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Technology

भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति

इलेक्ट्रॉनिक्स के भविष्य का सशक्तिकरण

Posted On: 03 AUG 2025 2:49PM

“आज का भारत दुनिया में विश्वास जगाता है... जब मुश्किलें आ रही हों, तो आप भारत पर विश्वास कर सकते हैं” – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी।

 

Text Box: महत्वपूर्ण उपलब्धियां•	भारत का चिप बाजार फल-फूल रहा है, 2030 तक इसके 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद।•	इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (76,000 करोड़ रुपये परिव्यय) से स्थानीय विनिर्माण, डिजाइन और प्रतिभा को बढ़ावा मिलता है।•	2023-2025 के बीच आईएसएम के तहत छह प्रमुख सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी गई।•	भारत बड़े निवेश और सेमीकॉन इंडिया 2025 जैसे आयोजनों के साथ एक वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र के रूप में उभर रहा है।•	सेमीकॉन इंडिया 2025 में 300 से अधिक वैश्विक प्रदर्शकों और 18 देशों ने एक भरोसेमंद चिप भागीदार के रूप में भारत की वृद्धि को रेखांकित किया।

प्रस्तावना

क्या आप जानते हैं कि कौन सी चीज - फ़ोन को स्मार्ट बनाने में, कंप्यूटर को लाखों कमांड कुछ ही सेकंड में प्रोसेस करने में, टीवी को वर्तमान में घटित हो रही वास्तविकता को सामने लाने में, उपग्रह को डेटा एकत्र करने और दुनिया भर में सिग्नल भेजने में सक्षम बनाती है? यह सब उस छोटी सी चीज़ पर निर्भर करता है जिसे अर्धचालक चिप या सेमीकंडक्टर चिप कहते हैं। यह चिप इतनी छोटी सी होती है कि कोई भी उसे अपनी उंगलियों के बीच पकड़ सकता है। 

सेमीकंडक्टर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के आवश्यक निर्माण खंड हैं, जो उपकरणों को चलाने वाले छिपे हुए मस्तिष्क की तरह काम करते हैं। सेमीकंडक्टर ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता (इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी) चालकों (कंडक्टर्स) और कुचालकों (इंसुलेटर्स) के बीच होती है। परिस्थितियों के आधार पर, वे किसी भी रूप में व्यवहार कर सकते हैं। यह खूबी उन्हें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आदर्श बनाता है।  इस अनूठे गुण के कारण अर्धचालकों का उपयोग उन सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक चिप्स के निर्माण में किया जाता है जो आधुनिक उपकरणों के कार्य को नियंत्रित करते हैं – ये न केवल आपके रोजमर्रा के उपकरण, बल्कि उपग्रहों और रक्षा प्रणालियों के उपकरणों के कार्य को भी नियंत्रित करते हैं। चंद्रयान 3 मिशन में, विक्रम लैंडर ने अनेक जटिल निर्णय लेते हुये स्वयं ही सुरक्षित लैंडिंग स्थल खोजने के लिए भारतीय तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग किया। इस प्रकार, मस्तिष्क की तरह काम करते हुए, सेमीकंडक्टर चिप्स, भारी डेटा को संसाधित कर मशीनों को निर्णय लेने में मदद करते हैं, जिससे उन्हें पुनरावृत्त दिशा मिलती है।

इसलिए ये चिप्स आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की रीढ़ हैं, जो स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक वाहन, उपग्रह और यहाँ तक कि रक्षा प्रणालियों उपकरणों  के संचालन को सक्षम बनाती हैं ,जैसे की आकाश तीर ।

ये चिप सेमीकंडक्टर पदार्थ से बनती हैं। ये सूचनाओं को संग्रहीत, संसाधित और स्थानांतरित कर सकती हैं, जिससे उपकरणों को कॉल करने, डेटा संग्रहीत करने या विद्युत संकेतों को समझने जैसे कार्य करने में सहायता मिलती है। प्रत्येक चिप में लाखों (या अरबों) सूक्ष्म स्विच होते हैं जिन्हें ट्रांजिस्टर कहा जाता है। ये विद्युत संकेतों को उसी तरह नियंत्रित करते हैं जैसे मस्तिष्क कोशिकाएं हमारे शरीर में संदेश भेजती हैं। इसमें प्रतिरोधक, संधारित्र (कैपेसिटर्स) और तार जैसे अन्य सूक्ष्म घटक भी होते हैं। ये तत्व मिलकर सूचनाओं को संसाधित (प्रोसेस) और स्थानांतरित करते हैं।

 

सेमीकंडक्टर उद्योग महत्वपूर्ण क्यों: रणनीतिक संदर्भ

सेमीकंडक्टर आधुनिक तकनीक के केंद्र में हैं। ये स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, संचार, रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र की आवश्यक प्रणालियों को शक्ति प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे दुनिया अधिक डिजिटलीकरण और स्वचालन की ओर बढ़ रही है, सेमीकंडक्टर आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता का अभिन्न अंग बन गए हैं। हम कोविड-19 महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया में चिप की भारी कमी को याद कर सकते हैं, जिसने कारों, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के विनिर्माण को प्रभावित किया था।

 

विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटलीकरण की तीव्र गति सेमीकंडक्टर उद्योग में वृद्धि के मुख्य कारकों में शामिल है, जिससे तेज़, अधिक कुशल और कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग बढ़ रही है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, स्मार्ट उपकरणों और कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर से उत्पन्न विशाल मात्रा में डेटा को संसाधित और संग्रहीत करने के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर-आधारित प्रणालियों पर निर्भरता बढ़ रही है। एज और क्लाउड डेटा केंद्रों, दोनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को तेज़ी से अपनाया जा रहा है। इससे उच्च-प्रदर्शन, ऊर्जा-कुशल चिप की आवश्यकता बढ़ रही है जो वास्तविक समय में जटिल कंप्यूटिंग कार्यों को संभाल सकें।

वर्तमान में, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमरीका जैसे देश सेमीकंडक्टर उद्योग पर हावी हैं। ताइवान दुनिया के 60% से अधिक सेमीकंडक्टर का उत्पादन करता है, जिसमें लगभग 90% सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर शामिल हैं। महामारी और प्राकृतिक आपदाओं से लेकर भू-राजनीतिक तनावों तक किसी एक क्षेत्र पर इस तरह की निर्भरता ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को महत्वपूर्ण जोखिमों के प्रति उजागर कर दिया है। इस चुनौती को पहचानते हुए, कई देश अब सुरक्षित और विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण कर रहे हैं।  संयुक्त राज्य अमरीका, यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया ने घरेलू चिप निर्माण को बढ़ावा देने और किसी एक क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियाँ शुरू की हैं। भारत इस वैश्विक बदलाव में महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभर रहा है।

सेमीकंडक्टर बाजार में उभरता भारत

चिप की वैश्विक मांग आसमान छू रही है, लेकिन चिप उद्योग के कुछ सीमित भौगोलिक क्षेत्रों तक सीमित होने के कारण आपूर्ति श्रृंखला अब भी बहुत कमज़ोर बनी हुई है। इसलिए विनिर्माण के वैश्विक विविधीकरण की स्पष्ट आवश्यकता है। भारत इस संबंध में प्रमुख देश के रूप में उभर रहा है। मेक इन इंडिया के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग (इएसडीएम) को प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में शामिल करने, या भारत सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकंडक्टर इंडिया कार्यक्रम जैसी योजनाओं ने उद्योग को समर्थन देने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद की है। वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जिसमें बड़ा हिस्सा भारत का बाजार होगा। भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला के तीन प्राथमिक स्तंभों में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरने की क्षमता है - उपकरण - सेमीकंडक्टर उपकरणों के लिए घटकों का उत्पादन करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के मजबूत आधार का लाभ उठाना: सामग्री - भारत रसायनों, खनिजों और गैसों का समृद्ध स्रोत है जिनका उपयोग सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला कंपनियों द्वारा किया जा सकता हैऔर सेवाएं (आर एंड डी, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला, एआई, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और आईओटी में प्रमुख प्रतिभाएं)।

मई 2025 में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे और सूचना एवं प्रसारण मंत्री, श्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा और बेंगलुरु में दो अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिज़ाइन केंद्रों का उद्घाटन किया। ये केंद्र उन्नत 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन पर केंद्रित भारत के पहले केंद्र हैं, जो देश की सेमीकंडक्टर नवाचार यात्रा में  महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे।

इस उपलब्धि पर बल देते हुए, मंत्री महोदय ने कहा कि 3 नैनोमीटर पर डिज़ाइनिंग वास्तव में अगली पीढ़ी की तकनीक है। उन्होंने कहा कि जहाँ भारत ने पहले 7 नैनोमीटर और 5 नैनोमीटर डिज़ाइन हासिल किए थे, वहीं यह विकास सेमीकंडक्टर नवाचार में  नई उपलब्धि है।

उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का आकार 2023 में लगभग 38 अरब डॉलर, 2024-2025 में 45-50 अरब डॉलर और 2030 तक 100-110 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।

 

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन को स्वीकृति दी। ₹76,000 करोड़ के परिव्यय के साथ इस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर निर्माण, डिस्प्ले निर्माण और चिप डिज़ाइन में निवेश के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है ताकि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखलाओं में भारत के एकीकरण को मज़बूत किया जा सके। सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग के वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में, आईएसएम का उद्देश्य मज़बूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। इससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और डिज़ाइन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सकेगा, साथ ही सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले योजनाओं के कुशल और निर्बाध कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य किया जा सकेगा।

     आईएसएम का मिशन फोकस

  • चिप विनिर्माण संयंत्र (फैब्स) स्थापित करना
  • पैकेजिंग और परीक्षण इकाइयाँ बनाना
  • चिप डिज़ाइन में स्टार्टअप्स को सहयोग देना
  • युवा इंजीनियरों को प्रशिक्षण देना
  • भारत में निवेश के लिए वैश्विक कंपनियों को लाना

 

आईएसएम के उद्देश्य

  • देश में टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण सुविधाओं और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास हेतु दीर्घकालिक रणनीति तैयार करना।
  • सुरक्षित माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स को अपनाने और कच्चे माल, विशिष्ट रसायनों, गैसों और विनिर्माण उपकरणों सहित विश्वसनीय सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने में सहायता प्रदान करना।
  • प्रारंभिक चरण के स्टार्ट-अप के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन ऑटोमेशन (ईडीए) उपकरण, फाउंड्री सेवाओं और अन्य उपयुक्त तंत्रों के रूप में अपेक्षित सहायता प्रदान करके भारतीय सेमीकंडक्टर डिज़ाइन उद्योग के बहुगुणित विकास को सक्षम बनाना।
  • स्वदेशी बौद्धिक संपदा (आईपी) उत्पादन को बढ़ावा देना और सुगम बनाना।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) को प्रोत्साहन, सक्षम बनाना और बढ़ावा देना।
  • भारतीय सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का दोहन करने के लिए उपयुक्त तंत्र स्थापित करना।
  • अनुदानों, वैश्विक सहयोगों और शैक्षणिक/अनुसंधान संस्थानों, उद्योग में अन्य तंत्रों और उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) की स्थापना के माध्यम से विकासवादी और क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियों सहित सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग में अत्याधुनिक अनुसंधान को सक्षम बनाना।
  • सहयोगात्मक अनुसंधान, व्यावसायीकरण और कौशल विकास को उत्प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, उद्योगों और संस्थानों के साथ सहयोग और साझेदारी कार्यक्रमों को सक्षम बनाना।

 



आईएसएम के अंतर्गत कौशल संवर्धन

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यशालाएँ और प्रमाणन पाठ्यक्रम प्रदान करता है। ये पहल प्रतिभाओं को निखारने और करियर विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक शिक्षा, उद्योग जगत से परिचय और मार्गदर्शन के अवसर प्रदान करती हैं।

Text Box: सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन में प्रतिभा विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई पहल शुरू की हैं, जिनका विवरण नीचे दिया गया है:•	वीएलएसआई डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी, एकीकृत सर्किट (आईसी) विनिर्माण के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा नया पाठ्यक्रम।•	सेमीकंडक्टर डिजाइन क्षेत्र में 85,000 कुशल जनशक्ति का विकास करना तथा सेमीकंडक्टर चिप्स डिजाइन करने के लिए ईडीए उपकरण उपलब्ध कराना।•	अब तक 100 संस्थानों के 45,000 से अधिक छात्र नामांकित हुए हैं।•	एनआईईएलआईटी कालीकट में कुशल जनशक्ति उन्नत अनुसंधान और प्रशिक्षण (स्मार्ट) प्रयोगशाला देश भर में 1 लाख इंजीनियरों को प्रशिक्षित करेगी, जिसमें 44,000 से अधिक इंजीनियर पहले से ही प्रशिक्षित हैं।•	उद्योग और विश्वविद्यालयों जैसे लैम रिसर्च, आईबीएम और पर्ड्यू विश्वविद्यालय के साथ सहयोग।देश के विशाल प्रतिभा पूल का लाभ उठाते हुए, वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन कंपनियां अब अत्याधुनिक चिप्स डिजाइन करने के लिए भारत में अपने कार्यबल का तेजी से विस्तार कर रही हैं।

 

भारत सेमीकंडक्टर मिशन में अनुसंधान संस्थान और शिक्षा जगत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अत्याधुनिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और प्रतिभा संवर्द्धन के माध्यम से योगदान देते हैं। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सहयोग को नवाचार, ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोगी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जो उद्योग की चुनौतियों का समाधान करते हैं और तकनीकी प्रगति को गति प्रदान करते हैं।

आईएसएम के अंतर्गत रणनीतिक सहयोग

  • लैम रिसर्च और आईआईएससी ने अगले दस वर्षों में 60,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने के लिए सेमीवर्स सिमुलेशन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने हेतु  समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • फ्यूचर स्किल्स प्रोग्राम, मध्य प्रदेश में 20,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने हेतु सरकार द्वारा शुरू की गई पहल है।
  • माइक्रोन और आईआईटी रुड़की ने नवाचार को बढ़ावा देने और अत्यधिक कुशल कार्यबल विकसित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।*9
  • आईबीएम: भारतीय विद्यार्थियों और पेशेवरों को उन्नत प्रयोगशालाओं, इंटर्नशिप और अनुसंधान केंद्रों तक पहुँच प्रदान करने, व्यावहारिक अनुभव और वैश्विक उद्योग संरेखण को बढ़ाने के लिए साझेदारी।
  • पर्ड्यू विश्वविद्यालय: शिक्षा जगत और उद्योग के बीच नवाचार-संचालित सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले प्रौद्योगिकियों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास, प्रतिभा चयन और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन।

 

Mapping India’s Semiconductor Ecosystem

भारत की सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी नीति से लेकर उत्पादन की तैयारी तक, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन द्वारा संचालित, देश भर में नए निर्माण, संयोजन और डिज़ाइन केंद्रों की स्थापना के साथ, भारत के उभरते चिप परिदृश्य को ठोस आकार दे रहा है।

 

दिनांक

कंपनी

स्थान

निवेश

उत्पादन क्षमता

जून 2023

माइक्रोन टेक्नोलॉजी

साणंद, गुजरात

₹22,516 करोड़

ATMP सुविधा, चरणबद्ध विस्तार के साथ *11

फ़रवरी 2024

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (TEPL) ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (PSMC) के साथ साझेदारी में

धोलेरा, गुजरात

 

~₹91,000 करोड़

50,000 वेफ़र/माह *12

फ़रवरी 2024

सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल प्राइवेट लिमिटेड, रेनेसास एंड स्टार्स के साथ साझेदारी में

साणंद, गुजरात

 

~₹7,600 करोड़

1.5 करोड़ चिप/दिन *13

फ़रवरी 2024

टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT)

मोरीगांव, असम

₹27,000 करोड़

4.8 करोड़ चिप/दिन*14

सितंबर 2024

केन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड

साणंद, गुजरात

₹3,307 करोड़

6.33 करोड़ चिप/दिन*15

मई 2025

एचसीएल-फॉक्सकॉन  जेवी

जेवर, उत्तर प्रदेश

₹3,700 करोड़

20,000 वेफर्स/माह

(36 मि यूनिट/वर्ष)

*16

 

सेमीकॉन इंडिया

भारत को सेमीकंडक्टर नवाचार और विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के प्रयासों के अंतर्गत सरकार ने ₹76,000 करोड़ के निवेश से सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है।*17  इसे इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। इस विज़न के अंतर्गत प्रमुख पहल सेमीकॉन इंडिया है। यह सेमी (सेमीकंडक्टर इक्विपमेंट एंड मैटेरियल्स इंटरनेशनल) के साथ साझेदारी में आयोजित प्रमुख कार्यक्रम है। यह मंच निवेश, संवाद और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और स्टार्टअप्स को एक साथ लाता है। सेमीकॉन इंडिया सीमा पार सहयोग को सक्षम बनाकर, अनुसंधान के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देकर, कौशल विकास को बढ़ावा देकर और वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में भारत की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करके आईएसएम के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में उत्प्रेरक भूमिका निभाता है। सेमीकॉन इंडिया के अब तक तीन संस्करण आयोजित किए जा चुके हैं: 2022 (बैंगलोर), 2023 (गांधीनगर), 2024 (ग्रेटर नोएडा)।

Text Box: •	A key high point of SEMICON India 2025 is the significantly higher level of stakeholder participation compared to previous editions.•	First-Ever Global Pavilions, Country Roundtables, Skilling Initiatives, and Design Startup Pavilion to Witness Record Stakeholder Participation•	Will host over 300 exhibiting companies from 18 countries and regions.चौथा संस्करण 2-4 सितंबर, 2025 तक दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) और सेमी (SEMI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025, 2-4 सितंबर, 2025 तक यशोभूमि (IICC), नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। यह वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की नई भूमिका को प्रदर्शित करेगा। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत के अग्रणी, नवप्रवर्तक, शिक्षाविद, सरकार और अन्य हितधारकों को एक साथ लाएगा।

यह आयोजन माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े व्यवसाय और प्रौद्योगिकीविदों, शोधकर्ताओं और उद्योग विश्लेषकों के लिए अत्यधिक रुचिकर होगा, जिनमें प्रबंधक, उपकरण निर्माता, डिजाइन में काम करने वाले लोग, वैज्ञानिक, इंजीनियर, कॉलेज / स्नातक विद्यार्थी, तकनीशियन आदि शामिल हैं।

इस आयोजन की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

हितधारकों की भागीदारी का उच्च स्तर: सेमिकॉन इंडिया 2025 में पिछले संस्करणों की तुलना में हितधारकों की भागीदारी का स्तर उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। 18 देशों के 300 से अधिक प्रदर्शकों के साथ, यह संस्करण भारत के विश्वसनीय, नवाचार-संचालित सेमीकंडक्टर गंतव्य के रूप में उभरने को रेखांकित करता है।

चार अंतरराष्ट्रीय मंडप - सेमिकॉन इंडिया 2025 में पहली बार जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया से चार अंतरराष्ट्रीय मंडप होंगे।

अंतरराष्ट्रीय गोलमेज सम्मेलन - पहली बार आठ देशों के गोलमेज सम्मेलन भी आयोजित किए जा रहे हैं। ये विशिष्ट, उच्च स्तरीय चर्चाएँ भारत और प्रमुख साझेदार देशों के उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों और कंपनियों को विचारों का आदान-प्रदान करने और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक साथ लाएँगी।

कार्यबल विकास मंडप - विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि 2030 तक इस क्षेत्र में लगभग दस लाख अतिरिक्त कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी। सेमीकंडक्टर पेशेवरों की विविध श्रेणियों की मज़बूत पाइपलाइन सुनिश्चित करने के लिए, विद्यार्थियों और इंजीनियरों के लिए कौशल और भविष्य की तैयारी, प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। यह मंडप युवा प्रतिभाओं की मेंटरिंग और मार्गदर्शन करने हेतु करियर परामर्श प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया जा रहा है।

सेमीकंडक्टर डिज़ाइन स्टार्टअप मंडप - इस आयोजन में समर्पित सेमीकंडक्टर डिज़ाइन स्टार्टअप मंडप भी होगा, जो नवाचार-आधारित चिप डिज़ाइन उद्यमों के लिए मंच प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष नौ राज्य सरकार मंडप भाग लेंगी, जबकि पिछले संस्करण में छह सरकार शामिल हुई थी।

भारत की प्रतिभा पाइपलाइन और पारिस्थितिकी तंत्र क्षमताओं को मज़बूत करने के उद्देश्य से इस आयोजन की अन्य विशेषताओं में स्टार्टअप मंडप और B2B फ़ोरम शामिल हैं।

हाल का घटनाक्रम

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई 2025 में भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत एक और सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना को स्वीकृति दी। स्वीकृत इकाई एचसीएल और फॉक्सकॉन का संयुक्त उद्यम है। यह संयंत्र मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और डिस्प्ले वाले अन्य उपकरणों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप का विनिर्माण करेगा। यह संयंत्र 20,000 वेफ़र प्रति माह के लिए डिज़ाइन किया गया है। डिज़ाइन की गई उत्पादन क्षमता 36 मिलियन यूनिट प्रति माह है।
  • ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में, यह घोषणा की गई थी कि भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप इस वर्ष उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगी। पाँच उत्पादन इकाइयाँ निर्माणाधीन हैं, जो घरेलू क्षमता के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी।
  • प्रतिभा पाइपलाइन को और मज़बूत करने के लिए, सरकार ने उन्नत सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में 85,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम शुरू किया है।
  • मध्य प्रदेश ने अपने पहले आईटी परिसर के उद्घाटन के साथ आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसके लिए अगले छह वर्षों में ₹150 करोड़ का निवेश किया जाएगा। 1 लाख वर्ग फुट में फैला यह अत्याधुनिक परिसर एक ही छत के नीचे आईटी हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के संपूर्ण निर्माण को समर्थन देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह संयंत्र सर्वर, डेस्कटॉप, मदरबोर्ड, चेसिस, रैम, एसएसडी सहित कई प्रकार के घटकों के साथ-साथ ड्रोन और रोबोट जैसी उन्नत तकनीकों का उत्पादन करेगा। यह डेस्कटॉप कंप्यूटर, ऑल-इन-वन वर्कस्टेशन, लैपटॉप, टैबलेट और मॉनिटर का भी निर्माण करेगा। इस परियोजना से लगभग 1,200 पेशेवरों के लिए रोजगार सर्जित होने की संभावना है। इससे राज्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के उभरते केंद्र के रूप में स्थापित होगा।
  • जुलाई 2025 में, सरकार की चिप डिज़ाइन योजना के तहत समर्थित एक स्टार्टअप, नेत्रसेमी को ₹107 करोड़ का वेंचर कैपिटल (वीसी) निवेश प्राप्त हुआ है।  कंपनी स्मार्ट विजन, सीसीटीवी कैमरा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) अनुप्रयोगों के लिए चिप्स बनाने पर काम कर रही है।

निष्कर्ष

भारत का इलेक्ट्रॉनिक उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा है, और सेमीकंडक्टर इस बदलाव के केंद्र में हैं। बढ़ती माँग को पूरा करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए, सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम और iCET इत्यादि वैश्विक साझेदारियों जैसी रणनीतिक पहल शुरू की हैं। ये प्रयास वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में भारत के उपभोक्ता से आगे बढ़कर प्रमुख खिलाड़ी बनने के संकेत देते हैं। जैसे-जैसे स्वीकृत सुविधाएँ शुरू हो रही हैं और नई परियोजनाएँ आकार ले रही हैं, देश खुद को सेमीकंडक्टर विनिर्माण के विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है, अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मज़बूत कर रहा है। निर्भरता से प्रभुत्व तक, चिप क्रांति वास्तविक है और यह यहीं, अभी भारत में हो रही है।

संदर्भ:

  • भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पोर्टल:
  • मंत्रिमंडल:
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