Ministry of Civil Aviation
नागरिक उड्डयन पर दूसरे एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत
Posted On: 10 SEP 2024 5:44PM
बीते कुछ वर्षों में भारत के विमानन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है । यह दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में शामिल हो गया है। 1911 में नागरिक उड्डयन की छोटी सी शुरुआत से लेकर एयर इंडिया के निजीकरण और कम लागत वाले वाहनों के संचालन तक, इस उद्योग का निरंतर विकास हुआ है । आज, जब भारत नागरिक उड्डयन पर दूसरे एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, तो देश वैश्विक विमानन नवाचार और विकास में अग्रणी है ।
‘उड़ान योजना’ सहित सरकार की पहल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को नया आकार दे रही हैं और तेजी से बुनियादी ढांचे का विस्तार अभूतपूर्व तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। जैसे-जैसे विमानन आर्थिक विकास और नवाचार के प्रमुख चालक के रूप में उभर रहा है, भारत का विमानन परिदृश्य स्थिरता, सहयोग और तकनीकी प्रगति द्वारा चिह्नित सुनहरे भविष्य के लिए तैयार है।
नागरिक उड्डयन पर दूसरा एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
नागरिक उड्डयन पर दूसरा एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन भारत मंडपम, नई दिल्ली में 11 से 12 सितंबर 2024 तक आयोजित होने वाला है।
इस कार्यक्रम की सह-मेजबानी अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) और भारत सरकार का नागर विमानन मंत्रालय कर रहा है। एशिया प्रशांत क्षेत्र का पहला मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 2018 में चीन के बीजिंग में आयोजित किया गया था। पहले सम्मेलन के दौरान, भारत ने 2020 में दूसरे सम्मेलन की मेजबानी के लिए स्वेच्छा से प्रस्ताव किया था, हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण सम्मेलन स्थगित कर दिया गया था।
कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु
नागरिक उड्डयन पर एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की लगातार बढ़ती यात्रा संबंधी जरूरतों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए में आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम दुनिया भर के शीर्ष विमानन नीति निर्माताओं और इस उद्योग से जुड़े लोगों को आपसी सहयोग और समन्वित दृष्टिकोण के साथ नागरिक उड्डयन और विमानन क्षेत्र से संबंधित भिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान करता है ।
भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ता विमानन बाजार है । वर्तमान में घरेलू क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। पिछले दशक में, भारत में विमानों की संख्या 400 से बढ़कर 800 से अधिक हो गई है और हवाई अड्डों की संख्या तेजी से 74 से बढ़कर 157 हो गई है। उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) जैसी सरकार की महत्वाकांक्षी पहल ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाया है, जिससे देश के दूर-दराज के क्षेत्रों को विमानन नेटवर्क से जोड़ा जा सका है । परिणामस्वरुप, देश में एविएशन सेक्टर तेज़ी से फल फूल रहा है । कोविड महामारी के बाद घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। इंडियन एयरलाइंस द्वारा बीते वर्ष ही 1200 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए गए, जो कि इस सेक्टर में हो रही अभूतपूर्व प्रगति को दर्शाता है
भारतीय विमानन का इतिहास
भारत में नागरिक उड्डयन ने 1911 में इलाहाबाद और नैनी के बीच पहली वाणिज्यिक उड़ान भरी। जे.आर.डी. टाटा के नेतृत्व में, टाटा एयरलाइंस (अब एयर इंडिया) ने 1932 में परिचालन शुरू किया, जो अनुसूचित हवाई सेवाओं की शुरुआत थी। प्रारंभ में मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में सेवा प्रदान करने वाले इस क्षेत्र में आज़ादी के बाद के बाद महत्वपूर्ण सरकारी भागीदारी देखी गई।एयरलाइंस का राष्ट्रीयकरण हुआ और एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का गठन हुआ। अन्य सेक्टरों की तरह इस सेक्टर में भी महिलाएं पीछे नहीं रही । सरला ठकराल, देश में पायलट का लाइसेंस प्राप्त करने और विमान उड़ाने वाली पहली महिला थी ।
भारत 30 मार्च, 1947 को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) का सदस्य बन गया, जिससे सुरक्षा, दक्षता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने वैश्विक प्रयासों में इसकी भागीदारी संभव हुई । 1990 के दशक में उदारीकरण के बाद निजी एयरलाइनों का उदय हुआ। 2000 के दशक में कम लागत वाले वाहकों की शुरुआत हुई, जिससे आम नागरिकों के लिए हवाई यात्रा सुगम हो गई।
भारतीय विमानन के विकास में प्रमुख मील के पत्थर
- वर्ष 1911 में मोनसिग्नूर पिगुएट ने इलाहाबाद से नैनी तक पहली वाणिज्यिक उड़ान का संचालन किया, जिससे दुनिया की पहली एयरमेल सेवा शुरू हुई। टाटा एयरलाइंस (अब एयर इंडिया) ने 1932 में अनुसूचित हवाई सेवाओं की शुरुआत करते हुए इस यात्रा को और मजबूत किया।
- 1960 में जेट युग की शुरुआत में एयर इंडिया ने बोइंग 707, गौरी शंकर को पेश किया, जो एशिया की पहली जेट-सुसज्जित एयरलाइन बन गई। 1962 तक, इसने दुनिया का पहला ऑल-जेट बेड़ा संचालित किया। 1971 में बोइंग 747 के अधिग्रहण ने लक्जरी वाहक के रूप में एयर इंडिया के कद को ऊंचा कर दिया।
- 1990 के दशक की शुरुआत में भारत के विमानन क्षेत्र में विनियमन के साथ एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। 1994 के एयर कॉर्पोरेशन (उपक्रमों का अंतरण और निरसन) अधिनियम ने जेट एयरवेज और एयर सहारा जैसे निजी कंपनियों के लिए विमानन बाजार का मार्ग प्रशस्त किया।
- 2000 के दशक की शुरुआत में एयर डेक्कन, स्पाइसजेट और इंडिगो जैसी कम लागत वाली एयरलाइन्स के उभरने के साथ एक परिवर्तनकारी दौर देखा गया। इससे हवाई यात्रा की पहुंच व्यापक हुई और आम लोगों के लिए सुलभ हो गई। इससे भारत को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े विमानन बाजार के रूप में उभरने में मदद मिली।
- 2022 में, टाटा समूह के तहत एयर इंडिया के निजीकरण ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इस कदम ने विमानन परिदृश्य में नए जोश का संचार किया, उन्नत सेवाओं और कनेक्टिविटी में मदद मिली। अब भी भारत का विमानन क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है और नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है।
साऱ
भारतीय विमानन का भविष्य तेजी से विकास, नवाचार और आधुनिकीकरण द्वारा चिह्नित गतिशील विकास के लिए तैयार है। प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ-साथ ‘उड़ान’ योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और नीति सुधारों को बढ़ाने पर सरकार का रणनीतिक फोकस सुरक्षित, अधिक कुशल और पर्यावरण-अनुकूल विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देगा।
इसके अलावा, एडवांस्ड एयर मोबिलिटी (एएएम) छोटी से मध्यम दूरी की हवाई यात्रा में क्रांति लाने, शहर में भीड़भाड़ को कम करने और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए तैयार है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच बढ़ता सहयोग भारतीय विमानन के लिए परिवर्तनकारी युग का संकेत देता है, जो इसे आर्थिक विकास और बढ़ी हुई कनेक्टिविटी के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करता है। भारतीय विमानन क्षेत्र आने वाले वर्षों में नयी बुलंदियों को छूने के लिए तैयार है ।
संदर्भ
https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2053262.
https://www.apacmc.in/
https://x.com/MoCA_GoI/status/1832691299407012119?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1832691299407012119%7Ctwgr%5E520e21cc909ea78ba2335b667ae59158449a01e1%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fcivilaviation.gov.in%2Ftwitts-by-moca
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संतोष कुमार /सरला मीणा /अश्वती नायर
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