Ministry of New and Renewable Energy
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
Posted On: 24 JUN 2024 4:13PM
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
भारत के ऊर्जा परिदृश्य का अभूतपूर्व नवीनीकरण
भूमिका
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन वैश्विक स्तर पर भारत के हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात की दिशा में अग्रणी होने की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनवरी, 2022 को इस मिशन की शुरूआत की । इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50 लाख टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
इस पहल के तहत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने विशेष रूप से उर्वरक क्षेत्र के लिए हरित अमोनिया उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एसआईजीएचटी- घटक II कार्यक्रम की शुरुआत की। हरित अमोनिया की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने ने 22 जून, 2024 को इसके उत्पादन के लिए वार्षिक आवंटन का लक्ष्य 5,50,000 से बढ़ाकर 7,50,000 टन प्रति वर्ष कर दिया है, जो ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव की घरेलू मांग को को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह रणनीतिक सोच न केवल टिकाऊ ऊर्जा कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देती है बल्कि वैश्विक अक्षय ऊर्जा समाधानों में भारत की स्थिति को भी मजबूत करती है।
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मिशन घटक
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को एक बहुआयामी रणनीति के तहत लॉन्च किया गया है। इस मिशन को हरित ऊर्जा से सम्बंधित विभिन्न क्षेत्रों में जारी प्रयासों में समन्वय स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है:
- मांग सृजन: भारत में उत्पादित हरित हाइड्रोजन को घरेलू और निर्यात बाजारों दोनों स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।
- आपूर्ति-पक्ष को मजबूत करना: उत्पादन और वितरण से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहन ढांचे को लागू करना।
- एक सक्षम परितंत्र का निर्माण: बुनियादी ढांचे और तकनीकी प्रगति के माध्यम से पैमाने और विकास का समर्थन करना।
हरित भविष्य की दिशा में पहल
भारत सरकार हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हाल ही में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को सशक्त बनाने की दिशा में उठाये गए कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनवरी, 2023 को 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी ।
- 8 मई, 2023 को सचिव, एमएनआरई की अध्यक्षता में कार्य समूह ने हरित हाइड्रोजन के लिए विनियमों, संहिताओं और मानकों संबंधी सिफारिशें साझा की।
- नई दिल्ली में 5 से 7 जुलाई, 2023 तक हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच - 2023) आयोजित किया गया , जिसमें उद्योग, शिक्षा और सरकार की वैश्विक भागीदारी शामिल थी।
- 19 अगस्त, 2023 को 'ग्रीन' वर्गीकरण के लिए उत्सर्जन सीमा को परिभाषित करते हुए भारत के लिए हरित हाइड्रोजन मानक अधिसूचित किया गया।
- 7 अक्टूबर, 2023 को परियोजना की मंजूरी के लिए नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) पर ग्रीन हाइड्रोजन पेज लॉन्च किया गया।
- 7 अक्टूबर, 2023 को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए अनुसंधान एवं विकास रोडमैप का अनावरण किया गया।
- 16 जनवरी, 2024 को एसआईजीएचटी मोड 2ए (हरित अमोनिया एकत्रीकरण मॉडल) और 2बी (हरित हाइड्रोजन एकत्रीकरण मॉडल) के लिए योजना से संबंधित दिशा निर्देश अधिसूचित किए गए ।
- 12 जनवरी, 2024 को एसआईजीएचटी योजना के तहत इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण के लिए 8 कंपनियों को 1,500 मेगावाट प्रति वर्ष की कुल क्षमता के लिए निविदा प्रदान की गई ।
- 9 जनवरी, 2024 को एसआईजीएचटी योजना के तहत हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए, 10 कंपनियों को कुल 4,12,000 टन प्रति वर्ष क्षमता के ठेके दिए गए।
- 8 जून, 2024 को उर्वरक कंपनियों को आपूर्ति करने के उद्देश्य से 5.39 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष हरित अमोनिया उत्पादन के लिए बोली प्रक्रिया शुरू की गई थी।
- 15 मई, 2024 को, एमएनआरई सचिव ने रॉटरडैम में विश्व `हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित किया, जिसमें अक्षय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन उत्पादन में भारत की क्षमताओं पर प्रकाश डाला गया।
- 17 अप्रैल, 2024 को, भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) ने गांधीनगर के गिफ्ट सिटी में एक कार्यालय खोला, जो हरित हाइड्रोजन और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए विदेशी मुद्रा-मूल्य वाले ऋण विकल्पों की सुविधा प्रदान करता है।
- भारत ने नई दिल्ली में 18 से 22 मार्च, 2024 तक अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी (आईपीएचई) की 41वीं बैठक की मेजबानी की, जिसमें स्वच्छ हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को बढ़ावा दिया गया।
- एसआईजीएचटी कार्यक्रम के तहत 22 जून, 2024 को हरित अमोनिया के आवंटन को बढ़ा कर 7.5 लाख टन/वर्ष किया गया ।
ये पहल हरित हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादन, साझेदारी, मजबूत नियामक ढांचे और सतत विकास तथा ऊर्जा स्वतंत्रता मुहिम के लिए पर्याप्त वित्तीय निवेश का लाभ उठाने में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अनुमानित प्रभाव
2030 तक, इस मिशन का लक्ष्य निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करना हैं:
- उत्पादन क्षमता: प्रति वर्ष न्यूनतम 50 लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का लक्ष्य, लगभग 125 गीगावॉट की अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा क्षमता के साथ।
- निवेश और आर्थिक प्रभाव: अनुमानित निवेश 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जो पर्याप्त आर्थिक अवसरों को दर्शाता है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन को शून्य स्तर पर लाने का अनुमान है, जिससे भारत के नेट जीरो लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा ।
हरित हाइड्रोजन और अमोनिया की आवश्यकता
वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता स्थायी ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की तात्कालिकता को दर्शाती है। वर्ष 2030 तक कम से कम 25 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि के साथ देश में ऊर्जा की मांग में तेजी से बढ़ रही है है। इस वृद्धि ने आयातित जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को बढ़ाया है, विशेष रूप से आवागमन और औद्योगिक उत्पादन जैसे क्षेत्रों में।[2]
जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित करने के लिए हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है। अक्षय ऊर्जा को हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया भी कहा जाता है। इससे बिजली का उपयोग करके इन ईंधनों का उत्पादन राष्ट्र के पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से स्थायी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। भारत सरकार जीवाश्म ईंधन/जीवाश्म ईंधन आधारित फ़ीड स्टॉक के माध्यम से हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया में बदलाव को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है।[3]
यह विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक इलाकों में भारत के प्रचुर अक्षय संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग कर सकता है। पेट्रोलियम रिफाइनिंग और स्टील विनिर्माण जैसे उद्योगों में जीवाश्म ईंधन-व्युत्पन्न फीडस्टॉक को बदलने से लेकर लंबी दूरी के परिवहन को डीकार्बोनाइज़ करने और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए ऊर्जा स्वतंत्रता को सक्षम करने तक, हरित हाइड्रोजन भारत के सतत विकास लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण बहुआयामी अनुप्रयोग प्रदान करता है।
अपेक्षित परिणाम
[4]
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से लाभान्वित होती अर्थव्यवस्था :
- डीकार्बोनाइजेशन: औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में भारी कमी ।
- आयात पर कम निर्भरता: आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटी, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि।
- स्वदेशी विनिर्माण: हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में घरेलू क्षमताओं का विकास।
- रोजगार के अवसर: उत्पादन से उपयोग तक, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में 6 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन।
- तकनीकी नवाचार: देश के भीतर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और नवाचार संबंधी इकोसिस्टम को उन्नत करना।
संदर्भ
https://www.nsws.gov.in/portal/scheme/greenhydrogenpolicy
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2023625#:~:text=Big%20boost%20to%20green%20ammonia,supplied%20to%20the%20fertilizer%20companies.
https://nghm.mnre.gov.in/index?language=en
https://www.india.gov.in/spotlight/national-green-hydrogen-mission
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1799067
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1992732
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2008166
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2003544
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2016073
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2018150
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2023625
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2027858
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
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