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Security

भारत की रक्षा उपलब्धि

स्वदेशी उत्पादन से वैश्विक निर्यात तक राष्ट्रीय सुरक्षा की नई परिभाषा

Posted On: 10 JUN 2025 5:52PM

परिचय

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत के रक्षा क्षेत्र में असाधारण परिवर्तन आया है। पैमाने और महत्वाकांक्षा की सीमित सीमा से कही बढ़ कर यह अब एक आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर ईको सिस्टम में बदल गया है। यह बदलाव दृढ़ राजनीतिक संकल्प और रणनीतिक सोच से आया  है। रणनीतिक नीतियों ने उत्पादन और खरीद से लेकर निर्यात और नवाचार तक प्रत्येक क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार किया है।

रक्षा बजट में लगातार वृद्धि देखी गई है। रक्षा बजट 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यह तीव्र वृद्धि भारत की अपनी सैन्य नींव को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इन आंकड़ो के पीछे एक मजबूत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण करने का व्यापक दृष्टिकोण छिपा है। निजी उद्योग अब पूरी तरह से शामिल है। नवाचार मुख्य रूप से शामिल हो गया है। स्वदेशी प्लेटफ़ॉर्म, नए जमाने की तकनीक और रक्षा गलियारों के विकास दिखाता है कि सरकार दीर्घकालिक तैयारियों को लेकर कितनी गंभीर है।

 

परिणाम चौंकाने वाले हैं। रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन, निर्यात में उछाल, लक्षित निवेश और ऐतिहासिक रक्षा अनुबंध, ये सभी एक बढ़ते रक्षा ईको सिस्टम की ओर इशारा करते हैं। भारत अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण कर रहा है साथ ही  यह एक नया भविष्य गढ़ रहा है जहां ताकत और आत्मनिर्भरता एक साथ चलते हैं।

स्वदेशी रक्षा उत्पादन

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत के रक्षा विनिर्माण में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। 2023-24 में, हमारा अब तक का सबसे अधिक रक्षा उत्पादन दर्ज किया गया जो 1.27 लाख करोड़ रूपए तक पहुंच गया। यह 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपए की तुलना में 174 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि है।

आयात पर निर्भरता कम करते हुए घरेलू उत्पादन को बढावा देने का बदलाव रणनीतिक और तेज गति वाला रहा है। स्पष्ट राजनीतिक दिशा और लगातार सुधारों के साथ, भारत रक्षा क्षेत्र में सच्ची आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ गया है। स्वदेशी डिजाइन और विनिर्माण पर आधारित मजबूत औद्योगिक आधार विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

रक्षा अधिग्रहण में घरेलू खरीद को प्राथमिकता देने के सरकार के प्रयास ने उत्पादन को और अधिक बढ़ावा दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और निजी कंपनियां दोनों ही विकास के इस नए युग में योगदान दे रही हैं। विमान और मिसाइलों से लेकर निगरानी प्रणालियों और तोपखाने तक, सभी स्वदेशी उत्पादों वाली रेंज का विस्तार लगातार हो रहा है।

2024–25 में रिकॉर्ड रक्षा अनुबंध

किसी एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक रक्षा मंत्रालय ने 2024-25 में 2,09,050 करोड़ रुपए मूल्य के 193 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए है। इनमें से 177 अनुबंध घरेलू उद्योग के साथ किए गए, जिनकी कीमत 1,68,922 करोड़ रुपए थी।

 

भारतीय निर्माताओं को प्राथमिकता देने और देश के भीतर रक्षा ईको सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में यह एक स्पष्ट बदलाव है। स्वदेशी खरीद पर ध्यान केंद्रित करने से रोजगार सृजन और तकनीकी उन्नति को भी बढ़ावा मिला है।

 

रक्षा औद्योगिक गलियारे

उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो समर्पित रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं। इन गलियारों ने 8,658 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आकर्षित किया है। फरवरी 2025 तक 53,439 करोड़ रुपए अनुमानित निवेश क्षमता वाले 253 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों राज्यों में 11 ईकायों में फैले ये केंद्र भारत को रक्षा विनिर्माण महाशक्ति बनाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और प्रोत्साहन प्रदान कर रहे हैं।

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां

सरकार ने सकारात्मक स्वदेशीकरण की पांच सूचियां जारी की हैं जो आयात को सीमित करती हैं और स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करती हैं। इन सूचियों के अंतर्गत 5,500 से अधिक वस्तुएं शामिल हैं और अब इनमें फ़रवरी 2025 तक 3,000 का स्वदेशीकरण कर दिया गया है।

प्रमुख स्वदेशी प्रौद्योगिकियों में आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफलें, कोरवेट, सोनार सिस्टम, परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), रडार, पहिएदार बख्तरबंद प्लेटफॉर्म, रॉकेट, बम, बख्तरबंद कमांड पोस्ट वाहन और बख्तरबंद डोजर शामिल हैं। इस संरचित प्रयास से अब देश के भीतर ही महत्वपूर्ण क्षमताओं का निर्माण किया जाना सुनिश्चित किया है।

रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार

अप्रैल 2018 में शुरू किए गए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस ने रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास के लिए ईको सिस्टम को बढ़ावा दिया है। एमएसएमई, स्टार्टअप, व्यक्तिगत इनोवेटर्स, आरएंडडी संस्थानों और शिक्षाविदों को शामिल करके, इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस  ने अत्याधुनिक तकनीकों के विकास का समर्थन करने के लिए 1.5 करोड़ रुपए तक का अनुदान प्रदान किया है। अपने प्रभाव को मजबूत करते हुए, सशस्त्र बलों ने इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस -समर्थित स्टार्टअप और एमएसएमई से 2,400 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 43 वस्तुएं खरीदी है। यह रक्षा तैयारियों के लिए स्वदेशी नवाचार में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।

रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को और बढ़ाने के लिए, 2025-26 के लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस को 449.62 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें इसकी उप-योजना इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना (एडीआईटीआई) शामिल है। फरवरी 2025 तक, 549 समस्या विवरण के मामले देखे जा रहे हैं, जिनमें 619 स्टार्टअप और एमएसएमई शामिल हैं, और 430 इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

अन्य प्रमुख पहल

हाल के वर्षों में, भारत सरकार ने देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी पहले की है। ये उपाय निवेश आकर्षित करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने और खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने से लेकर स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता देने तक, ये पहल भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। निम्नलिखित बिंदु उन प्रमुख सरकारी पहलों को रेखांकित करते हैं जो रक्षा क्षेत्र में विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रही हैं।

 

  1. उदारीकृत एफडीआई नीति: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सितंबर 2020 में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को उदार बनाया गया था, इससे स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत तक और सरकारी मार्ग से 74 प्रतिशत से अधिक एफडीआई की अनुमति मिली। अप्रैल 2000 से रक्षा उद्योगों में कुल एफडीआई 5,516.16 करोड़ रुपये है।

 

  1. टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स: सी-295 विमान के निर्माण के लिए अक्टूबर 2024 में वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया, जिससे कार्यक्रम के तहत 56 में से 40 भारत में निर्मित विमानों के साथ रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

 

  1. मंथन: बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 के दौरान आयोजित वार्षिक रक्षा नवाचार कार्यक्रम, मंथन में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों के प्रमुख नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स, एमएसएमई, शिक्षाविदों, निवेशकों और उद्योग के अग्रणी एक साथ आए। इससे तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भर भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता में विश्वास की पुष्टि हुई।

 

  1. रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना (डीटीआईएस): डीटीआईएस का उद्देश्य एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में आठ ग्रीनफील्ड परीक्षण और प्रमाणन सुविधाएं स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना है। इसमें मानव रहित हवाई प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स और संचार जैसे क्षेत्रों में सात परीक्षण सुविधाएं पहले से ही स्वीकृत हैं।

 

  1. घरेलू खरीद को प्राथमिकता: रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 के तहत घरेलू स्रोतों से पूंजीगत वस्तुओं की खरीद पर जोर दिया गया है।

 

  1. घरेलू खरीद आवंटन: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए, रक्षा मंत्रालय ने घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए आधुनिकीकरण बजट का 75 प्रतिशत यानी 1,11,544 करोड़ रुपये निर्धारित किया है।

रक्षा निर्यात में वृद्धि

 

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में असाधारण वृद्धि देखी गई है। 2013-14 में जो निर्यात सिर्फ़ 686 करोड़ रुपए था, वह 2024-25 में बढ़कर 23,622 करोड़ रुपए हो गया है। यह 34 गुना वृद्धि है और सरकार के आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग के निर्माण पर ज़ोर देने को दर्शाती है।

यह बदलाव संयोग से नहीं हुआ है। यह स्पष्ट दृष्टि, मजबूत नीतिगत सुधारों और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयासों का परिणाम है। निर्यात प्रक्रियाओं को आसान बनाने से लेकर उत्पाद विविधीकरण को बढ़ावा देने तक, सरकार ने वैश्विक पहुंच के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।

अकेले 2024-25 में 1,700 से ज़्यादा निर्यात प्राधिकृत किए गए। भारत अब दुनिया भर के देशों को रक्षा उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला की आपूर्ति करता है। इनमें बुलेटप्रूफ़ जैकेट, गश्ती नौकाएं, हेलीकॉप्टर, रडार और यहां तक कि टॉरपीडो जैसी उन्नत प्रणालियां भी शामिल हैं। प्रमुख खरीदारों में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शामिल हैं। उनकी दिलचस्पी भारतीय रक्षा उत्पादों में बढ़ते भरोसे और एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की साख को दिखाती है।

आगे का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, लेकिन हासिल किया जा सकता है। 2029 तक निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये को पार करने की योजना के साथ, भारत रक्षा उत्पादन के लिए वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले दशक में एक बात स्पष्ट हो गई है कि भारत अब केवल खरीदार नहीं रह गया है बल्कि यह तेजी से सैन्य शक्ति का निर्माता और निर्यातक बन रहा है।

प्रमुख बिंदु:

 

  1. 2024-25 में, रक्षा निर्यात निजी क्षेत्र से 15,233 करोड़ रुपए और डीपीएसयू से 8,389 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो 2023-24 में 15,209 करोड़ रुपए और 5,874 करोड़ रुपए से अधिक है।

 

  1. 2024-25 में डीपीएसयू निर्यात में 42.85प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो भारतीय रक्षा उत्पादों की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उद्योग एकीकरण को दर्शाता है।

 

  1. रक्षा उत्पादन विभाग ने 2024-25 में 1,762 निर्यात प्राधिकरण जारी किए, जो 2023-24 में 1,507 से अधिक है, इस प्रकार 16.92प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इसी अवधि के दौरान निर्यातकों की संख्या में 17.4प्रतिशत की वृद्धि हुई।

 

  1. भारत के विविध निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तीव्र गति की इंटरसेप्टर नौकाएं और हल्के वजन वाले टारपीडो शामिल हैं।

 

  1. भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिसमें 2023-24 में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शीर्ष खरीदार के रूप में उभरें।

 

  1. जनवरी 2022 में, ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड ने शोर-आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के लिए फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह जिम्मेदार रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुआ।

 

प्रमुख रक्षा अधिग्रहण और अनुमोदन

पिछले एक साल में भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को बढ़ाया है और कई बड़े अधिग्रहण और स्वीकृतियां दी हैं, जो आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। इन फैसलों से न केवल सैन्य क्षमताएं मजबूत हुई हैं, बल्कि घरेलू रक्षा ईको सिस्टम भी मजबूत हुआ है।

 

  1. ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम: मार्च 2024 में, सरकार ने ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 19,518.65 करोड़ रुपए मूल्य का एक महत्वपूर्ण अनुबंध किया। ये मिसाइलें भारतीय नौसेना की परिचालन और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करेंगी। इस परियोजना से संयुक्त उद्यम स्तर पर लगभग नौ लाख मानव-दिवस रोजगार और सहायक उद्योगों में लगभग 135 लाख मानव-दिवस रोजगार सृजित होने की उम्मीद है, जिनमें से कई एमएसएमई हैं। इसके अतिरिक्त, जहाज पर ले जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए 988.07 करोड़ रुपए मूल्य का एक अलग अनुबंध किया गया।

 

  1. एमक्यू-9बी ड्रोन: भारत ने 31 एमक्यू-9बी ड्रोन के अधिग्रहण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण सौदे को अंतिम रूप दिया। ये लंबे समय तक चलने वाले मानव रहित हवाई वाहन सशस्त्र बलों में निगरानी और सटीक क्षमताओं को बढ़ाएंगे।

 

  1. प्रचंड, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच): 28 मार्च, 2025 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ 156 प्रचंड एलसीएच हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनकी कीमत 62,700 करोड़ रुपए (करों को छोड़कर) है। भारतीय वायु सेना को 66 और भारतीय सेना को 90 हेलीकॉप्टर मिलेंगे। डिलीवरी तीसरे वर्ष में शुरू होने वाली है और पांच वर्षों तक जारी रहेगी। उच्च ऊंचाई वाले मिशनों के लिए डिज़ाइन किए गए प्रचंड में 65 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है और इसमें 250 घरेलू कंपनियां शामिल हैं, जिनमें से ज़्यादातर एमएसएमई हैं, जो 8,500 से ज़्यादा नौकरियां देती हैं।

 

  1. उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए): मई 2025 में, भारत के रक्षा क्षेत्र ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) कार्यक्रम निष्पादन मॉडल की स्वीकृति के साथ एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, जो स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक पहल है। एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी प्रतिस्पर्धी उद्योग भागीदारी के माध्यम से कार्यक्रम को लागू करेगी, जिससे निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के भागीदारो के लिए समान अवसर सुनिश्चित होंगे और साथ ही भारतीय नियमों का पूर्ण अनुपालन अनिवार्य होगा।

 

  1. फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट (एफआरए): रक्षा मंत्रालय ने एक केसी-135 फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट के लिए मेट्रिया मैनेजमेंट के साथ वेट लीज समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहली बार है जब भारतीय वायु सेना ने वेट-लीज्ड एफआरए का विकल्प चुना है, जिसका उपयोग वायु सेना और नौसेना दोनों के पायलटों के एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा। डिलीवरी छह महीने के भीतर होने की उम्मीद है।

 

  1. एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस): सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 307 एटीएजीएस के साथ-साथ 327 हाई मोबिलिटी 6x6 गन टोइंग व्हीकल्स की खरीद को मंजूरी दे दी है, जिसकी अनुमानित लागत 7,000 करोड़ रुपए है। ये तोपें 15 आर्टिलरी रेजिमेंट को लैस करेंगी। भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ साझेदारी में डीआरडीओ द्वारा विकसित, एटीएजीएस में 40 किलोमीटर से अधिक की फायरिंग रेंज, उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम, स्वचालित लोडिंग और रिकॉइल मैनेजमेंट की खूबियां हैं। इस सिस्टम का विभिन्न परिस्थितियों में कठोर परीक्षण किया गया है और इसने अपनी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता साबित की है।

 

रक्षा में नारी शक्ति

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत के रक्षा बलों में महिलाओं ने केंद्रीय भूमिका निभाई है। 2014 में, सभी सेवाओं में लगभग 3,000 महिला अधिकारी थीं। आज, यह संख्या बढ़कर 11,000 से अधिक हो गई है, जो नीति और मानसिकता में स्पष्ट बदलाव को दर्शाती है। वर्तमान सरकार ने वर्दी में महिलाओं के लिए नए अवसर खोले हैं। 507 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया गया है, जिससे उन्हें दीर्घकालिक करियर बनाने और नेतृत्व की भूमिका निभाने की अनुमति मिली है। इस कदम ने सभी रैंक और शाखाओं में महिलाओं के लिए अवसरों को नया रूप दिया है।

 

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) ने महिला कैडेटों को शामिल करके ऐतिहासिक परिवर्तन किया है, जिसकी शुरुआत अगस्त 2022 में 148वें एनडीए पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में 17 के पहले बैच से हुई थी। तब से, 153वें पाठ्यक्रम तक चार बैचों में 126 महिला कैडेट शामिल हो चुकी हैं। 30 मई, 2025 को एक ऐतिहासिक दिन माना गया जब ये 17 महिला कैडेट 148वें पाठ्यक्रम - स्प्रिंग टर्म 2025 से स्नातक होने वाले 336 कैडेटों में शामिल हुई। युद्ध समर्थन से लेकर लड़ाकू जेट विमानों को उड़ाने तक  यह बदलाव रक्षा क्षेत्रों में महिलाओं के व्यापक एकीकरण को दर्शाता है।  यह इस विश्वास को रेखांकित करता है कि शक्ति और सेवा लिंग भेद से परे हैं।

आतंकवाद-निरोध और आंतरिक सुरक्षा

पिछले ग्यारह वर्षों में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी अभियानों के प्रति भारत का दृढ़ और स्पष्ट दृष्टिकोण राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने के सरकार के अटूट संकल्प को दर्शाता है। सीमाओं के पार सटीक सैन्य हमलों से लेकर भीतरी विद्रोही नेटवर्क को रणनीतिक रूप से ध्वस्त करने तक, भारत ने अतीत की झिझक को दूर कर दिया है। अब एक स्पष्ट सिद्धांत कार्रवाई का मार्गदर्शन करता है, जो त्वरित, निर्णायक और खुफिया जानकारी से परिपूर्ण है। अनुच्छेद 370 को हटाने, नक्सलवाद के खिलाफ अभियान और उच्च तकनीक रक्षा में नई क्षमताओं के साथ, भारत आज पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर है। अप्रैल 2025 में एक आतंकी हमले के लिए भारत की त्वरित और सटीक सैन्य प्रतिक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर ने इस संकल्प को और अधिक परिभाषित किया है। ये सफलताएं राजनीतिक इच्छाशक्ति, सैन्य शक्ति और देश को पहले रखने की गहरी आस्था का परिणाम हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक

अतीत की संयमता से एक साहसिक कदम बढ़ाते हुए, भारत ने 28-29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक करके उरी में 18 सैनिकों पर हुए आतंकवादी हमले का जवाब दिया। इन हमलों ने नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को भारी नुकसान पहुंचाया। कुछ साल बाद, 14 फरवरी 2019 को, पुलवामा आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए। भारत ने तेज प्रतिक्रिया दी। 26 फरवरी 2019 को, एक खुफिया-नेतृत्व वाले ऑपरेशन में, बालाकोट हवाई हमलों में वरिष्ठ कमांडरों सहित बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को मार गिराया गया। लक्षित ठिकाने नागरिक क्षेत्रों से दूर स्थित है और इनका नेतृत्व जैश प्रमुख मसूद अजहर के बहनोई मौलाना यूसुफ अजहर कर रहे थे। इन पूर्व-प्रतिरोधी कार्रवाइयों ने दुनिया को दिखाया कि भारत अब आतंकवाद का सहारा लेकर किए जाने वाले छद्म युद्ध को बर्दाश्त नहीं करेगा।

ऑपरेशन सिंदूर

अप्रैल 2025 में, पहलगाम में नागरिकों पर क्रूर आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, इसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों पर सटीक जवाबी हमले किए गए। सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर काम करते हुए भारतीय सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार किए बिना प्रमुख खतरों को बेअसर करने के लिए ड्रोन हमलों, युद्ध सामग्री और कई स्तरीय वायु रक्षा पर भरोसा किया। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख कमांड सेंटर नष्ट कर दिए गए, जिससे उनकी परिचालन क्षमताएं बुरी तरह से बाधित हो गईं। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद जैसे आईसी-814 अपहरण और पुलवामा विस्फोट से जुड़े आंतकी शामिल थे।

जब पाकिस्तान ने 7-8 मई को कई भारतीय शहरों और ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, तो इन्हें तुरंत ही बेअसर किया गया, इससे भारत की नेट-केंद्रित युद्ध प्रणाली और एकीकृत काउंटर-यूएएस (मानव रहित हवाई प्रणाली) ग्रिड की प्रभावशीलता का पता चलता है।

 

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत की दृढ़ नीति और पाकिस्तान के प्रति देश के दृष्टिकोण को दोहराया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता और उन्होंने संवाद, निवारण और रक्षा के सम्बंध में स्पष्ट सीमा रेखाएं रेखांकित कीं। उनके संबोधन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  1. आतंकवादी हमलों का कड़ा जवाब: भारत पर किसी भी आतंकवादी हमले का उचित और निर्णायक जवाब दिया जाएगा, चाहे अपराधी कहीं से भी सक्रिय हों।

 

  1. परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं: भारत परमाणु धमकियों से नहीं डरेगा और आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले जारी रखेगा।

 

  1. आतंकवादी तत्वों के बीच कोई भेद नहीं: आतंक के मास्टरमाइंड और प्रायोजकों के बीच कोई भेद नहीं किया जाएगा, दोनों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

 

  1. किसी भी वार्ता में आतंकवाद पहला मुद्दा होगा: पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत, यदि होगी भी, तो केवल आतंकवाद या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर ही केंद्रित होगी।

 

  1. संप्रभुता पर शून्य समझौता: प्रधानमंत्री ने घोषणा की, "आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, तथा पानी और रक्त एक साथ नहीं बह सकते," । आतंकवादी खतरों के कारण सामान्य सम्बंधो में अवरोध पैदा हो गया है।

 

जम्मू और कश्मीर में आतंकवादरोधी उपाय

5 अगस्त 2019 को संसद ने अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने की मंजूरी दी, जो दशकों पुराने असंतुलन को दूर करने वाला ऐतिहासिक कदम था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अन्य क्षेत्रों के बराबर दर्जा दिया गया और 890 से अधिक केंद्रीय कानून लागू किए गए। 205 राज्य कानूनों को निरस्त किया गया और 130 को भारत के संविधान के अनुरूप संशोधित किया गया।

 

तब से, इस क्षेत्र में विकास की गति तेज़ हो गई है। वाल्मीकि, दलित और गोरखा जैसे हाशिए पर पड़े समूहों को अब पूरे अधिकार प्राप्त हैं। शिक्षा का अधिकार और बाल विवाह अधिनियम जैसे कानून अब इस क्षेत्र के सभी नागरिकों के लिए लागू हैं। इसका प्रभाव स्पष्ट है: 2018 में आतंकवादी घटनाओं की संख्या 228 से घटकर 2024 में सिर्फ़ 28 रह गई है, जो एकीकरण और शांति के बीच एक मज़बूत सम्बंध दर्शाता है। इसके अलावा, पत्थरबाज़ी की घटनाओं में 100प्रतिशत की गिरावट आई है, यह शांति के एक नए युग की शुरुआत है।

2024 में तीन चरणों में 63 प्रतिशत मतदान के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों का सफल आयोजन, इस क्षेत्र की लोकतांत्रिक भागीदारी और स्थिरता को और अधिक रेखांकित करता है, तथा एकीकरण और शांति के बीच एक मजबूत सम्बंध प्रदर्शित करता है।

नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई

वामपंथी उग्रवाद के प्रति बहुआयामी दृष्टिकोण ने ऐतिहासिक सफलताएं प्रदान की हैं। 2010 में 126 प्रभावित जिलों से अप्रैल 2024 तक यह संख्या घटकर मात्र 38 रह गई है। सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 रह गई है, तथा हताहतों की संख्या 30 वर्षों में सबसे कम है। हिंसा की घटनाओं में 2010 में 1,936 से 2024 में 374 तक की तीव्र गिरावट आई है, जो 81 प्रतिशत की गिरावट है। इसी अवधि में मौतों में 85 प्रतिशत की कमी आई है।

 

2024 में 290 नक्सलियों को मार गिराया गया, 1,090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया। मार्च 2025 में हाल ही में हुए प्रमुख अभियानों में बीजापुर में 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, सुकमा में 16 को मार गिराया गया और कांकेर और बीजापुर में 22 को मार गिराया गया। छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के साथ एक और ऐतिहासिक उपलब्धि मिली, वहां 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया गया, मरने वालो में महासचिव स्तर के नेता बसवराजू भी शामिल थे। यह 30 वर्षों में इस तरह का पहला उच्च रैंकिंग वाला निष्प्रभावी अभियान था। इसके अतिरिक्त, इस अभियान में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 84 ने आत्मसमर्पण किया।

विशेष केन्द्रीय सहायता और लक्षित विकास के माध्यम से निरंतर समर्थन के साथ, सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में अग्रसर है।

निष्कर्ष

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत की रक्षा यात्रा साहसिक निर्णयों, रणनीतिक दूरदर्शिता और अटूट संकल्प द्वारा परिभाषित की गई है। स्वदेशी उत्पादन को बढ़ाने और निर्यात का विस्तार करने से लेकर नवाचार को अपनाने और आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने तक, देश ने सच्ची आत्मनिर्भरता की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस, रक्षा गलियारे और सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जैसी पहल भविष्य के लिए तैयार रक्षा ईको सिस्टम की नींव रख रही हैं। साथ ही, सीमा पार आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ भारत के सख्त रुख ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। निरंतर निवेश, नीतिगत सुधारों और बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के साथ, भारत अब केवल अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर रहा है, बल्कि यह एक मजबूत, आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति का निर्माण कर रहा है।

 

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