Social Welfare
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के नौ वर्ष
Posted On: 08 JUN 2025 6:16PM
प्रस्तावना
जून 2016 में शुरू किया गया प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए), भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है। इसे हर महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं, खास तौर पर दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान, बगैर किसी फीस के व्यापक और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसका मुख्य मकसद उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं का शीघ्र पता लगाने और उनका तुरंत इलाज करके मातृ और नवजात मृत्यु दर को कम करना है।

अब तक पीएमएसएमए के तहत 6.19 करोड़ गर्भवती महिलाओं की जांच की जा चुकी है।
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कार्यक्रम में निजी क्षेत्र के साथ सहभागिता के लिए एक व्यवस्थित नज़रिया अपनाया गया है, जिसमें अभियान के लिए निजी चिकित्सकों को स्वेच्छा से प्रेरित करना, जागरूकता फैलाने के लिए रणनीति विकसित करने में मदद करना तथा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में विभिन्न अभियानों में भाग लेना शामिल है।
घटक
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वास्तविक संख्या( वर्तमान में)
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पंजीकृत स्वयंसेवक
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6,813
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पीएमएसएमए सेवाएं प्रदान करने वाली सुविधाओं की संख्या
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20,752
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गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसवपूर्व देखभाल और उचित पोषण सुविधाएं सुनिश्चित करने के सरकार के संयुक्त प्रयासों की वजह से भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में काफी सुधार हुआ है, जो 2014-16 में प्रति लाख जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 2021-23 में प्रति लाख जीवित जन्मों पर 80 हो गया है, यानि इसमें 50 अंकों की उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

पीएमएसएमए के उद्देश्य
पीएमएसएमए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य प्लस पोषण (आरएमएनसीएएच+एन) रणनीति के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है।
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मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक गर्भवती महिला की दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान चिकित्सक/विशेषज्ञ द्वारा कम से कम एक बार जांच हो।
- प्रसवपूर्व जांच के दौरान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करना।
- शुरूआती दौर में ही उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) की पहचान करना और उसका प्रबंधन करना।
- हर गर्भवती महिला के लिए उचित जन्म योजना और किसी भी जटिल स्थिति के लिए तैयारी सुनिश्चित करना।
- कुपोषण से ग्रस्त महिलाओं का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना।
- किशोरावस्था और प्रारंभिक गर्भावस्था पर विशेष ध्यान देना।
पीएमएसएमए की मुख्य विशेषताएं

विस्तारित पीएमएसएमए (ई-पीएमएसएमए)
जनवरी 2022 में (ई-पीएमएसएमए) रणनीति शुरू की गई थी, ताकि सुरक्षित प्रसव होने तक उच्च जोखिम वाली गर्भवती (एचआरपी) महिलाओं की पूरी जानकारी रखी जा सके और उनकी सेहत की निगरानी की जा सके। इसके लिए पहचान की गई एचआरपी महिलाओं और उनके साथ आने वाली मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को पीएमएसएमए विजिट के अलावा 3 अतिरिक्त विजिट के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है।
31 दिसंबर 2024 तक, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 78.27 लाख से अधिक उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान की गई है।
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ई-पीएमएसएमए की मुख्य विशेषताएं हैं:
- एचआरपी की नाम-आधारित लाइन लिस्टिंग
- अतिरिक्त पीएमएसएमए सत्र का प्रावधान (एक महीने में अधिकतम 4 बार)
- स्वस्थ परिणाम आने तक तक एचआरपी की व्यक्तिगत ट्रैकिंग (प्रसव के 45वें दिन तक)
- एचआरपी के पंजीकरण और फॉलोअप विज़िट के लिए लाभार्थी के साथ-साथ आशा को एसएमएस अलर्ट
पीएमएसएमए के तहत दी जाने वाली सेवाएँ

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों के साथ एकीकरण
पीएमएसएमए, सरकार के अन्य मौजूदा कार्यक्रमों के लिए भी पूरक की तरह काम करता है जैसे:
जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई): सशर्त नकद हस्तांतरण के ज़रिए संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई। इस योजना से मार्च 2025 तक 11.07 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ हुआ है।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके): निशुल्क संस्थागत प्रसव और नवजात शिशु देखभाल को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया। 2014-15 से अब तक 16.60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सेवा दी गई है।
लक्ष्य: प्रसव कक्षों में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए पहल
सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): गर्भवती महिलाओं के लिए सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण देखभाल को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया। मार्च 2025 तक देश भर में 90,015 सुमन स्वास्थ्य सुविधाओं को अधिसूचित किया गया है।
पोषण अभियान: पोषण सेवाओं में सुधार करके सबसे कमजोर वर्गों - बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को लक्षित करने के लिए शुरू किया गया। वर्तमान में, देश भर में 6.97 करोड़ पोषण पखवाड़ा मनाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई): संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई यह योजना, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 5,000 रुपये का प्रत्यक्ष नकद लाभ प्रदान करती है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए), मातृ स्वास्थ्य के लिए एक लक्षित और संरचित दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। हर महीने एक तय दिन पर गुणवत्तापूर्ण एएनसी की सुविधा देकर, एचआरपी की पहचान करके और ई-पीएमएसएमए के ज़रिए डिजिटल व्यवस्था तंत्र को मजबूत करते हुए, यह योजना पूरे भारत में मातृ मृत्यु दर को कम करने और सुरक्षित गर्भधारण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती है।
संदर्भ
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एमजी/आरपीएम/केसी/एनएस
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