Social Welfare
ईट राइट इंडिया: सभी के लिए सुरक्षित, स्वस्थ और संधारणीय भोजन
Posted On: 09 JUL 2025 11:19AM
प्रमुख विशेषताएं
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- 6 जुलाई, 2025 तक खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण और प्रमाणन (एफओएसटीएसी) के तहत 12 लाख फूड हैंडलर, 284 ईट राइट स्टेशन और 249 क्लीन स्ट्रीट फूड हब पूरे भारत में प्रमाणित हैं।
- 55+ लाख लीटर खाना पकाने का प्रयुक्त तेल रिपर्पस यूज्ड कुकिंग ऑयल (आरयूसीओ) के तहत एकत्र किया गया, जिसमें 6 जुलाई, 2025 तक 39 लाख लीटर बायोडीजल में परिवर्तित हो गया।
- ईट राइट इंडिया के विजन और पहलों को द रॉकफेलर फाउंडेशन और डब्ल्यूएचओ द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई है।
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परिचय
"अपनी क्षमताओं और प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए, हमें पहले अपनी फिटनेस और कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। क्या आपको मोटापा कम करने के लिए मेरा सुझाव याद है? खाने में तेल को 10 प्रतिशत कम करें, अतिरिक्त वजन कम करें। जब आप फिट होते हैं, तो आप अपने जीवन में सुपरहिट होंगे", प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 29 जून, 2025 को मन की बात में कहा।[1]
प्रधानमंत्री ने लोगों से स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आहार से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए स्वस्थ आहार अपनाने के हिस्से के रूप में तेल और अस्वास्थ्यकर भोजन की खपत को कम करने का आह्वान किया। भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रम वर्षों से खाद्य-संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य इको-सिस्टम में सफलतापूर्वक सुधार ला रहे हैं।
ईट राइट इंडिया
सात साल पहले जुलाई 2018 में, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने ईट राइट इंडिया पहल शुरू की थी। यह पहल सुरक्षित, स्वस्थ और स्थायी खाद्य प्रक्रियाओं की संस्कृति को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। नियामकीय, क्षमता निर्माण, सहयोगी और सशक्तिकरण दृष्टिकोणों के मिश्रण के माध्यम से यह पहल लोगों द्वारा प्रतिदिन- जब भोजन उगाया जाता है या सोर्स किया जाता है जब से इसे पकाया जाता है और लोगों की प्लेटों में पहुंचाया जाता है- उपभोग किए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को बढ़ा रही है।
यह अभियान तीन मूलभूत स्तंभों पर बनाया गया है जो भारत की खाद्य चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देते हैं:

व्यापक पहल में विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम शामिल हैं जिन्हें रॉकफेलर फाउंडेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उनके नवोन्मेषी दृष्टिकोण के लिए विश्व स्तर पर मान्यता दी गई है। भारत भर में खाद्य व्यवसाय उद्योगों और उपभोक्ताओं ने योजनाओं और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को सुगमता से अपनाया है, जिसमें खाद्य प्रतिष्ठानों और रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छता रेटिंग, खाना पकाने के तेल का पुनरुत्पादन और खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों का प्रशिक्षण शामिल है। अपनी स्थापना के बाद से, ईट राइट इंडिया पहल बेहतर सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए खाद्य इको-सिस्टम को बदल रही है।
उद्देश्य और औचित्य
आधुनिक जीवन शैली से आहार के तरीके और भोजन की खपत में महत्वपूर्ण बदलाव देखने में आया है। इसके परिणाम स्वरूप, पोषण, जीवनशैली से संबंधित स्वास्थ्य स्थितियों और खाद्य सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। भारत में, स्वास्थ्य परिणामों का एक बड़ा हिस्सा अब आहार से संबंधित कारकों से प्रभावित होता है, जिसमें हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी स्थितियां शामिल हैं।
आज की खाद्य प्रणालियों की जटिलता के साथ-साथ इन विकसित आहार संबंधी आदतों के कारण खाद्य सुरक्षा पर भी अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है। माइक्रोबियल संदूषण और रासायनिक अवशेषों जैसे कार - कीटनाशकों, भारी धातुओं और योजक जैसे स्रोतों से - भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। पिछले दशकों में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के क्षेत्रीय आंकड़ों ने खाद्य स्वच्छता और सुरक्षा मानकों को, खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वृद्ध वयस्कों जैसे निर्बल समूहों के लिए बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला है।
कुल मिलाकर, पोषण, जीवन शैली और खाद्य सुरक्षा के संयुक्त विचार संतुलित खाने की आदतों को प्रोत्साहित करने और सभी के लिए सुरक्षित, पौष्टिक भोजन का समर्थन करने वाली प्रणालियों को मजबूत करने के महत्व को इंगित करते हैं।
इसके प्रत्युत्तर में, एफएसएसएआई द्वारा 'ईट राइट इंडिया' को एक व्यापक आंदोलन के रूप में लॉन्च किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भोजन न केवल सुरक्षित है, बल्कि पौष्टिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी भी है। इस पहल का उद्देश्य नागरिकों को सूचित भोजन विकल्प तैयार करने के लिए सशक्त बनाना है, जबकि खाद्य व्यवसायों को मानकों में सुधार करने और हानिकारक अवयवों को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
यह सिर्फ एक सरकारी अभियान भर नहीं है बल्कि ईट राइट इंडिया एक जन-प्रथम आंदोलन का निर्माण कर रहा है - जहां स्कूल, कार्यस्थल, बाजार और समुदाय सभी स्वस्थ भोजन को एक साझा आदत बनाने के लिए हाथ मिलाते हैं। इसका लक्ष्य सिर्फ विनियमन नहीं है, बल्कि मानसिकता, व्यवहार और संपूर्ण खाद्य संस्कृति का परिवर्तन है। यह एक ऐसे भारत की ओर एक यात्रा है जहां हर किसी को भोजन की सुविधा प्राप्त है, जो न केवल पेट को भरने वाला है, बल्कि पौष्टिक और भरोसेमंद भी है।
प्रमुख अभियान और पहल
ईट राइट इंडिया आंदोलन के मूल में एक तीन-आयामी रणनीति है जो खाद्य प्रणाली पर समग्र रूप से ध्यान देती है: आपूर्ति-पक्ष मानकों में सुधार, सूचित उपभोक्ता विकल्पों को सक्षम बनाना और पर्यावरणीय स्थिरता को आगे बढ़ाना।
आपूर्ति पक्ष
आपूर्ति पक्ष पर, एफओएसटीएसी (खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण और प्रमाणन) जैसी पहल खाद्य संचालकों (फूड हैंडलरों) को स्वच्छता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक ज्ञान से सुसज्जित करती है। हाइजीन रेटिंग, ईट राइट स्टेशन और क्लीन स्ट्रीट फूड हब जैसी प्रमाणन योजनाएं खाद्य व्यवसायों को - छोटे विक्रेताओं से लेकर बड़े प्रतिष्ठानों तक - बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने, ऑडिट से गुजरने और सुरक्षित खाद्य प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
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मांग पक्ष
यह आंदोलन "आज से थोड़ा कम" जो नमक, चीनी और वसा में कमी को बढ़ावा देता है और "ट्रांस फैट-फ्री इंडिया", जिसका उद्देश्य खाद्य श्रृंखला से औद्योगिक ट्रांस वसा को खत्म करना है, जैसे अभियानों के माध्यम से उपभोक्ता जागरूकता को बढ़ावा देता है। ईट राइट स्कूल स्कूल पाठ्यक्रम में पोषण और खाद्य सुरक्षा शिक्षा लागू करता है, जबकि ईट राइट कैंपस वैसे कार्यस्थलों, अस्पतालों, कॉलेजों और जेलों को प्रमाणित करता है जो स्वच्छता, पौष्टिक भोजन और स्थिरता के मानकों को पूरा करते हैं। डार्ट बुक, फूड सेफ्टी मैजिक बॉक्स और फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स वैन जैसे सार्वजनिक आउटरीच टूल लोगों को आम मिलावटखोरों की पहचान करने और रोजमर्रा की खाद्य सुरक्षा को समझने में मदद करते हैं।
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स्थिरता पहल
स्थिरता आंदोलन का एक मुख्य स्तंभ है। एफएसएसएआई खाद्य व्यवसायों और संस्थानों को पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग की ओर बढ़ने, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करने और खाद्य अपशिष्ट - विशेष रूप से परिसरों और बाजारों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। सुरक्षित और पौष्टिक भोजन (एसएनएफ) प्लेटफॉर्म इस संदेश को घरों, स्कूलों और कार्यस्थलों में विस्तारित करता है, संतुलित आहार और सुरक्षित खाना पकाने की प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सरल सुझाव प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, फूड फोर्टिफिकेशन पहल आबादी में छिपी भूख से निपटने के लिए नमक, तेल, दूध और आटे जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर स्टेपल का समर्थन करती है।
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हाल के नीति अपडेट और नई पहल (2024-2025)
- मोटापा रोको अभियान (2025): केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025 (7 जून) को एफएसएसएआई एफएसएसएआई के "स्टॉप ओबेसिटी" अभियान की शुरुआत की, जिसमें नमक और तेल की खपत में राष्ट्रव्यापी 10 प्रतिशत की कमी का आह्वान किया गया।
- माइक्रोप्लास्टिक अनुसंधान पहल (2024): एफएसएसएआई ने मानक प्रोटोकॉल स्थापित करने और जोखिम डेटा उत्पन्न करने के लिये सीएसआईआर-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान और बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान के सहयोग से मार्च 2024 में "सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक को उभरते खाद्य संदूषकों के रूप में" परियोजना शुरू की।
ईट राइट आंदोलन के अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हैं:

मान्यता और पुरस्कार
ईट राइट पहल को पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी दृष्टि, दायरे और दृष्टिकोण के लिए मान्यता दी जा चुकी है।
इस अभियान को वर्ष 2050 तक एक रिजेनेरेटिव और पौष्टिक खाद्य प्रणाली की परिकल्पना करने के लिए रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा 'फूड सिस्टम्स विजन प्राइज' के लिए 2021 में शीर्ष दूरदर्शी अभियानों में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी। इस अभियान को 110 देशों में फैली टीमों से 1,300 से अधिक प्रस्तुतियों में से चुना गया था।[2][3] पुरस्कार का उद्देश्य खाद्य प्रणालियों पर वैश्विक चर्चाओं को बढ़ाना, समुदायों को उनके भविष्य के लिए कार्रवाई योग्य ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए सशक्त बनाना है।[4]
'स्कोच प्लेटिनम अवार्ड 2017' ने एफएसएसएआई के इंडियन फूड शेयरिंग एलायंस (आईएफएसए) को खाद्य अपशिष्ट पर ध्यान देने और तकनीकी युक्तियों के माध्यम से खाद्य अधिशेष और खाद्य असुरक्षा के बीच महत्वपूर्ण अंतर को खत्म करने के लिए मान्यता दी और अंततः 50 मिलियन से अधिक भोजन (मील) के दान में योगदान दिया।[5]
भारत में 2022 तक ट्रांस-फैट को खत्म करने के लिए "हार्ट अटैक रिवाइंड" अभियान 34.9 मिलियन लोगों तक पहुंचा, जिसमें भारतीय वनस्पति प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन और अन्य जैसे प्रमुख उद्योग संघों से प्रतिबद्धताएं हासिल करना शामिल है।[6] विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रांस-वसा को खत्म करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं वाले 44 देशों में से एक के रूप में भारत का विशेष उल्लेख किया।[7]
हितधारक जुड़ाव

ईट राइट इंडिया अभियान की सफलता खाद्य सुरक्षा, पोषण और स्थिरता के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के तहत विविध हितधारकों को एक साथ लाने की इसकी क्षमता में निहित है। यह मानते हुए कि कोई भी एक इकाई अकेले प्रणालीगत परिवर्तन नहीं ला सकती है, इस पहल में एक सहयोगी, समग्र-सरकार और समग्र-समाज दृष्टिकोण अपनाया गया है। राष्ट्रीय मंत्रालयों और राज्य प्राधिकरणों से लेकर निजी कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समूहों तक, नीति को कार्रवाई में बदलने के लिए भागीदारों का एक विस्तृत नेटवर्क जुटाया गया है। यह बहु-स्तरीय जुड़ाव न केवल मजबूत कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है बल्कि भारत के जटिल खाद्य इको-सिस्टम में साझा जिम्मेदारी और सामूहिक स्वामित्व को भी बढ़ावा देता है।
- समग्र सरकारी जुड़ाव ईट राइट इंडिया की रीढ़ है। एफएसएसएआई आयुष्मान भारत, पोषण अभियान और स्वच्छ भारत मिशन जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के साथ पहल को संयोजित करने के लिए प्रमुख मंत्रालयों - स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला और बाल विकास, आवास और शहरी मामलों और शिक्षा को एक साथ लाता है। राज्य और स्थानीय स्तर पर, खाद्य सुरक्षा विभाग और नगर निकाय खाद्य केंद्रों और नगरपालिका संस्थानों में प्रमाणन योजनाएं, ऑडिट और सामुदायिक आउटरीच लागू करते हैं।
- निजी क्षेत्र भागीदारी और सीएसआर के माध्यम से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाद्य व्यवसायों के साथ नियंत्रित स्वैच्छिक सहयोग - प्रमुख निर्माताओं से लेकर स्थानीय सड़क विक्रेताओं तक - ने उत्पाद सुधार, बेहतर स्वच्छता रेटिंग और कार्यस्थलों और परिसरों में प्रमाणन का नेतृत्व किया है। कॉर्पोरेट फॉर ईट राइट इंडिया (सी4ईआरआई) प्लेटफॉर्म निजी संस्थाओं को बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और व्यापक स्तर पर जागरूकता गतिविधियों जैसे स्वस्थ भारत यात्रा साइक्लोथॉन का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- सार्वजनिक-निजी और तृतीय-पक्ष सहयोग क्षमता और पहुंच को बढ़ाते हैं। 220 से अधिक बाहरी प्रशिक्षण भागीदारों और 2,000+ प्रमाणित प्रशिक्षकों के साथ एफओएसटीएसी मॉड्यूल वितरित करते हैं, और मोबाइल प्रयोगशालाओं (फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स) और राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला जैसी स्थिर प्रयोगशालाओं के माध्यम से खाद्य परीक्षण का समर्थन करने वाली प्रयोगशालाएं हैं, यह पहल व्यापक स्तर पर स्वच्छता बेंचमार्किंग का समर्थन करने के लिए लेखा परीक्षकों और पेशेवर निकायों की भी स्थापना करती है।
- अकादमिक, नागरिक समाज और विकास भागीदार जमीनी स्तर पर प्रभाव डालते हैं। विश्वविद्यालय और पेशेवर निकाय खाद्य सुरक्षा अधिकारियों और ईट राइट स्कूल मॉड्यूल के लिए पाठ्यक्रम विकास में योगदान करते हैं। गैर सरकारी संगठन और उपभोक्ता समूह निर्बल समुदायों के लिए आउटरीच तैयार करने में मदद करते हैं, जबकि विकास एजेंसियां साझा स्वामित्व और दीर्घकालिक व्यवहार परिवर्तन को सक्षम करने के लिए डिज़ाइन की गई एक भागीदारी इको-सिस्टम का निर्माण करते हुए तकनीकी मार्गदर्शन और मूल्यांकन उपकरण प्रदान करती हैं।
राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्यों के साथ संयोजन
ईट राइट इंडिया पहल भारत की राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत वैश्विक प्रतिबद्धताओं दोनों के साथ अपने मजबूत संयोजन के लिए जानी जाती है। पृथक रूप से काम करने के बजाय, यह स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता और सतत विकास पर केंद्रित मौजूदा सरकारी योजनाओं को पूरक और सुदृढ़ करता है। खाद्य सुरक्षा, पोषण जागरूकता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को एक अभियान में एकीकृत करके, ईट राइट इंडिया एक स्वस्थ, अधिक लचीला राष्ट्र बनाने के लिए मंत्रालयों और क्षेत्रों में प्रयासों को पाटते हुए प्रणालीगत परिवर्तन के लिए समग्र-सरकार, समग्र-समाज के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।

वैश्विक स्तर पर यह पहल कई एसडीजी में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देती है:[8]
राष्ट्रीय स्तर पर, ईट राइट इंडिया कई प्रमुख कार्यक्रमों के प्रभाव को बढ़ाता है[9]।

- स्वस्थ आहार और खाद्य वातावरण के माध्यम से निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देकर आयुष्मान भारत योजना (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) के साथ संयोजित करता है।
- समुदाय आधारित पोषण प्रयासों को सुदृढ़ बनाने और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के जरिये पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत (महिला और बाल विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) में सहायता करता है।
- यह पहल सार्वजनिक संस्थानों और बाजारों में स्वच्छ भोजन प्रथाओं और स्वच्छ, सुरक्षित खाने की जगहों की पक्षधरता के जरिये स्वच्छ भारत मिशन (आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय) के लक्ष्यों का भी समर्थन करती है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य विनियमन, नागरिक जुड़ाव और पर्यावरणीय लक्ष्यों को एक साथ लाकर, ईट राइट इंडिया एक परिमाण योग्य और प्रतिकृति मॉडल प्रस्तुत करता है। यह न केवल 2030 एजेंडा की ओर भारत की यात्रा की सहायता करता है, बल्कि एक सम्मोहक ढांचा भी प्रदान करता है जिसका अन्य राष्ट्र स्वस्थ और अधिक लचीला खाद्य प्रणालियों की खोज में अंगीकरण कर सकते हैं।
प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण
एफएसएसएआई का ईट राइट इंडिया भारत के विविध इको-सिस्टम तक पहुंचने के लिए अत्याधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे का लाभ उठाता है। एफओएससीओएस एक सिंगल-विंडो डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो दुनिया भर में लाखों पंजीकृत खाद्य व्यवसायों के लिए लाइसेंसिंग, पंजीकरण और अनुपालन प्रबंधन को सुव्यवस्थित करता है।
खाद्य सुरक्षा कनेक्ट मोबाइल ऐप तत्काल रिपोर्टिंग, अनुपालन ट्रैकिंग और प्रतिक्रिया के लिए निरीक्षकों, उपभोक्ताओं और व्यवसायों को जोड़ने के लिए एक वास्तविक समय इको-सिस्टम का निर्माण करता है।
प्रौद्योगिकीय एकीकरण के अतिरिक्त, यह पहल उपभोक्ताओं और व्यवसायों तक पहुंचने के लिए जमीनी स्तर के मानव नेटवर्क का उपयोग करती है। खाद्य सुरक्षा मित्र कार्यक्रम डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में संपूर्ण अनुपालन सहायता करने के लिए 62,000 से अधिक पंजीकरण करने के जरिये इस दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। एलईडी स्क्रीन और स्थानीय प्रशिक्षण सामग्री से सुसज्जित मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं से लेकर दूर-दराज के गांवों तक पहुंचने वाली एफओएसटीएसी प्रणाली तक जैविक भारत पोर्टल (8 जुलाई, 2025 तक 1.4 मिलियन विज़िट दर्ज करते हुए) अभियान तकनीकी उपकरणों के मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
उपलब्धियां
अपने लॉन्च के बाद से, ईट राइट इंडिया आंदोलन विश्व में सबसे व्यापक खाद्य सुरक्षा और पोषण पहलों में से एक बन गया है। मजबूत संस्थागत ढांचे और अंतःक्षेत्रवार सहयोग द्वारा समर्थित, इसने जमीन पर मापने योग्य परिणामों के माध्यम से विजन को प्रभाव में बदल दिया है। परिसरों और रेलवे स्टेशनों को प्रमाणित "ईट राइट" जोन में बदलने से लेकर लाखों फूड हैंडलर को प्रशिक्षित करने, सार्वजनिक भागीदारी जुटाने और स्ट्रीट फूड हब और मंदिरों में स्वच्छता बढ़ाने तक, यह पहल अपने पैमाने, नवोन्मेषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता की दृष्टि से अनूठी है। नीचे दिया गया डैशबोर्ड अपने विभिन्न कार्यक्रमों के तहत अर्जित कुछ प्रमुख उपलब्धियों को दर्शाता है।
व्यापक उपलब्धियां डैशबोर्ड (8 जुलाई, 2025 तक)
नमक, चीनी और तेल में कमी लाने में उद्योग की भागीदारी[12]
सेक्टर
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प्रतिबद्धताएं
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खाद्य विनिर्माण, खुदरा और ई-कॉमर्स
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ब्रिटानिया, आईटीसी, नेस्ले, एचयूएल, बीकानेरवाला, हल्दीराम, अमेजन, जोमैटो, बिग बास्केट, स्पेन्सर्स समेत अन्य कंपनियों ने इस लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।
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निष्कर्ष
सभी नागरिकों से प्रधानमंत्री की अपील के अनुरूप प्रत्येक व्यक्ति को एकजुट करने और स्वस्थ आहार और फिटनेस आहार बनाए रखने की दिशा में सक्रिय कार्रवाई करने के लिए; ईट राइट पहल खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में लोगों द्वारा उपयोग किये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए काम करती है। इसका लक्ष्य नियामकीय, व्यक्तिगत और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भारत में खाद्य इको-सिस्टम को रूपांतरित करता है।
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एमजी/केसी/एसकेजे/एसके
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