Social Welfare
कौशल निर्माण और सपनों को साकार करने का एक दशक
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के 10 वर्ष
Posted On: 14 JUL 2025 11:16AM
मुख्य बातें
- कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने 2014 से अपनी विभिन्न योजनाओं के जरिए 6 करोड़ से अधिक भारतीयों को सशक्त बनाया है।
- पीएमकेवीवाई के तहत 2015 से अब तक देशभर में 1.6 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया।
- पाठ्यक्रमों का विस्तार एआई, रोबोटिक्स और आईओटी जैसे उभरते क्षेत्रों तक किया गया।
- 11 जुलाई, 2025 तक, पीएमकेवीवाई 4.0 के तहत 25 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
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भूमिका
भारत की बढ़ती युवा आबादी में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इस जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने हेतु सही कौशल की जरूरत है। कौशल विकास, शिक्षुता, उद्यमिता, वैश्विक श्रमशक्ति की जरूरतों के अनुरूप तैयारी और पारंपरिक व्यवसायों को बढ़ावा देने के केन्द्रित प्रयासों के जरिए, सरकार अपने नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक प्रगति का वाहक बनने के लिए सशक्त बना रही है। वर्ष 2014 से, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने अपनी विभिन्न योजनाओं के जरिए 6 करोड़ से अधिक भारतीयों को अपना और देश का एक उज्जवल भविष्य बनाने हेतु सशक्त बनाया है।
इस बदलाव के केन्द्र में देश का स्किल इंडिया मिशन (एसआईएम) है, जो विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को उद्योग जगत के लिए प्रासंगिक एवं आवश्यक कौशल से लैस कर रहा है। ये पहल कौशल विकास, फिर से कुशल बनाने और कौशल के उन्नयन पर केन्द्रित हैं, जिससे लाखों लोगों को स्थायी करियर के लिए आवश्यक उपकरण हासिल होते हैं। कौशल संबंधी कमियों को पूरा करके, नवाचार को बढ़ावा देकर और रोजगार के नए अवसर पैदा करके, एसआईएम एक आत्मनिर्भर और विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
स्किल इंडिया मिशन
स्किल इंडिया मिशन (एसआईएम) विभिन्न योजनाओं के तहत कौशल विकास केन्द्रों/संस्थानों के एक व्यापक नेटवर्क के जरिए कौशल, फिर से कुशल बनाने और कौशल के उन्नयन से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करता है। फरवरी 2025 में, पुनर्गठित ‘स्किल इंडिया कार्यक्रम’ को 2022-23 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए स्वीकृत किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (पीएमकेवीवाई 4.0), प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना को एक ही केन्द्रीय क्षेत्र योजना में विलय कर दिया गया था।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) - ग्रामीण क्षेत्रों सहित देशभर के युवाओं को पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) के जरिए अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण और कौशल का उन्नयन/ फिर से कुशल बनाने की सुविधा प्रदान करती है।
- जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) - 15-45 आयु वर्ग के निरक्षरों, नव-साक्षरों और स्कूल की पढ़ाई छोड़ने वालों (12वीं कक्षा तक) को व्यावसायिक कौशल प्रदान करता है। यह ग्रामीण और कम आय वाले शहरी क्षेत्रों में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों पर ध्यान केन्द्रित करता है। इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 26 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
- राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) - प्रशिक्षुओं को वृत्तिका (स्टाइपेंड) के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके शिक्षुता को बढ़ावा देती है। प्रशिक्षण में उद्योगों में बुनियादी और कार्यस्थल/व्यावहारिक प्रशिक्षण, दोनों शामिल हैं। पीएम-एनएपीएस के तहत, 51,000 से अधिक प्रतिष्ठानों की भागीदारी के साथ 19 मई 2025 तक 36 राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों में 43.47 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को नियोजित किया जा चुका है।
कौशल विकास का एक अनुकूल एवं उत्तरदायी इकोसिस्टम बनाने हेतु, 16 जून, 2025 को हैदराबाद और चेन्नई में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) में दो नए उत्कृष्टता केन्दों की घोषणा की गई। ये केन्द्र उभरते क्षेत्रों की जरूरतों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षक प्रशिक्षण और विशेष कौशल के लिए राष्ट्रीय संदर्भ बिंदु के रूप में काम करेंगे।
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बदलता भविष्य: पीएमकेवीवाई कौशल विकास के एक दशक का प्रतीक
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की शुरुआत 15 जुलाई, 2015 में देश में कौशल विकास को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के इरादे से की गई थी। इसके तहत युवाओं को मुफ्त अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और कौशल प्रमाणन के लिए उन्हें मौद्रिक पुरस्कार प्रदान करके प्रोत्साहित किया जाता है।
इस योजना का उद्देश्य उद्योग और युवाओं की रोजगार क्षमता, दोनों को बढ़ावा देना है। प्रायोगिक तौर पर पीएमकेवीवाई (2015-16) के सफल कार्यान्वयन के बाद, पीएमकेवीवाई 2016-20 को क्षेत्र और भौगोलिक, दोनों ही दृष्टियों से विस्तारित करके और मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया एवं स्वच्छ भारत आदि जैसे भारत सरकार के अन्य मिशनों के साथ बेहतर तालमेल बिठाकर शुरू किया गया।
इस योजना के अंतर्गत, परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले प्रत्येक प्रमाणित अभ्यर्थी को प्रोत्साहन के रूप में 500 रुपये का पुरस्कार दिया जाता है।
पीएमकेवीवाई के पहले तीन संस्करणों, यानी पीएमकेवीवाई 1.0, पीएमकेवीवाई 2.0 और पीएमकेवीवाई 3.0, जिन्हें वित्तीय वर्ष 2015-16 से लेकर वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान लागू किया गया था, में अल्पकालिक प्रशिक्षण (एसटीटी) घटक के अंतर्गत भर्ती (प्लेसमेंट) पर नजर रखी गई। पीएमकेवीवाई 3.0 तक एसटीटी प्रमाणित अभ्यर्थियों की भर्ती (प्लेसमेंट) दर 42.8 प्रतिशत थी।
पीएमकेवीवाई 4.0 के अंतर्गत, प्रशिक्षित उम्मीदवारों को अपने करियर के विविध रास्ते चुनने में सक्षम बनाने और उन्हें इसके लिए उपयुक्त रूप से उन्मुख बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु कौशल, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता संबंधी इकोसिस्टम को समन्वित करने हेतु स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया गया है।

युवाओं को सशक्त बनाना, राष्ट्र को शक्तिशाली बनाना
पीएमकेवीवाई 1.0: 2015-16 में इसके पायलट चरण के दौरान 19.85 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया।
पीएमकेवीवाई 2.0: 1.10 करोड़ अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित/उन्मुख किया गया।
पीएमकेवीवाई 3.0: के अंतर्गत दो विशेष कार्यक्रम शुरू किए गए:
- कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने हेतु कोविड योद्धाओं के लिए अनुकूलित क्रैश कोर्स कार्यक्रम (सीडब्ल्यू के लिए सीसीसीपी)।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी, 2020) के तहत परिकल्पित सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण और मुख्यधारा के लिए कौशल हब पहल (एसएचआई)।
- पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत 7.37 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें सीसीसीपी-सीडब्ल्यू के तहत 1.20 लाख उम्मीदवार और एसएचआई के तहत 1.8 लाख उम्मीदवार शामिल हैं।
पीएमकेवीवाई 4.0: पीएमकेवीवाई 4.0 के तहत, पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2022-23, 2023-24, 2024-25) के दौरान - 31.12.2024 तक विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में 1244.52 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है। 11 जुलाई, 2025 तक, इस चरण के अंतर्गत 25 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
पिछले कुछ वर्षों में, पीएमकेवीवाई के तहत 1.63 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों को मैन्यूफैक्चरिंग, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खुदरा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया गया है।
पीएमकेवीवाई के जरिए राष्ट्रीय कौशल विकास
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) भारत के अल्पकालिक कौशल विकास से जुड़े इकोसिस्टम का आधार बन गई है। इसका उद्देश्य एक व्यवस्थित, सुनिश्चित गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रणाली के जरिए सभी क्षेत्रों के युवाओं को व्यावहारिक, रोजगार की जरूरतों के अनुरूप कौशल से लैस करना है। पिछले कुछ वर्षों में, पीएमकेवीवाई के तहत उम्मीदवारों को मैन्यूफैक्चरिंग, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खुदरा आदि जैसे विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया गया है।
पीएमकेवीवाई के जरिए, प्रमाणित कौशल प्रशिक्षण देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक पहुंचा, जिससे रोजगार के अवसरों की सुलभता लोकतांत्रिक हो गई। समावेशिता इस योजना का एक प्रमुख स्तंभ थी। इसके तहत आने वाले उम्मीदवारों में 45 प्रतिशत महिलाएं थीं और अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले उम्मीदवारों की संख्या भी अच्छी-खासी थी। समय के साथ, पीएमकेवीवाई का विकास भविष्य की अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर हुआ और इसके दायरे का विस्तार करते हुए इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन तकनीक, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों को शामिल किया गया।
पीएमकेवीवाई के तहत नई पहल::
- विशेष परियोजनाएं: हाशिए पर पड़े समूहों के लिए लक्षित कौशल विकास में त्रिपुरा में 2,500 ब्रू-जनजाति के उम्मीदवारों, असम एवं मणिपुर में जेल कैदियों और 18 राज्यों में पंख परियोजना के तहत 13,834 उम्मीदवारों (70 प्रतिशत महिलाएं) को प्रशिक्षित करना शामिल था।
- पारंपरिक शिल्प एवं कौशल उन्नयन: पीएमकेवीवाई 3.0 के अंतर्गत, 2,243 महिलाओं को जम्मू एवं कश्मीर के नमदा शिल्प में प्रशिक्षित किया गया। नागालैंड और जम्मू एवं कश्मीर के कारीगरों व बुनकरों के लिए एक आरपीएल कौशल उन्नयन परियोजना के तहत 9,605 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया। दोनों परियोजनाओं का नेतृत्व हस्तशिल्प एवं कालीन क्षेत्र कौशल परिषद द्वारा किया गया।
- कौशल को मुख्यधारा में लाना: पीएमकेवीवाई प्रमुख सरकारी पहलों (जैसे, पीएम सूर्य घर, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जल जीवन मिशन, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन) का समर्थन करता है और व्यापक प्रभाव के लिए इन योजनाओं में कौशल विकास को शामिल करता है।
- कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिक्रिया: कोविड योद्धाओं के लिए एक अनुकूलित क्रैश कोर्स कार्यक्रम के जरिए 1.2 लाख से अधिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया।
- कौशल हब पहल: एनईपी 2020 (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के अनुरूप, स्कूलों और कॉलेजों को व्यावसायिक केन्द्रों के रूप में उपयोग करते हुए 1.23 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया।
- पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल): अनौपचारिक श्रमिकों के कौशल को औपचारिक रूप से मान्यता दी जाती है, जिससे लंबे प्रशिक्षण के बिना रोजगार क्षमता बढ़ जाती है।
- डिजिटल एवं परिणाम-आधारित सुधार: स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) प्रशिक्षण पर डिजिटल रूप से निगरानी रखता है, आधार-आधारित सत्यापन सुनिश्चित करता है, और भुगतान को प्रदर्शन से जोड़ता है।
- शैक्षणिक गतिशीलता: पीएमकेवीवाई 4.0 कौशल संबंधी योग्यताओं को अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) के साथ जोड़ता है, जिससे कौशल और औपचारिक शिक्षा के बीच क्रेडिट का हस्तांतरण संभव हो पाता है।
कौशल विकास को सशक्त बनाने वाली अतिरिक्त योजनाएं
पीएम विश्वकर्मा योजना
17 सितंबर, 2023 को शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले 18 व्यवसायों के कारीगरों एवं शिल्पकारों को संपूर्ण सहायता प्रदान करना है। इस योजना के घटकों में पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र एवं पहचान पत्र के जरिए मान्यता, कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन में सहायता शामिल हैं। पीएम विश्वकर्मा को एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जो भारत सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित होगी, जिसका प्रारंभिक परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये होगा और यह 2027-28 तक, पांच वर्षों के लिए चलेगी।
13 जुलाई, 2025 तक पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत 2.7 करोड़ से अधिक आवेदन प्रस्तुत किए जा चुके हैं, जिनमें से 29 लाख से अधिक आवेदन सफलतापूर्वक पंजीकृत हो चुके हैं।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई)
25 सितम्बर 2014 को शुरू की गई डीडीयू-जीकेवाई राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का एक हिस्सा है। इसका दोहरा उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों की आय में विविधता लाना और ग्रामीण युवाओं की कैरियर संबंधी आकांक्षाओं को पूरा करना है।
इस योजना के तहत, 65 प्रतिशत उम्मीदवारों को प्रशिक्षण पूरा करने के बाद लाभकारी रोजगार मिल चुका है। वित्तीय वर्ष 2014-15 से अब तक कुल 16,90,046 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित किया गया है और नवंबर 2024 तक 10,97,265 अभ्यर्थियों को नौकरी मिल चुकी है।
ग्रामीण स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई)
जनवरी 2009 में शुरू की गई, इस योजना में ग्रामीण युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने उद्देश्य से प्रशिक्षुओं को निरंतर प्रेरित करने हेतु उच्च-गुणवत्ता वाले आवासीय निःशुल्क प्रशिक्षण और प्रशिक्षण के बाद क्रेडिट लिंकेज के साथ अनुवर्ती कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की गई है। चूंकि आरएसईटीआई बैंक-प्रेरित संस्थान हैं, इसलिए इन्हें विशिष्ट पहचान देने के लिए संबंधित प्रायोजक बैंकों का नाम पहले से ही लगा दिया जाता है।
30 जून, 2025 तक, वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 56,69,369 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 में 22,89,739 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया था।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) एक सरकारी कार्यक्रम से कहीं आगे बढ़कर विकसित हो गई है। यह योजना कौशल विकास और आजीवन सीखने के जरिए युवाओं को सशक्त बनाने की भारत की प्रतिबद्धता की प्रतीक है। समावेशिता को बढ़ावा देकर, नवाचार को अपनाकर और बदलाव के प्रति लचीलापन प्रदर्शित करके, यह योजना लाखों लोगों को तेजी से बदलती दुनिया में फलने-फूलने के लिए आवश्यक उपकरण और आत्मविश्वास प्रदान कर रही है। जैसे-जैसे भारत एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, पीएमकेवीवाई एक कुशल, उद्यमशील और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी श्रमशक्ति को आकार देने की प्रक्रिया में आधार की भूमिका निभाने में सक्रिय है ताकि देश के जनसांख्यिकीय लाभांश के दोहन का सपना पूरी तरह साकार हो।
संदर्भ:
कौशल विकास मंत्रालय
· https://www.skillindiadigital.gov.in/pmkvy-dashboard
· https://www.msde.gov.in/offerings/schemes-and-services/details/pradhan-mantri-kaushal-vikas-yojana-2-0-pmkvy-2-0-2016-20-AzM3ETMtQWa
· https://www.msde.gov.in/media/gallerydetail/digital-launch-of-pradhan-mantri-kaushal-vikas-yojana-3-0-pmkvy-3-0-2020-21-QjM3YTMtQWa
· https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/179/AU2410.pdf?source=pqals
· https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2003662
· https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2034984
· https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2115272
· https://www.skillindiadigital.gov.in/home-dashboard/jss-dashboard
· https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2131391
· https://pmvishwakarma.gov.in/
· https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2098551
ग्रामीण विकास मंत्रालय: https://dashboard.rural.nic.in/dashboardnew/rseti.aspx
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