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Economy

व्यवसाय की सुगमता, विकास का सशक्तिकरण

Posted On: 19 JUN 2025 9:32AM

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परिचय

पिछले 11 वर्षों में, भारत में एक मूक क्रांति आई है, जिसने निवेशकों और उद्यमियों के लिए लालफीताशाही अर्थव्यवस्था को लाल कालीन वाली व्यवस्था बदल दिया है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में, सरकार ने पुराने नियमों को व्यवस्थित रूप से खत्म कर दिया है, अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है और पारदर्शिता और विश्वास-आधारित शासन के एक नए युग की शुरुआत की है। आज, भारत न केवल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, बल्कि तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम, एक वैश्विक नवाचार केंद्र और एक पसंदीदा निवेश गंतव्य-स्थल भी है। ये उपलब्धियां साहसिक संरचनात्मक सुधारों, डिजिटलीकरण और उद्यम के जीवन चक्र के हर चरण में, निगमन से लेकर निकास तक, व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने की अथक प्रतिबद्धता का परिणाम हैं। भारत ने वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है

कर सुधारों के माध्यम से स्टार्टअप और नवाचार को बढ़ावा देना

निर्बाध कर प्रणाली: अगस्त 2020 में, प्रधानमंत्री ने "पारदर्शी कराधान- ईमानदार का सम्मान" के लिए एक मंच लॉन्च किया। इसे 21वीं सदी की कराधान प्रणाली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लॉन्च किया गया। नया प्लेटफ़ॉर्म फेसलेस होने के अलावा करदाता का आत्मविश्वास बढ़ाने और उसे निडर बनाने के उद्देश्य से भी तैयार किया गया

एंजेल टैक्स का उन्मूलन: जुलाई 2024 में सभी वर्गों के निवेशकों के लिए 'एंजेल टैक्स' को समाप्त कर दिया गया। इस कदम का उद्देश्य भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को मजबूत करना, उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना और नवाचार का समर्थन करना है। इसके अतिरिक्त, विदेशी कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स की दर घटाकर 35 प्रतिशत कर दी गई।

जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर): जीएसटी ने एक खंडित और जटिल अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को प्रतिस्थापित किया जिसने व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों पर बोझ डाला हुआ था। जीएसटी से पहले, कर ढांचे में उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट, सीएसटी और अन्य जैसे कई शुल्क शामिल थे, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनुपालन संबंधी चुनौतियां और अक्षमताएं थीं। इस बहुलता के कारण न केवल व्यापार करने की लागत बढ़ी, बल्कि कर बाधाओं के कारण माल की निर्बाध अंतर्राज्यीय आवाजाही भी बाधित हुई।

जीएसटी ने भारत की कर प्रणाली को एकीकृत किया, जिससे एक एकल बाजार बना जिसने अंतर्राज्यीय बाधाओं को दूर किया और परिचालन दक्षता को बढ़ाया। इसने व्यवसायों को आपूर्ति श्रृंखला में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की अनुमति देकर कर कैस्केडिंग को समाप्त कर दिया, जिससे समग्र कर बोझ कम हो गया और अनुपालन सरल हो गया। इस सुधार ने दरों को तर्कसंगत बनाने और प्रक्रियाओं को मानकीकृत करके पारदर्शिता, जवाबदेही और आर्थिक विकास को भी बढ़ाया।

भारत के व्यापार परिदृश्य में परिवर्तन

2014 से सरकार जोखिम लेने वालों के मार्ग में बाधा नहीं बनी है, बल्कि सक्रिय सक्षमकर्ता बनी है। भारत में उद्यमी और निवेशक अब व्यापार के अनुकूल माहौल और एक ऐसी सरकार से खुश हैं जो सक्रिय रूप से उनकी समस्याओं का समाधान करती है और शिकायतों का निवारण करती है। यह बड़ा बदलाव ऐतिहासिक निर्णयों जैसे कि पूर्वव्यापी कराधान एवं एंजेल टैक्स को हटाने और कॉर्पोरेट टैक्स को कम करने से संभव हुआ है। राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली अब एक ही मंच के माध्यम से सभी अनुमोदन प्राप्त करने की अनुमति देती है। इसके अलावा, सरकार ने 1,500 से अधिक पुराने कानूनों और हजारों अनुपालनों को निरस्त करके अनावश्यक अनुपालन बोझ को कम कर दिया है। ये भारतीय उद्यमों के लिए अनावश्यक लागत और बाधाएं पैदा करते थे।

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जिसे व्यवसायों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर आवश्यक अनुमोदनों की पहचान करने और उनके लिए आवेदन करने में सहायता करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। "अपने अनुमोदनको जानें" (केवाईए) मॉड्यूल 32 केंद्रीय विभागों और 34 राज्यों में अनुमोदन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। एनएसडब्ल्यूएसपोर्टल के माध्यम से 32 केंद्रीय विभागों और 29 राज्य सरकारों से अनुमोदन के लिए आवेदन जमा करने की सुविधा भी प्रदान करता है।

एसपीआईसीई+ फॉर्म: भारत सरकार की ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस (ईओडीबी) पहलके तहत, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने 2020 में एसपीआईसीई+’ नाम से एक नया वेब-आधारित फ़ॉर्म प्रस्तुत किया, जिसने पहले के एसपीआईसीई फ़ॉर्म की जगह ली। एसपीआईसीई+तीन केंद्रीय विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली 10 एकीकृत सेवाएं प्रदान करता है।

सरकारी मंत्रालय और विभाग- कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग और साथ ही महाराष्ट्र राज्य सरकार। यह एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म भारत में व्यवसाय शुरू करने से जुड़ी प्रक्रियाओं, समय और लागत को काफी कम करता है और सभी नई कंपनी निगमन के लिए अनिवार्य है।

त्वरित सीमा पार व्यापार सुविधा के लिए आइसगेट का बढ़ता उपयोग: भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) गेटवे,आइसगेटके रूप में जाना जाता है, इसे2007 में स्थापित किया गया था। यह भारतीय सीमा शुल्क और व्यापारिक समुदाय के बीच सभी इलेक्ट्रॉनिक इंटरैक्शन के लिए एक केंद्रीकृत केंद्र के रूप में कार्य करता है। आइसगेटई-फाइलिंग, ऑनलाइन संशोधन सबमिशन, ऑनलाइन शुल्क भुगतान, क्वेरी समाधान और व्यापारियों के लिए केवल एकीकृत माल और सेवा कर (आईजीएसटी) रिफंड प्रोसेसिंग सहित कई सेवाएं प्रदान करता है।

सितंबर 2024 में लॉन्च किया गया ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफ़ॉर्म एक एकल खिड़की पहल है जो तेज़, सुलभ और परिवर्तनकारी है क्योंकि यह निर्यातकों को नए बाज़ार जोड़ने में सक्षम बनाएगा। इसका उद्देश्य नए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रवेश की सुविधा देकर भारतीय निर्यातकों को सशक्त बनाना है। इस प्लेटफ़ॉर्म के जरिए केंद्रीकृत तरीके से अंतर्राष्ट्रीय अवसरों को प्रदर्शित करके वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, छोटे किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), व्यवसाय और उद्यमी अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए विभिन्न मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत उपलब्ध लाभों का पता लगाने और उनका लाभ उठाने के लिए प्लेटफ़ॉर्म तक पहुंच सकेंगे।

विनियामक और कानूनी सरलीकरण

o 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को निरस्त किया गया।

o केंद्र और राज्य सरकारों में 45,051 अनुपालन बोझ समाप्त किए गए।

o कंपनी अधिनियम के तहत 81 समझौता योग्य अपराधों में से 50 का गैर-अपराधीकरण।

o जन विश्वास अधिनियम, 2023 का कार्यान्वयन: 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों को गैर-अपराधीकृत किया गया।

जन विश्वास अधिनियम, 2023 क्या है?

जीवन को आसान बनाने व व्यापार करने के लिए विश्वास-आधारित शासन को और बढ़ाने के लिए अपराधों को गैर-अपराधीकरण और युक्तिसंगत बनाने के लिए कुछ अधिनियमों में संशोधन करने के लिए एक अधिनियम।

o उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) देश में व्यापार करने के माहौल को और अधिक आसान बनाने के लिए जन विश्वास 2.0 विधेयक लाने के लिए सरकार के विभिन्न विभागों के लगभग 100 नियमों और कानूनों पर काम कर रहा है।

o सरकार ने चार श्रम संहिताओं को अधिनियमित किया है, अर्थात्: मजदूरी संहिता, 2019; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (आईआर संहिता); सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (एसएस संहिता) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 (ओएसएचसंहिता)

दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (आईबीसी): संहिता का विधायी उद्देश्य परिसंपत्तियों के मूल्य को अधिकतम करने के लिए कॉर्पोरेट व्यक्तियों, साझेदारी फर्मों और व्यक्तियों के पुनर्गठन, दिवालियापन समाधान और परिसमापन के लिए एक समेकित ढांचा प्रदान करना है। इसके अलावा, आईबीसी का देश के बैंकिंग क्षेत्र कीस्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है और इसने देनदार-लेनदार संबंधों को फिर से परिभाषित किया है।

बौद्धिक संपदा की सुरक्षा आसान: फाइलिंग शुल्क में कमी, -फाइलिंग की शुरुआत और प्रक्रिया को सरल बनाने तथा जारी करने में लगने वाले समय को कम करने के कारण पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट प्राप्त करना बहुत आसान हो गया है।

बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स संबंधी सुधार

पीएम गति शक्ति, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे रेलवे और रोडवेज सहित विभिन्न मंत्रालयों को एक साथ लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित निष्पादन सुनिश्चित किया जा सके। इस पहल का उद्देश्य परिवहन के विभिन्न साधनों में लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध और कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जिससे अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी बढ़े और यात्रा का समय कम हो।

पीएम गतिशक्ति एनएमपी के पूरक के रूप में, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) 17 सितंबर 2022 को शुरू की गई थी। वहीं पीएम गतिशक्ति एनएमपी स्थिर बुनियादी ढांचे और नेटवर्क नियोजन के एकीकृत विकासपर ध्यान केंद्रित करता है, एनएलपी सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास पहलू पर ध्यानकेंद्रित करती है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ प्रक्रिया सुधार, लॉजिस्टिक्स सेवाओं में सुधार, डिजिटलीकरण, मानव संसाधन विकास और कौशल शामिल हैं। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022 का उद्देश्य त्वरित और समावेशी विकास के लिए देश में तकनीकी रूप से सक्षम, एकीकृत, किफायती लागत, सशक्त, टिकाऊ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्सइकोसिस्टम विकसित करना है।

लॉजिस्टिक्स परफॉरमेंस इंडेक्स एक इंटरैक्टिव बेंचमार्किंग टूल है, जिसे देशों को व्यापार लॉजिस्टिक्स पर उनके प्रदर्शन में आने वाली चुनौतियों और अवसरों की पहचान करने और अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं, इसकी पहचान करने में मदद करने के लिए बनाया गया है। वैश्विक स्तर पर, भारत ने सूचकांक में अपनी स्थिति में 16 रैंक का सुधार किया है। इसमें भारत की रैंक 2020 के 54 से बढ़कर 2023 में 38 हो गई है।

विकास को पुनर्परिभाषित करना: भारत का स्टार्टअप बूम

भारत अब अमेरिका और चीन के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।

• 2014 से पहले कुछ सौ स्टार्टअप से, भारत में अब 1.6 लाख से ज़्यादा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं।

इन उपक्रमों ने 17.6 लाख से ज़्यादा नौकरियां पैदा की हैं

• 2014 में, भारत में सिर्फ़ 4 यूनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर से ज़्यादा मूल्य वाले स्टार्टअप) थे। 2025 तक, यह संख्या बढ़कर 118+ हो गई है, जो निवेशकों के अधिक भरोसे और घरेलू नवाचार को दर्शाता है।

   

देश का उद्यमशील परिदृश्य, 100 से अधिक यूनिकॉर्न द्वारा संचालित, नवाचार को पुनर्परिभाषित कर रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर पैदा कर रहा है। बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रमुख केंद्र इस परिवर्तन में सबसे आगे रहे हैं, जबकि छोटे शहर तेजी से इस गति में योगदान दे रहे हैं, जिसमें 51% से अधिक स्टार्टअप टियर II/III शहरों से उभर रहे हैं। स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों के माध्यम से, सरकार ने इस विकास को पोषित करने और अगली पीढ़ी के उद्यमियों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नवप्रवर्तन सूचकांक छलांग

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एमएसएमई परिदृश्य को सरलता और दक्षता के साथ बदलना

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों/सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा प्रदान करता है। जीईएम का उद्देश्य सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और गति को बढ़ाना है। यह सरकारी उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए ई-बिडिंग, रिवर्स ई-नीलामी और मांग एकत्रीकरण के उपकरण प्रदान करता है, ताकि उनके पैसे का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त हो सके।

वित्त वर्ष 2024-25 के अंत से पहले सरकारी ई-मार्केटप्लेस ने 5 लाख करोड़ रुपये का जीएमवी पार कर लिया।

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एक जिला, एक उत्पाद

ओडीओपी पहल भारत भर के 773 जिलों से 1,240 अद्वितीय उत्पादों को प्रदर्शित करके संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देती है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) बाज़ार पर 500 से अधिक श्रेणियों के साथ, ओडीओपीस्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाता है, ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देता है और सार्वजनिक खरीद को बढ़ावा देता है। 2020 में लॉन्च की गई इस पहल ने कारीगरों और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया है, जो भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

भारत में एमएसएमई के लिए कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं:

1. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी): ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार उद्यम स्थापित करने और स्थायी रोजगार पैदा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और पारंपरिक कारीगरों को निरंतर रोजगार प्रदान करना है ताकि व्यावसायिक पलायन को रोका जा सके। 50 लाख रुपये (विनिर्माण) और 20 लाख रुपये (सेवा क्षेत्र) तक की परियोजनाओं के लिए मार्जिन मनी सब्सिडी 15% से 35% तक है।

2. सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई): एमएसई को जमानत मुक्त/तीसरे पक्ष की गारंटी-मुक्त ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी समर्थन के माध्यम से पहली पीढ़ी के उद्यमियों को प्रोत्साहित करता है। 75%-90% गारंटी के साथ 5 करोड़ रुपये तक के ऋण को कवर करता है।

3. सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी): प्रौद्योगिकी, कौशल, गुणवत्ता और बाजार पहुंच जैसे सामान्य मुद्दों का समाधान करके एमएसई स्थिरता और विकास का समर्थन करता है। इसका उद्देश्य औद्योगिक क्लस्टरों में बुनियादी ढांचे को उन्नत करना और सामान्य सुविधा केंद्र स्थापित करना है। हरित और टिकाऊ विनिर्माण को बढ़ावा देता है।

4. पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए निधि की योजना (एसएफयूआरटीआई): उत्पादनऔर मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक उद्योगों/कारीगरों को सामूहिक रूप से संगठित करता है। पारंपरिक क्षेत्रों और टिकाऊ रोजगार को बढ़ावा देता है। सरकारी सहायता में 500 कारीगरों तक के लिए 2.5 करोड़ रुपये तक और 500 से अधिक कारीगरों के लिए 5 करोड़ रुपये तक शामिल हैं।

भारत में निवेश परिदृश्य में बदलाव

भारत के निवेशक-अनुकूल सुधारों और बेहतर कारोबारी माहौल ने इसे वैश्विक निवेश के लिए शीर्ष गंतव्य-स्थल बना दिया है। इसके साथ ही, भारत ने अपनी आर्थिक यात्रा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, जिसमें अप्रैल 2000 से अब तक (दिसंबर 2024 तक)सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। निवेश का यह मज़बूत प्रवाह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक का सबसे अधिक वार्षिक एफडीआईप्रवाह 84.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

पिछले 10 वित्तीय वर्षों (2014-24) में एफडीआईप्रवाह 667.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह पिछले 24 वर्षों में दर्ज किए गए कुल एफडीआई(991.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का लगभग 67% है।

एफडीआई में 26% का उछाल, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई 42 बिलियन से अधिक यूएस डॉलरतक पहुंच गया

• 90% से अधिक एफडीआई इक्विटी प्रवाह स्वचालित मार्ग के तहत प्राप्त हुआ।

इस तरह की वृद्धि वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती अपील को दर्शाती है, जो एक सक्रिय नीति ढांचे, एक बेहतर कारोबारी माहौल और बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता द्वारा संचालित है। एफडीआई ने पर्याप्त गैर-ऋण वित्तीय संसाधन प्रदान करके, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके भारत के विकास में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है। "मेक इन इंडिया", उदार क्षेत्रीय नीतियों और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी पहलों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जबकि प्रतिस्पर्धी श्रम लागत और रणनीतिक प्रोत्साहन बहुराष्ट्रीय निगमों को लगातार आकर्षित कर रहे हैं।

निष्कर्ष

पिछले 11 वर्षों में, भारत ने व्यवसायों के साथ सरकार के जुड़ाव के तरीके में एक बड़ा बदलाव देखा है। अविश्वास की विरासत से हटकर, सरकार अब उद्यमियों को न केवल लाभ कमाने वाले के रूप में देखती है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भागीदार के रूप में भी देखती है। इस नए दृष्टिकोण ने स्टार्टअप, एमएसएमई और बड़ी कंपनियों को विश्वास, पारदर्शिता और समर्थन के माहौल में बढ़ने में मदद की है। नतीजतन, अधिक संसाधन सार्वजनिक कल्याण में लग रहे हैं, नई नौकरियां पैदा हो रही हैं, आय बढ़ रही है और अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। इन वर्षों ने न केवल भारत में व्यापार करने के तरीके में सुधारकिया है, बल्कि 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण, अमृत काल के लिए एक मजबूत नींव भी रखी है।

संदर्भ:

  • Ministry of Commerce and Industry:
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Santosh Kumar/ Sheetal Angral/ Kritika Rane

Explainer 18/ Series on 11 Years of Governmen

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