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Economy

जीएसटी सुधार 2025 - असम की अर्थव्यवस्था को कैसे विभिन्न क्षेत्रों में लाभ होगा

Posted On: 29 SEP 2025 13:35 PM

प्रमुख बिंदु

  • चाय में 5 प्रतिशत जीएसटी से उपभोक्ताओं को 11 प्रतिशत बचत की उम्मीद है और उद्योग के मूल्य ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो जायेंगे।
  • इससे हथकरघों को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि 5 प्रतिशत जीएसटी होने से 12.83 लाख बुनकरों और 12.46 लाख करघों को लाभ होगा, इससे उपभोक्ताओं को 6.25 प्रतिशत की बचत होगी
  • 7500 रुपये किराये वाले होटलों पर जीएसटी 5 प्रतिशत हो जाने से पर्यटन किफायती हो जायेगा, इससे पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।
  • असम की जीआई कृषि टोकरी में जोहा चावल, बोका साओल (चावल), काजी नेमू उत्पाद और तेज़पुर लीची के साथ लगभग 6–11% की बचत हुई है, जिससे मांग और किसानों की आय में वृद्धि हुई है।

 

परिचय

हाल में हुए जीएसटी सुधारों से असम की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्रों में बदलाव आने की उम्मीद है। यह राज्य अपने चाय बागानों, उत्कृष्ट शिल्क, जीवंत हस्तशिल्प और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। लागत में कमी आने, मूल्य प्रतिस्पर्धा बेहतर होने और मांग बढ़ने से इस राज्य को महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ  होगा।

टी इस्टेट और लघु उत्पादकों को मूल्य-श्रृंखला (वैल्यू-चेन) की कम लागत का लाभ मिलेगा, हथकरघा और शिल्प से जुड़ी सहकारी समितियां कारीगरों पर बोझ डाले बगैर सामान सस्ता कर सकती हैं और पर्यटन और अतिथि-सत्कार पर्यटकों के लिए और सस्ता हो जायेगा। इन सारे बदलावों का लाभ ये होगा कि उद्यमियों को बेहतर ऑर्डर मिलेंगे और श्रमिकों, कारीगरों और किसानों की आय ज्यादा स्थिर होगी। 

चाय उद्योग

चाय मूल्य शृंखला (वैल्यू चेन)

असम के चाय बगान सिर्फ भारत के प्रसिद्ध पेय पदार्थ का उत्पादन करते हैं बल्कि ये अनेकों स्थानीय असमी समुदायों को रोजगार भी प्रदान करते हैं। इस उद्योग में करीब 6.84 लाख लोग कार्यरत हैं और कई परिवार इस्टेट के आवासों में रहते हैं जहां इन्हें मूलभूत स्वास्थ्य सुविधा, राशन और स्कूल की सुविधा मुहैया कराई जाती है।

चाय पर अब 5 प्रतिशत जीएसटी लग रही है और आकलन है कि इससे इनके मूल्यों में करीब 11 प्रतिशत की कमी आयेगी। मूल्यों में कमी आने से विशेष तौर पर निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत ने 2024 में 25.5 करोड़ किलोग्राम चाय भेजा है जो 10 वर्षों का उच्चतम स्तर है। कम लागत से असम की वैश्विक प्रतिस्पर्धा और बेहतर होने की संभावना है।  

जहां तक घरेलू स्तर की बात है, असम की चाय के एक बड़े हिस्से को गुवाहाटी चाय नीलामी केन्द्र संभालता है जो भारतीय बाजारों में जाने वाली चाय की देख रेख करता है। खरीदारों के लिए मूल्य सस्ता होने से ज्यादा सामानों की खरीदारी होगी जिससे इस्टेट का राजस्व बढ़ेगा और श्रमिकों का वेतन बेहतर होगा जो उस उद्योग को चलाते हैं।

असम की पारंपरिक चाय (जीआई)

असम जीआई टैग वाले पारंपरिक चाय का ठिकाना भी है। इस उद्योग में ज्यादातर बागवानी और प्रसंस्करण के काम से छोटे किसान और इस्टेट के श्रमिक जुड़े हैं जो चाय की पत्ती तोड़ने, कारखानों में छंटाई करने और पैकेजिंग का काम करके अपनी आये जुटाते हैं। 2021 के आंकड़ों के मुताबिक खास और उत्कृष्ट चाय का हिस्सा राज्य के कुल वार्षिक उत्पादन का 11 प्रतिशत था। इसके प्राथमिक बाजारों में संगठित रिटेल चेन, प्रीमियम सुपरमार्केट, बुटिक टी शॉप और ऑनलाइन प्लेटफार्म आते हैं और इसका निर्यात मुख्यतया ईरान इराक और रूस के अलावा कई देशों में होता है। 

ऊपरी असम में खास चाय का उत्पादन करने वाले छोटे उत्पादकों के लिए 5 प्रतिशत जीएसटी की दर होने से महत्वपूर्ण लाभ हुआ है। जीएसटी में कमी से चाय और इंस्टेंट चाय की लागत में 11 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है जिससे लागत घट जायेगी। इसके अतिरिक्त कृषि कार्य के सामानों विशेषकर उर्वरकों का मूल्य कम होने से उत्पादन की कुल लागत में कमी आयेगी। जीएसटी की दर में बदलाव और कृषि कार्य के सामानों में बचत से उत्पादकों का खर्च घटेगा। 

असम में चाय की हैसियत एक उद्योग से ज्यादा है, यह एक सामाजिक इकोसिस्टम में रचा बसा है। जीएसटी सुधारों से सिर्फ उस देश में चाय सस्ती होगी जो मुख्य रूप से चाय का सेवन करता है बल्कि इससे चाय श्रमिकों को भी सहायता मिलेगी।

 

हथकरघा और हस्तशिल्प

मूगा सिल्क

असम में मूगा सिल्क का कामकाज मुख्य तौर पर सुआलकुची (कामरूप), लखीमपुर, ढेमाजी और जोरहट के अलावा राज्य भर के उन केन्द्रों में होता है जहां रेशमकीट पालन का काम किया जाता है। मूगा सिल्क महिला बुनकरों की धरोहर है। सिल्क उत्पादन के विभिन्न चरणों  जैसे रेशमकीट पालन, कताई और बुनाई के काम में लगाकर यह समाज के कमजोर वर्गों को रोजगार उपलब्ध कराता है। असम के प्रतिष्ठित सिल्क उद्योग में देश का 95 प्रतिशत मूगा सिल्क का उत्पादन  होता है जिससे साड़ी, नेक टाई, छाते, जूते और लैंप शेड बनाये जाते हैं। 

जीएसटी की नयी 5 प्रतिशत की दर से हथकरघा/हस्तशिल्प के सामानों की कीमत 6.25 प्रतिशत कम हो जायेगी। इससे बुनकरों को राहत मिलेगी, जो स्पर्धी बाजारों में अपने सामान बेच सकेंगे और ज्यादा मुनाफा कमा पायेंगे। इससे निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि महंगे और विलासी सामान खरीदने वाले खरीदार ज्यादा सामान खरीद पायेंगे जब उनकी कीमत तुलनात्मक रूप से कम हो जायेगी।


गमोसा (गमछा)

गमोसा असम की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। इसका उत्पादन महिलाओं की बहुलता वाले बुनकर सहकारी समितियों और ग्रामीण परिवारों द्वारा किया जाता है जो करघा आधारित पूरक आय पर निर्भर रहते हैं। यह उद्योग सुआलकुची और राज्य भर के हथकरघा केन्द्रों में फैला हुआ है। इसका उपयोग सोवेनियर, समारोह में और संस्थान/राज्य के उपहारों के तौर पर भी होता है।

सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सामान पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गयी है जिससे लगभग 6,25 प्रतिशत बचत होगी। सामानों के मूल्य कम होने से वे उपभोक्ताओं के लिए सस्ते हो जायेंगे और इनकी मांग बढ़ेगी जिससे बुनकरों को लाभ होगा।

हथकरघा & हस्तशिल्प के दूसरे सामान

यह सिर्फ प्रसिद्ध सिल्क और समारोह में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों की बात नहीं है बल्कि असम के पूरे हथकरघा क्षेत्र को जीएसटी सुधारों का लाभ पहुंचा है। जिस राज्य में 12.83 लाख बुनकर और 12.46 लाख करघे हों वहां इसका प्रभाव दूरगामी है। मेखला-सदोर, स्टोल जैसे परिधानों को स्थानीय बाजारों, मेलों और ऑनलाइन पोर्टल के जरिये बेचा जाता है। 

हथकरघा और हस्तशिल्प के सामानों में जीएसटी की 5 प्रतिशत की दर हो जाने से गोआलपाड़ा/धुबरी, माजुली/मिशिंग बेल्ट और नलबाड़ी/बरपेटा/कामरूप में तैयार होने वाले असम जापी टोपी, अशारीकंडी टेराकोटा, मिशिंग हथकरघा, जलकुंभी और बिहु ढोल जैसे हस्तशिल्प के सामानों में लाभ होगा।

जीएसटी सुधारों में कर का बोझ कम होने से पारंपरिक हथकरघा और हस्तशिल्प के बाजार मजबूत होने में मदद मिलेगी। इससे आय में बढ़ोतरी होगी और यह कारखाना-निर्मित वस्त्रों के युग में हाथ से बने असमी वस्त्रों की पूछ बढ़ेगी।    Tourism & Hospitality

पर्यटन और आतिथ्य-सत्कार

 

असम में पर्यटन काजीरंगा-ब्रह्मपुत्र सर्किट से जुड़ा है जिसमें माजुली और पोबितोरा जैसे पर्यटन स्थल हैं और ठहरने के लिए गुवाहाटी एक महत्वपूर्ण ठिकाना है। पर्यटन से होटल के स्टाफ, टूर गाइड, नाविक और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों की आजीविका चलती है जिसमें स्थानीय युवाओं की बड़ी सहभागिता रहती है। इसकी मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) में होमस्टे का प्रबंधन करने से लेकर फूड स्टॉल लगाने तक हर स्थान पर  महिलाएं सक्रिय हैं। असम में वर्ष 2015-16 तक पर्यटन से 6.51 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा था और इसकी संख्या निश्चित रूप से और बढ़ी होगी क्योंकि असम देश के अन्य हिस्सों और विश्व से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करता है। राज्य में सिर्फ टूरिस्ट लॉजेज से 221.95 करोड़ रुपये की आय हुई जिसमें यूरोप, एशिया, मध्य पूर्व और देश के अन्य हिस्सों से पर्यटक आये।

हाल के जीएसटी सुधारों से इस क्षेत्र को समय पर प्रोत्साहन मिला है। होटल के 7500 रुपये किराये वाले कमरों पर कर 5 प्रतिशत हो जाने से मध्यम श्रेणी की सुविधा सस्ती हो गयी है और इससे ज्यादा लोगों को आने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। ज्यादा लोग आयेंगे तो इसका अर्थ है कि चेन में शामिल हर किसी की आय बढ़ेगी। .

आतिथ्य सत्कार से जुड़े सामान जैसे प्रसाधन सामग्री, मेज के सामान और बोतलबंद पानी पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर  दी गयी है। खाने के कई सामानों पर भी जीएसटी 5 प्रतिशत हो गयी है। इससे पर्यटकों के लिए यात्रा सस्ती हो जायेगी और व्यवसायियों के लिए परिचालन लागत में कमी आयेगी। इन बदलावों से पर्यटकों के लिए असम की पहुंच और आसान हो जायेगी और इससे पर्यटन इकोसिस्टम का वित्तीय हालत सुदृढ़ होगी। 

 

कृषि और बागवानी

 

असम के खेत और बागान में कुछ अनोखी फसलें होती हैं जिन पर असम की छाप होती है और उनमें से कई को जीआई टैग भी मिला हुआ है। जीएसटी सुधारों ने इन पारंपरिक आजीविका को भी प्रभावित किया है, मुख्यतया स्थानीय फसलों से बनने वाले मूल्यवर्धित उत्पादों से कर कम करके जिससे किसानों को विविधता बढ़ाने और नये बाजारों में पहुंचने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।  

जोहा चावल

असम के जीआई टैग वाले जोहा चावल को भी 5 प्रतिशत जीएसटी दर का लाभ मिला है जिससे मिक्सेज और रेडी टू कुक सामानों जैसे मूल्यवर्द्धित उत्पादों को सहायता मिलेगी। इसकी खेती गोआलपाड़ा, नलबाड़ी, बरपेटा, कामरूप, दरांग, उदलपुरी और अन्य जोहा बेल्ट में छोटे खेतों में होती है और इसकी फसल भी दूसरे धान के मुकाबले कम होती है।  इसके बाजारों में रेडी-मिक्स, नूडल्स और बेक्स सामान शामिल हैं जो चावल के आटा से बनते हैं और इनमें से कई सामानों पर जीएसटी 5 प्रतिशत कर दी गयी है। इसे यूरोप (2007 तक), वियतनाम और मध्य पूर्व में निर्यात किया जाता है क्योंकि इसके मुख्य खरीदार वहीं हैं।

नये दरों से इन सामानों के मूल्य में अलग-अलग स्तर पर 6-11 प्रतिशत की कमी हो जायेगी। इससे उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद ज्यादा सस्ते हो जायेंगे जिससे इनकी मांग बढ़ेगी और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। 

बोका साउल/ चोकुवा साउल (जादुई चावल)

जीआई टैग वाले बोका साउल/ चोकुवा साउल (जादुई चावल) से बनने वाले रेडी टू कुक/ इंस्टैंट मिक्सेज पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत/ 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गयी है। निचली ब्रह्मपुत्र घाटी (धुबरी से उदलगुरी) और ऊपरी असम (तिनसुकिया, जोरहट आदि) के विभिन्न हिस्सों में होने वाली इस फसल की खेती पारंपरिक रूप से छोटे खेत वाले किसान करते हैं। इसकी खपत भी स्थानीय स्तर पर होती है और इसे त्योहारों में बाढ़ आदि के मौकों पर खेत में काम करने वाले श्रमिकों द्वारा खाया जाता है। गुवाहाटी और पूर्वोत्तर के अन्य शहरों में यह त्योहारों और ठंड के मौसम के दौरान जीएनआरसी, एसआईसीईडीएम और नेडफाई हाउस जैसे डिपार्टमेंटल स्टोर में उपलब्ध रहता है।

जीएसटी की संशोधित दर से इनके मुल्य में 6-11 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। ये उन किसानों की लागत कम करेगा जिनके दैनिक जीवन का ये एक हिस्सा है।

काजी नेमु (असम नींबू)

असम के जीआई टैग वाले काजी नेमु (असम नींबू) की बागवानी मुख्य रूप से नगांव, सोनितपुर, कामरूप, दर्रांग और नलबाड़ी में होती है। इसके उत्पादन में छोटे खेतों के किसान होते हैं जिनमें पुरूषों की संख्या ज्यादा है। इस फल का उपयोग खाने, पेय पदार्थ बनाने और दवाइयां बनाने में होता है। 2021 में 1200 किलोग्राम असम नींबू का निर्यात चिरांग जिले से लंदन के थोक बाजार में किया गया था। इसके बाद 2022 में 600 किलोग्राम नींबू की खेप वहां भेजी गयी थी। 

जूस अचार और सॉसेड पर जीएसटी की नयी दर 5 प्रतिशत होने से उपभोक्ताओं को 6.25 प्रतिशत से लेकर 11 प्रतिशत तक की बचत होगी। इससे काजी नींबू की मांग बढ़ेगी और किसान ज्यादा मात्रा में बिक्री करेंगे तो उन्हें ज्यादा आय होगी।

तेजपुर लीची

जीआई टैग वाली तेजपुर लीची की बागवानी सोनितपुर (तेजपुर और आसपास के इलाकों) में होती है। लीची के गूदा, जैम और जेली में जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गयी है। यह उद्योग बगान के श्रमिकों और मौसमी प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है। कई परिवारों को फल तैयार होने पर इसी से आय होती है। यह विशेष फल 2022 में पहली बार यूनाईटेड किंग्डम के खरीदारों तक पहुंचा था।

प्रसंस्कृत उत्पादों पर कर अब 5 प्रतिशत हो गयी है जिससे ये सामान कम मूल्य पर उपभोक्ताओं को मिल रहे हैं और स्थानीय उत्पादकों का मुनाफा बढ़ रहा है। कुल मिला कर संशोधित दर से उन उत्पादों के मूल्य में 6.25 प्रतिशत की कमी हुई है।

निष्कर्ष

असम के लोगों के लिए दैनिक जीवन में जीएसटी सुधारों से सार्थक बदलाव आने की उम्मीद है। कम कर से मांग बढ़ेगी जिससे खर्च में बढ़ोतरी होगी। इससे असम के कारीगरों, बुनकरों और किसानों & श्रमिकों की आय बढ़ेगी और आजीविका स्थिर होगी।  

कुल मिलाकर, इन सारे बदलावों से असम की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, पारंपरिक उद्योगों का सशक्तीकरण होगा, विलासी उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी होगी और राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति पर्यटक आकर्षित होंगे।

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