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Infrastructure

स्मार्ट सिटी मिशन के 10 वर्ष

94 प्रतिशत परियोजनाएं पूरी हुईं, 1.64 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया

Posted On: 24 JUN 2025 1:59PM

“2047 तक विकसित भारत का संकल्प पूरा करने में सैकड़ों छोटे शहरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारी सरकार जीवन को सरल बनाने के लिए ऐसे शहरी केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं को उन्नत कर रही है।”

-प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

 

महत्वपूर्ण तथ्य

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कुल 8,067 परियोजनाओं में से 94 प्रतिशत पूरी हो चुकी हैं, जिनमें 1.64 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

शहरों ने अवसंरचना और सेवाओं में सुधार के लिए क्षेत्र-आधारित और समस्त-शहर दृष्टिकोण अपनाए।

सभी 100 शहरों में बेहतर शहर प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी तकनीक का उपयोग करते हुए एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र हैं।

हजारों स्मार्ट सड़कें, साइकिल ट्रैक, कक्षाएं और स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं।

साइकिल्स4चेंज और स्ट्रीट्स4पीपुल जैसी पहलों ने खुले स्थानों और समावेशिता को बढ़ावा दिया।

परिचय

स्मार्ट सिटीज मिशन (एससीएम) का उद्देश्य स्मार्ट, टिकाऊ समाधानों के माध्यम से भारत के शहरों में जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इसका लक्ष्य ऐसे शहरों का निर्माण करना है जो आर्थिक रूप से जीवंत, समावेशी और पर्यावरण के अनुकूल हों। बुनियादी ढांचे, शासन और सामाजिक विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, एससीएम देश भर में शहरी जीवन को बदलने का प्रयास करता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 जून, 2015 को लॉन्च किए गए स्मार्ट सिटीज मिशन का उद्देश्य कुशल सेवाएं, मजबूत बुनियादी ढांचा और टिकाऊ समाधान प्रदान करने के द्वारा 100 शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। आर्थिक विकास, समावेशिता और स्थिरता पर केंद्रित यह मिशन आवास, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और मनोरंजन जैसी विविध आवश्यकताओं पर ध्यान देता है, जिसका लक्ष्य ऐसे अनुकूलनीय शहरी स्थानों का सृजन करना है जो अन्य शहरों के लिए मॉडल के रूप में काम करें।

100 शहरों में इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, स्मार्ट सिटीज मिशन ने उल्लेखनीय प्रगति अर्जित की है। 9 मई, 2025 तक, कुल 7,555 परियोजनाएं - कुल 8,067 परियोजनाओं में से 94 प्रतिशत - पूरी हो चुकी हैं, जिनकी लागत 1,51,361 करोड़ रुपये है। इसके अतिरिक्त, 13,043 करोड़ रुपये की लागत वाली 512 परियोजनाएं कार्यान्वयन के अग्रिम चरणों में हैं। इस प्रकार, कुल 8,067 बहु-क्षेत्रवार परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत 1.64 लाख करोड़ रुपये है।

स्मार्ट सिटीज मिशन के लिए कुल आवंटित केंद्रीय बजट 47,652 करोड़ रुपये था। 31 मार्च, 2025 तक, मिशन के तहत 100 शहरों को कुल बजटीय परिव्यय का 99.44 प्रतिशत जारी किया जा चुका है। केंद्र के हिस्से को राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय निकायों, सार्वजनिक-निजी भागीदारी आदि द्वारा योगदान के अन्य स्रोतों द्वारा पूरक किया जाता है, जिससे कुल निवेश 1.64 लाख करोड़ हो जाता है।

स्रोत: smartcities.gov.in

इस मिशन का दृष्टिकोण

स्मार्ट सिटी मिशन के कार्यान्वयन में मुख्य रूप से दो मुख्य दृष्टिकोण अपनाए गए हैं। सबसे पहले, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत, शहरों का विकास क्षेत्र-आधारित विकास (एबीडी) दृष्टिकोण का उपयोग करके किया जा रहा है, जहां 100 शहरों में से प्रत्येक ने लक्षित युक्तियों के लिए एक परिभाषित क्षेत्र चुना है। नागरिक सहभागिता के माध्यम से चुने गए इन एबीडी क्षेत्रों को शहर के अन्य हिस्सों के लिए अनुकरणीय मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

दूसरा, हर शहर में समस्त-शहर परियोजनाएं शामिल की गई हैं, जो अवसंरचना और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान हैं। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ ने 310 डॉकिंग स्टेशनों और 2,500 से अधिक साइकिलों के साथ भारत की सबसे बड़ी और सबसे घनी पैन-सिटी पब्लिक साइकिल शेयरिंग (पीबीएस) प्रणाली लागू की है। पीबीएस प्रणाली ने यातायात की भीड़ को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।

मिशन के अन्य प्रमुख आयामों में कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) संरचना का निर्माण, परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण के विभिन्न स्रोतों को बढ़ावा देना और नागरिकों को शामिल करना शामिल है।

इस मिशन की प्रमुख उपलब्धियां

9 मई, 2025 तक कुल 8,067 परियोजनाओं में से 94 प्रतिशत सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी हैं, जो पूरे भारत में शहरी परिदृश्य को नया आकार देने में उल्लेखनीय प्रगति दर्शाती हैं।

एससीएम द्वारा 31 मार्च, 2025 तक प्रमुख पहलें और हासिल की गईं कुछ उपलब्धियां नीचे दी गई हैं:

एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी): सभी 100 स्मार्ट शहरों में प्रचालनगत आईसीसीसी हैं, जो सूचित निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग करते हैं। इन आईसीसीसी ने महामारी के दौरान कोविड वॉर रूम के रूप में भी काम किया और एआई, आईओटी और डेटा एनालिटिक्स जैसी उभरती हुई तकनीकों को एकीकृत करके परिवहन, जल आपूर्ति और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे शहर के संचालन में उल्लेखनीय सुधार किया है।

 

सार्वजनिक सुरक्षा और संरक्षा: 100 स्मार्ट शहरों में 84,000 से ज़्यादा सीसीटीवी निगरानी कैमरे लगाए गए हैं, जो अपराध निगरानी में सहायक हैं। इसके अलावा, 1,884 आपातकालीन कॉल बॉक्स, 3,000 सार्वजनिक संबोधन प्रणाली और लाल बत्ती उल्लंघन तथा स्वचालित नंबर प्लेट पहचान के लिए यातायात प्रवर्तन प्रणाली संस्थापित की गई हैं, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा में वृद्धि हुई है।

जल आपूर्ति: 28 शहरों ने 2,900+ मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) की पेयजल उपचार क्षमता विकसित की है। 17,026 किलोमीटर से अधिक जल आपूर्ति प्रणाली की निगरानी एससीएडीए के माध्यम से की जा रही है, जिससे गैर-राजस्व जल और रिसाव में कमी आई है।

 

गतिशील सार्वजनिक स्थान: 84 स्मार्ट शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर 1,320 से अधिक परियोजनाएं विकसित की गई हैं, जिनमें 62 स्मार्ट शहरों द्वारा 318 किलोमीटर के वाटरफ्रंट विकास शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 55 स्मार्ट शहरों में 484 विरासत स्मारकों के संरक्षण का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि 58 शहरों ने बाज़ार पुनर्विकास परियोजनाएं आरंभ की हैं।

 

सीवरेज: 27 शहरों ने 1,370 एमएलडी अपशिष्ट जल उपचार क्षमता सृजित की है, जिसमें से 673 एमएलडी का पुन: उपयोग विभिन्न प्रयोजनों जैसे बागवानी, औद्योगिक उपयोग आदि के लिए किया जा रहा है।

 

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: 66 से अधिक शहर प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, मार्ग प्रबंधन में सुधार, संग्रह की दक्षता और दैनिक प्रबंधन के साथ ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन कर रहे हैं। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन दक्षता को डिजिटल बनाने और सुधारने के लिए लगभग 9,194 वाहनों को स्वचालित वाहन स्थान (एवीएल) के लिए आरएफआईडी-सक्षम बनाया गया है।

 

गतिशीलता: 1,740 किलोमीटर से ज़्यादा स्मार्ट सड़कों का निर्माण या सुधार किया गया है, और 713 किलोमीटर साइकिल ट्रैक विकसित किए गए हैं। लगभग 23,000 साइकिलें और 1,500 से ज़्यादा बसें खरीदी गई हैं और 2,000 से ज़्यादा बस स्टॉप विकसित किए गए हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में 177 स्मार्ट मोबिलिटी प्रोजेक्ट पूरे किए गए। इसके अलावा, एक इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लागू किया गया है और आईसीसीसी के ज़रिए इसकी निगरानी की जा रही है, जिससे ट्रैफ़िक संचालन में सुधार हो रहा है, ट्रैफ़िक उल्लंघन से संबंधित कानूनों को लागू किया जा रहा है और यात्रा का समय कम हो रहा है।

 

शिक्षा: 71 स्मार्ट शहरों के 2,300 सरकारी स्कूलों में 9,433 स्मार्ट क्लासरूम विकसित किए गए हैं। इसके अलावा, 41 डिजिटल लाइब्रेरी भी विकसित की गई हैं।

 

स्वास्थ्य: 172 ई-स्वास्थ्य केंद्र और क्लीनिक (बिना समर्पित बिस्तरों के) विकसित किए गए हैं, और 152 स्वास्थ्य एटीएम भी स्थापित किए गए हैं। 15 शहरों ने ई-स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखने की प्रणाली विकसित की है।

उभरती आवश्यकताओं को अपनाना और चुनौतियों पर काबू पाना

मूलभूत पहलों के अतिरिक्त, स्मार्ट सिटीज मिशन ने उभरती चुनौतियों के प्रत्युत्तर में परियोजनाएं शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के बाद, सक्रिय जीवन के लिए खुले स्थानों को बढ़ावा देने के लिए 'साइकिल4चेंज' और 'स्ट्रीट्स4पीपुल' जैसे अभियान आरंभ किए गए। सार्वजनिक स्थानों तक समावेशी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, 'प्लेसमेकिंग मैराथन' और 'नर्चरिंग नेबरहुड्स चैलेंज' जैसी पहलों ने निर्बल समूहों पर ध्यान केंद्रित किया। 'ट्रांसपोर्ट4ऑल' और 'ईटस्मार्ट सिटीज' जैसी अन्य चुनौतियों का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन स्टार्टअप की सहायता करना और स्मार्ट शहरों में खाद्य स्वच्छता में सुधार लाना है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए कार्यनीतियां

स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देकर और स्मार्ट परिणामों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इस दृष्टिकोण में रेट्रोफिटिंग और पुनर्विकास के माध्यम से विद्यमान क्षेत्रों को रूपांतरित करना, ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के माध्यम से नए क्षेत्रों का विकास करना और पैन-सिटी पहलों के साथ पूरे शहर में स्मार्ट समाधान लागू करना शामिल है। प्रत्येक शहर के प्रस्ताव में सभी निवासियों के लिए समावेशिता और लाभ सुनिश्चित करने के लिए पैन-सिटी सुविधा के साथ क्षेत्र-आधारित मॉडल (रेट्रोफिटिंग, पुनर्विकास या ग्रीनफील्ड विकास) में से एक अवश्य शामिल होना चाहिए। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में, विकास क्षेत्र की आवश्यकताओं को आधे से कम कर दिया गया है।

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स्मार्ट सिटी रांची में परिवहन परिचालन बढ़ाया गया है    स्मार्ट सिटी लखनऊ द्वारा 100 साल पुराने चारबाग

                                                  रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास किया गया है

स्मार्ट शहरों की सफलता गाथाएं

विशाखापत्तनम

सोलर स्ट्रीट लाइट: विशाखापत्तनम स्मार्ट सिटी ने 380 स्टैंडअलोन सोलर स्ट्रीट लाइट (प्रत्येक 44 वाट) और 200 सोलर पोस्ट लाइट (प्रत्येक 25 वाट) संस्थापित की हैं, जो 5 किमी के बीच स्ट्रेच और एबीडी ज़ोन जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती हैं। यह पहल सालाना 189.4 मेगावाट ऑवर (एमडब्ल्यूएच) स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करती है, कार्बन उत्सर्जन में 242 टन की कमी लाती है और प्रत्येक वर्ष बिजली की लागत में 12 लाख रुपये की बचत करती है।

ऑल-एबिलिटीज पार्क: विशाखापत्तनम का "ऑल-एबिलिटीज" पार्क व्हीलचेयर के अनुकूल रास्तों, रैंप और दिव्यांग बच्चों के लिए सेंसरी प्ले ज़ोन के साथ एक समावेशी स्थान प्रदान करता है। इसका सुलभ डिज़ाइन सार्वजनिक स्थानों के न्यायसंगत उपयोग को बढ़ावा देता है और अन्य शहरों के लिए अनुसरण करने के लिए एक मॉडल स्थापित करता है।

उदयपुर

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली: उदयपुर ने 49 ऑटो-टिपर्स शुरू किए और 20 टन क्षमता वाले अपशिष्ट स्थानांतरण स्टेशन का निर्माण किया, साथ ही 20 टीपीडी बायोमेथेनेशन प्लांट और 30 टीपीडी गीले अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र का निर्माण किया। इन युक्तियों की बदौलत 32,830 वर्ग मीटर भूमि पुनः प्राप्त की गई, खाद और बायोगैस उत्पादन को सक्षम किया गया, ईंधन और परिवहन लागत में कमी आई और इसने शहर को अपशिष्ट प्रबंधन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद की।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी): 25, 10 और 5 मेगालीटर/दिन (एमएलडी ) क्षमता के तीन नए एसटीपी, जिनकी कीमत 80 करोड़ रुपये है, हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के तहत उन्नत एसबीआर प्रौद्योगिकी और स्वचालित प्रणालियों का उपयोग करके बनाए गए। ये प्लांट बीमारी के प्रसार को कम करने, कृषि में कीचड़ के पुनः उपयोग को सक्षम करने और रीसाइक्लिंग के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता का समर्थन करने में मदद करते हैं।

काकीनाडा

एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी): काकीनाडा का एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) 34 डिजिटल बोर्डों, अनुकूली संकेतों और स्मार्ट पोल का उपयोग करके यातायात, वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक सेवाओं की वास्तविक समय निगरानी के माध्यम से शहरी शासन में वृद्धि करता है।

आईआईएफटी काकीनाडा: कोलकाता और दिल्ली के बाद भारत का तीसरा भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) काकीनाडा में बनाया जा रहा है। फरवरी 2025 तक इसका निर्माण और फिनिशिंग का काम लगभग पूरा हो जाएगा।

सोलापुर

ई-शौचालय: खुले में शौच की प्रथा को खत्म करने के लिए, सोलापुर स्मार्ट सिटी ने पूरे शहर में ई-शौचालय स्थापित किए हैं। ई-शौचालय में स्व-सफाई जैसी इलेक्ट्रॉनिक और स्वचालित सुविधाओं का उपयोग किया जाता है, और अक्सर इसमें स्वचालित पहुंच नियंत्रण, सेंसर-आधारित जल और बिजली संरक्षण, और दूरस्थ निगरानी क्षमता जैसी सुविधाएं शामिल होती हैं।

इंदिरा गांधी स्टेडियम का पुनर्विकास: सोलापुर में इंदिरा गांधी स्टेडियम का पुनर्विकास 24 करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ। इसने 11 मुख्य पिचों, 6 अभ्यास पिचों, आधुनिक जल निकासी और उन्नत पवेलियन तथा मीडिया सुविधाओं के साथ 2.36 लाख वर्ग फुट जगह को रूपांतरित कर दिया, जिससे यह रणजी ट्रॉफी, कूच बिहार ट्रॉफी और अंडर-19 महिला मैचों जैसे प्रमुख टूर्नामेंटों की मेजबानी करने में सक्षम हो गया।

कोयंबटूर

स्वच्छ ऊर्जा: कोयंबटूर ने 97,000 से ज़्यादा स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी लैंप में परिवर्तित किया और 8 मेगावाट से ज़्यादा बिजली पैदा करने वाले सोलर प्लांट और रूफटॉप सिस्टम लगाए, जिससे वार्षिक रूप से लगभग 1.5 करोड़ किलोवाट घंटे की ऊर्जा बचत और 9.67 करोड़ रुपये की लागत बचत हुई। यह शहर नगरपालिका प्रचालनों के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देता है और शहरी निर्धन परिवारों को 100 किलोवाट घंटे तक निशुल्क बिजली प्रदान करता है।

7 झील प्रणाली का पुनरुद्धार: कोयंबटूर ने सात प्रदूषित और अतिक्रमित झीलों का पुनरुद्धार किया, 28 एकड़ भूमि को बहाल किया और बाढ़ प्रतिरोधक क्षमता, पारिस्थितिकी संतुलन और एम्फीथिएटर, जल क्रीड़ा, पक्षी अवलोकन और एनएमटी गलियारों के माध्यम से सार्वजनिक मनोरंजन को बढ़ाया। इस परियोजना ने प्रति व्यक्ति सार्वजनिक स्थान को 2.17 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 4.9 वर्ग मीटर कर दिया और 7,680 परिवारों को सुरक्षित आवासों के साथ पुनर्वासित किया।

निष्कर्ष

स्मार्ट सिटीज मिशन ने पूरे भारत में शहरों को बेहतर बनाने के मामले में बहुत प्रगति की है। स्मार्ट प्रौद्योगिकी, टिकाऊ समाधानों और सक्रिय सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से मिशन ने अवसंरचना, सार्वजनिक सुरक्षा, गतिशीलता, जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाया है। इसके अतिरिक्त, इसने 'साइकिल4चेंज' और 'स्ट्रीट्स4पीपुल' जैसी पहलों के माध्यम से खुली जगहों और सुरक्षित परिवहन को बढ़ावा देने जैसी नई चुनौतियों के लिए खुद को ढाल लिया है। जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ रहा है, यह अधिक स्मार्ट और रहने योग्य बेहतर शहरों के निर्माण की दिशा में काम करना जारी रखेगा, जो दूसरों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन सकते हैं।

संदर्भ

Ministry of Housing and Urban Affairs

 

https://smartcities.gov.in/

https://www.ksccl.in/#

https://mohua.gov.in/cms/smart-cities.php

https://x.com/SmartCities_HUA/status/1204006276155543552

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2083808

https://smartcities.gov.in/sites/default/files/2023-09/SCM_UN_Report%20.pdf

https://smartcities.gov.in/sites/default/files/2023-09/NL%2011%20Sep%20293%20issue.pdf

https://smartcities.gov.in/sites/default/files/2024-12/Smart%20City%20Book_Udaipur_Compressed.pdf

https://smartcities.gov.in/sites/default/files/2023-09/Compendium%20of%20Best%20Practices_book_web_version_1.pdf

 

Ministry of Commerce

https://www.commerce.gov.in/wp-content/uploads/2025/02/LS-USQ-No.262-dated.-04.02.2025.pdf

PIB Backgrounder

Enhancing Urban Life: https://pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=151908

Niti Ayog

https://abp.championsofchange.gov.in/content/248all-abilities-park-in-visakhapatnam-a-model-for-inclusive-open-spaces

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