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Farmer's Welfare

बागवानी: भारत की कृषि-अर्थव्यवस्था को मजबूती

“किसानों की आय बढ़ाने के लिए उच्च मूल्य वाली फसलों पर ध्यान केन्‍द्रित”

Posted On: 31 AUG 2025 9:38AM

परिचय

केरल के कोझिकोड जिले के एक सेवानिवृत्त शिक्षक, श्री के. टी. फ्रांसिस ने अपने तीन एकड़ के खेत को नारियल आधारित मिश्रित खेती के एक मॉडल में बदल दिया है। 200 नारियल के पेड़ों, मसालों, कंद फसलों और उष्णकटिबंधीय फलों से, वह प्रति वर्ष ₹14-15 लाख कमाते हैं, मुख्यतः नारियल और नर्सरी की बिक्री से। राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित, उनकी सफलता दर्शाती है कि कैसे एकीकृत खेती और वैज्ञानिक पद्धतियाँ छोटी जोतों को लाभदायक और टिकाऊ बना सकती हैं।

असम के कामरूप ज़िले के कुल्हाटी गाँव के 40 वर्षीय किसान श्री प्रभात दास ने पारंपरिक फ़सलों से हटकर फूलों की खेती करके अपने खेतों की कायाकल्प कर दी है। कला स्नातक होने के नाते, उन्होंने 2014 से 2016 के दौरान अपनी 12 बीघा ज़मीन पर ग्लेडियोलस, ट्यूब रोज़, टिशू ज़र्बेरा और रेड ज़र्बेरा की खेती शुरू की। यह कदम बेहद फ़ायदेमंद साबित हुआ क्योंकि उन्होंने ग्रेटर गुवाहाटी के थोक और खुदरा बाज़ारों में अपने फूल बेचकर सालाना 1.5 से 2 लाख रुपये कमाए। पहले फ़सलों से उनकी कमाई मामूली थी, लेकिन फूलों की खेती ने उन्हें बेहतर मुनाफ़ा दिलाया और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है। इस सफलता से उत्साहित होकर, अब वह आने वाले मौसम में फूलों की खेती के लिए अपने क्षेत्र का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। 

 

 

बागवानी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बागवानी बेहतर पोषण को बढ़ावा देती है, वैकल्पिक ग्रामीण रोज़गार प्रदान करती है, कृषि में विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है और किसानों की आय बढ़ाती है। भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। मसालों, नारियल और काजू के उत्पादन में भी भारत की स्थिति मज़बूत बनी हुई है।

2016 में, सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के उपाय तलाशने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया। एक प्रमुख रणनीति बागवानी सहित उच्च-मूल्य वाली कृषि में विविधीकरण की थी।

पिछले एक दशक में इस क्षेत्र ने प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। अगस्त 2025 तक, 2024-25 (द्वितीय अग्रिम अनुमान) के लिए, बागवानी उत्पादन 2013-14 के 280.70 मिलियन टन से बढ़कर 367.72 मिलियन टन हो गया। इसमें 114.51 मिलियन टन फल उत्पादन, 219.67 मिलियन टन सब्जी उत्पादन और अन्य बागवानी फसलों से 33.54 मिलियन टन उत्पादन शामिल है।

2023-24 में, फलों का उत्पादन 2014-15 के 866 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 1129.7 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसी अवधि में सब्जियों का उत्पादन भी 1694.7 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2072 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। उत्पादकता के स्तर में भी सुधार हुआ, फल 14.17 से बढ़कर 15.80 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर और सब्जियां 17.76 से बढ़कर 18.40 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गईं।

योजनाएँ और पहल

बागवानी क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में लक्षित सरकारी योजनाओं और पहलों के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है, जिनका उद्देश्य इस क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का दोहन करते हुए प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना है। फसल की गुणवत्ता में सुधार, उत्पादन में वृद्धि और किसानों की बाज़ारों तक पहुँच में सुधार पर ध्यान केन्‍द्रित किया जा रहा है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)

सरकार 2014-15 से एकीकृत बागवानी विकास मिशन का क्रियान्वयन कर रही है। इस केन्‍द्र प्रायोजित योजना का उद्देश्य सभी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित करना है।

परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए, नीति आयोग सहित स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से कई प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन किए गए हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी विभिन्न क्षेत्रों में इस योजना की नियमित निगरानी और मूल्यांकन करता है। इन समीक्षाओं से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, क्षेत्र-स्तरीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए योजना में बदलाव और नए घटक शामिल करके इसे पुनर्गठित किया गया है।

इस योजना के अंतर्गत प्रमुख पहलों में शामिल हैं

  • बागवानी उत्कृष्टता केन्‍द्र - क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों के प्रदर्शन और प्रशिक्षण केन्‍द्र के रूप में स्थापित
  • बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम – बागवानी क्लस्टरों की भौगोलिक क्षमताओं का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया। यह उत्पादन-पूर्व और उत्पादन से लेकर कटाई-पश्चात प्रबंधन, लॉजिस्टिक, ब्रांडिंग और विपणन तक एकीकृत और बाज़ार-आधारित विकास को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य घरेलू और निर्यात, दोनों बाज़ारों में भारतीय बागवानी की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है।
  • स्वच्छ पौध कार्यक्रम - एक केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना जो वैश्विक बागवानी व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली, रोग मुक्त रोपण सामग्री प्रदान करने पर केन्‍द्रित है।
  • प्रवेश-पश्चात क्‍वारंटाइन सुविधाएं - वास्तविक और गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की आपूर्ति के लिए स्थापित, जिससे बागों की उत्पादकता में सुधार होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी

वित्तीय और तकनीकी सहायता

 

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत, इस क्षेत्र को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। मुख्य हस्तक्षेपों में शामिल हैं:

  • उच्च गुणवत्ता वाले बीज और रोपण सामग्री के उत्पादन के लिए नर्सरियों और ऊतक संवर्धन इकाइयों की स्थापना
  • फलों, सब्जियों और फूलों के लिए नए बाग-बगीचों की स्थापना करके खेती के क्षेत्रों का विस्तार करना, साथ ही पुराने और अनुत्पादक बाग-बगीचों का पुनरुद्धार करना
  • पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस जैसी सुविधाओं के माध्यम से संरक्षित खेती को बढ़ावा देना, जिससे बेमौसमी किस्मों सहित उच्च मूल्य वाली सब्जियों और फूलों का उत्पादन संभव हो सके।
  • टिकाऊ और रसायन मुक्त खेती प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए जैविक खेती और प्रमाणन को प्रोत्साहित करना
  • सिंचाई और जल संरक्षण को समर्थन देने के लिए जल संसाधन संरचनाओं और वाटरशेड प्रबंधन प्रणालियों का निर्माण
  • परागण को बढ़ाने और फसल की पैदावार में सुधार के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना।
  • दक्षता बढ़ाने और श्रम निर्भरता कम करने के लिए बागवानी मशीनीकरण को अपनाना
  • फसलोपरांत प्रबंधन और विपणन अवसंरचना का विकास, जिसमें पैक हाउस, एकीकृत पैक हाउस, प्री-कूलिंग इकाइयां, स्टेजिंग कोल्ड रूम, कोल्ड स्टोरेज, नियंत्रित वातावरण भंडारण, प्रशीतित परिवहन, मोबाइल और प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, पकने वाले कक्ष और एकीकृत कोल्ड चेन प्रणालियां शामिल हैं।

 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन

राष्ट्रीय बागवानी मिशन 2005-06 में एक केन्‍द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित करना और सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से आपूर्तिकर्ताओं के साथ मज़बूत संपर्क बनाना है।

 

मिशन निम्नलिखित पर ध्यान केन्‍द्रित कर रहा है:

• नर्सरियों और ऊतक संवर्धन इकाइयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करना।

• क्षेत्र विस्तार और पुनरुद्धार के माध्यम से उत्पादन और उत्पादकता में सुधार करना।

• बागवानी में आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देना और उनका प्रसार करना।

• इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान केन्‍द्रित करना।

• कटाई के बाद प्रबंधन और विपणन के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास करना।

• प्रत्येक राज्य या क्षेत्र की क्षमता और जलवायु के अनुसार कार्यों की योजना बनाना।

पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (एचएमएनईएच)

विभाग 2001-02 से पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन नामक एक केन्‍द्र प्रायोजित योजना का क्रियान्वयन कर रहा है। इसे पहले पूर्वोत्तर राज्यों में बागवानी के एकीकृत विकास हेतु प्रौद्योगिकी मिशन के नाम से जाना जाता था।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2003-04) में, इस योजना का विस्तार तीन हिमालयी राज्यों, अर्थात् हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और उत्तराखंड तक किया गया। यह मिशन रोपण से लेकर उपभोग तक, संपूर्ण बागवानी श्रृंखला को, पश्चगामी और अग्रगामी दोनों प्रकार के संबंधों के साथ, कवर करता है।

2014-15 से, एचएमएनईएच योजना को बागवानी के एकीकृत विकास मिशन में मिला दिया गया है।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी)

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1984 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में एक स्वायत्त संगठन के रूप में की गई थी।

बोर्ड का उद्देश्य एकीकृत उच्च-तकनीकी वाणिज्यिक बागवानी के लिए उत्पादन क्लस्टर या केन्‍द्र विकसित करना, कटाई-पश्चात और शीत श्रृंखला अवसंरचना का निर्माण करना, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना और उच्च-तकनीकी वाणिज्यिक बागवानी के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा देना है।

नारियल विकास बोर्ड (सीडीबी)

नारियल विकास बोर्ड, भारत सरकार द्वारा नारियल विकास बोर्ड कानून, 1979 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है और जनवरी 1981 में अमल में आया। एमआईडीएच के अंतर्गत, इसका ध्यान गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के उत्पादन और वितरण, संभावित और गैर-पारंपरिक, दोनों क्षेत्रों में नारियल की खेती का विस्तार और प्रमुख नारियल उत्पादक राज्यों में उत्पादकता में सुधार पर केन्‍द्रित है। यह फसल-उपरांत प्रसंस्करण और विपणन तकनीकों के विकास, उत्पाद विविधीकरण और उप-उत्पाद उपयोग को बढ़ावा देने, नारियल-आधारित उत्पादों के मूल्य संवर्धन, सूचना साझा करने और नारियल क्षेत्र में क्षमता निर्माण पर भी कार्य करता है।

केन्‍द्रीय बागवानी संस्थान (सीआईएच)

पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए 2006-07 में नागालैंड के मेडजीफेमा में केन्‍द्रीय बागवानी संस्थान की स्थापना की गई थी। अब यह एमआईडीएच के अंतर्गत एक उप-योजना के रूप में कार्य करता है। हालाँकि, संस्थान सीधे तौर पर किसी भी योजना को लागू नहीं करता है।

अनुसंधान और गुणवत्ता सुधार

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तत्वावधान में आईसीएआर संस्थानों और राज्य/केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों (सीएयू/एसएयू) सहित राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) उन्नत बागवानी किस्में उपलब्ध कराती है।

निष्कर्ष

भारत के कृषि विकास को मज़बूत करने और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में बागवानी की महत्वपूर्ण भूमिका है। फलों और सब्ज़ियों से लेकर मसालों, फूलों और बागानों में उगाई जाने वाली फसलों की विस्तृत विविधता इस क्षेत्र की समृद्ध विविधता को दर्शाती है। निरंतर अनुसंधान, उन्नत किस्में और बेहतर कटाई-पश्चात प्रबंधन किसानों की उत्पादकता और आय बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। निरंतर सरकारी सहयोग और आधुनिक पद्धतियों को अपनाने से, बागवानी में ग्रामीण आजीविका को और बढ़ावा देने, निर्यात बढ़ाने और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है।

संदर्भ

Coconut Development Board

https://coconutboard.gov.in/docs/farming-success-story.pdf

Government of West Bengal

https://purulia.gov.in/horticulture/

Government of Assam

https://dirhorti.assam.gov.in/portlets/success-stories

Ministry of Agriculture and Farmers Welfare

https://agriwelfare.gov.in/en/Hirticulture

https://agriwelfare.gov.in/en/StatHortEst

https://www.nhb.gov.in/CDPMap.aspx?enc=3ZOO8K5CzcdC/Yq6HcdIxNRZ9Jd/gg/vMB84vUqhmUw=

https://agriwelfare.gov.in/Documents/AR_Eng_2024_25.pdf

https://nhb.gov.in/statistics/commodity-bulletin.html

Mission for Integrated Development of Agriculture

https://midh.gov.in/About

National Horticulture Board

https://nhb.gov.in/commodity_bulletin.html

Lok Sabha Questions

https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2593_Imu8WP.pdf?source=pqals

https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AS129_fKEcOo.pdf?source=pqals

https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/184/AU4919_1MT5c8.pdf?source=pqals

https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/184/AU1911_NHSb2r.pdf?source=pqals

PIB Press Release

https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2003185

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1810905

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=152014&ModuleId=3

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2149705

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