• Skip to Content
  • Sitemap
  • Advance Search
Social Welfare

भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज में वृद्धि

सामाजिक सुरक्षा कवरेज का दायरा 19 प्रतिशत से बढ़कर 64.3 प्रतिशत हुआ, अब 94 करोड़ से अधिक लोग सामाजिक सुरक्षा के दायरे में

Posted On: 28 JUN 2025 1:12PM

प्रमुख बिंदु

  • सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत हो गया।
  • 94 करोड़ से अधिक लोगों को अब कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त होता है।
  • ई-श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत एक करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिक हैं।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में 51.06 करोड़ से अधिक लोगों ने नामांकन कराया। 23.64 करोड़ लोगों ने पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना में नामांकन कराया।
  • पीएम श्रम योगी मानधन योजना में 51.35 लाख से अधिक श्रमिक।
  • 3 करोड़ से अधिक महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सशक्त किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक घरों का आवंटन किया गया है।

परिचय

भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज का अभूतपूर्व विस्तार दर्ज किया गया है, जो 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत हो गया है। इसका मतलब है कि भारत की आबादी का 64.3 प्रतिशत यानी करीब 94.3 करोड़ लोग अब कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ के अंतर्गत आते हैं। इस अभूतपूर्व वृद्धि को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपने  आईएलओएसटीएटी डेटाबेस पर भी स्वीकार किया है। दस वर्षों में यह 45 प्रतिशत अंकों की वृद्धि वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण विस्तारों में से एक है। लाभार्थियों की संख्या के मामले में, नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में भारत अब चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर है।

 

 

सामाजिक सुरक्षा के प्रति समझ

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार सामाजिक सुरक्षा वह सुरक्षा है जो समाज व्यक्तियों और परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने और आय सुरक्षा की गारंटी देने के लिए प्रदान करता है। यह विशेष रूप से वृद्धावस्था, बीमारी, बेरोजगारी, दिव्यांगता, मातृत्व, कार्यस्थल पर चोट लगने या कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के समय महत्वपूर्ण हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन सम्मेलनों और संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों में परिभाषित सामाजिक सुरक्षा को एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली व्यापक है, जिसमें केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर सामाजिक बीमा और सामाजिक सहायता योजनाएं शामिल हैं। इसमें नियोक्ता और कर्मचारियों के योगदान सहित कल्याणकारी भुगतान, अनिवार्य सामाजिक बीमा और अन्य नियोक्ता आधारित लाभ शामिल हैं। इनके अतिरिक्त खाद्य, स्वास्थ्य, आवास सुरक्षा आदि जैसे लाभ प्रदान करने वाली योजनाएं भी हैं।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज की समग्र तस्वीर प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा डेटा पूलिंग अभ्यास हेतु अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत, विशिष्ट लाभार्थियों की पहचान करने के लिए मनरेगा, ईपीएफओ, ईएसआईसी, एपीवाई और पीएम-पोषण जैसी 34 प्रमुख केन्द्रीय योजनाओं में एक विशिष्ट पहचानकर्ता के रूप में एन्क्रिप्टेड आधार का उपयोग किया जा रहा है। इस पूलिंग अभ्यास का पहला चरण 19 मार्च 2025 को शुरू हुआ और इसमें 10 राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात शामिल हैं। डेटा एकत्र करने की यह प्रक्रिया न केवल सामाजिक सुरक्षा में अग्रणी के रूप में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को मजबूत करेगी, बल्कि केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कल्याणकारी व्यय को अनुकूलित करने और सामाजिक सुरक्षा के सतत वित्तपोषण की दिशा में आगे बढ़ने में भी मदद करेगी। यह राज्यों को राज्य विशिष्ट सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत विशिष्ट लाभार्थियों की पहचान करने में मदद करेगा।

देशों के सामाजिक सुरक्षा कवरेज का आकलन करते समय, आईएलओ केवल उन्हीं योजनाओं पर विचार करता है जिनका विधायीका द्वारा समर्थन किया जाता है, नकद में और सक्रिय होते हैं और जिनके लिए पिछले तीन वर्षों का सत्यापित टाइम सीरीज डेटा प्रदान किया गया है। वर्तमान आंकड़ा डेटा पूलिंग अभ्यास के केवल चरण-I को दर्शाता है। यह चरण चयनित 8 राज्यों में केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं और महिला - केंद्रित योजनाओं के लाभार्थी डेटा पर केंद्रित था।

दूसरे चरण और आगे समेकन के साथ यह आशा की जाती है कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा अतिरिक्त योजनाओं के सत्यापन के बाद भारत का कुल सामाजिक सुरक्षा कवरेज जल्द ही 100 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगा। इसके अतिरिक्त, जबकि आईएलओ के डेटाबेस में केवल नकद-आधारित योजनाओं को ध्यान में रखा गया है, ऐसे लाखों और लोग हैं जो विभिन्न खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से गैर-नकद कवरेज प्राप्त कर रहे हैं।

भारत आईएलओएसटीएटी डेटाबेस में अपने 2025 सामाजिक सुरक्षा डेटा को अपडेट करने वाला पहला देश भी है। यह एक पारदर्शी और समावेशी कल्याण प्रणाली के निर्माण के लिए डिजिटल शासन और प्रतिबद्धता में भारत के नेतृत्व को सामने लाता है।

सामाजिक सुरक्षा कवरेज में वृद्धि से विशेष रूप से विकसित देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौतों (एसएसए) को अंतिम रूप देने में भारत के वैश्विक जुड़ाव को मजबूती मिलेगी। ये समझौते विदेशों में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करेंगे, साथ ही साझेदार देशों को पारस्परिक मान्यता ढांचे के लिए आवश्यक पारदर्शिता भी प्रदान करेंगे। यह एक विश्वसनीय और मजबूत सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को प्रदर्शित करके व्यापार और श्रम गतिशीलता वार्ता में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।

विस्तार के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार करना

सामाजिक सुरक्षा कवरेज में इस व्यापक विस्तार को मोदी सरकार द्वारा पिछले 11 वर्षों में गरीबों और श्रम कल्याण योजनाओं के परिणामस्वरूप देखा जा सकता है और इसका फोकस समावेशी और अधिकार आधारित सामाजिक सुरक्षा इकोसिस्टम बनाने पर है।सरकार ने इस तरह के विस्तार को संभव बनाने के लिए माहौल बनाने हेतु कई कदम उठाए हैं:

कानूनों को सरल बनाना

भारत में 50 करोड़ से अधिक श्रमिक हैं, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में हैं। देश में सामाजिक सुरक्षा के इकोसिस्टम को कानूनों से जोड़ा गया था और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कोई सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं थी। इन मुद्दों के समाधान के लिए वर्तमान सरकार ने कानून को सरल बनाने और सामाजिक सुरक्षा संरक्षण के दायरे में असंगठित क्षेत्र को लाने की पहल की।

29 श्रम कानूनों को अब 4 श्रम संहिताओं में संहिताबद्ध किया गया है:

  1. श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए 4 कानूनों के एकीकरण के साथ वेतन संहिता
  2. असंगठित क्षेत्र सहित सभी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए 9 कानूनों के एकीकरण के साथ सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
  3. सभी स्थितियों में श्रमिकों को सुरक्षा का अधिकार प्रदान करने के लिए 13 कानूनों (2020) के एकीकरण के साथ व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता
  4. ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए 3 श्रम कानूनों के एकीकरण के साथ औद्योगिक संबंध संहिता

 

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020; नए भारत के लिए नई श्रम संहिता

 

सभी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने 9 श्रम कानूनों को सामाजिक सुरक्षा संहिता में समाहित कर दिया है, ताकि श्रमिकों के बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ आदि के अधिकार सुरक्षित हो सकें। इस संहिता में सामाजिक सुरक्षा के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचे के निर्माण का आह्वान किया गया है। इसके तहत नियोक्ता और कर्मचारी से प्राप्त योगदान के लिए एक प्रणाली को संस्थागत बनाया जाएगा। सरकार वंचित वर्ग के श्रमिकों के योगदान को निधि दे सकती है।

संहिता सभी श्रमिकों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करती हैः

एक छोटे से योगदान के माध्यम से, ईएसआईसी के अस्पतालों और औषधालयों के तहत मुफ्त उपचार का लाभ उपलब्ध कराया जाता है।

ईएसआईसी अब असंगठित क्षेत्र के कामगारों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों के कामगारों के लिए खुला रहेगा।

ईएसआईसी अस्पतालों, डिस्पेंसरियों और जिला स्तर तक शाखाओं का विस्तार। इस सुविधा को 566 जिलों से बढ़ाकर देश के सभी 740 जिलों में किया जाएगा।

यहां तक कि अगर एक भी श्रमिक खतरनाक काम में लगा हुआ है, तो उसे ईएसआईसी लाभ दिया जाएगा।

ईएसआईसी प्लेटफॉर्म और नई प्रौद्योगिकी में लगे गिग वर्कर्स को शामिल होने का अवसर।

बागान श्रमिकों को ईएसआईसी का लाभ मिलेगा।

खतरनाक क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों को ईएसआईसी के साथ अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाएगा।

संगठित, असंगठित और स्व-नियोजित क्षेत्रों के सभी श्रमिकों को पेंशन योजना (ईपीएफओ) का लाभ।

असंगठित क्षेत्र को व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष का सृजन।

निश्चित अवधि के कर्मचारियों के मामले में ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की आवश्यकता को हटा दिया गया है।

निश्चित अवधि पर कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के समान सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेगा।

पोर्टल पर पंजीकरण के माध्यम से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना।

20 से अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाले नियोक्ताओं को अनिवार्य रूप से रिक्तियों की ऑनलाइन रिपोर्ट देनी होगी।

ईएसआईसी, ईपीएफओ और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन)।

निर्बाध पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए आधार आधारित यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन)।

 

डिजिटल और वित्तीय नींव का निर्माण

जन धन योजना : वित्तीय समावेशन भारत की सामाजिक सुरक्षा के केंद्र में रहा है। 18 जून, 2025 तक 55.64 करोड़ से अधिक लोगों के पास जन धन खाते हैं, जिससे उन्हें सरकारी लाभ और औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सीधी पहुंच मिल रही है।

आधार और डिजिटल पहचान : आधार कार्यक्रम ने एक विशिष्ट डिजिटल पहचान प्रणाली बनाने में मदद की है। 27 जून, 2025 तक, 142 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी किए गए हैं। यह प्रणाली सही समय पर सही व्यक्ति को लाभ के प्रमाणीकरण और वितरण में सहायता करती है।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) : डीबीटी प्रणाली ने कल्याणकारी भुगतानों को सुव्यवस्थित किया है, लीकेज और देरी को कम किया है। मार्च 2023 तक संचयी बचत 3.48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो इसकी दक्षता और पैमाने को दर्शाता है।

डिजिटल कनेक्टिविटी और 5जी बुनियादी ढांचा : 2025 तक 5जी सेवाएं देश के 99.6 प्रतिशत जिलों तक पहुंच गई हैं। 2023-24 में लगभग तीन लाख बेस स्टेशनों को जोड़ने के साथ, डिजिटल सेवाएं तेजी से और अधिक सुलभ हो गई हैं। डेटा लागत में कमी 2014 के 308 रुपये प्रति जीबी से घटकर 2022 में 9.34 रुपये हो गई है।

सरकार के प्रमुख सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम

बीमा और पेंशन योजनाएं

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) : यह योजना सस्ती दुर्घटना बीमा प्रदान करती है और इसने कम आय वाले व्यक्तियों को बुनियादी सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मई 2025 तक, इसने देश भर में 51.06 करोड़ लोगों को नामांकित किया है।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई): यह एक वर्षीय जीवन बीमा योजना जिसका प्रति वर्ष नवीकरण किया जाता है। यह योजना प्रति वर्ष 436 रुपये के कम प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का कवरेज प्रदान करती है।  मई 2025 की स्थिति के अनुसार, यह योजना 23.64 करोड़ व्यक्तियों को कवर करती है।

प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (पीएम-एसवाईएम): यह योजना 60 वर्ष की आयु के बाद असंगठित श्रमिकों को 3,000 रुपये प्रति माह की पेंशन सुनिश्चित करती है। यह स्वैच्छिक और अंशदायी है। 29 मई, 2025 तक, इस योजना के तहत 51.35 लाख श्रमिकों का नामांकन किया गया है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ): यह योजना औपचारिक रोजगार, सुरक्षित आय और भावी बचत की एक प्रमुख वाहक है। अकेले 2024-25 में, ईपीएफओ प्रणाली में 1.29 करोड़ लोगों की कुल वृद्धि हुई है। अप्रैल, 2025 में 19.14 लाख नए नामांकन हुए हैं।

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) : ईएसआईसी औपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा नेट प्रदान करता है, इसमें चिकित्सा लाभ, बीमारी के दौरान नकद सहायता और बेरोजगारी कल्याण भत्ते शामिल हैं। यह योजना भारत में श्रम कल्याण का एक प्रमुख स्तंभ बनी हुई है।

 

महिलाओं और परिवारों को सशक्त बनाना

लखपति दीदी पहल: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आय बढ़ाने के उद्देश्य से, इस कार्यक्रम से विविध आजीविका विकल्पों को बढ़ावा मिलता है। 10 करोड़ से अधिक महिलाएँ अब स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। सरकार ने उनमें से 3 करोड़ को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: यह योजना गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करती है, इससे स्वच्छ रसोई ईंधन को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य और गरिमा में सुधार हुआ है और 2025 तक 10.33 करोड़ से अधिक कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।

अपना खुद का घर: सबके लिए आवास: ग्रामीण और शहरी भारत में कई परिवारों के लिए, एक पक्का घर कभी एक अधूरा सपना था। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) ने उस कहानी को बदल दिया है। पीएमएवाई के दो घटक हैं: शहरी और ग्रामीण। पीएमएवाई के तहत कुल लगभग 4 करोड़ घर पूरे हो चुके हैं। पीएमएवाई-शहरी के अंतर्गत 90 लाख से अधिक स्वामित्व वाली महिलाओं के साथ 92.72 लाख घर वितरित किए गए हैं।

ग्रामीण भारत में 2.77 करोड़ मकानों का निर्माण कार्य पीएमएवाई-ग्रामीण के अंतर्गत पूरा किया गया है जिनमें से 60 प्रतिशत घरों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आवंटित किया गया है और महिलाओं के नाम पर 25.29 प्रतिशत घर पंजीकृत हैं।

अनौपचारिक और असंगठित श्रमिकों को सुरक्षित करना

 

ई-श्रम पोर्टल : 2021 में लॉन्च किए गए ई-श्रम पोर्टल पर 27 जून, 2025 तक 30.91 करोड़ से ज़्यादा असंगठित कामगार पंजीकृत हो चुके हैं। प्रत्येक कामगार को सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँचने के लिए एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर मिलता है। उल्लेखनीय रूप से, 53.77 प्रतिशत नामांकित महिलाएँ हैं, जो समावेशी पहुँच को उजागर करती हैं।

अटल पेंशन योजना (एपीवाई): एपीवाई का उद्देश्य अनौपचारिक श्रमिकों को पेंशन सहायता प्रदान करना है। दिसंबर 2024 तक इसके 7.25 करोड़ ग्राहक हैं और कुल कोष 43,370 करोड़ रुपये है। इसके पूरक दो बीमा योजनाएं हैं, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, जो कम लागत वाला जीवन और दुर्घटना बीमा प्रदान करती हैं।

पीएम विश्वकर्मा योजना : यह योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को बिना गारंटी ऋण, टूलकिट, डिजिटल प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से सहायता प्रदान करती है। 9 जून, 2025 तक 23.7 लाख कारीगरों ने पंजीकरण कराया है और 2025 तक लगभग 10 लाख कारीगरों को टूलकिट प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है।

 

स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा का विस्तार

आयुष्मान भारत : 27 जून, 2025 तक 41.29 करोड़ से ज़्यादा आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं। यह योजना लाभार्थी परिवार को हर साल 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है और इसे देश भर में 32,000 से ज़्यादा सूचीबद्ध अस्पतालों में स्वीकार किया जाता है। इसके अलावा, सरकार ने 70 साल या उससे ज़्यादा उम्र के सभी नागरिकों को, चाहे उनकी आय कुछ भी हो, इस कवरेज का लाभ देने के लिए आयुष्मान वय वंदना योजना शुरू की। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन 77 करोड़ से ज़्यादा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खातों के साथ इसका पूरक है, जो नागरिकों को निर्बाध स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ता है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई): महामारी के दौरान शुरू की गई इस योजना ने कमजोर लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है। दिसंबर 2024 तक यह आंकड़ा 1 करोड़ लोगों तक पहुंच गया है और उन्हें मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है।

ट्रांसजेंडर्स और दिव्यांगजनों के लिए सम्मान और संरक्षण

दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक उपकरण/सहायक उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिए सहायता योजना (एडीआईपी):

एडीआईपी योजना के तहत, दिव्यांगजनों को उनके शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पुनर्वास को बढ़ावा देने और उनकी आर्थिक क्षमता को बढ़ाने के लिए सहायक उपकरणों के वितरण के लिए विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों को धन जारी किया जाता है।

इस योजना के अंतर्गत पिछले 11 वर्षों के दौरान 31.16 लाख दिव्यांगजनों को 2415.85 करोड़ रुपये की लागत से सहायक उपकरण एवं सहायता सामग्री उपलब्ध कराई गई है।

पिछले 11 वर्षों के दौरान इस योजना के अंतर्गत महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:

एआईडीपी शिविरों के आयोजन के दौरान 10 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए गए।

2014 से अब तक 18,000 से अधिक शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, जिससे 31 लाख से अधिक दिव्यांगजन सशक्त हुए हैं।

मान्यता प्राप्त विकलांगताओं से लाभान्वित होने वाले दिव्यांगजनों की संख्या 7 से संशोधित कर 21 कर दी गई है।

दिव्यांगजनों को लाभांवित करने के लिए मान्यता प्राप्त दिव्यांगताओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 21 कर दी गई है।

ट्रांसजेंडर्स के लिए योजनाएंः

सरकार ने 12 फरवरी, 2022 को आजीविका और उद्यम के तहत वंचित व्यक्तियों के लिए स्माइल-सपोर्ट योजना शुरू की है, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास योजना शामिल है।

इस संबंध में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने "गरिमा गृहः ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह" नामक 12 प्रायोगिक आश्रय गृह शुरू किए हैं। इन आश्रय गृहों का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करना है।

निष्कर्ष

दस वर्षों में भारत का 19 प्रतिशत से 64.3 प्रतिशत सामाजिक सुरक्षा कवरेज तक का सफर पैमाने और इरादे दोनों को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि जब नीति, प्रौद्योगिकी और राजनीतिक इच्छाशक्ति लोगों की सेवा के लिए मिलकर काम करती है तो क्या संभव है। अब 94 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को कम से कम एक योजना के तहत संरक्षित किया गया है, देश ने समावेशी कल्याण की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है।

जैसे-जैसे अधिक योजनाओं का सत्यापन किया जाएगा और उन्हें जोड़ा जाएगा, यह कवरेज और भी बढ़ने की उम्मीद है। डिजिटल उपकरणों, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और लक्षित कार्यक्रमों के उपयोग में भारत के नेतृत्व ने एक वैश्विक उदाहरण स्थापित किया है। पिछले दशक में जो गति बनी है यह आगे भी जारी रहनी चाहिए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से सबसे कमजोर, जरूरत के समय सुरक्षित रहे।

संदर्भः

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय:

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2135592

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2138675

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2114866

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2021/oct/doc202110531.pdf

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन:

https://www.social-protection.org/gimi/ShowCountryProfile.action?iso=IN

पीआईबी बैकग्राउंडर

https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2115391

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154590&ModuleId=3

पीडीएफ के लिए यहां क्लिक करें

***********

 

एमजी/केसी/डीवी

(Backgrounder ID: 154785) Visitor Counter : 37
Read this release in: English
Link mygov.in
National Portal Of India
STQC Certificate