Economy
विरासत से विकास तक: जीएसटी दरों में सुधार से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
Posted On:
03 OCT 2025 18:38 PM
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- जीएसटी में 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कटौती जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प, कृषि, पर्यटन और विशेष उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए तैयार है।
- विरासत उत्पाद सहित जीएसटी में 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कटौती जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प, कृषि, पर्यटन और विशेष उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए तैयार है। जीआई-टैग पश्मीना शॉल, डोगरा पनीर और बसोहली पेंटिंग सहित विरासत उत्पाद अब सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए घरेलू और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
- जम्मू-कश्मीर भारत के बादाम उत्पादन में 91 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है, इसके पैकेजिंग उद्योग को जीएसटी में 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत तक की कटौती से लाभ हुआ है।
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परिचय
जम्मू के तपते मैदानों से लेकर कश्मीर की बर्फ से ढकी चोटियों तक, जम्मू-कश्मीर में सुधार की बयार चल रही है। जीएसटी में किए गए नए बदलाव केवल नीति के रूप में नहीं आए हैं, बल्कि आवश्यक वस्तुओं पर कर के बोझ को कम करने, मांग को बढ़ाने और इस ऊबड़-खाबड़ हिमालयी विस्तार में विकास और रोजगार के नए अवसरों के द्वार खोलने के एक वादे के रूप में आए हैं।
भारत के सबसे उत्तरी केंद्र शासित प्रदेश के लिए, समय इससे अधिक उपयुक्त नहीं हो सकता है। ये सुधार जम्मू-कश्मीर की व्यापक आकांक्षाओं- औद्योगिक विविधीकरण, पर्यटन संवर्धन और ग्रामीण जीवन के उत्थान के साथ सहजता से मेल खाते हैं। कृषि भूमि की धड़कन बनी हुई है, जबकि हस्तशिल्प की कालातीत कलात्मकता- लकड़ी की नक्काशी, पेपर-मेसी, कालीन, शॉल और कढ़ाई- इसकी सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान निरंतर बनी हुई है। अकेले कालीन घाटी में कीमती विदेशी मुद्रा लाते हैं।
अब, कम जीएसटी दरों के साथ इन क्षेत्रों में नई जान फूंकते हुए, उज्ज्वल वादे से स्थानीय शिल्प को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया गया है, बाजारों का विस्तार हुआ है, निर्यात मजबूत हुआ है और आजीविका समृद्ध हुई है। हर गांव और हर बाजार में, ये सुधार अनुकूलन और समृद्धि को एक साथ जोड़ने के लिए तैयार हैं। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि जम्मू-कश्मीर की भावना न केवल अपने परिदृश्य में बल्कि इसकी नई आर्थिक यात्रा में भी चमकदार है।
हथकरघा और हस्तशिल्प
हस्तशिल्प लंबे समय से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की आत्मा रहे हैं, जो श्रम प्रधान, परंपरा में निहित और बड़े पैमाने पर रोजगार का स्रोत भी है। कढ़ाई, शॉल, पेपर-माचे, लकड़ी की नक्काशी और आभूषणों से लेकर रेशमी कालीनों तक, ये सृजन न केवल सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूती से पैर जमाते हुए मूल्यवान विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते हैं।
हथकरघा परंपरा इसकी पूरक है, जो पश्मीना, रफल, रेशमी साड़ियों और बढ़िया सूती कपड़े बुनाई के लिए विख्यात है। दोनों सेक्टर, यहां के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में गहराई से अंतर्निहित हैं, विरासत और कलात्मकता के वैश्विक केंद्र के रूप में जम्मू-कश्मीर की भूमिका को मजबूत करते हुए आजीविका को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं। हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र कारीगरों और हाशिए पर रहने वाले श्रमिकों सहित 3.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार देता है। विशेष रूप से, इन रोजगारों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 45 प्रतिशत है।
जीएसटी दरों में सुधार के साथ, इस क्षेत्र में अब केवल 5 प्रतिशत जीएसटी है, जो 12 प्रतिशत से कम हो गया है। यह पश्मीना शॉल और कालीन जैसे प्रतिष्ठित उत्पादों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी बनाता है। लागत कम करके, पूरी कश्मीर घाटी को प्रेरित मांग, बिक्री में वृद्धि और निर्यात में वृद्धि से लाभ हो सकता है, जिससे कारीगरों और बुनकरों को सीधे लाभ होगा, जिनकी आजीविका इन शिल्पों पर निर्भर करती है।

पेपर-मेसी और विलो विकर आइटम
विकर विलो हस्तशिल्प जम्मू-कश्मीर की एक विशेषता है, जिसमें विकर विलो, एक बहु-उपयोगी और टिकाऊ सामग्री, पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए कुशल कारीगरों द्वारा बुनी जाती है। जीएसटी में राहत से यह लाभान्वित हुआ है, दरें 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई हैं। इसके लिए छोटे व्यापारियों के लिए आसान पंजीकरण और अनुपालन संबंधी आवश्यकताओं को कम करना शामिल है। इसी तरह, कश्मीर के सबसे लोकप्रिय शिल्पों में से एक और जीआई-टैग पारंपरिक उद्योग - पेपर-मेसी एक महत्वपूर्ण समय में समान बदलावों का स्वागत करता है जब इसे मशीन-निर्मित विकल्पों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल जैसे प्रमुख शिल्प समूहों को जीएसटी दर में कमी से काफी लाभ होगा जो प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देता है, कारीगरों की आजीविका का समर्थन करता है और इन अद्वितीय सांस्कृतिक उद्योगों को बनाए रखने में मदद करता है।
कानी शॉल (जीआई पश्मीना शॉल)
कश्मीर घाटी में, विशेष रूप से कनिहामा में, लगभग 5,000 बुनकर जीआई-टैग वाली बेहतरीन पश्मीना शॉल बनाते हैं। जीएसटी 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कटौती इन शॉल को अधिक किफायती बनाती है, जिससे आजीविका की सुरक्षा और कश्मीर की प्रतिष्ठित विरासत को संरक्षित करते हुए मशीन-निर्मित नकल के खिलाफ मांग, निर्यात और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
मुख्य रूप से कठुआ जिले के बसोहली में निर्मित जीआई-टैग वाली बसोहली पेंटिंग में लगभग 500 स्थानीय कलाकार काम करते हैं और इसे अक्सर "रंगों में कविताएं" के रूप में वर्णित किया जाता है। जीएसटी दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने के साथ, ये पेंटिंग अधिक सस्ती और विपणन योग्य हो जाएंगी, व्यापक मांग को प्रोत्साहित करेंगी और कारीगरों की आजीविका का समर्थन करेंगी। इस राहत से सस्ती प्रतिकृतियों के स्थान पर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है, सांस्कृतिक संरक्षण को मजबूती मिलती है और घरेलू तथा वैश्विक बाजारों में इस अद्वितीय कला स्वरूप को बढ़ावा देने के लिए नए रास्ते खुलते हैं।
अखरोट की लकड़ी और क्रैन की लकड़ी से बनी वस्तुएं
अखरोट की लकड़ी और क्रैन की लकड़ी के शिल्प कश्मीर की बढ़ईगीरी परंपरा के अभिन्न अंग हैं। इस शिल्प के लिए जीएसटी दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। बडगाम और श्रीनगर जैसे जिलों में इसकी प्रमुखता रही है। इस सुधार से लागत कम करके, उत्पादों को अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी बनाकर ग्रामीण कारीगरों का समर्थन किया गया है। इसके अलावा, इस कमी से घरेलू बाजारों में बिक्री को बढ़ावा मिलता है, निर्यात क्षमता का विस्तार होता है और कारीगरों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करते हुए पर्यटकों की खरीद में वृद्धि होती है। यह पारंपरिक शिल्प कौशल को बनाए रखने में भी मदद करता है, कौशल की सुरक्षा करता है जो कश्मीर के सांस्कृतिक और आर्थिक ताने-बाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कृषि/बागवानी
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, कुपवाड़ा, कुलगाम और बडगाम में अखरोट की खेती एक महत्वपूर्ण आर्थिक भूमिका निभाती है, जो सालाना लगभग 120 करोड़ रुपये का व्यापार पैदा करती है और लगभग 10,000 लोगों को रोजगार प्रदान करती है। जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से कश्मीरी अखरोट घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी हो गए हैं, जिससे किसानों के लिए उच्च मांग और बेहतर कीमतों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह न केवल ग्रामीण आजीविका को मजबूत करता है बल्कि निर्यात क्षमता का भी विस्तार करता है, जिससे नवीनतम जीएसटी कटौती जम्मू-कश्मीर के सबसे मूल्यवान कृषि क्षेत्रों में से एक में विकास को बनाए रखने की दिशा में एक लाभदायक कदम बन जाती है।

कश्मीरी बादाम की पैकेजिंग
भारत के बादाम उत्पादन में जम्मू-कश्मीर की हिस्सेदारी 91 प्रतिशत से अधिक है, जिसमें विनिर्माण और प्रसंस्करण केंद्र कश्मीर क्षेत्र में केंद्रित हैं। अकेले यह क्षेत्र लगभग 5,500 लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जिससे यह स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन जाता है। कश्मीरी बादाम पैकेजिंग उद्योग को विशेष रूप से जीएसटी में उल्लेखनीय कटौती यानी 12 प्रतिशत से घटाकर केवल 5 प्रतिशत तक करने से लाभ होता है।
इस कर राहत से न केवल उत्पादन और पैकेजिंग लागत कम होगी, बल्कि कश्मीरी बादाम घरेलू बाजारों और निर्यात बाजारों में अधिक मूल्य-प्रतिस्पर्धी भी बन जाएंगे। इस कटौती से मांग और बिक्री की मात्रा को बढ़ावा देने, राज्य के भीतर अधिक मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करने और किसानों और प्रोसेसरों के लिए समान रूप से लाभ मार्जिन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
पर्यटन और होटल शुल्क
जम्मू के प्रसिद्ध मंदिरों से लेकर कश्मीर घाटी की झीलों और बागों तक, जम्मू-कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता इसे विश्व स्तर पर एक शीर्ष पर्यटन स्थल बनाती है। यह क्षेत्र 70,000 से अधिक रोजगारों का समर्थन करता है और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15 प्रतिशत
का योगदान देता है। वर्ष 2023 के दौरान पर्यटकों का आगमन 2.1 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 में 2.3 करोड़ हो गया है।
पर्यटन और होटल टैरिफ पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से 7,500 रुपये तक स्टे के लिए, यात्रा अधिक किफायती हो जाएगी, ऑक्यूपेंसी को बढ़ावा मिलेगा, लंबे समय तक स्टे को प्रोत्साहित करेगा, स्थानीय व्यवसायों के लिए राजस्व बढ़ाएगा और इस क्षेत्र में रोजगार को और मजबूत करेगा।
उधमपुर कलाडी (डोगरा चीज़)
उधमपुर जिले की एक विशेषता और जीआई-टैग वाला उत्पाद डोगरा पनीर है। यह उत्पाद अपनी अनूठी बनावट और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे जम्मू-कश्मीर की समृद्ध पाक विरासत का प्रतीक बनाता है। जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने के साथ, स्थानीय डेयरी उत्पादकों और छोटे पैमाने पर पनीर निर्माताओं को कम उत्पादन लागत, बेहतर लाभ मार्जिन और घरेलू और विशिष्ट निर्यात बाजारों दोनों में बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता से लाभ होगा। यह कर राहत अधिक उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, आजीविका का समर्थन करती है और स्थानीय डेयरी अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि डोगरा पनीर जैसे पारंपरिक उत्पाद ग्रामीण रोजगार को बनाए रखते हुए फलते-फूलते रहें।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में हस्तशिल्प, कृषि, पर्यटन और स्थानीय विशिष्टताओं में जीएसटी में 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, लागत कम हो रही है और बाजारों का विस्तार हो रहा है। यह राहत कारीगरों और किसानों की आजीविका को मजबूत करती है, निर्यात को प्रोत्साहित करती है और रोजगार को बढ़ावा देती है, जिससे क्षेत्र की समृद्ध विरासत को संरक्षित करते हुए सतत विकास सुनिश्चित होता है।
संदर्भ
dohh.jk.gov.in/
https://dohh.jk.gov.in/products-papier-machie.htm
india.gov.in
https://v2.india.gov.in/explore-india/odop/details/wicker-willow
industriescommerce.jk.gov.in
https://industriescommerce.jk.gov.in/hdd.html
IBEF
https://ibef.org/states/jammu-kashmir
indiawris.gov.in
https://indiawris.gov.in/wiki/doku.php?id=jammu_and_kashmir#:~:text=Agriculture%20is%20the%20mainstay%20of,of%20this%20state%20supports%20horticulture
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