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Social Welfare

विश्व को भारत का शाश्वत उपहार

एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग

Posted On: 14 JUN 2025 10:09AM

योगाभ्यास से एकात्‍मकता की भावना का सृजन होता है - मन, शरीर और बुद्धि की एकात्‍मकता, अपने परिवारों के साथ, जिस समाज में हम रहते हैं उसके साथ, साथी मनुष्यों के साथ, उन समस्‍त पक्षियों, पशुओं और वृक्षों, जिनके साथ हम अपने सुंदर ग्रह को साझा करते हैं, के साथ एकात्‍मकता... यही योग है।

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मे मल्ली मस्तान बाबू एक साधारण परिवार से निकलकर भारत के सबसे प्रेरणादायक पर्वतारोहियों में शुमार हो गए। इंजीनियरिंग और प्रबंधन में अपनी अकादमिक सफलता के साथ-साथ, उन्हें पर्वतारोहण का शौक भी था और उन्होंने गहन शारीरिक एवं मानसिक प्रशिक्षण के माध्यम से खुद को तैयार किया। उनकी यात्रा में योग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। योग ने उन्हें शक्ति अर्जित करने, ध्‍यान केंद्रित करने और चरम स्थितियों के दौरान शांत रहने में मदद की। अपना भोजन स्‍वयं तैयार करने से लेकर चढ़ाई के हर चरण की सावधानीपूर्वक योजना बनाने तक उनका अनुशासन उल्लेखनीय रहा।  मात्र 172 दिनों में, बाबू ने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने में सफलता प्राप्‍त की और यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय और दक्षिण एशियाई बन गए। उनकी कहानी इस बात की पुरजोर याद दिलाती है कि आंतरिक संतुलन और दृढ़ संकल्प सबसे बड़ी ऊंचाइयों तक पहुँचने में हमारे मददगार सिद्ध हो सकते हैं। उनका जीवन समग्र कल्याण की हमारी खोज में शक्ति, स्पष्टता और शांति को प्रेरित करना जारी रखे हुए है।

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भारत की प्राचीन सभ्यता सदैव ज्ञान, स्वास्थ्य और सद्भाव की पक्षधर रही है। शून्य की खोज से लेकर खगोल विज्ञान, शल्य चिकित्सा और दर्शन में योगदान तक, भारत सदियों से दुनिया को समृद्ध करता आया है। वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्श में निहित, दुनिया एक परिवार है। यह ज्ञान इस विश्वास को दर्शाता है कि सच्ची प्रगति मानवता के सामूहिक उत्थान में निहित है।

योग दुनिया को भारत द्वारा दिए गए सबसे बड़े उपहारों में से एक है। योग शारीरिक व्यायाम से कहीं बढ़कर, जीवन जीने की एक शैली है, जो मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। आज इसकी प्रासंगिकता खास तौर पर प्रबल है, क्योंकि विश्‍व मानव और पृथ्‍वी के बीच सद्भाव को बढ़ावा  देने वाले कल्याण के साझा दृष्टिकोण को अंगीकार कर रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयासों की बदौलत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वास्थ्य और जीवन में संतुलन के प्रति योग के समग्र दृष्टिकोण को मान्यता देते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। यह भारत के प्राचीन ज्ञान में निहित निवारक स्वास्थ्य सेवा की ओर विश्‍व द्वारा रुख किए जाने को दर्शाता है।

संस्कृत के मूल शब्द युज , जिसका अर्थ है “एकजुट होना” से व्‍युत्‍पन्‍न योग  शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत करता है। महर्षि पतंजलि द्वारा योग सूत्र  में संहिताबद्ध, यह आठ अंगों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जो नैतिक जीवन, अनुशासन और आंतरिक शांति का मार्गदर्शन करते हैं।

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आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में, जहाँ तनाव, डिजिटल ओवरलोड और भावनात्मक थकान सामान्‍य बात है, ऐसे में योग आत्म-पुन:स्‍थापन के एक सशक्‍त उपकरण का कार्य करता है। दैनिक अभ्यास से मुद्रा में सुधार होता है, प्रतिरक्षा में वृद्धि होती है और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, यह मानसिक और शारीरिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके महत्व को स्‍वीकार करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शारीरिक गतिविधि 2018-2030 से संबंधित अपनी वैश्विक कार्य योजना में योग को शामिल किया।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 में अपनी शुरुआत होने के बाद से ही दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य मुहिमों में शुमार हो गया है, जो हर साल ऐतिहासिक मील का पत्‍थर स्‍थापित करता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 में व्‍यापक भागीदारी देखी गई, जिसमें लगभग 24.53 करोड़ प्रतिभागियों ने शिरकत की। सामुदायिक रेडियो, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और सरकारी विभागों के माध्यम से आउटरीच को बढ़ाया गया। सोशल मीडिया के जरिए  3.48 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुँच बनाई गई, जबकि भारतीय दूतावासों और संस्थानों ने वैश्विक स्तर पर 5.45 लाख से अधिक व्यक्तियों से संपर्क साधा। ये उपलब्धियाँ स्वास्थ्य और एकता के वैश्विक सेतु के रूप में योग की भूमिका को पुष्‍ट करती हैं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने योग को सभी क्षेत्रों में संस्थागत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आयुष मंत्रालय ने दुनिया भर में योग को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए हैं, शैक्षिक, स्वास्थ्य और चिकित्सा संस्थानों में अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए 15.30 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। योग प्रमाणन बोर्ड ने वैश्विक मानक स्थापित किए हैं और योग्यता प्राप्‍त  योग पेशेवरों की मान्यता को सुगम बनाया है।

भारत कई तरीकों से दुनिया के साथ योग साझा कर रहा है। इसने विदेशों में विश्वविद्यालयों में आयुष पीठ स्थापित की हैं और भारतीय दूतावासों के माध्यम से कार्यशालाएँ आयोजित की हैं। डिजिटल अभियान और वाई-ब्रेक और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (दीक्षा) जैसे ऐप लोगों को अपने दैनिक जीवन में, खासकर कार्यस्‍थल और स्कूल में योग को शामिल करने में मदद करते हैं।

योग सरकार की ओर से छात्रों को प्रदान की जाने वाली मानसिक स्वास्थ्य सहायता का भी एक बड़ा हिस्सा है। मनोदर्पण  कार्यक्रम के माध्यम से, छात्रों को बेहतर महसूस कराने में मदद करने के लिए योग को परामर्श के साथ जोड़ा जाता है। 2020 से, कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों के लिए 12 टीवी चैनलों पर योग सत्र दिखाए जा चुके हैं।

योग की लोकप्रियता से नई नौकरियाँ और व्यवसाय भी सृजित हो रहे हैं। ज़्यादा से ज्‍यादा लोग योग सीखने के लिए ऋषिकेश, काशी और केरल जैसी जगहों पर जा रहे हैं। हवाई अड्डे, होटल और वेलनेस सेंटर अब योग की सुविधाएँ दे रहे हैं। योग के उपयुक्‍त कपड़े, उपकरण, प्रशिक्षक और कार्यस्थल पर स्वास्थ्य कार्यक्रमों का बाजार भी बढ़ रहा है। योग रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज का हिस्सा बनता जा रहा है।

निरंतर परिवर्तनशील इस दुनिया में प्राचीन ज्ञान पर आधारित योग संतुलन प्रदान करता है। यह व्यक्तियों के भीतर और समूचे ग्रह में शक्ति, स्पष्टता और संबंध को बढ़ावा देता है। योग भारत की सॉफ्ट पावर के प्रतीक के रूप में, सीमाओं और संस्कृतियों से परे जा कर शांति, कल्याण और एकता को बढ़ावा देता है। यह ज्ञान, परंपरा और कालातीत मूल्यों के माध्यम से वैश्विक सद्भाव को प्रेरित करने की भारत की क्षमता को प्रतिबिम्बित करता है। 

संदर्भ:

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