Economy
जीएसटी दरें तर्कसंगत बनाए जाने से तमिलनाडु को इस तरह होगा लाभ
प्रविष्टि तिथि:
23 SEP 2025 15:13 PM
- कपड़ा, हस्तशिल्प, नारियल रेशा, खाद्य और मछली उद्योग पर जीएसटी घटा कर 5 प्रतिशत या शून्य किए जाने से उपभोक्ता मूल्यों में 6 से 11 प्रतिशत गिरावट होगी।
- कांचीपुरम रेशम, भवानी गलीचों, स्वामीमलै प्रतिमाओं और मनप्परै मुरुक्कू को नई प्रतिस्पर्धिता मिलेगी।
- ऑटोमोबाइल, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्रों से जुड़े बड़े उद्योगों के लागत खर्च में कमी से लाभ मिलेगा।
- तिरुपुर बुनाई वस्त्र में लगभग 10 लाख और ऑटोमोबाइल में 22 लाख रोजगारों तथा 10.5 लाख मछुआरों को सीधा लाभ होगा।
जीएसटी परिषद ने हाल ही में बड़ी संख्या में उत्पादों पर कर की दरों में कटौती की है। इन बदलावों से तमिलनाडु को सीधा फायदा होगा जहां पारंपरिक हथकरघा और हस्तशिल्प के साथ ही ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा जैसे आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र भी मौजूद हैं।
जीएसटी दरों में कमी से उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी, सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) का मुनाफा बढ़ेगा, निर्यातक ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे और बड़े उद्योगों के लिए विस्तार करना अधिक आसान हो जाएगा। तिरुपुर के बुनाई कारीगरों से लेकर कांचीपुरम के बुनकरों, पोल्लाची के नारियल रेशा कामगारों, नागपट्टिणम के मछुआरों, श्रीपेरमबदूर के ऑटो श्रमिकों और अवाडी के इंजीनियरों तक इसका व्यापक प्रभाव होगा।

तमिलनाडु का वस्त्र उद्योग भारत में सबसे बड़ा होने के साथ ही सर्वाधिक श्रमिक प्रधान है। तिरुप्पुर, इरोड, करुर, सलेम और कांचीपुरम जिलों के लाखों कामगारों को इसमें आजीविका मिलती है। यह उद्योग भारत से होने वाले निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान करता है।
तिरुप्पुर बुनाई वस्त्र: तिरुप्पुर को भारत में बुने हुए वस्त्रों के उत्पादन की राजधानी कहा जाता है। अकेले इसमें लगभग 10 लाख कामगारों को रोजगार मिला हुआ है। भारत से कपास के बुने हुए वस्त्रों के निर्यात का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा तिरुप्पुर का होता है। इसकी कीमत तकरीबन 1 अरब अमेरिकी डॉलर है। इस शहर में बड़े वैश्विक खुदरा व्यापारियों को आपूर्ति करने वाली 1300 से ज्यादा निर्यात इकाइयां हैं। कम मूल्य के वस्त्रों, कसीदाकारी और एक्सेसरीज पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत किए जाने से लागत में 6 से 11 प्रतिशत तक कमी आएगी। इससे एमएसएमई का मुनाफा बढ़ेगा, अमेरिका और यूरोप के लिए निर्यात ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेगा तथा यह सुनिश्चित हो सकेगा कि भारत बुने हुए वस्त्रों के बाजारों में अपनी बढ़त बरकरार रखे।
कांचीपुरम रेशम: यह क्षेत्र हजारों बुनकर परिवारों और 14000 से ज्यादा रेशम उत्पादकों को रोजगार देता है जिनमें से अनेक पहले से ही राज्य में रेशमपालन के विस्तार में लगे हैं। जीआई टैग हासिल कर चुकीं कांचीपुरम साड़ियां अपनी मजबूती और चमक के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। यह उद्योग जरी पर काफी निर्भर है जो सूरत और तमिलनाडु की फैक्टरियों से लाई जाती है। जरी पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटा कर पांच प्रतिशत किए जाने से कच्चे माल का खर्च लगभग 7 प्रतिशत घटेगा और साड़ियों की कीमतों में 2 से 4 प्रतिशत की कमी आएगी।

अन्य हथकरघा उत्पाद: जीआई टैग प्राप्त कर चुके इरोड के भवानी जमक्कलम गलीचे और मदुरै संगुडी साड़ियां भी लगभग 6 प्रतिशत सस्ती हो जाएंगी। सामुदायिक परंपराओं में जड़ें जमाए ये शिल्प ग्रामीण परिवारों को स्थिर रोजगार मुहैया कराते हैं। जीएसटी घटने से स्वदेशी खरीददारों के लिए ये उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और प्रमुख निर्यात बाजारों में इनकी प्रतिस्पर्धिता भी बढ़ेगी।
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हस्तशिल्प और विरासत उद्योग
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तमिलनाडु के हस्तशिल्प अपनी कारीगरी, सांस्कृतिक प्रतीकों और विरासत मूल्यों के लिए विश्व विख्यात हैं। इनसे हजारों परिवारों को रोजगार मिलता है। इन परिवारों में पारंपरिक कौशल एक से दूसरी पीढ़ी को विरासत में दिया जाता है।
स्वामीमलै कांस्य प्रतिमाएं: तंजावुर जिले में लगभग 1200 हस्तशिल्पी पारंपरिक पद्धति से इन प्रतिमाओं को तैयार करते हैं। इन प्रतिमाओं का खास तौर से यूरोप और अमेरिका में सालाना 20 से 30 करोड़ रुपए का निर्यात किया जाता है। जीएसटी घटा कर 5 प्रतिशत किए जाने से ये उत्पाद लगभग 6 प्रतिशत सस्ते हो जाएंगे जिससे मंदिर प्रशासनों, संग्रहकर्ताओं तथा भारतीय और विदेशी संग्रहालयों को लाभ पहुंचेगा।
नागरकोइल के मंदिर आभूषण: कन्याकुमारी जिले के इस शिल्प को भी जीआई टैग मिल चुका है। छोटी कार्यशालाओं और मौसमी मांग के जरिए लगभग 500 कम्मलार/विश्वकर्मा हस्तशिल्पी परिवारों को इससे रोजगार मिलता है। जीएसटी 12 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत किए जाने से तैयार नग लगभग 6 प्रतिशत सस्ते हो जाएंगे जिससे भरतनाट्यम, विवाहों और भारतवंशी बाजारों के लिए ये ज्यादा किफायती होंगे।
पीतल, प्रस्तर और काष्ठ शिल्प: तंजावुर, कुंबकोणम और मामल्लपुरम के शिल्पकार पीतल की मूर्तियां, तंजौर पेंटिंग, काष्ठ प्रतिमाएं और प्रस्तर नक्काशी बनाने का काम करते हैं। इनकी कीमतों में 6 से 7 प्रतिशत की कमी से सैलानियों को और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर इनकी बिक्री बढ़ेगी। इससे स्वदेशी और वैश्विक खरीददारों तक इन शिल्पकारों की पहुंच में इजाफा होगा।
पारंपरिक गुड़िया और खिलौने: तंजावुर, सलेम और कांचीपुरम में बनाए जाने वाले इन हस्तनिर्मित खिलौनों की मांग त्यौहारों के समय बढ़ जाती है। इन पर जीएसटी घटा कर 5 प्रतिशत किया गया है जिससे प्लास्टिक के आयातित खिलौनों के मुकाबले इनकी प्रतिस्पर्धिता बढ़ेगी और छोटे शिल्पकार परिवारों को लाभ मिलेगा।
तमिलनाडु में पोल्लाची, कांगेयम और कुड्डालोर नारियल रेशा की प्रमुख पट्टियां हैं। इस अत्यंत श्रम प्रधान उद्योग में महिलाओं और अन्य पिछड़े वर्गों के शिल्पकार परिवारों की बहुलता है जो रेशे निकालने और उनकी कताई का काम करते हैं। जीएसटी 12 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत किए जाने से नारियल रेशे से बने गद्दे, रस्सियां और अन्य सामान 6 से 7 प्रतिशत सस्ते हो जाएंगे। इससे अमेरिका और यूरोप को निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धिता में सुधार आने के साथ ही ये उत्पाद स्वदेशी बाजार में भी किफायती हो जाएंगे। अवसंरचना परियोजनाओं में नारियल रेशे का उपयोग बढ़ाए जाने से इस क्षेत्र के सामने विस्तार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
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प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और डेयरी
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तमिलनाडु की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए खाद्य प्रसंस्करण और पशुपालन बहुत महत्वपूर्ण है। इनसे किसानों, छोटे प्रसंस्करणकर्ताओं और महिला कामगारों को आमदनी होती है।
डिब्बाबंद खाद्य: बिस्किट पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत किया गया है। नमकीन और सॉस पर यह दर अब 12 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत होगी। पनीर, अति उच्च तापमान पर उपचारित दूध और मक्खन जैसे दुग्ध उत्पादों पर जीएसटी 5 प्रतिशत के बजाय अब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी तथा खाद्य उत्पादन से जुड़े एमएसएमई और सहकारिता समितियों के लिए मांग में वृद्धि होगी।
आविन डेयरी: आविन डेयरी लगभग 5 लाख उत्पादकों से रोजाना 36-37 लाख लीटर दूध खरीदती है। डेयरी उत्पादों पर जीएसटी घटने से इस सहकारिता नेटवर्क को मजबूती मिलेगी, ग्रामीणों की आय बढ़ेगी और खुदरा मूल्य घटने से उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
मनप्परै मुरुक्कू: जीआई टैग प्राप्त कर चुके तिरुचिरापल्ली के इस नमकीन का उत्पादन लगभग 500 इकाइयों में किया जाता है जिनमें 2000-3000 कामगार लगे हुए हैं। इसके 6 प्रतिशत सस्ता हो जाने से छोटे उत्पादकों को बड़े नमकीन ब्रांड्स से प्रतिस्पर्धिता में आसानी होगी और वे खाड़ी और अन्य क्षेत्रों के देशों के भारतवंशियों के बाजारों तक अपनी पहुंच बना सकेंगे।
तमिलनाडु में 14 तटीय जिलों में 10.48 लाख समुद्री मछुआरे रहते हैं। घरेलू मांग मजबूत होने और 2022-23 में 6,957 करोड़ रुपये के निर्यात के बाद यह क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है। प्रसंस्करित मछली और समुद्री भोजन पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से उत्पाद 6-7% सस्ते हो जाएंगे। इससे छोटी प्रसंस्करण इकाइयों को मदद मिलेगी। इनमें से कई इकाइयां सफाई और पैकेजिंग के लिए महिलाओं को काम पर रखती हैं। साथ ही अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व को निर्यात करने वाले निर्यातक भी इससे लाभान्वित होंगे। थूथुकुडी, नागापट्टनम, रामनाथपुरम और कड्डलोर जैसे जिले इससे सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।
शिवकाशी और पेरम्बूर प्रिंटिंग और स्टेशनरी के प्रमुख केंद्र हैं, यहाँ हजारों की संख्या में लोग पारिवारिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों में काम करते हैं। बाइंडिंग और फिनिशिंग का काम करने में कई महिलाएं भी शामिल हैं। नोटबुक पेपर पर जीएसटी 12% थी जो अब समाप्त कर दी गई है। स्टेशनरी बॉक्स पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करने से खुदरा कीमतों में 6-11% की गिरावट की उम्मीद है। इससे घरों, स्कूलों और राज्य शिक्षा विभागों को सीधे लाभ होगा क्योंकि यह सभी शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में बड़ी मात्रा में स्टेशनरी का सामान खरीदते हैं।
मुख्य क्षेत्रों के अलावा, तमिलनाडु का मजबूत औद्योगिक आधार होने से उसे कई तरह के लाभ होंगे।
पंप और सिंचाई उपकरण: तमिलनाडु में हजारों एमएसएमई पंप, छोटे इंजन, स्प्रिंकलर और सिंचाई उपकरण बनते हैं। कई पुर्जों पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% और स्प्रिंकलर और हैंड पंप पर 12% से घटाकर 5% करने से इन उपकरणों की कीमतें 6-8% तक कम हो जाएंगी। इससे छोटे और सीमांत किसानों को आधुनिक सिंचाई प्रणाली अपनाने में मदद मिलेगी जिससे कृषि उत्पादकता में सुधार होगा।
ऑटोमोबाइल: 2023 में, तमिलनाडु में भारत के कुल विद्युत् वाहनों (इवी) के उत्पादन का 40% हिस्सा निर्मित किया गया और यहाँ के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 22 लाख लोगों को रोजगार मिला। वाहनों और उनके पार्ट्स पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% करने से प्रभावी टैक्स भार लगभग 8% कम हो जाएगा। इससे घरेलू खरीदारों के लिए ऑटोमोबाइल की कीमतें कम होंगी और निर्माताओं तथा निर्यातकों की लागत में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
नवीकरणीय ऊर्जा: राज्य की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 34,700 मेगावाट है, यह उसके कुल मिश्रित ऊर्जा का आधे से भी अधिक है। इसमें 10,500 मेगावाट पवन ऊर्जा और 7,360 मेगावाट सौर ऊर्जा शामिल है। नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों और उनके पुर्जों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से परियोजना की लागत 6-7% तक कम हो जाएगी जो नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों को और विकसित करने के लिए यह फायदेमंद होगा और साथ ही तमिलनाडु के स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और उभरते क्षेत्र
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इलेक्ट्रॉनिक्स और नई-तकनीक वाले क्षेत्र को भी जीएसटी में सुधार से काफी फायदा होने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रॉनिक्स: श्रीपेरुमबदूर, ओरगाडम, कांचीपुरम और कृष्णगिरी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स हब के रूप में उभरे हैं। टीवी और मॉनिटर पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% और सिलिकॉन वेफर पर 12% से घटाकर 5% करने से उपभोक्ता कीमतें कम होंगी और इनकी आपूर्ति शृंखला में कार्यरत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों की इनपुट लागत भी कम होगी। इससे तमिलनाडु के बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण निर्यात को मजबूती मिलेगी।
ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहन: ड्रोन पर जीएसटी को 18/28% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे इनकी कीमत 13-18% कम हो गई है जिसके परणामस्वरूप कृषि, रक्षा, लॉजिस्टिक्स, मैपिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर मॉनिटरिंग जैसे क्षेत्रों में इनके इस्तेमाल में तेजी आएगी। तमिलनाडु में पहले से ही चेन्नई, होसुर और कोयंबटूर में कई ड्रोन स्टार्टअप हैं जिससे यह राज्य उभरते हुए इस सेक्टर में अग्रणी राज्य
बनने की अच्छी स्थिति में है।

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रक्षा, एयरोस्पेस और रेल निर्माण
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तमिलनाडु भारत के सबसे मजबूत रक्षा और एयरोस्पेस कॉरिडोर में से एक है। अवड़ी (चेन्नई), कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली और सालेम में प्रमुख सुविधाएं हैं। राज्य में कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं, जिनमें डीआरडीओ लैब, एचएएल यूनिट, हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई), इंजन फैक्ट्री अवड़ी और आयुध कारखाना तिरुचिरापल्ली शामिल हैं। ये इकाइयां और एमएसएमई का बढ़ता नेटवर्क मिलकर तमिलनाडु को भारत की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाला राज्य बनाते हैं।
सैनिक साजोसामान: मिसाइल, परिवहन विमान और सिम्युलेटर पर अब जीएसटी खत्म कर दिया गया है जिससे लागत में 18-28% की कमी होगी। इससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत को मजबूती मिलेगी।
वॉकी-टॉकी और रेडियो: टैक्स 12% से घटकर 5% होने से रक्षा और पुलिस संचार उपकरण सस्ते हो जाएंगे।
टेस्टिंग उपकरण और सहायक पुर्जे: जीएसटी 18% से 0% करने से उपकरणों के रखरखाव और अनुसंधान और विकास के लिए बजट में सुधार होगा जिससे रक्षा के क्षेत्र सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयों और एम्एसएम्इ को सर्विसिंग और सटीक उपकरण बनाने की लागत कम करने में मदद मिलेगी।
रेल कोच निर्माण: इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (चेन्नई) में लगभग 8,200 लोग काम करते हैं और यह दुनिया के सबसे बड़े रेल कोच निर्माताओं में से एक है। एचवीएसी सिस्टम, इंजन और कई इनपुट असेंबली पर जीएसटी में कटौती (28% से 18%) से कोच बनाने की लागत 3-5% तक कम हो जाएगी। इससे वंदे भारत, इएम्यु और मेमो कोचों के उत्पादन सहित भारतीय रेलवे के पूंजीगत व्यय में दक्षता बढ़ेगी।
जीएसटी में सुधार से तमिलनाडु के कई क्षेत्रों को फायदा होगा, चाहे वह पारंपरिक हाथकरघा, हस्तशिल्प, नारियल और मछली पालन जैसे क्षेत्र हों या ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा जैसे आधुनिक उद्योग। इससे उपभोक्ता कीमतें कम होंगी, एमएसएमई का मुनाफा बढ़ेगा और निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।
लागत कम होने से परिवारों और उद्योगों दोनों में ये सुधार ग्रामीण आजीविका को मजबूत करेंगे और राज्य को एक औद्योगिक केंद्र बनाने की दिशा में तेजी लाएंगे। अपनी विरासत और आधुनिक विनिर्माण क्षमता के साथ तमिलनाडु जीएसटी में कटौती से लाभान्वित होने वाले राज्यों में से एक बनने के लिए तैयार है जो आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
जीएसटी दरें तर्कसंगत बनाए जाने से तमिलनाडु को इस तरह होगा लाभ
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पीके/केसी/एसके
(तथ्य सामग्री आईडी: 150309)
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