त पौधे उपलब्ध कराएँगी।

कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए इज़राइल और नीदरलैंड जैसे देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किया जाएगा।

सीपीपी के तहत मूल पौध प्रजातियों पर शोध के लिए पुणे में एक राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।

 

जमीनी स्तर पर की गई कार्रवाई और प्रगति

निम्नलिखित सीपीपी के हिस्से के रूप में की गई प्रमुख जमीनी गतिविधियों को दर्शाता है:

सीपीपी वेबसाइट लॉन्च: भारत में बागवानी में क्रांति लाने के लिए संसाधनों, अपडेट और जानकारी के एक केंद्रीय केंद्र के रूप में आधिकारिक सीपीपी वेबसाइट लॉन्च की गई है। वेबसाइट का लिंक: https://cpp-beta.nhb.gov.in/

खतरा विश्लेषण (एचए): वायरस और वायरस जैसे कारकों की रूपरेखा तैयार करने में एक ज़रुरी कदम, जो प्रमाणन और स्वच्छ पौध केंद्रों की नींव रखता है।

o अंगूर: आईसीएआर-आईएआरआई (नई दिल्ली) और आईसीएआर-एनआरसी फॉर ग्रेप्स (पुणे) ने प्रमुख अंगूर उत्पादक क्षेत्रों (महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर, मिजोरम) का सर्वेक्षण किया। कुल 578 नमूनों का परीक्षण किया गया, जिससे अंगूर के लिए खतरा विश्लेषण पूरा हुआ।

o सेब: जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब से एकत्र किए गए 535 नमूनों का परीक्षण किया जा रहा है, और खतरा विश्लेषण प्रगति पर है।

o नींबू: स्वस्थ और विषाणु-मुक्त नींबू की खेती के लिए खतरे के विश्लेषण की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं।

स्वच्छ पौध केंद्र: भारत का पहला स्वच्छ पौध केंद्र निर्माणाधीन है, और इसके डिज़ाइन के लिए बोली प्रक्रिया अभी चल रही है।

नर्सरी के दौरे:

o 23-24 अक्टूबर 2024: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अधिकारियों ने नर्सरी व्यवस्था तंत्र, डिज़ाइन, संचालन और लागत संरचनाओं का अध्ययन करने के लिए नासिक और अहमदनगर (महाराष्ट्र) में अंगूर, अनार और अमरूद की नर्सरियों का दौरा किया।

o 18-22 नवंबर, 2024: इसी टीम ने ठंडी जलवायु में सेब और शीत कालीन फसलों की खेती के तरीकों का मूल्यांकन करने के लिए जम्मू और कश्मीर की नर्सरियों का दौरा किया।

प्रयोगशाला मूल्यांकन: नैदानिक ​​और कम्प्यूटेशनल क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक कदम

16-20 जनवरी 2025 के बीच, आईसीएआर, एनएचबी और एडीबी के वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने पूरे देश में सार्वजनिक और निजी प्रयोगशालाओं का दौरा किया। इन दौरों ने सीपीपी के तहत एचटीएस डेटा विश्लेषण के लिए जैव सूचना विज्ञान पाइपलाइन विकसित करने हेतु प्रयोगशाला क्षमताओं का मूल्यांकन किया। इससे वैज्ञानिकों को कई प्रकार की फसलों में वायरस की अधिक तेज़ी से और कुशलता से जाँच करने और नर्सरी के पौधों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए बेहतर परीक्षण करने में मदद मिलेगी।

स्रोत से मिट्टी तक: स्वच्छ रोपण सामग्री का उत्पादन

निम्नलिखित चित्र सीपीपी के अंतर्गत स्वच्छ रोपण सामग्री प्राप्त करने, उसका परीक्षण करने और उसे प्रचारित करने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया को दर्शाता है:

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यदि प्राप्त पौध सामग्री का परीक्षण रोगजनकों के लिए नकारात्मक आता है, तो उसका दोबारा परीक्षण किया जाता है और फिर उसे रोगमुक्त मातृ पौधों के उत्पादन और रखरखाव के लिए उपयोग किया जाता है। ये पौधे स्वच्छ रोपण सामग्री प्रदान करते हैं, जिसे मान्यता प्राप्त नर्सरियों के ज़रिए किसानों तक पहुँचाया जाता है। यदि सामग्री का परीक्षण सकारात्मक आता है, तो ऊतक संवर्धन, ऊष्मा या क्रायोथेरेपी जैसी चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करके विषाणु को खत्म किया जाता है, और उसके बाद रोगमुक्त पौध सामग्री के लिए पौध प्रसार किया जाता है।

 

 

 

 

 

प्रमुख लाभ

सीपीपी के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं: A group of people working in a fieldAI-generated content may be incorrect.

किसान: फसल की पैदावार बढ़ाने और आय के अवसरों को बढ़ाने के लिए किसानों की वायरस-मुक्त, उच्च-गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री तक पहुँच।

नर्सरी: सुव्यवस्थित प्रमाणन प्रक्रियाएँ प्रदान करता है और बुनियादी ढाँचागत सहायता प्रदान करता है, जिससे नर्सरियों को स्वच्छ रोपण सामग्री का प्रभावी ढंग से प्रचार-प्रसार करने और विकास एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

उपभोक्ता: वायरस-मुक्त उत्कृष्ट उपज प्रदान करता है, जिससे उपभोक्ताओं को मिलने वाले फलों के स्वाद, रूप और पोषण मूल्य में सुधार होता है।

निर्यात: उच्च गुणवत्ता वाले, रोगमुक्त फलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अग्रणी वैश्विक निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करता है।

समानता और समावेशिता: सभी किसानों के लिए स्वच्छ पौध सामग्री तक किफ़ायती पहुँच सुनिश्चित करता है, चाहे उनकी जोत का आकार या सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, संसाधन, प्रशिक्षण और निर्णय लेने के मौके देकर महिला किसानों को योजना और कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से शामिल करता है और भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों के मुताबिक क्षेत्र-विशिष्ट स्वच्छ पौध किस्मों और प्रौद्योगिकियों का विकास करता है।

अन्य पहलों के साथ तालमेल

सीपीपी भारत के बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए तैयार है, साथ ही मिशन लाइफ और वन हेल्थ पहलों के साथ तालमेल बिठाकर टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, पौधा स्वास्थ्य प्रबंधन के ज़रिए, सीपीपी किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में मदद करता है, क्योंकि बढ़ता तापमान न केवल चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ावा देता है, बल्कि कीटों और रोगों के व्यवहार को भी प्रभावित करता है।

मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली)

A diagram of life themesAI-generated content may be incorrect.यह पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण हेतु व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने हेतु भारत के नेतृत्व में एक वैश्विक जन आंदोलन है। 1 नवंबर 2021 को ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत, यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है, जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रकृति के साथ सामंजस्य को बढ़ावा देती है। यह व्यक्तियों और समुदायों के प्रयासों को सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन के एक वैश्विक जन आंदोलन में बदलने का प्रयास करता है।

 

 

 

 

 

 

 

राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन

A diagram of a diagram of health and humanAI-generated content may be incorrect.एक स्वास्थ्य एक बहु-विषयक दृष्टिकोण है जो स्वास्थ्य, उत्पादकता और संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकजुट करता है। भारत, जहाँ पशुधन की संख्या सबसे अधिक है, विविध वन्यजीव, घनी मानव आबादी और विविध वनस्पतियों के कारण, सह-अस्तित्व के अवसर और रोग प्रसार के जोखिम दोनों मौजूद हैं। कोविड-19 महामारी, मवेशियों में त्वचा रोग (लम्पी स्किन डिजीज) और एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी घटनाएँ मानव स्वास्थ्य से परे जाकर पशुधन, वन्यजीव और पर्यावरण को भी शामिल करने की ज़रुरत पर बल देती हैं। प्रत्येक क्षेत्र की शक्तियों का लाभ उठाकर, एक स्वास्थ्य 'सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकीकृत और त्वरित प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) ने अपनी 21वीं बैठक में राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन की स्थापना को मंज़ूरी दी।

 

नीतियों के बीच तालमेल: सीपीपी और एमआईडीएच

स्वच्छ पौध कार्यक्रम, बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (एमआईडीएच) का पूरक है, जो बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2014-15 में शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है।A graph showing the growth of cropsAI-generated content may be incorrect.

एमआईडीएच के तहत गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और सूक्ष्म सिंचाई, बागवानी फसलों की उत्पादकता को 2019-20 में 12.10 मीट्रिक टन/हेक्टेयर से बढ़ाकर 2024-25 में 12.56 मीट्रिक टन/हेक्टेयर (द्वितीय अग्रिम अनुमान) करने में प्रमुख घटकों में से हैं।

 

 

 

 

 

 

निष्कर्ष

स्वच्छ पौध कार्यक्रम प्रगति पर है, और इसके प्रभाव और पहुँच को बढ़ाने के लिए पहले से ही कार्यवाही जारी है और नियोजित विकास कार्य चल रहे हैं। भविष्य में, सीपीपी ठोस जमीनी कार्रवाइयों के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है, जिसमें प्रमाणन के लिए नर्सरियों के साथ व्यापक परामर्श, संबंधित अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास, नींबू के वर्ग वाले फलों के लिए जोखिम विश्लेषण प्रोटोकॉल तैयार करना, आम, अमरूद, लीची, एवोकाडो और ड्रैगन फ्रूट के लिए नैदानिक ​​प्रोटोकॉल और नर्सरियों के लिए मिलान-अनुदान और लागत-मानक दिशानिर्देश जारी करना शामिल है। सीपीपी अब महज़ एक दृष्टिकोण नहीं रह गया है, यह भारत में बागवानी को मज़बूत करने, किसानों को सशक्त बनाने और इस क्षेत्र को असल में फलने-फूलने में मदद करने के लिए एक बदलावकारी कदम के रूप में उभर रहा है।

संदर्भ: -

भारत सरकार

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

नीति आयोग

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड

भारतीय चिकित्सा स्वास्थ्य अनुसंधान परिषद

पीआई प्रेस रिलीज़

पीआईबी बैकग्राउंडर

भविष्य के बीज:

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पीके/केसी/एनएस

(Backgrounder ID: 155250)
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