Social Welfare
भारत की विकास यात्रा : सहज एवं सुविधापूर्ण जीवन
Posted On: 20 JUN 2025 9:20AM

परिचय
पिछले 11 वर्षों में, भारत ने सुशासन के सिद्धांतों को निरंतर रूप से सशक्त किया है। सरकार ने कुशल और निष्पक्ष सेवा वितरण के माध्यम से प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन को सुगम्य बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। नागरिक केंद्रित नीतियों और उत्तरदायी प्रशासन ने जनता के विश्वास में सुधार करते हुए तंत्र को लोगों के निकट पहुंचाया है। गरीबों और वंचित वर्गों को शामिल करने और सशक्त बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। परिणामस्वरूप, जीवन में सुगमता इस बात का एक प्रमुख संकेतक बन गई है कि राष्ट्र अपने लोगों की कितने प्रभावी ढंग से सेवा करता है।
- आवास और मूलभूत सुविधाएं
गुणवत्तापूर्ण आवास और आवश्यक सुविधाओं तक पहुंच प्रत्येक नागरिक के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने की कुंजी है। पिछले 11 वर्षों में, सरकार ने विशेष रूप से निम्न सेवा प्राप्त और ग्रामीण आबादी को लक्षित करते हुए किफायती आवास, बिजली, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता प्रदान करने के लिए कई प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) सभी पात्र शहरी लाभार्थियों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर प्रदान करने के लिए 25 जून, 2015 से प्रधानमंत्री आवास योजना– शहरी (पीएमएवाई-यू) कार्यान्वित कर रहा है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
ग्रामीण क्षेत्रों में "सभी के लिए आवास" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, 1 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) का शुभारंभ किया गया था। इस योजना का उद्देश्य मार्च 2029 तक 4.95 करोड़ पात्र ग्रामीण परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ आवास प्रदान करना है। जून 2024 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 से 2028-29 की अवधि के लिए पीएमएवाई-जी के अंतर्गत 2 करोड़ अतिरिक्त आवासों के निर्माण को स्वीकृति दी। 15 जून 2025 तक, योजना के तहत महत्वपूर्ण संख्या में आवासों का निर्माण पहले ही पूर्ण किया जा चुका है।

- स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम)
25 जून 2015 को शुरू किए गए, स्मार्ट सिटीज मिशन का उद्देश्य कुशल सेवाओं, मजबूत बुनियादी ढांचे और दीर्घकालिक समाधानों के माध्यम से 100 शहरों में जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। यह आवास, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और मनोरंजन पर केंद्रित है।

वास्तविक और वित्तीय प्रगति: 1,51,282 करोड़ रुपये मूल्य की 7545 परियोजनाएं (कुल परियोजनाओं का 93 प्रतिशत) पूरी हो चुकी हैं। मिशन के लिए कुल आवंटित बजट 48,000 करोड़ रुपये था। कुल बजटीय परिव्यय का 99.44 प्रतिशत (47,652 करोड़ रुपये) 100 शहरों को जारी किया गया है।
- कायाकल्प और शहरी रूपांतरण के लिये अटल मिशन (अमृत और अमृत 2.0)
500 शहरों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लक्ष्य के साथ 25 जून 2015 को कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) का शुभारंभ किया गया था। इसके दूसरे चरण- अमृत 2.0 का शुभारंभ 01 अक्टूबर 2021 को सभी शहरी स्थानीय निकायों में विस्तारित कवरेज के साथ किया गया। यह मिशन सार्वभौमिक सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए शहरों में सुरक्षित पेय जल और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है।

अमृत और अमृत 2.0 के अंतर्गत शहरी भारत का रूपांतरण
(प्रमुख उपलब्धियां)
1. जल और सीवरेज अवसंरचना
10 वर्ष में:
- 2.03 करोड़ नल कनेक्शन और 1.5 करोड़ सीवर कनेक्शन प्रदान किए गए।
- 4,734 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) जल शोधन क्षमता, 4,447 एमएलडी सीवेज उपचार और 1,437 एमएलडी पुन: उपयोग क्षमता जोड़ी गई।
वर्ष 2024-25 में:
- 42 लाख नल और 25 लाख सीवर कनेक्शन प्रदान किए गए।
- 836 एमएलडी डब्ल्यूटीपी और 567 एमएलडी एसटीपी क्षमता विकसित की गई।
2. हरित स्थल और जल निकाय
10 वर्ष में:
- 6,869 एकड़ में 2,994 उद्यान विकसित किए गए।
- 9,511 एकड़ क्षेत्र में 544 जल निकायों का जीर्णोद्धार किया गया।
वर्ष 2024-25 में:
- 388 उद्यान विकसित (1,851 एकड़)
- 391 जल निकायों का कायाकल्प (7,166 एकड़)
3. शहरी गतिशीलता और स्टार्ट-अप नवाचार
10 वर्ष में:
- शहरी समाधानों को बढ़ाने के लिए 82 शहरों के साथ 120 स्टार्ट-अप की मैपिंग की गई।
- 8 लाख घरों को लाभान्वित करने के लिए 23,490 करोड़ रुपये की 381 'ड्रिंक फ्रॉम टैप' (डीएफटी) परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई।
वर्ष 2024-25 में:
- 15 स्टार्ट-अप का 46 शहरों के साथ मानचित्रण किया गया।
- 1,270 करोड़ रुपये की 29 डीएफटी परियोजनाओं को स्वीकृति।
4. सुधार और क्षमता निर्माण
10 वर्ष में:
- 99 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाई गई
वर्ष 2024-25 में:
- 'अमृत मित्र': 95 करोड़ रुपये की 1,162 परियोजनाओं को स्वीकृति।
- 'जल ही अमृत': 860 एसटीपी नामांकित, 4,500 संयंत्र संचालकों को प्रशिक्षित किया गया।
- अनिवार्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच
पिछले 11 वर्षों में, सरकार ने बुनियादी सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जो गरिमापूर्ण जीवन के लिए अनिवार्य हैं। इन पहलों का उद्देश्य स्वच्छ जल, स्वच्छता, ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था और एलपीजी कनेक्शन को हर घर तक पहुंचाना है।

मई 2016 में शुभारंभ की गई, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) निर्धन परिवारों की वयस्क महिलाओं को जमा-मुक्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के साथ-साथ स्वस्थ और स्वच्छ खाना पकाने को बढ़ावा देती है। दिसंबर 2022 तक 1.60 करोड़ नए कनेक्शन प्राप्त करने के उद्देश्य से उज्ज्वला 2.0 को अगस्त 2021 में शेष घरों को शामिल करने के लिये शुरू किया गया था। वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 के लिए अतिरिक्त 75 लाख कनेक्शन स्वीकृत किए गए और जुलाई 2024 तक पूरे किए गए। 1 मार्च 2025 तक, भारत में 32.94 करोड़ सक्रिय घरेलू एलपीजी उपभोक्ता हैं, जिनमें 10.33 करोड़ पीएमयूवाई लाभार्थी शामिल हैं।
5 जनवरी 2015 को शुरू की गई, सभी के लिए किफायती एलईडी (उन्नत ज्योति बाई अफोर्डेबल एलईडी फॉर ऑल- उजाला) योजना का उद्देश्य घरों में किफायती एलईडी बल्ब, ट्यूब लाइट और पंखे प्रदान करके ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना है। प्रारंभ में इसे घरेलू कुशल प्रकाश कार्यक्रम के रूप में पेश किया गया था, बाद में इसे उजाला के रूप में फिर से ब्रांड किया गया। 15 जून तक देश भर में 36.87 करोड़ एलईडी बल्बों का वितरण किया जा चुका है।
जल जीवन मिशन
15 अगस्त 2019 को शुरू किए गए जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर ग्रामीण घर में नल से जल उपलब्ध कराना है। शुभारंभ के समय, केवल 3.23 करोड़ घरों में नल कनेक्शन थे। आज 15.62 करोड़ ग्रामीण घरों को इसका लाभ मिल रहा है। मिशन का परिव्यय बढ़ाकर 67,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है और 100 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करने के लिए इसे वर्ष 2028 तक बढ़ा दिया गया है।

- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी और ग्रामीण)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) भारत में सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है।
2 अक्टूबर, 2014 को शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) (एसबीएम-यू) ने भारत में शहरी स्वच्छता और साफ-सफाई में महत्वपूर्ण बदलाव किया है।
- i. एसबीएम-शहरी 1.0: इकाई और प्रति व्यक्ति लागत के आधार पर एसबीएम-शहरी के कार्यान्वयन की कुल लागत 62,009 करोड़ रुपये थी। इसमें भारत सरकार की हिस्सेदारी 14,623 करोड़ रुपये है और इसमें से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने 11,905 करोड़ रुपये का दावा किया है।
- एसबीएम-शहरी 2.0: इकाई और प्रति व्यक्ति लागत के आधार पर एसबीएम के कार्यान्वयन की कुल लागत 1,41,600 करोड़ रुपये है। 32,610 करोड़ रुपये के कुल मिशन आवंटन में से, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्रीय हिस्से में कुल 28,328 करोड़ रुपये (86 प्रतिशत) को स्वीकृति दी गई है और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 6,603 करोड़ रुपये का दावा किया गया है।
चरण
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बजट परिव्यय
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एसबीएम-यू (2014-2021)
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62,009 करोड़ रुपये
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एसबीएम-यू 2.0 (2021-2026)
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1,41,600 करोड़ रुपये
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स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य ग्रामीण स्वच्छता में सुधार करना और खुले में शौच को समाप्त करना है।
- चरण-I (2014-2019) शौचालयों के निर्माण और गांवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने पर केंद्रित है।
- 1 अप्रैल, 2020 को शुरू किया गया चरण-II, ओडीएफ स्थिरता और उचित ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) पर केंद्रित है। वर्ष 2025-26 तक सभी गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने का लक्ष्य है।

3. वित्तीय समावेशन
पिछले 11 वर्षों में, वित्तीय समावेशन नागरिकों को सशक्त बनाने और सामाजिक-आर्थिक अंतराल को समाप्त करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में उभरा है। बैंकिंग और डिजिटल सेवाओं को द्वार तक लाकर, इसने सुरक्षित बचत और अधिक वित्तीय स्वतंत्रता में सक्षम बनाया है।
अगस्त 2014 में शुरू की गई, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का उद्देश्य बचत खातों, ऋण, प्रेषण, बीमा और पेंशन तक पहुंच का विस्तार करके औपचारिक वित्तीय प्रणाली में बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को शामिल करना है। जन धन खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से बढ़कर जून 2025 तक 55.22 करोड़ हो गई है।


8 अप्रैल 2015 को शुरू की गई, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) प्रधानमंत्री का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गैर-वित्तपोषित सूक्ष्म उद्यमों और छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। संपार्श्विक के बोझ को दूर करके और पहुंच को सरल बनाकर, मुद्रा योजना ने जमीनी स्तर पर उद्यमिता के एक नए युग की आधारशिला रखी।
4. स्वास्थ्य देखभाल सुविधा
पिछले 11 वर्षों में, भारत ने पहुंच, सामर्थ्य और गरिमा पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत किया है। वित्तीय सुरक्षा से लेकर वंचित वर्ग के लिए लक्षित सहायता तक, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में जोर विशेषाधिकार पर नहीं, बल्कि अधिकार पर रहा है।
- आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई)
वर्ष 2018 में, सरकार ने आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का शुभारंभ किया, जो विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य आश्वासन कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से निर्बल भारतीयों को अत्यंत खर्चीले स्वास्थ्य देखभाल व्यय से बचाना है। भारत की आबादी के निचले 40 प्रतिशत वर्ग को लक्षित करते हुए, इस योजना में लगभग 12.37 करोड़ परिवार शामिल हैं; जिससे लगभग 55 करोड़ व्यक्तियों को लाभ मिल रहा है।
इतना ही नहीं, यह योजना भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के अग्रिम पंक्ति के नायकों, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्ल्यूडब्ल्यूएस) और आंगनवाड़ी सहायकों (एडब्ल्यूएचएस) को भी लक्षित करती है, जो राष्ट्र की सेवा करते हुए उनके स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करते हैं। एबी-पीएमजेएवाई केवल एक स्वास्थ्य योजना नहीं है, यह स्वास्थ्य सेवा सुविधा प्रदान करने में एक सामाजिक क्रांति है, जो भारत के सबसे वंचित वर्ग के लोगों को गरिमा, देखभाल और वित्तीय सुरक्षा के साथ सशक्त बनाती है।

5. परिवहन एवं कनेक्टिविटी
पिछले 11 वर्षों में, भारत में राजमार्गों, रेलवे, बंदरगाहों और हवाई अड्डों का तेजी से विस्तार हुआ है। बेहतर कनेक्टिविटी से यात्रा के समय में कमी आई है, लॉजिस्टिक दक्षता बढ़ी है और क्षेत्रीय विकास में वृद्धि हुई है।
- (आरसीएस) उड़ान योजना: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक)
राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (2016) के अंतर्गत प्रारंभ की गई उड़ान योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई यात्रा को किफायती और आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाना है। भारत में प्रचालनगत हवाई अड्डे 2014 में 74 से बढ़कर मार्च 2025 तक 160 हो गए हैं। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अप्रयुक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों को पुनःसक्रिय करने के लिए 4,500 करोड़ रुपये को स्वीकृति दी, जबकि व्यय वित्त समिति ने 50 अतिरिक्त हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। इसके अलावा:

- 625 मार्गों पर परिचालन शुरू कर दिया गया है;
- 88 अप्रयुक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों को सक्रिय किया गया है (13 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित);
- आरसीएस उड़ानों में 1.51 करोड़ से अधिक यात्री उड़ान भर चुके हैं;
- 3.05 लाख उड़ानें संचालित की गई हैं; और
- 4,029 करोड़ रुपये की व्यवहार्यता अंतर निधि का वितरण किया गया है।
यह योजना पूर्वोत्तर भारत, पहाड़ी इलाकों और जनजातीय क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ समान क्षेत्रीय संपर्क सुनिश्चित करती है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए, 90 आरसीएस मार्ग और 12 हवाई अड्डे/हेलीपोर्ट/वाटर एयरोड्रम कार्यान्वित किए गए हैं।
मेट्रो रेल अब 23 शहरों में या तो संचालित है अथवा इसके नेटवर्क का निर्माण हो रहा है। मई 2025 तक, भारत में 1,013 किलोमीटर मेट्रो लाइनें परिचालन में थीं, जो 2014 में सिर्फ 248 किलोमीटर थीं। इसमें केवल ग्यारह वर्षों में 763 किमी की वृद्धि हुई है। भारत अब कुल मेट्रो रेल नेटवर्क के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है। इस अवधि में, 992 किलोमीटर की 34 मेट्रो परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई।
वर्ष 2013-14 में प्रतिदिन 28 लाख यात्रियों की संख्या थी जो अब 1.12 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। नई लाइनों को चालू करने की गति नौ गुना बढ़ गई है। औसतन, 6 किमी मेट्रो लाइनें अब हर महीने कार्यान्वित हो रही हैं, जबकि 2014 से पहले यह प्रति माह सिर्फ 0.68 किमी थी। मेट्रो रेल के लिए वार्षिक बजट भी छह गुना से अधिक बढ़ गया है, जो 2013-14 में 5,798 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 34,807 करोड़ रुपये हो गया है।
मेट्रो नेटवर्क के अलावा, भारत ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) की शुरुआत के साथ भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर चलने वाली नमो भारत रेल जन परिवहन प्रणालियों के आधुनिकीकरण के लिए भारत की प्रतिबद्धता का एक प्रमुख उदाहरण हैं और इससे सभी क्षेत्रों में त्वरित और अधिक कुशल यात्रा की सुविधा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष
भारत सरकार, विकसित भारत के विजन के अनुरूप ही प्रत्येक नागरिक के जीवन को सुगम और अधिक गरिमापूर्ण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। किफायती आवास, जल, बिजली और स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच जैसी पहलों के माध्यम से, यह एक सशक्त, अधिक समावेशी राष्ट्र का निर्माण कर रही है। उत्तरदायी शासन और नागरिक-केंद्रित नीतियों पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक भारतीय के पास अवसरों और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच हो जिससे सभी के लिए एक उज्ज्वल और स्थायी भविष्य को बढ़ावा मिले।
संदर्भ:
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय
नागर विमानन मंत्रालय
विद्युत मंत्रालय
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
ग्रामीण विकास मंत्रालय
जल शक्ति मंत्रालय
वित्त मंत्रालय
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
भारत की विकास यात्रा : सहज एवं सुविधापूर्ण जीवन
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Explainer 19/ Series on 11 Years of Government
Santosh Kumar/ Sarla Meena/ Kamna Lakaria
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