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Rural Prosperity

प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-एजेएवाई)

लक्षित कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करना

Posted On: 01 MAY 2025 1:13PM

परिचय

भारत सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में शुरू की गई प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-अजय) एक व्यापक पहल हैइस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों (एससी) का सामाजिक-आर्थिक उत्थान करना है। यह तीन पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं, अर्थात् प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई) , अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए से एससीएसपी) और बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (बीजेआरसीवाई) की विलय योजना है। यह योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है। यह योजना गरीबी कम करने, शैक्षिक अवसर बढ़ाने और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में सुधार पर केंद्रित है।

यह योजना केंद्र सरकार द्वारा शत-प्रतिशत वित्तपोषित है। हालांकि, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी इच्छानुसार अपने संसाधनों से अतिरिक्त धनराशि प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने के लिए राज्यों को पीएम-अजय पोर्टल के माध्यम से अपनी वार्षिक कार्य योजनाएं (एएपी) ऑनलाइन प्रस्तुत करनी होती हैं। योजना की प्रक्रिया विकेंद्रीकृत है, जिससे राज्य और जिला दोनों स्तरों पर परियोजनाओं के निर्माण और अनुमोदन की अनुमति मिलती है। 2024-25 में , केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से 234 परियोजना प्रस्तुतियां मिलीं, जिनमें से 83 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और 1.18 लाख निधियां जारी की गईं।

यह योजना कुल 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख और लक्षद्वीप इस योजना में शामिल नहीं हैं।

योजना हेतु पात्रता शर्तें

  • गरीबी रेखा से नीचे वाले अनुसूचित जाति के व्यक्ति विभिन्न आय सृजन योजनाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभ पाने के पात्र हैं।
  • बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में, 50 प्रतिशत या उससे अधिक अनुसूचित जाति की आबादी वाले गांव इस योजना के तहत अनुदान के लिए पात्र हैं।
  • ​​गरीबी रेखा का निर्धारण और गरीबी रेखा से नीचे वाले अनुसूचित जाति के परिवारों का चयन पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से पूर्ववर्ती योजना आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और लाभार्थियों के चयन के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है।

योजना के प्रमुख घटक

पीएम-अजय में विकास के विभिन्न पहलुओं का समाधान करने के लिए डिजाइन किए गए कई घटक शामिल हैं:​

1. आदर्श ग्राम विकास

बुनियादी ढांचे और सेवाओं में महत्वपूर्ण अंतराल को भरकर अनुसूचित जाति-बहुल गांवों को 'आदर्श ग्राम' (मॉडल गांव) में बदलना। योजना के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित कुल धनराशि का 50 प्रतिशत तक चयनित गांवों के लिए अंतराल-भरने की गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है। वित्त वर्ष 2024-25 में 4,991 गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया गया है और 4,25,821 लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया है। इसके अलावा, 2025-26 के लिए इस घटक के लिए 29,846 गांवों का चयन किया गया है। मार्च 2025 तक 11,000 से अधिक गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया जा चुका है।

'आदर्श ग्राम' वह है, जिसमें लोगों को विभिन्न बुनियादी सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो ताकि समाज के सभी वर्गों की न्यूनतम जरूरतें पूरी हो सकें और असमानताएं कम-से- कम हो सकें। इन गांवों में ऐसी सभी बुनियादी सुविधाएं होंगी और इसके निवासियों को ऐसी सभी बुनियादी सेवाएं (जैसे पीने का पानी, स्वच्छता, शिक्षा, पोषण, आदि) मिलेंगी, जो एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए जरूरी हैं, जिससे ऐसा माहौल बने जिसमें हर कोई अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सके

2. सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता

अनुसूचित जातियों की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के उद्देश्य से जिला/राज्य स्तरीय परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना। इसमें शामिल हैं:​

  • अनुसूचित जाति बहुल गांवों में बुनियादी ढांचे का सृजन।
  • छात्रावासों/आवासीय विद्यालयों का निर्माण।
  • कौशल विकास और संबंधित बुनियादी ढांचे सहित व्यापक आजीविका परियोजनाएं।
  • आजीविका सृजन के लिए आवश्यक परिसंपत्ति अधिग्रहण/निर्माण हेतु लाभार्थियों द्वारा लिए गए ऋण के लिए वित्तीय सहायता।

योजना के अंतर्गत शेष उपलब्ध धनराशि, अन्य तीन घटकों का हिस्सा निकाल लेने के बाद, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को उनकी अनुसूचित जाति जनसंख्या (50 प्र प्रतिशत भार) के अनुपात में और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में अनुसूचित जाति की जनसंख्या की तुलना में वार्षिक योजना में विशेष घटक योजना (जिसे अब राज्य एससीएसपी के रूप में जाना जाता है) के अनुपात के आधार पर अनंतिम रूप से आवंटित की जाएगी। राज्य अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी), अनुसूचित जातियों के लाभ के लिए विकास के सभी सामान्य क्षेत्रों से लक्षित वित्तीय और भौतिक लाभों का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक रणनीति है। 25 राज्यों ने 2023-24, 2024-25 और 2025-26 के लिए परिप्रेक्ष्य योजनाएं प्रस्तुत की हैं और इस घटक के तहत 2023-24 और 2024-25 के दौरान कौशल विकास के लिए 987 परियोजनाओं सहित 8,146 परियोजनाओं के लिए 457.82 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

3. छात्रावासों का निर्माण

इस घटक में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत रैंक किए गए और केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रावासों का निर्माण शामिल है। इसी तरह, इसमें केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्त पोषित और शिक्षा मंत्रालय द्वारा अनुशंसित स्कूलों में छात्रावासों का निर्माण भी शामिल है। कुल आवंटित धनराशि का 2 प्रतिशत तक छात्रावास के निर्माण और मरम्मत के लिए उपयोग किया जाता है। अब तक पीएम-अजय के तहत 891 छात्रावास स्वीकृत किए गए हैं (2024-25 के दौरान 27 छात्रावास स्वीकृत किए गए हैं), जिसमें 69,212 लाभार्थी शामिल हैं और 936.27 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इसके माध्‍यम से अनुसूचित जाति के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

4. निगरानी और मूल्यांकन

इस घटक में प्रशासनिक व्यय के लिए कुल निधि का 5 प्रतिशत तक आबंटन है, जिसमें शामिल हैं:

  • एक केंद्रीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) का विकास।
  • तकनीकी संसाधन सहायता और जनशक्ति के लिए संस्थानों को नियुक्त करना।
  • कार्यालय उपकरण और आईटी सुविधाओं का प्रावधान।
  • मूल्यांकन परियोजनाएं और सामाजिक लेखापरीक्षाएं शुरू करना।
  • योजना कार्यान्वयन का सामाजिक लेखा परीक्षण।

2024-25 के दौरान पीएम-अजय के तहत प्रशासनिक व्यय के रूप में 6.64 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है।

सफलता की गाथाएं

कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी नौकरी खोने और सात महीने तक काम पाने के लिए संघर्ष करने के बाद, केसवन को उनकी बहन ने इस कार्यक्रम से अवगत कराया, जिसे इसी तरह की पहल से लाभ मिला था। उन्होंने 2020-21 में जीआईए घटक, राज्य ऋण घटक के तहत ऋण के लिए आवेदन किया और उसे प्राप्त किया। इसके बाद अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए अपनी बचत में से 35,000 रुपये का योगदान दिया, जिससे सफलता को लेकर उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है। केसवन ने वेल्लोर जिले में सफलतापूर्वक अपनी खुद की फार्मेसी की दुकान स्थापित की

 

 

कांचीपुरम जिले की केपी दुरई एक वेल्डिंग ठेकेदार के लिए काम कर रही थीं। अपने काम के घंटों के कारण, अपने ठेकेदार की सलाह पर उन्होंने एनथुर में अपना खुद का व्यवसाय 'अजय वेल्डिंग वर्क्स' शुरू किया और दो लोगों को रोजगार दिया। 18 साल तक इस व्यवसाय को चलाने के बाद, अब उन्हें एल एंड टी के तहत निर्माण कार्य करने का अवसर मिला, जिसके लिए उन्हें 5 लाख रुपये तक के फंड की आवश्यकता थी। उन्हें अपने दोस्तों से राज्य के जीआईए घटक और ऋण योजनाओं के बारे में पता चला। उन्हें 1.36 लाख रुपये की सब्सिडी के साथ 5 लाख रुपये का ऋण मिला। इस राशि से, उन्होंने अपने गांव में निर्माण कार्य, वाल्व स्टेंट का काम किया और इसे एल एंड टी को सौंप दिया। अब वह 6 लोगों को रोजगार दे रही हैं और उनकी मासिक आय 20,000 रुपये से बढ़कर 40,000 रुपये हो गई है ।

 

निष्कर्ष

पीएम-अजय भारत में अनुसूचित जातियों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढांचे के विकास और शैक्षिक सहायता पर ध्यान केंद्रित करके, इस योजना का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है। योजना के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए निरंतर निगरानी और अपनाने योग्‍य रणनीतियां आवश्यक होंगी।

संदर्भ

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2112697

https://socialjustice.gov.in/writereaddata/UploadFile/86481744793621.pdf

https://pmajay.dosje.gov.in/

https://pmajay.dosje.gov.in/Writereaddata/Guidelines_PM-Ajay_may2023.pdf

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2117272

https://sansad.in/getFile/laksabhaquestions/annex/184/AS247_3ZhLKW.pdf?source=pqals

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