• Skip to Content
  • Sitemap
  • Advance Search
Technology

मोबाइल फ़ोन - भारत की डिजिटल प्रगति का उत्प्रेरक

Posted On: 18 SEP 2025 1:22PM

प्रमुख बिंदु

  • मौजूदा वित्त वर्ष 2025 -26 के पहले पांच महीने में स्मार्ट फ़ोन का निर्यात एक लाख करोड़ तक पंहुचा जो पिछले वर्ष की इस अवधि के मुकाबले 55 प्रतिशत ज्यादा है।
  • वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में चीन को पछाड़कर भारत अमेरिका को स्मार्ट फ़ोन का सबसे बड़ा निर्यातक बना।
  • भारत्त में मोबाइल सेट उत्पादन का पैमाना काफी तेजी से बढ़ा, जहाँ साल 2014 में देश मोबाइल निर्माण की केवल 2 यूनिट थी वह अब बढ़कर 300 हो चुकी है।

 


भारत पूरी दुनिया में मोबाइल फ़ोन के निर्माण का एक बड़ा केंद्र बना, दुनिया के कई बाज़ारो में इसका निर्यात बढ़ा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

 

18 September, 2025

परिचय

भारत में 31 जुलाई 1995 को पहली बार मोबाइल पर रिंग की आवाज आवाज सुनी गयी जो एक तरह से भारत में डिजिटल युग का सूर्योदय था। तब कोलकाता में केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बासु से मोबाइल पर कॉल कर पहली बार बात की थी। इन दोनों के बीच की यह छोटी बातचीत भारत में एक तरह से संचार क्रांति की वह बुनियाद डाल गयी जिसने अभी के 140 करोड़ भारतीयों को केवल आपस में जोड़ा है बल्कि आज यह उनके सपनो को भी बुनने का कार्य कर रही है।

कॉल रिसीव करने से लेकर, सोशल मीडिया में भाग लेने, मनोरंजन से लेकर अध्ययन तक, बैंकिंग कार्य से लेकर तमाम अन्य गतिविधि तक ये सभी इसीलिए संभव हुआ है की हमारे यहाँ इंटरनेट डाटा बेहद सस्ता है जिसने भारत में टेलीकॉम क्रांति को अंजाम दिया है। आज भारत के 85.5 प्रतिशत घरों में कम से कम एक स्मार्ट फ़ोन जरूर उपलब्ध है। मोबाइल फ़ोन भारत में एक बैंक, एक क्लास रूम, एक टेलीविज़न सब कुछ बन चुका है। ग्रामीण इलाकों में तो किसान समुदाय मोबाइल को एक ऐसे उपकरण के रूप में प्रयोग करता है जो जमीनी स्तर पर डिजिटल फसल सर्वेक्षण में काफी मददगार होता है। इसके साथ किसान समुदाय एम् किसान पोर्टल और नेशनल पेस्ट सरवेलिएन्स सिस्टम यानि एनपीएसएस एप के जरिये कई सेवाओं को लेने के साथ साथ फसलों के बाजार मूल्य, मौसम की अद्यतन जानकारी के अलावा और कई और तरह के परामर्श प्राप्त करते है। जनवरी - मार्च 2025 के दौरान कराये गए एक विस्तृत मॉडुलर सर्वेक्षण के मुताबिक 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग की 96. 8 प्रतिशत ग्रामीण आबादी मोबाइल फ़ोन का उपयोग कॉल करने और इंटरनेट के लिए कर रही थी जबकि शहरी क्षेत्र में यह प्रतिशत 97.6 था।

एक दशक पूर्व भारत का मोबाइल बाजार बहुत हद तक आयात पर निर्भर होता था परन्तु अब भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओ के उत्पादन निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल कर एक बड़े निर्यातक की भूमिका में गया है। मोबाइल और स्मार्ट फ़ोन हमारी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनकर उभरी हैं भारत अभी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल हैंडसेट उत्पादक देश बन चुका है। 2014 में जहा देश में सिर्फ 2 मोबाइल उत्पादक इकाई थी जो अब बढ़कर 300 हो चुकी है जो इस बात को रेखांकित करती है की मोबाइल महज एक उपकरण नहीं बल्कि हमारी विकास यात्रा की एक प्रमुख संचालक है।

 मोबाइल- उपकरण से विकास के संचालक तक

भारत पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है जबकि जी -20 देशों में व्यक्तिगत डिजिटल उपयोग के हिसाब से इसका स्थान बारहवां है। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की विकास दर हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर से ठीक दोगुनी दर से बढ़ने वाली है। अनुमान है की भारत की राष्ट्रीय आय में हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान वर्ष 2029 -30 में बीस प्रतिशत हो जायेगा जो कृषि और मैन्युफैक्चरिंग के योगदान को भी पीछे छोड़ देगा।

डिजिटल अर्थव्यवस्था में यह बढ़ोत्तरी अर्थव्यवस्था के अलग अलग क्षेत्रों में डिजिटल उपकरणों के बढ़ते इस्तेमाल और विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्मो के उपयोगो के जरिये हासिल होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का क्षेत्र हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक तरह से मेरुदंड है जिसमे मेक इन इंडिया जैसे अभियानों से जबरदस्त गति प्राप्त हुई है। आज देश के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में विशाल निवेश का आगमन हुआ है और घरेलू बाजार में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की प्रचुर उपलब्धता मौजूद है। इनका निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है जो अपने प्रमुख पारम्परिक निर्यात मद वस्त्र को भी पीछे छोड़ चुका है। सरकारों के समर्थन और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता के विस्तार से भारत दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के उत्पादन का एक बड़ा केंद्र बन चुका है।

स्मार्ट फ़ोन तो हमारे लोगो को और हमारे व्यवसाय दोनों को सशक्त बनाने का कार्य कर रहे है, ये विभिन्न सूचनाओं और सेवाओं को उपलब्ध करा रहे है और इस तरह से ये हमारे समाज को डिजिटल रूप में आपस में जोड़कर और ज्यादा समावेशी बना रहे है। कुल मिला कर हमारी तस्वीर बेहद चमकीली दिखाई देती है। मिसाल के तौर पर देखे तो भारत में पिछले एक दशक के दौरान मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इकाईयों ने करीब 12 लाख लोगो को रोजगार प्रदान किया जो भारत के सामाजिक आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करने में काफी सहायक हुआ। भारत का स्मार्ट फ़ोन बाजार देखा जाये तो वह बड़ी तेजी से उभर रहा है जिसमे हमारा उपभोक्ता 5 जी और अन्य प्रीमियम फीचर वाले फ़ोन की तरफ अब ज्यादा आकर्षित होता दिख रहा है। एक बाजार रिसर्च के मुताबिक 5 जी फीचर वाले स्मार्ट फ़ोन की शिपमेंट पिछले साल कुल मोबाइल शिपमेंट की 82 फीसदी थी जो बढ़ोत्तरी के हिसाब से पिछले साल के मुकाबले 49 प्रतिशत ज्यादा है। मध्यम श्रेणी के मोबाइल हैंडसेट जिनकी कीमत 10 -13 हज़ार रुपये है जो रियायती दर वाले अच्छे परफॉर्म करने वाले स्मार्ट फ़ोन है उन की मांग में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखी गयी है। इसी के साथ साथ प्रीमियम सेग्मेंट वाले स्मार्ट फ़ोन जिनकी कीमत 25 हज़ार से ऊपर है , उनकी बिक्री 26 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है। कुल मिलाकर भारत का मोबाइल बाजार हर श्रेणी चाहे वह लाइफस्टाइल प्रीमियम सेगमेंट में हो , चाहे मध्यम श्रेणी में हो और फिर किफायती श्रेणी में हो सभी अपने अपने हिसाब से देश में विशाल और विविध श्रेणी

मेड इन इंडिया: मोबाइल उत्पादन में उछाल का वाहक

का उपभोक्ता समाज उत्पन्न किया है

 

 

 

भारत ने वर्ष 2030 तक अपने अर्थव्यवस्था का आकार 7 ख़रब डॉलर तक बढाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में मोबाइल और स्मार्ट फ़ोन सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्माण की इसमें बड़ी भूमिका होगी।

खिलौनों से लेकर मोबाइल फ़ोन तक, रक्षा उपकरणों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन तक सभी का भारत में एक बड़ा उत्पादन बेस बन रहा है। सरकार का 'मेक इन इंडिया' विजन और 'उत्पादन प्रोत्साहन' यानी पी एल आई योजना का लक्ष्य भारत को दुनिया का एक वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाकर आत्मर्निर्भरता हासिल करना, उत्पादन में तेजी से बढ़ोत्तरी लाना और प्रचुर मात्रा में रोजगार सृजित कर देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की यात्रा कई विशिष्ट चरणों से गुजरी है , जिसकी शुरुआत तैयार इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों से हुई, फिर दूसरी अवस्था में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जे और उपकरणों की असेंब्ली यानि संयोजन कार्य में प्रगति दर्ज की गयी और अब हम इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के महत्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण कार्य की दिशा में प्रवेश कर चुके हैं यानी इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में अब हम ऐसे चरण में प्रवेश कर चुके हैं जहा वैल्यू एडिशन , आत्मनिर्भरता और एक समवेत उत्पादन परिवेश का निर्माण दृष्टिगोचर हो रहा है। अभी हमारा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का कुल उत्पादन वर्ष 2014-15 के 1.9 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 -25 में 11.3 लाख करोड़ हो गया है।

इलेक्ट्रॉनिकस मैन्युफैक्चरिंग में आयी तेजी का श्रेय मोबाइल को

  • मोबाइल फ़ोन का उत्पादन मूल्य वर्ष 2014-15 के दौरान जहा 18000 करोड़ था वह वर्ष 2024 -25 में बढ़कर 5.45 लाख करोड़ हो गया है। इस तरह से इसमें कुल 28 गुनी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है।
  • भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक देश है जहाँ की कुल 300 विनिर्माण इकाईयों में 47 से ज्यादा इकाई अकेले तमिलनाडु में है जिसे भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय की अलग अलग स्कीमो से काफी समर्थन मिला है।
  • भारत में कुल मिलकर अभी 33 करोड़ सालाना मोबाइल का निर्माण हो रहा है और भारत में अभी 1 अरब मोबाइल हैंडसेट उपयोग में हैं

भारत की पुकार: मोबाइल से निर्यात बढ़ोत्तरी

 

 

 

 

 

क्या आप जानते हैं?

 स्मार्टफोन भारत से चौथा सबसे बड़ा निर्यात उत्पाद हैं।

 

कहना होगा वर्ष 2014 में भारत अपने कुल मोबाइल मांग का 75 प्रतिशत आयात से पूरी करता था पर अब यह आकड़ा महज 0.02 प्रतिशत रह गया है। भारत अब अपना स्वयं का एक विशाल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग स्थापित कर रहा है जिसमे निवेश का आगमन हो रहा है और स्थानीय उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। इसके नतीजतन इसके निर्यात में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। अभी इलेक्ट्रॉनिक उद्योग सबसे तेजी से बढ़ रहा उद्योग है जो भारत के तीस सबसे बड़ी निर्यात मदों में शामिल है। यह बढ़ोत्तरी वर्ष 2017 में शुरू चरणबद्ध मैन्युफैक्चरिंग कार्यक्रम से शुरू हुआ और 2020 में भारत सरकार की पी एल आई स्कीम के मार्फ़त तीव्र गति पकड़ा। इस वजह से आज निर्यात की मात्रा घरेलू खपत को पीछे छोड़ चुकी है। देखा जाये तो एक विकास शील अर्थव्यवस्था के लिए यह एक दुर्लभ उपलब्धि है। वर्ष 2018 के बाद हमारा मोबाइल निर्यात बढ़ना शुरू हुआ जो केवल लगातार बढ़ा बल्कि अभी अभी हम चीन को पछाड़कर अमेरिका के सबसे बड़े मोबाइल सप्लायर बन गए है।

 

  • भारत का वर्ष 2014-15 में मोबाइल निर्यात सिर्फ 1500 करोड़ का था जो वर्ष 2024 -25 में 127 गुना बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये का हो गया।
  • वर्ष 2024 में एप्पल का निर्यात 42 प्रतिशत की रिकॉर्ड दर से बढ़कर 110989 करोड़ हो गया।
  • मौजूदा वित्त वर्ष 2025 -26 के पहले पांच महीने में भारत का स्मार्ट फ़ोन निर्यात 55 प्रतिशत बढ़कर 1 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया। गत वर्ष इस अवधि में यह राशि 55 हज़ार करोड़ थी। बताया जाता है पीएलआई स्कीम के प्रोत्साहन की इसमें बड़ी भूमिका रही है।

ये सराहनीय उपलब्धियां अभी जारी है। मिसाल के तौर पर प्रसिद्ध कंपनी फोक्सोन ने भारत में मौजूदा साल के अंत तक आई फ़ोन के उत्पादन को दोगुना करने की योजना बनाई है तथा निर्यात की मात्रा ढाई से से तीन करोड़ हैंडसेट की रखी है। इस बीच सैमसंग की नोएडा स्थित उत्पादन इकाई ने वर्ष 2024 में 20. 4 अरब डॉलर का निर्यात किया जो 2023 के मुकाबले 44 प्रतिशत ज्यादा है।

 

सरकार की मुख्य पहल : मोबाइल उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना

 

भारत के पास स्मार्ट फ़ोन का बड़ी तेजी से बढ़ता बाजार है जिसके पास वैश्विक बाजार में भी अथाह अवसर हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को गति प्रदान करने की दिशा में सरकार के विभिन्न योजनाओं और प्रोत्साहनों को शुरू किया। इसमें बड़े निवेशों और निर्यातों के लिए प्रोत्साहन के कई पैकेज भी शामिल रहे है।

मेक इन इंडिया स्कीम 2014- मेक इन इंडिया का लक्ष्य देश में आर्थिक वृद्धि को त्वरण प्रदान करते हुए देश में मैन्युफैक्चरिंग का एक वैश्विक प्लेटफार्म बनाना था। इसमें निवेश, नवप्रवर्तन और विश्व स्तरीय आधारभूत ढांचा विकसित करने पर बल देते हुए भारत को मैन्युफैक्चरिंग की एक महाशक्ति बनाना था। इसी में वोकल फॉर लोकल का नारा, औद्योगिक मजबूती लाकर दुनिया की एक उभरती आर्थिक महाशक्ति बनने का इरादा भी समाहित था।

डिजिटल इंडिया- डिजिटल इंडिया मुहिम की शुरुआत साल 2015 में हुई जिसका मकसद समावेशी विकास, आर्थिक वृद्धि और तकनीकों के जरिये पारदर्शित्ता को बढ़ावा देना था। वर्ष 2022 -23 में डिजिटल अर्थव्यवस्था का देश के सकल घरेलू उत्पाद में कुल योगदान 11.7 प्रतिशत था जिसके वर्ष 2024 -25 में बढ़कर 13.4 प्रतिशत और आगामी 2030 में बढ़कर 20 प्रतिशत होने का अनुमान है। इस दौरान देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या वर्ष 2014 में 25.15 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 में 96.96 करोड़ हो चुकी है। यानी 285 प्रतिशत की अकल्पनीय बढ़ोत्तरी।

गौरतलब है की 4-जी 2016 में सर्वत्र गया था। इसी तरह 5-जी वर्ष 2022 में लांच किया गया जिसके तहत महज 22 महीने में देश के 99. 6 प्रतिशत जिलों में 4.74 लाख टावर स्थापित किये गए। इसी क्रम में अब 6-जी का भी वर्ष 2023 में विजन लाया गया जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत को 6- का ग्लोबल लीडर बनाना था।

इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और सेमीकंडक्टर का उत्पादन प्रोत्साहन योजना यानि (एसपीइसीएस)-

इस स्कीम का मकसद कुछ चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के पूंजीगत निवेश पर करीब 25 प्रतिशत का वित्तीय प्रोत्साहन देकर इनकी सप्लाई चेन को निरंतर बनाये रखना है। इस स्कीम से देश में ऊँचे वैल्यू वाले इलेक्ट्रिक्स उत्पादों के निवेश पर प्रोत्साहन बढ़ाना है।

नयी राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019- इस नीति की घोषणा साल 2019 में की गयी जिसका मकसद भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन मैन्युफैक्चरिंग यानि एस डी एम् का वैश्विक केंद्र बनाना था। इस दिशा में सरकार ने मौजूदा नीतियों को नवप्रवर्तित कर इस एस डी एम् सेक्टर से वर्ष 2025 तक 400 अरब डॉलर का राजस्व लक्ष्य हासिल करने के लिए एक कार्यकारी समूह बनाने का था।

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव पीएलआई स्कीम- पीएलआई स्कीम की शुरुआत अप्रैल 2020 में की गयी जिसका मकसद घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कार्य को सभी रणनीतिक क्षेत्रों में लक्ष्य आधारित प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करना था। यह शुरू में मोबाइल उत्पादन और विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मेडिकल उपकरणों के निर्माण तथा दवा उद्योग की खास मध्यवर्ती जरूरतों के लिए लाया गया। इस स्कीम की शुरुआती सफलता को देखते हुए अर्थव्यवस्था के 14 अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी इसे आजमाया गया। इस स्कीम ने डिजिटल भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में काफी मदद की जिसकी वजह से मोबाइल फ़ोन का स्थानीय उत्पादन केवल तेजी से बढ़ा बल्कि इसने तकनीकों को सर्वसुलभ और सस्ता बनाने में काफी मदद की। पीएलआई स्कीम ने दुनिया की बड़ी बड़ी स्मार्ट फ़ोन निर्माता कंपनियों को भारत में अपना प्लांट स्थापित करने में पुरजोर तरीके से प्रोत्साहित किया

इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (इसीएमएस)- 22,919 करोड़ के कोष से स्थापित इस स्कीम को अप्रैल 2025 में स्वीकृत किया गया। इसका मकसद भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने और भारतीय कंपनियों को ग्लोबल वैल्यू चेन से जोड़ने का था। इस स्कीम के तहत देश में आगामी छह साल में कुल 59350 करोड़ की राशि का निवेश , 456500 करोड़ मूल्य का उत्पादन और कुल 91600 प्रत्यक्ष रोजगार सहित कई अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करना था। इस क्रम में स्मार्टफोन क्षेत्र में करीब 50 हज़ार करोड़ के निवेश का आगमन हो भी चुका है।

 

मोबाइल उत्पादकों की वैश्विक भाषा

पिछले दशक के दौरान भारत के विकास यात्रा के एक बड़ी उपलब्धि ये रही की हम मोबाइल आयातक देश से सीधे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल उत्पादक देश बने। यह अप्रत्याशित उपलब्धि केवल भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की तीव्र प्रगति का द्योतक है बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के उत्पादन और निर्यात के एक बड़ा वैश्विक केंद्र बनने की भी कहानी है। वैश्विक स्तर पर चीन और वियतनाम इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात के स्थापित लीडर है। वर्ष 2022 में चीन के कुल निर्यात में उसके इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का योगदान 27 प्रतिशत था वही वियतनाम का योगदान 40 प्रतिशत था। इस आलोक में भारत ने भी बड़ी तेजी से अपनी बढ़त का मुकाम हासिल किया है। कोई भी ग्लोबल स्तर की फर्म केवल एक देश में स्थित अपनी उत्पादन इकाई पर निर्भर नहीं करना चाहती क्योंकि इससे सप्लाई चेन की निरंतरता बनाये रखने का जोखिम तथा भू राजनीति के परिवर्तित होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में भारत अभी दुनिया की बड़ी कंपनियों की स्वाभाविक वैकल्पिक पसंद बनता जा रहा है जिसे अभी चाइना प्लस वन स्ट्रेटेजी का नाम दिया जा रहा है। इस क्रम में वैश्विक कम्पनियाँ भारत में अपने व्यवसायिक संचालन का विस्तार कर रही हैं। ये बातें कोई थ्योरी में नहीं है बल्कि अब जमीनी आकड़ो में परिवर्तित हो रही हैं। चाइना प्लस वन का चल रहा ट्रेंड भारत के लिए काफी लाभदायक रहा है क्योंकि भारत अभी मोबाइल निर्यात में चीन को जबरदस्त टक्कर दे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापर केंद्र के अनुसार वर्ष 2023 -24 में चीन के मोबाइल निर्यात में 3.8 अरब डॉलर तथा वियतनाम के निर्यात में 5. 6 अरब डॉलर की कमी आयी है। जबकि इस दौरान भारत का मोबाइल फ़ोन निर्यात में 4. 5 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई है जो इन दोनों देशो के आधे

परिदृश्य- मोबाइल द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक्स

से ज्यादा की भरपाई की है

 

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था जो मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों से सशक्त हुई है उसके अर्थव्यवस्था की कुल विकास दर से दोगुनी गति से बढ़ने के अनुमान है जो वर्ष 2029 -30 तक कुल अर्थव्यवस्था में पांचवे हिस्से का योगदान देगी।
विशेष रूप से, जैसे-जैसे भारत 2026 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, इसकी मजबूत नीतियां और कुशल कार्यबल निरंतर विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, जिससे देश वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रमुख रूप से मोबाइल और सेमीकंडक्टर उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो रहा है।

एक तरह से यह दूरदर्शी पहलों से सुसज्जित एक मधुर सफलता की कहानी है, जिसके कारण 2014-15 से शुरू होने वाले दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में 31 बिलियन डॉलर से 133 बिलियन डॉलर तक की तीव्र वृद्धि हुई है। और कहानी बढ़ती गति से जारी रहने के लिए तैयार है। टैरिफ के बावजूद, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2025 -26 के लिए सरकार ने 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। इस पिच पर जारी रखते हुए, भारत वर्ष 2030 तक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगभग 4-5 प्रतिशत का योगदान करने की उम्मीद है।

 

निष्कर्ष

हम मोबाइल फोन निर्माण में तेजी से नंबर 1 बनने की ओर बढ़ रहे हैं।" पीएम नरेंद्र मोदी।

मोबाइल फोन विनिर्माण और निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जिसने वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को पुनः परिभाषित किया है। इस प्रगति के केंद्रीय चालक सरकारी नीतियां, युवा जनसांख्यिकी, बढ़ता मध्यम वर्ग और बढ़ती प्रति व्यक्ति आय हैं। भारत में मोबाइल विनिर्माण प्रक्रियाओं को समर्थन देने के लिए अनेक योजनाओं के साथ, देश ने स्थानीय विनिर्माण, निर्यात और निवेश को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दिया है। जैसे-जैसे भारत की मजबूत नीतियां और कुशल कार्यबल निरंतर विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, वैसे वैसे देश वैश्विक मोबाइल और स्मार्टफोन सेगमेंट में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो रहा है।

सन्दर्भ

Ministry of Statistics &Programme Implementation

Ministry of Electronics & IT

PIB Archives

Sansad.in

Investindia.gov.in

Newsonair.gov.in

IBEF

DD news website

मोबाइल फ़ोन - भारत की डिजिटल प्रगति का उत्प्रेरक

******

पीके/केसी/एमएम

(Backgrounder ID: 155233)
Provide suggestions / comments
Read this release in: English , Urdu
Link mygov.in
National Portal Of India
STQC Certificate